Debate topics in Hindi for Students – Class 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12
डिबेट मतलब वाद विवाद प्रतियोगिता। मतलब कोई भी एक विषय लेकर उसे पर बहस करना। इस प्रतियोगिता में दो लोग होते हैं और वह एक दूसरे से एक विषय पर बहस करते हैं। इससे उसे विषय के बारे में उन दोनों को कितनी जानकारी है इसका पता हमें चलता है। ऐसे वक्त पर झगड़ा नहीं होते। लेकिन दो व्यक्ति एक ही टॉपिक पर अपने–अपने विचार व्यक्त करते हैं। एक ही विषय होता है जिस पर कई लोग अपने–अपने तर्क के अनुसार विचार करते हैं। यह प्रतियोगिता बहुत सारी जगह हम पर होती है। ज्यादातर स्कूल कॉलेज में ऐसी प्रतियोगिताएं रखी जाती है। कई लोग अपना नाम इस प्रतियोगिता के लिए दर्ज करवाते हैं। उन्हें अलग–अलग विषय दिए जाते हैं। दो लोग एक ही विषय पर अपने तर्क देते हैं। अपने–अपने विचार एक ही विषय पर वह व्यक्त करते हैं। बहस करने का या वाद विवाद करने का मुख्य कारण यह होता है या फिर मुख्य उद्देश्य यह होता है कि अपने–अपने विचार अपने जो तर्क है वह दूसरों के सामने रख देना। इस वजह से एक ही विषय के जितने भी पहलू है उसे बारे में लोगों को पता चल जाता है। एक ही विषय के बारे में सब का दृष्टिकोण अलग–अलग होता है और वही दृष्टिकोण सबके सामने आ जाता है। डिबेट करना और झगड़ा करना इसमें बहुत अंतर होता है। डिबेट में दो लोग अपनी–अपनी बातों को सबके सामने रखते हैं। लेकिन झगड़ाइस तरह से किया जाता है कि जैसे मेरी ही बात सही है और सामने वाले की बात गलत है। डिबेट में सामने वाले व्यक्ति की भी बातें शांति से सुनी जाती है। उसे पर अपने विचार रखे जाते हैं। ऐसी वजह से एक ही विषय के अनेक पहलू हमारे सामने आ जाते हैं।
ज्यादातर डिबेट स्पर्धाएं स्कूल और कॉलेज में ली जाती है। स्कूल और कॉलेज से बहुत सारे बच्चे ऐसे स्पर्धा में भाग लेते हैं। इसमें दो पक्ष बनाए जाते हैं एक पक्ष विषय के समर्थन में बात करता है तो दूसरा पक्ष विषय के विरोध में जाकर बातें करने लगता है।मतलब एक सकारात्मक समूहहोता है और दूसरा विपक्ष मतलब नकारात्मक समूह होता है।जो विषय वाद विवाद के लिए दिया गया है उसका समर्थन सकारात्मक समूह करता है और विषय के विरोध में नकारात्मक समूह जो होता है वह बातें करता है।विषय देने के बाद सभी समूहों को उन विषयों की तैयारी करने के लिए समय दिया जाता है। इस वजह से बच्चों में समय पालन करने की क्षमता भी निर्माण हो जाती है।दोनों ही पक्षों को एक दूसरे की बातों का खंडन करना होता है। एक दूसरे के विचार उन्हें अच्छे से सुना और उसे पर अपनी प्रतिक्रिया देना यह महत्वपूर्ण बात होती है।इसमेंउन्हें कभी भी डरना नहीं है।अगर वेटर के तो उनके सामने वाले बातोंका जवाब वे नहीं दे सकेंगे और वे वहीं पर हार जायेंगे। क्योंकि उनके सामने यह बात सुनने वाले अनेक लोग श्रोतागण बैठते हैं। लेकिन वह उन दो लोगों की बातें ध्यान लगाकर सुनते हैं। वह इस वाद विवाद प्रतियोगिता में सहभागी नहीं होते। वह सिर्फ सुनने का काम करते हैं। बच्चों के लिए यह स्पर्धाएं बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस वजह से बच्चों का कौशल्य विकसित होता है। उन्हें एक ही विषय के अलग–अलग पहलू के बारे में पता चलता है। इस वजह से उनके विचार करने की शक्ति बढ़ती है। वह एक ही विषय अलग–अलग तरह से सोते हैं। उसमें क्या सच्चाई है कितना झूठ है वह वे खुद पता कर सकते हैं। इस वजह से बच्चों के विचार करने की क्षमता बढ़ जाती है। नए–नए विषयों के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी मिल जाती है। जब किसी बच्चे को वाद विवाद के लिए विषय दिया जाता है तो उसे विषय के बारे में वह बच्चे अच्छी तरह से जानकारी इकट्ठा करते हैं। उन जानकारी को इकट्ठा करके फिर वहां उनका अभ्यास करते हैं। वादविवाद के लिए वह महत्वपूर्ण बिंदु निकलते हैं। उसे पर वे चर्चा करते हैं।अपना कहना वह सबके सामने अच्छी तरह से कह सकते हैं। इस वजह से बच्चों का व्यक्तिगत विकास होता है और मानसिक विकास भी होता है।कई लोगों में वह बिना झिझकके अपनी बात रख सकते हैं। उस वक्त उन्हें किसी का भी डर नहीं लगता। वह अपनी बात सबके सामने ही रखसकते है।इस वजह से उन्हें आत्मविश्वास की कमी नहीं होती। उन में आत्मविश्वास बढ़ता ही रहता है। उन में बोलने का भी एक अपना तरीका निर्माण होता है। बात विवाद के लिए बच्चों को जब विषय दिए जाते हैं तो वह अनेकजगहोंपर संशोधनकरतेहै।बिना संशोधन के वह अपनी बात किसी के सामने नहीं रखते। इस वजह से हर एक विषय पर संशोधन करते हैं उसके बारे में जानकारी पता करते हैं और बाद में ही उसे विषय पर बोलते हैं। इस वजह से उनके विचार प्रभावपूर्ण बनते हैं।जब भी संशोधन करते हैं उसके बाद वह अपने–अपने तरीके से उसे पर वाक्य बनाते हैं। वे विचार लिख कर रखते हैं। इस वजह से बच्चों में वैचारिक प्रगलभता बात आती है।
List of Debate Writing for Students of Hindi Medium:
- क्या वोट देने के अधिकार की उम्र सीमा घटा देनी चाहिए ?
- कड़ी मेहनत के साथ ही भाग्य का साथ देना भी आवश्यक है.
- क्या भारत में चालक रहित कारों की अनुमति दी जानी चाहिए?
- इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टीवी समाचार) प्रिंट मीडिया का अंत कर देगा.
- कंप्यूटर को शिक्षकों की जगह लेनी चाहिए
- क्या भारत में वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित कर दिया जाना चाहिए?
- क्या हिंदी भाषा को सीखना अनिवार्य कर देना चाहिए?
- क्या मांसाहार उचित है?
- विश्व स्तर पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए
- क्या दहेज लेना गलत है?
- क्या जानवरों पर चिकित्सा अनुसंधान उचित है?
- सुप्रीम कोर्ट देश के लोकतंत्र की रक्षक है
- क्या हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बना देना चाहिए?
- क्या सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति परीक्षा के माध्यम से होनी चाहिए?
- क्या बलात्कार की सजा मृत्युदंड होनी चाहिए?
- सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल को अनिवार्य कर देना चाहिए
- क्या हमें वित्तीय शिक्षा को अनिवार्य बनाना चाहिए?
- क्या गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण समाप्त करने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही?
- क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की सामग्रियों पर सेंसरशिप अनिवार्य कर देना चाहिए?
- भारत में विमुद्रीकरण (डेमोनेटाइजेशन) का फैसला सही या गलत?
- राष्ट्रवाद फायदेमंद है या खतरनाक?
- क्या भारत को रूस का समर्थन करना चाहिए?
- क्या भारत विश्वगुरू बनने के पथ पर अग्रसर है?
- मानव पीड़ा को कम करने का एकमात्र तरीका अपनी जरूरतों को नियंत्रित करना है
- देश में स्वच्छता का पूरा जिम्मा सरकार का है
- बढ़ती कीमतों को सरकार ही नियंत्रित कर सकती है
- शिक्षण संस्थाओं में स्मार्टफोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए.
- खेलों में भाग लेना केवल समय की बर्बादी है
- क्या जानवरों को चिड़ियाघर में रखना सही है?
- निजीकरण देश के लिए फायदेमंद है या नुकसानदायक?
- हमारी बड़ी आबादी गरीबी का कारण नहीं बल्कि एक संपत्ति, एक संसाधन है
- क्या आधार कार्ड को वोटर आईडी कार्ड से जोड़ना सही?
- किताबें टेलीविजन से बेहतर हैं
- क्या महिलाएं भारत में सुरक्षित हैं?
- राजनेताओं को मिलने वाला पेंशन बंद कर देना चाहिए?
- क्या शहरी जीवन ग्रामीण जीवन से बेहतर है?
- सरकार को नौकरी सृजन से ज्यादा स्टार्टअप के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए Debate – क्या शहरी जीवन ग्रामीण जीवन से बेहतर है?
- बेहतर भविष्य के लिए सिर्फ व्यवहारिक विषयों (गणित, विज्ञान, अर्थशास्त्र) की पढ़ाई होनी चाहिए
- क्या फिल्में समाज का आइना हैं?
- क्या बॉलीवुड में परिवारवाद मौजूद है?
- क्या गूगल सबसे बेहतरीन सर्च इंजन है?
- ऑनलाइन स्मार्ट कक्षाएं ही भविष्य हैं
- भारत में वृद्धों के लिए घर अनिवार्य होना चाहिए
- एयर कंडीशनर पौधों की तुलना में गर्मी को मात देने में बेहतर है
- क्या भारत को न्यूक्लियर पावर बनाना सही था?
- क्या सोशल मीडिया जन बाजार पत्रकारिता के तरीकों और सूचनाओं का लोकतंत्रीकरण करके आतंकवाद को सक्षम बनाता है?
- क्या ग्लोबल वार्मिंग कोई गंभीर समस्या नहीं है
- क्या भारत में चलाए गए स्वच्छता मिशन का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला?
- क्या भारतीय मीडिया स्वतंत्र भूमिका निभाने के बजाय राजनीति से प्रेरित है?
- शिक्षा पाने और पैसा कमाने के लिए ही जीवन है
- भारत में ज्यादातर इंजीनियरिंग कर रहे छात्र इंजीनियर बनने के लायक नहीं है
- वोट नहीं देने वाले सभी नागरिकों को जुर्माना भरना चाहिए
- साहित्य में छायावाद का महत्वपूर्ण स्थान है
- कैशलेस अर्थव्यवस्था देश के विकास के लिए अच्छी है
- क्या संगीत तनाव कम करने में सहायक है ?
- क्या कभी पूरे विश्व में शांति स्थापित हो सकती है ?
- क्या ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की सीमा होनी चाहिए ?
- क्या विश्व शांति प्राप्त करने के लिए परमाणु निरस्त्रीकरण अनिवार्य है ?
- क्या आधुनिक तकनीक मानव सामाजिक संपर्क को बर्बाद कर रही है ?
- क्या मानवयुक्त अंतरिक्ष यात्रा लागत के लायक है ।
- विधायिकाओं के सदस्यों को किसी अन्य पेशे / व्यवसाय में संलग्न होने से प्रतिबंधित करना चाहिए ।
- समाज पर समाचार चैनलों का प्रभाव ।
- क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नौकरियां छीन लेगा ?
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता जरूरी ।
- रामधारी सिंह दिनकर सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय कवि हैं।
- क्या पर्यावरण प्रदूषण फैलाने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ?
- वीडियो गेम्स का बच्चों पर बुरा प्रभाव
- क्या जनसंख्या नियंत्रण एक अच्छा विचार है ?
- क्या प्राइवेट शिक्षण संस्थानों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए ?
- क्या वोट देने के अधिकार की उम्र सीमा घटा देनी चाहिए ?
- वैश्वीकरण की वजह से सामाजिक मूल्यों का ह्रास हुआ है ।
- क्या कर्मचारियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नजर रखी जानी चाहिए ?
- क्या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता है ?
- मीडिया लोकतंत्र के विकास में सहायक है ।
- क्या कुछ जानवरों के विलुप्त होने के लिए मनुष्य दोषी हैं ?
- क्या सरकारी शिक्षण संस्थानों का निजीकरण कर देना चाहिए ?
- सभी लोगों को बंदूकें रखने का अधिकार होना चाहिए।
- क्या मोबाइल बैंकिंग सुरक्षित है ?
- क्या भगवान ने ब्रह्मांड बनाया है या यह स्वाभाविक रूप से हुआ है ?
- वेश्यावृत्ति का वैधीकरण पर चर्चा होनी चाहिए ।
- क्या हमें लैंगिक समानता की जरूरत है ?
- क्या पैसा कार्यस्थल में किसी अन्य कारक से अधिक लोगों को प्रेरित करता है ?
- क्या सिनेमा में राष्ट्रगान अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए ?
- क्या शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के लिए आत्मरक्षा कौशल शिक्षा अनिवार्य कर देना चाहिए ?
- क्या राजनेताओं के लिए शैक्षिक योग्यता आवश्यक है ?
- क्या गांधीवादी दर्शन 21वीं सदी के भारत में आज भी प्रासंगिक है ?
- क्या भारत से आरक्षण व्यवस्था समाप्त कर देना चाहिए ?
- क्या कभी भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर बन पायेगा ?
- क्या एक देश एक चुनाव सही ?
- मार्क्सवाद दुनिया के लिए फायदेमंद या खतरनाक ?
- भारत में समान नागरिक संहिता की जरूरत है ।
- क्या सह-शिक्षा एक अच्छा विचार है ?
- ब्रिटिश राज का भारत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा ।
- शादी से पहले संभोग – सही या गलत।
- क्या भारत में द्विदलीय प्रणाली अनिवार्य कर देना चाहिए ?
- मेहनत हमेशा किस्मत से हारती है ।
- क्या भारत में नौकरियां खत्म हो रही हैं ?
- क्या स्कूलों में यौन शिक्षा दी जानी चाहिए?
वाद विवाद प्रतियोगिता में जब हम भाग लेते हैं तो हमें कभी भी डरना नहीं है। अगर हम डर गए तो हमारी आवाज नीचे आ जाएगी और हम जो बोल रहे हैं वह सामने वाले को सुनाई नहीं देगा। इस वजह से हमारे मुद्दे कितने भी प्रभावशाली हो उनका प्रभाव सामने वाले व्यक्ति पर कभी भी नहीं पड़ेगा। इस वजह से हम जब हमारी बातें सबके सामने रखते हैं तो हमारी आवाज भी सबको सुनाई दे ऐसी होनी चाहिए।हमारी आवाज ऐसी होनी चाहिए जो हमारे सामने वाले को इसके साथ–साथ जो प्रेषक बैठे हैं उनको और परदे के पीछे जो लोग हैं उन्हें भी सुनाई दे। इसके साथ–साथ उसमें जो महत्वपूर्ण शब्द है उन पर हमें जोर देकर बोलना चाहिए। हमारी बातों में आत्मविश्वास होना चाहिए। हमारी भाषा भी सरल और सामने वाले लोगों को समझ में आए ऐसी होनी चाहिए। अगर हमारी भाषा किसी को समझ में ना आए तो हमारी बातों पर वह विचार नहीं कर पाएंगे। अगर हमारी बातें सामने वाले कोनहींजजतीतोभीहमेंशांत रहना चाहिए हमें वहां पर कभी भी गुस्सा नहीं होना चाहिए। हम सामने वाले के तर्कों से सहमत हो या अस्मत हमें अपनी आवाज नहीं बढ़ानी चाहिए। हमें हमारा दिमाग वहां पर शांति रखना चाहिए।
जब हम एक दूसरे के साथ बहस करने लगते हैं तब हम सिर्फ अपनी बात विपक्षके सामने रखना चाहते हैं। लेकिन जब बाद में बात की प्रतियोगिता शुरू होती है तब हम अपनी बात रख कर सामने वाली की बात भी अच्छी तरह से सुनते हैं इस वजह से हमारी सुनने की आदत मेंसुधारआताहै।हम बोलने के साथ–साथ सुना भी सीख जाते हैं। हमारे लिए सुनना बहुत महत्वपूर्ण चीज होती है। जब हम अपनी बात रखते हैं तब हमें सामने वाले की बात भी सुनाई चाहिए। लेकिन हम ऐसा नहीं करते। हमारी ही बात सही है यह दृष्टिकोण रखकर हम सिर्फ अपनी बातें सामने वाले को सुनाने के लिए जाते हैं और यहां पर हमारा ही नुकसान होता है। जब हम वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेते हैं तब सुनाने के साथ–साथ सामने वाले की बात सुना भी सीख जाते हैं। इस वजह से हमारे सुनने की क्षमता बढ़ जाती है।
वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने से हमे भाषा का ज्ञान भी मिलता है।जब हमें विषय दिया जाता है तो हम उसे पर संशोधन करते हैं इसके साथ–साथ हम सामने वाले की बातें भी दिमाग शांत रखकर सुनते हैं इस वजह से हमारी भाषा में भी सुधार आ जाता है। नए–नए शब्द सीखने के लिए मिलते हैं। जब हम वह शब्द सुनते हैं या पढ़ते हैं तो उन शब्दों का अर्थ जानने का प्रयास करते हैं। इस वजह से हमारा शब्द संग्रह भी बढ़ जाता है। इसके साथ–साथ जब हम बात विवाद प्रतियोगिता में भाग लेते हैं तो हमारी सहनशीलता भी बढ़ती है। क्योंकि हमें दूसरों की बात सुनने की आदत हो जाती है। दूसरों की बात अच्छी तरह से सुना शांत दिमाग से उसे पर विचार करना यह हम आदत डाल लेते हैं। इस वजह से हम सहनशील बनते हैं। अच्छी तरह से विचार करने लगते हैं। हमें सुनने की विचार करने की क्षमता विकसित होती जाती है।
जब बच्चे नई–नई किताबें पढ़ते हैं नई–नई विषयों पर विचार करते हैं तो उनका दिमाग स्वस्थ रहने लगता है। उनके दिमाग को ताकत या ऊर्जा मिलने लगती है। इस वजह से उनका दिमाग कभी भी आलसी नहीं होता। वह हमेशा ही अपना कार्य करता रहता है। वह हमेशा विचार करता रहता है। जब बच्चे छोटे होते हैं तो यह प्रतियोगिता कॉलेज और स्कूल तक मर्यादित रहती है। लेकिन जब पर बड़े होते हैं कई लोगों को मिलते हैं जब वह अपने काम पर जाते हैं विविध बैठक मीटिंग मैं बैठते हैं तब उनको बात विवाद प्रतियोगिता का बहुत फायदा हो जाता है। वह अपनी बात सबके सामने अच्छी तरह से रख सकते हैं। प्रतियोगिता का आयोजन भले ही मनोरंजन के लिए किया गया हो। लेकिन उसका बच्चों के दिमाग पर बहुत अच्छा असर हो जाता है। उनका दिमाग तारो ताजा हो जाता है। अनेक विषयों के बारे में सोचने लगता है। विचारकरते वक्त वह अलग–अलग दृष्टिकोण अपने सामने रखता है।जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और कई लोगों से उनका मिलना जुलना पड़ता है, इसके साथ–साथ जब वह काम पर जाते हैं तब उनकी एक अलग छवि सबके सामने बन जाती है। एक ही विषय पर अलग–अलग तरह से सूचना और उसे पर संशोधन करना इस आदत की वजह से बच्चों का व्यक्तित्व निखर जाता है और इसी वजह से जब वह बड़े होकर अपनी बात सबके सामने रखते थे तब उनकी बात सब लोग ध्यान से सुनते हैं। क्योंकि इस वजह से उनके बोलने में भी एक अलग सा आत्मविश्वास आता है।हम जब सार्वजनिक जगहों पर जाते हैं तब भी हम उतने ही आत्मविश्वास पूर्ण अपनी बात रखना जानते हैं। इस वजह से सब की नजर में हमारी एक अलग छवि बन जाती है।
बातें बाद प्रतियोगिता की वजह से हमें विषयों के अलग–अलग पहलुओं के बारे में पता चलता है कभी–कभी हमारे सामने ऐसे पहलू भी आते हैं जिनके बारे में हमने कभी भी नहीं सोचा होता। इस वजह से हमारे ज्ञान में भी वृद्धि हो जाती है। बाद विवाद प्रतियोगिता में हमें अपनी बात आत्मविश्वास पूर्ण रखनी होती है उतने ही आत्मविश्वास से और शांत दिमाग से सामने वाले के बाद भी सुनाई होती है। जब हम सामने वाले के बात सुनते हैं तब उसे पर भी हमें शांत रहकर ही उत्तर देना होता है। वाद विवाद प्रतियोगिता जीतने के लिए हमें बोलने के ढंग को विकसित करना होता है। जब हम अलग–अलग बात विवाद प्रतियोगिता में भाग लेते हैं तब हमें इस कौशल का निर्माण अपने आप हो जाता है।
जब वाद विवादप्रतियोगिता में बच्चे भाग लेते हैं तब वह अपनी क्षमताएं विकसित करते हैं। उनके विचार करने की क्षमता व्यापक बन जाती है। उन्हें अलग–अलग विषयों पर संशोधन करने की आदत पड़ जाती है। इसके साथ–साथ में अपने विचार दूसरों के सामने रख सकते हैं। दूसरों की बातें शांत रहकर सुन सकते हैं वे सहनशील बन जाते हैं। उन्हें बहुत सारे विषयों की भी जानकारी होने लगती है।उनका दिमाग बहुत सारे विषयों पर विचार करने लगता है। इससे उनकी वैचारिक प्रकल्प बात बढ़ती है। उनका व्यक्तित्व निखर जाता है। उनका दिमाग हमेशा ही स्वस्थ रहता है। उनका भविष्य भी निखर जाता है। अपने भविष्य में सुधार लाने के लिए भी हमेशा ही नहीं चीजों की खोज करते रहते हैं। नए–नए विषयों के बारे में सीखते हैं उनमें संशोधन करते हैं और अपने दिमाग को विकसित बनाते हैं। जब वह सामाजिक कार्य करते हैं या फिर समझ में कुछ बातों पर अपने विचार रखते हैं तो वह आत्मविश्वास पूर्ण वह बातें सबके सामने रख सकते हैं। इसके साथ–साथ उनमें विचार करने की शक्ति निर्माण होती है। इस वजह से उन्हें अपने निर्णय लेने में भी मदद होती है। जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तब उनमें निर्णायक क्षमता अपने आप ही आ जाती है। इस बात के लिए उन्हें अलग से कोई भी प्रयत्न नहीं करने पड़ते।
बाद विवाद प्रतियोगिता के बहुत सारे लाभ है। इस वजह से हमें अपने बच्चों को वाद–विवाद प्रतियोगिता में जाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए उन्हें कभी भी रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अगर भी इसी उम्र में अपनी बातें सबके सामने रखना सीख जाएंगे तो बड़े होकर उन्हें अपनी जिंदगी में कोई परेशानियां नहीं होगी। क्योंकि वह सिर्फ अपनी बातें ही रखना नहीं जानते उसे पर पूरा संशोधन भी करते हैं। इसी वजह से उन में आत्मविश्वास का निर्माण होता है।