On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या भारत को न्यूक्लियर पावर बनाना सही था?
Debate – क्या भारत को न्यूक्लियर पावर बनाना सही था?
भारत देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद बहुत सारे देशों ने शांति प्रस्ताव रखा। और उसे शांति प्रस्ताव को मान्य भी किया। लेकिन कई देशों ने दूसरे देशों पर हमेशा विश्वास ही जाते हैं। हालांकि सभी देशों ने शांति प्रस्ताव मान्य किया है फिर भी किसी का भी किसी पर भी विश्वास नहीं है इस वजह से हर एक देश अपनी सुरक्षितता को लेकर चिंतित रहता है। इस वजह से हर एक देश अपनी सुरक्षितता के मामले में सतर्क रहता है। हर कोई अपने देश की सुरक्षित रखना चाहता है।
इसके साथ साथ में किया और पावर को बिजली बनाने का सबसे बड़ा स्रोत माना गया है। इस वजह से इसका उपयोग बिजली बनाने में भी किया जाता है। भारत ने ऐसे कई प्रकल्पों को मान्यता दी है। क्योंकि यह हमारे देश के लिए ही उपयोगी होते हैं। यह देश का विकास करने के योगदान में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन इसके वजह से पर्यावरण की बहुत हानि होती है। इसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग में भी वृद्धि होती है। न्यूक्लियर पावर का असर हमारे जलवायु पर भी हो रहा है। इसका असर कम करने की कोशिश हर देश कर रहा है। क्योंकि इसमें से हानिकारक गैसें के निर्मित होती है यह गैसेस हमारे पर्यावरण को हानि पहुंचती है। जब पर्यावरण के हानि होती है तो साथ-साथ ही मनुष्य की भी हानि हो जाती है।
विज्ञान में नई तरक्की की गई है नई नई टेक्नोलॉजी का इस्तमाल किया जा रहा है। क्योंकि इसका उपयोग पर्यावरण को हो और पर्यावरण के साथ-साथ मानव को भी इसका उपयोग होना चाहिए। लेकिन इसका असर पर्यावरण पर हो रहा है और इसके साथ-साथ मनुष्य की भी हानि हो रही है इस वजह से न्यूक्लियर पावर पर रोक लगाई गई है। न्यूक्लियर पावर में से जो हानिकारक गैस उत्सर्जित होती है उसे पर रोक लगाने की कोशिश कई देशों ने की लेकिन सभी देश उसमे असफल रहे हैं। न्यूक्लियर पावर से दुनिया में बिजली की निर्मित की जाती है। इस वजह से सभी देश चिंतित थे के अगर न्यूक्लियर पावर पर रोक लगाई गई तो हम बिजली कहां से निर्माण कर पाएंगे। न्यूक्लियर पावर सही है या नहीं इस वजह से बहुत सारे देशों के अंतर्गत कई चर्चाएं हुई है। लेकिन आज भी यह मुद्दा विवाद के मार्ग पर ही है।
1986 में जब जर्मनी में हादसा हुआ उसके बाद सभी लोगों ने परमाणु पावर के विरोध में आंदोलन की शुरुआत की। क्योंकि इस के वजह से कई लोगों को नुकसान हुआ था। साथ साथ ही पर्यावरण और देश की हानि भी हुई थी। कई सालों पहले जर्मनी में जो न्यूक्लियर पावर प्लांट थे उनकी हालत बहुत खराब थी। उसमें बहुत सारा कचरा जमा हुआ था इस वजह से जर्मनी ने यह तय किया कि वह न्यूक्लियर पावर कभी नहीं बनाएगा। फुकुशिमा में जब हादसा हुआ था तो बहुत सारे लोगों को इस वजह से खतरा हुआ था। उसका बहुत सारे लोगों की जान गई थी। कई लोग अपना घर छोड़कर दूसरी जगह चले गए थे।
न्यूक्लियर पावर जब तैयार की जाती है तब सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि न्यूक्लियर कचरा इसको मिटाना। इसके साथ साथ न्यूक्लियर पावर की वजह से बहुत सारे खतरों का सामना दुनिया को करना पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि न्यूक्लियर पावर प्लांट चलाना यह बहुत खर्च कम होता है। इस वजह से देश के तिजोरी पर बहुत भार पड़ता है। इसके साथ-साथ चिंता की बात यह भी है कि जब हम न्यूक्लियर पावर बनाते हैं तो सभी देशों पर खतरा मंडरा रहता है। क्योंकि किसी भी देश का दूसरे देशों पर विश्वास नहीं रहा है। इस वजह से हर कोई न्यूक्लियर पावर का इस्तेमाल दूसरे देशों से युद्ध करने के लिए भी कर सकता है।
जो लोग न्यूक्लियर पावर के से हथियार बनाते हैं और उनका इस्तेमाल दूसरे देशों से युद्ध करने के लिए करते हैं उन्हें कोई भी नहीं रोक सकता। क्योंकि यह सब हथियार देश के अंदर के अंदर बनाए जाते हैं। इस वजह से भारत को भी हर समय चौकन्ना रहना पड़ता है। न्यूक्लियर पावर का इस्तेमाल भारत युद्ध के लिए नहीं करता। क्योंकि भारत शांति रखना चाहता है। लेकिन अगर दूसरा देश आकर हमारे देश में आतंक फैला रहा है या फिर युद्ध करने की फिर याद में है तो हमें भी इसके लिए तैयार रहना होगा। इस वजह से भारत का न्यूक्लियर पावर बनाना सही है।
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