On this page we have given an article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या स्कूलों में यौन शिक्षा दी जानी चाहिए?
Debate – क्या स्कूलों में यौन शिक्षा दी जानी चाहिए?
हमारी सबसे पहली पाठशाला हमारा घर होता है और हमारे सबसे पहले गुरु हमारी माता होती है। जब हम 6 से 7 साल के हो जाते हैं तब हमें पाठशाला में भेजा जाता है। हर माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते हैं। गुरुजनों के माध्यम से उन्हें पढ़ाया जाता है। गुरुजन हमें कई बातों का ज्ञान देते हैं। जिस तरह माता-पिता बच्चों पर संस्कार करते हैं इस तरह पाठशाला भी बच्चों पर संस्कार ही करती है। अपना जीवन किस तरह से बिताना चाहिए, अपने जीवन के मूल्य किस तरह के होने चाहिए, किन बंधनों में हमें रहना चाहिए यह सभी संस्कार पाठशाला हमें देती है। गुरुजन हमें जीवन जीने के तरीके बताते हैं। मुश्किलों का सामना किस तरह से करना चाहिए, अपना लक्ष्य क्या होना चाहिए यह भी गुरुजन ही हमें सिखाते हैं। जब हम पाठशाला जाते हैं तो वहां पर हम पढ़ना लिखना अपने जीवन को बेहतर बनाना नए-नए कौशल सीखना यह बातें सीखते हैं। सिर्फ नौकरी करने के लिए या परीक्षा में अच्छे गुण प्राप्त करने के लिए हम पाठशाला नहीं जाते। पाठशाला जीवन की राह में एक महत्वपूर्ण घटक होता है जो हमारे जीवन को सुंदर बनाता है। इसी के साथ-साथ बच्चों के चरित्र और नैतिकता का विकास भी पाठशाला ही करती है।
पाठशाला में हमें सभी विषय सिखाए जाते हैं। लेकिन यौन शिक्षा इस विषय का समावेश आज तक हमारी शिक्षा में नहीं किया गया है। यौन शिक्षा मतलब मानव के शरीर की रचना, लैंगिक जनन, प्रजनन स्वास्थ्य, अधिकार, गर्भ निरोधक की बातें, यौन संयम यह सारी बातों का समावेशी एवं शिक्षा में होता है। आज की युवा पीढ़ी में इन सारी बातों का अभाव नजर आता है। क्योंकि इन बातों की विषय में उनसे कोई भी बात नहीं करता। ऐसे विषय में चर्चा नहीं की जाती।
आजकल युवा पीढ़ी के सामने स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर, टीवी जैसी चीजें आ गई है। अनेक प्रकार की गैजेट उपलब्ध है। आज के जमाने के बच्चे जब अपने युवा अवस्था में पदार्पण करते हैं उसके पहले ही उन्हें कई प्रकार की जिज्ञासा होती है। और उनके माता-पिता या फिर घर के बड़े लोग उन्हें सच्चे जानकारी नहीं देते इस वजह से उनकी जिज्ञासा बढ़ती ही जाती है। हाथ में कई प्रकार के गैजेट्स होने के कारण उन्हें कई बार गलत जानकारी मिल जाती है और वह गलत राह पर निकल जाते हैं। आज 21 की भी सदी में भी यौन शिक्षा लेना या फिर हमारे घर में यौन शिक्षा के बारे में बातें करना गलत माना जाता है। अगर कोई इस बारे में बातें करता है तो उसे अपराधी के नजरों से देखा जाता है। और युवाओं को सही जानकारी न मिलने की वजह से उनके दिमाग में गलत धारणाएं बैठ जाती है। इन्हीं धारणाओं को सच मानकर वह कई गलतियां कर बैठते हैं। उन्हें समझने वाला भी कोई नहीं होता।
इस वजह से हमारे पाठशालाओं में यौन शिक्षा का समावेश करना चाहिए। इसी के वजह से ही बच्चों तक सही जानकारी पहुंचेगी। आज के युवाओं के लिए इस जानकारी का बहुत महत्व है। यह जानकारी बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास भी होता है। उनके मन में जो गलत धारणाएं होती है वह नष्ट हो जाती है। इसकी वजह से उनका भविष्य भी सुरक्षित हो जाता है। अगर यो शिक्षाओं में पाठशाला में दी जाए तो वे अपने शरीर में जो परिवर्तन होते हैं उन्हें अच्छी तरह से समझ पाएंगे। इससे होने वाले फायदे और नुकसान भी जान पाएंगे।
जब हम बच्चों को यौन शिक्षा के बारे में जानकारी देते हैं या फिरों शिक्षा देते हैं तो वह अपने शरीर को अच्छी तरह से जान लेते हैं। इसी की वजह से शारीरिक संबंधों के बारे में उनके मन में जो धारणाएं है होती है वह निकल जाती है। इसके साथ-साथ उनमें समाज का निर्माण होता है। यौन क्रिया जो होती है वह किस उम्र में करनी चाहिए उसकी सही उम्र में क्या है और इंसान क्या है। इसके साथ-साथ यौन क्रियो की वजह से होने वाली बीमारियां और उसके साथ आने वाली जोखिम क्या है इसका पता उन्हें हो जाता है।
बच्चों को उनके उम्र के अनुसार यौन शिक्षा देनी चाहिए। यौन शिक्षा के ऊपर खुलकर बात करनी चाहिए। तभी इसके बारे में जो हिचकी चार्ट है वह नष्ट हो जाएगी। बच्चों के सवालों के जवाब हमें सहजता से देने होंगे। मोबाइल टीवी पर जो विज्ञापन आते हैं उनके बारे में भी हमें बचपन से बात करनी होगी।
अगर हमें लगता है कि हमारे बच्चे गलत रहा पर न जाए तो हमें स्कूल के शिक्षा में यौन शिक्षा इस पर लेना चाहिए।
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