On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति परीक्षा के माध्यम से होनी चाहिए?
Debate – क्या सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति परीक्षा के माध्यम से होनी चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट भारत में महत्वपूर्ण माना जाता है। लोगों के मौलिक अधिकारों का यह संरक्षण करता है। लोगों को जो संविधान में अधिकार दिए हैं उनके लक्षण हेतु सुप्रीम कोर्ट हमेशा ही कार्यरत रहता है। लोगों को दिलाने के लिए हमें चाहिए सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट यह एक सर्वोच्च न्यायालय है। अगर सर्वोच्च न्यायालय के अंतर्गत न्यायालय आते हैं वह आदेश हुक्म देते हैं अगर हमें उसे पर अपील करना है तो हम सर्वोच्च न्यायालय में जा सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के ऊपर कोई भी न्यायालय नहीं है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट हमेशा ही महत्वपूर्ण रहा है। जिस जगह पर न्यायपालिका सुदृढ़ होती है वह शासन तंत्र भी अच्छा होता है। वहां के लोग कायदे कानून का अच्छी तरह से पालन करते हैं इसलिए हमेशा देश की न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अगर न्यायपालिका सक्षम हो तो वह उसे देश के संविधान की रक्षा करती है संविधान की हानि होने से बचाती है। सुप्रीम कोर्ट पर किसी का भी दबाव नहीं होता इसके बड़े जाकर सुप्रीम कोर्ट देश में रहने वाले जो नागरिक है उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा भी करता है इसके साथ-साथ वह निष्पक्ष न्याय करने में के लिए भी जाना जाता है। अगर किसी भी देश के न्यायाधीश किसी राजनीतिक दल के या फिर लोगों के दबाव में आकर काम करेंगे तो किसी को भी न्याय नहीं मिलेगा हर एक को अपने न्याय से वंचित रहना होगा। इसकी वजह से पूरे देश में और शांति पहले की कोई भी कायदे कानून का पालन नहीं करेगा। इस वजह से हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण रहता है सुप्रीम कोर्ट जब अपना कार्य अच्छे तरीके से पूर्ण करता है तो देश में भी शांति रहती है। सभी लोग एक दूसरे के साथ अच्छी तरह से रहते हैं कोई भी दूसरे के अधिकारों का हनन नहीं करता।
इस सबके लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रहती है। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा हो जाती है। भारत के जो राष्ट्रपति है वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं। यह नियुक्ति जो देश के पंतप्रधान होते हैं उनके माध्यम से उनकी सलाह लेकर की जाती है। इसके साथ-साथ कई मुद्दों को ध्यान में रखा जाता है जैसे कि जो न्यायाधीश होते हैं वह भारत के ही रहने वाले हो। उन्होंने लॉ में बैचलर की डिग्री प्राप्त की हो। उन्हें वकालत करने का भी अनुभव हो। उन्होंने कम से कम 5 वर्ष न्यायाधीश इस पद पर उच्च न्यायालय में कार्य किया हो। उच्च न्यायालय में ही कम से कम 10 वर्ष की वकील उन्होंने की हो। इसके साथ-साथ राष्ट्रपति रहते हैं कि उनको कायदे कानून का पूरा ज्ञान होना चाहिए।
मतलब जो सुप्रीम कोर्ट के जज होते हैं उनकी नियुक्ति के लिए कोई भी परीक्षा देने की जरूरत नहीं होती। उनके लिए जो मानदंड बनाए गए हैं। उन मानदंड के अंतर्गत आते हैं तो उनके न्यायाधीश इस पद पर नियुक्ति की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय में जो भी न्यायाधीश होते हैं उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। इसके बाद ही वह न्यायाधीश अपना कामकाज संभाल सकते हैं।
राष्ट्रपति के द्वारा ही न्यायाधीश की नियुक्ति की जाती है लेकिन आप सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति परीक्षाओं के माध्यम से ही होनी चाहिए। क्योंकि न्यायाधीशों के चयन का यही सर्वश्रेष्ठ तरीका है। न्यायाधीश है भारत के सर्वोच्च पद पर होते हैं। और उनकी नियुक्ति करते वक्त राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और न्यायपालिका के जो सदस्य होते हैं उनका परामर्श लेकर ही किया करते हैं। मतलब न्यायाधीश होते हैं वह कभी-कभी भारत सरकार के अधीन होते हैं। न्यायाधीश यह पद बहुत महत्वपूर्ण होता है इसीलिए ही उनका चयन परीक्षा के माध्यम से होना चाहिए उन्हें न्याय लेने के विषय में पूर्ण स्वतंत्रता देनी चाहिए। अगर वह किसी के दबाव में आकर अपने निर्णय लेते हैं तो इसका असर भारत की जनता के साथ-साथ पूरे देश पर ही भी पड़ सकता है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों का इस वजह से हनन होता है लोगों का नुकसान होता है। लोगों को न्याय नहीं मिलता। जब राष्ट्रपति न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं तब कभी-कभी न्यायाधीश सरकार के दबाव में आकर निर्णय ले सकते हैं। या फिर न्यायाधीश सरकार के पक्ष से भी हो सकते हैं इस वजह से देश का नुकसान होता है। इस वजह से ही राष्ट्रपति और न्यायपालिका के सदस्यों द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति न करके उनकी नियुक्ति परीक्षाओं के माध्यम से ही होनी चाहिए।
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