On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बना देना चाहिए?
Debate – क्या हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बना देना चाहिए?
आज हमारे देश में अलग-अलग प्रांत है। अलग-अलग धर्म के लोग अलग-अलग जातियों के लोग इस प्रांत में रहते हैं। हमारे भारत में विविधता है। और इस विविधता में एकता भी हैहर एक के वेशभूषा, खान पान, रीति परंपराएं, अलग है इसके साथ-साथ उनके बोलने की भाषा भी अलग है।
सारी जगह पर अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है। जैसे – मराठी, हिंदी, कोकणी, गुजराती, तमिल, उर्दू , मलयालम, संस्कृत, नेपाली, पंजाबी, तेलुगु, बंगाली, मणिपुरी, अंग्रेजी, उड़िया, संथाली, नागपुरी, सिंधी, मैथिली, पाली, खासी। ऐसा कहते हैं भारत में कुल मिलाकर 2000से भी अधिक भाषाएं है। उनमें से 22 भाषाओं का इस्तेमाल बोलने के लिए किया जाता है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रति में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है। सभी के लिए अपनी अपनी भाषा का महत्व है। सभी लोगों को अपनी अपनी भाषा प्रिय है। भाषाओं का इस्तेमाल मनुष्य अपने विकास के लिए अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए अपने सामाजिक पहचान बनाने के लिए करता है। भाषा की वजह से ही उसके मन में जो भाव है वह शब्दों के रूप में प्रकट होते हैं और सामने वाले व्यक्ति को समझ में आते हैं। भाषा के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं है। अगर भाषा नहीं होगी तो मनुष्य के बहुत से काम अधूरे रह जायेंगे। कई बार उनका मुंह की शुरुआत ही नहीं होगी। क्योंकि मनुष्य एक दूसरे से अपने मन के विचार विचार प्रकट ही नहीं कर सकेगा।
भारत में बहुत सारी भाषाएं बोली जाती है लेकिन सभी को हिंदी भाषा समझ में आती है। भारत के बहुत सारे राज्यों में हिंदी बोली जाती है। हिंदी भाषा सभी लोगों को समझ में आती है। हिंदी भाषा का समावेश हमारे शिक्षा में भी किया गया है। यह भाषा समझने के लिए बोलने के लिए सुलभ और सहज होती है। हिंदी भाषा भारत में ही नहीं दुनिया भर के कई देशों में हिंदी भाषा सिखाई जाती है। अगर हम अपना प्रांत छोड़कर दूसरे प्रांत में जाते हैं तो उनकी भाषा हमें समझने में परेशानी होती है लेकिन तभी हमारे मदद के लिए हिंदी भाषा आती है। हिंदी भाषा हमें भी बोलने में आती है और सभी लोगों को समझ में भी आती है इस वजह से हम दूसरे प्रांत में जब जाते हैं तब हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं। यह दुनिया की तीसरी अधिक मात्रा में बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी भाषा में दूसरे भाषाओं के भी बहुत सारे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।
हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। जब भारत में 1957 में स्वतंत्रता के लिए संग्राम छेड़ा गया था तब हिंदी इस भाषा में सब की बहुत मदद की। हिंदी भाषा की वजह से सारे लोग एक दूसरे से जुड़ गए थे। सारे लोग अलग-अलग धर्म के अलग-अलग प्रांत के थे इस वजह से उन सब की भाषाएं भी अलग-अलग थी लेकिन फिर भी सारे लोगों ने एक दूसरे के मदद की। स्वतंत्रता संग्राम में किसी को भी भाषा की मुश्किलें नहीं आई। क्योंकि हिंदी भाषा सब के मदद के लिए तत्पर थी। तब सभी लोगों के लिए स्वतंत्र बहुत महत्वपूर्ण था इस वजह से सारे लोग इकट्ठा हो गए थे और सब ने हिंदी भाषा को अपनाया था।
हिंदी भाषा जन जन की भाषा कहलाती है इस वजह से उसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया जा सकता है लेकिन उसके सामने अरसन ने बहुत है। क्योंकि यहां पर अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोग हैं सभी लोगों को अपनी अपनी भाषण बहुत प्यारी लगती है। अगर किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाएगा तो सारे लोग क्रोधित हो जाएंगे सभी लोगों को लगेगा यह हमारी भाषा पर अन्याय है। सभी लोगों को अपनी-अपनी भाषा श्रेष्ठ लगती है। इस वजह से किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना मतलब मुसीबत मोड़ लेना होगा। लेकिन फिर भी भारत में कई प्रतिशत लोग हिंदी भाषा का ही प्रयोग करते हैं फुल सॉन्ग बहुत सारे लोगों की मातृभाषा हिंदी की है। 75 प्रतिशत लोग हिंदी भाषा बोल सकते हैं और उसके बारे में समझ भी सकते हैं। इसी वजह से सभी लोगों को यह बात समझ में आनी चाहिए की हिंदी यह भाषा सब लोगों को समझ में आती है वह यह भाषा अच्छी तरह से बोल सकते हैं। हमारी जाति धर्म ग्रंथ प्रांत अलग-अलग है लेकिन हम रहते तो भारत में ही है इस वजह से हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना कोई गलत बात नहीं होगी।
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