On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या बलात्कार की सजा मृत्युदंड होनी चाहिए?
Debate – क्या बलात्कार की सजा मृत्युदंड होनी चाहिए?
आजकल भारत में बलात्कार के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। यह सबसे गंभीर मामला है। किसी के साथ भी जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने के गतिविधि को बलात्कार कहा जाता है। यह एक गुनाह है।
आजकल लोगों की मानसिकता बहुत बदल गई है। हर एक व्यक्ति के हाथ में आज स्मार्टफोन आ गया है। कई लोगों के घर में खाने के लिए राशन नहीं होता लेकिन हाथ में एंड्रॉयड फोन टैब जैसे ऊपरकरण होते हैं। आप कोई भी सामूहिक परिवार में नहीं रहता। हम दो हमारे दो यह भूमिका घरों घरों में दिखाई देती है। इस वजह से बच्चे अकेले ही होते हैं। खेलने कूदने की जो उम्र होती है उसे उम्र में उनके हाथ में मोबाइल जैसे गैजेट्स माता पिता देते हैं। लेकिन मोबाइल का इस्तेमाल किस तरह से करना चाहिए यह भी नहीं बताते। जब माता-पिता घर में नहीं होते तो बच्चे अकेले में टीवी देखने में लग जाते हैं। लेकिन टीवी पर क्या देखना चाहिए यह उन्हें नहीं पता होता। टीवी मोबाइल का सही इस्तेमाल बच्चों को मालूम नहीं होता इस वजह से वह मोबाइल पर अश्लील चित्र कई बार देखते रहते हैं। इस वजह से उनकी स्त्रियों की तरफ देखने की दृष्टि बदल जाती है। आज भी स्कूलों में लैंगिक शिक्षक नहीं दिया जाता। बलात्कार बढ़ने के पीछे यह भी एक कारण है। टीवी मोबाइल और दोस्तों के साथ रहने से कई बार उन्हें गलत जानकारी मिल जाती है। इस वजह से पाठशाला में लैंगिक शिक्षक यह विषय होना चाहिए। इससे बच्चों को इसके बारे में सही जानकारी मिल जाएगी।
बलात्कार बढ़ाने के पीछे कई कारण है। लेकिन जब बलात्कार हो जाते हैं तो उसके लिए हमारे कानून में मृत्यु दंड की शिक्षा नहीं है उन्हें उम्र कैद हो जाती है। बलात्कार करना यह एक बहुत बड़ा जुर्म है। क्योंकि इस घटना में शारीरिक संबंध बनाते वक्त सामने वाली की इच्छा या सम्मति नहीं होती। जो गुनहगार होता है उसकी मानसिकता अच्छी नहीं होती। कई बार बलात्कार के मामलों में 14 वर्ष की सजा दी जाती है। लेकिन ऐसे गुनहगार बाहर आकर फिर वही कृत्य करते हैं। इसके भी पर एक जिस पर बलात्कार होता है उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है ऐसा आज भी माना जाता है। जो लोग बलात्कार करते हैं वह अपनी सजा काटने के बाद दुनिया में खुले आम घूमते हैं। लेकिन जिस पर बलात्कार हुआ है जो पीड़िता है उसके लिए अपना जीवन आगे बढ़ाना यह बहुत मुश्किल काम होता है। उसके मानव शिक्षा पर बहुत आघात होते हैं। आज भी समझ में जब बलात्कार होता है तब ऐसे मामलों में पीड़िता को ही दोषी माना जाता है। जो गुनहगार होता है उसे कितनी सजा नहीं मिलती उसे कई ज्यादा सजा निर्दोष को मिल जाती है। सभी लोग इस पर आरोप लगाते हैं। शायद इसी ने कुछ किया होगा यह लड़की ऐसी ही है ऐसा कहकर उसकी मानसिक दबाव डालते रहते हैं। उसके आगे की जीवन में उसे बहुत सारी तकलीफों का सामना उसे करना पड़ता है।
कई गुनाहों में गुनहगारों को कम से कम पांच साल और ज्यादा से ज्यादा 10 साल की सजा दी जाती हैं। कई बार इस सजा को कम भी कर दिया जाता हैं। गुनहगार की सजा कभी कभी उसकी उम्र पर निर्भर होती है। लेकिन सवाल यह है की बलात्कार करने वाले की उम्र कम है लेकिन उसकी कृत्य बड़ा है यह गुनाह माफी के योग्य नहीं है। तो इसकी सजा कम क्यों?
कई बार पीडिया को इसका जुर्माना मिलता है लेकिन सिर्फ जुर्माना देकर उसकी जिंदगी तो नही सवारी जा सकती। आज भी हमारे समाज में पीड़िता को गलत ठहराया जाता हैं। समाज की धारणाएं उसके बारे में गलत हो जाती हैं। गुनहगार को सजा देकर उसकी जिंदगी सवार नही सकती लेकिन ऐसे लोगों को खुले भी तो नहीं छोड़ सकते। ऐसे लोग समाज के लिए घातक होते है। ऐसे लोगों की प्रवृत्ति कभी भी नहीं बदलती। इन के लिए मृत्युदंड यही सही सजा है। क्योंकि इन्हें कम सजा देकर छोड़ देना मतलब यह लोग फिर से ऐसे ही जुर्म करते रहेंगे। इस लिए उनको कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। इनके लिए मृत्युदंड यही सही सजा है। इनको 10, 12 साल की सजा देकर छोड़ देना मतलब मुसीबत को आमंत्रण दे देना। उनके गुनाह की शिक्षा जीवन भर पीड़ितों को भगत में पड़ती है। इसके लिए इन्हें मृत्यु दंड ही देना चाहिए यह उनके लिए सही सजा है।
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