On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is कंप्यूटर को शिक्षकों की जगह लेनी चाहिए
Debate – कंप्यूटर को शिक्षकों की जगह लेनी चाहिए
हमारा सबसे पहले गुरु हमारी मां होती है उसके बाद हमारा परिवार। एक विशिष्ट उम्र में आने के बाद हमें पाठशाला भेजा जाता है। वहां पर भी शिक्षक हमें बहुत कुछ सीखते हैं। हमें अपने मां पापा जैसा ही प्यार देते हैं। हमारा बौद्धिक, सामाजिक, राजनीतिक, मानसिक विकास करने के लिए हमें मदद करते हैं। पाठशाला में किताबों से जो होता है वही बातें हमें शिक्षक सीखते ही हैं लेकिन हमारे परिवार के लोग जिस तरह से अपने बच्चों से भावनिक रूप से जुड़ गए होते हैं वैसे ही शिक्षक भी अपने छात्रों से भावनीक रूप से जुड़ जाते हैं।
हमारे शिक्षक हमें आई बाबा और अपने परिवार जैसा ही प्यार देते हैं। जिस तरह से हम अपने आई बाबा से बातें करते हैं इस तरह हम खुलकर अपने शिक्षकों से भी बातें कर सकते हैं। उनको हमारी समस्याएं बता सकते हैं और उसका समाधान क्या है वह भी चर्चा करके निकाल सकते हैं। इस वजह से हमारा मानसिक विकास भी हो जाता है।
अगर शिक्षकों की जगह कंप्यूटर आ गए तो? आज बहुत सारी जगह हम पर कंप्यूटर का ही इस्तेमाल किया जाता है। एक कंप्यूटर 50- 50 आदमी उनका काम करता है। इस वजह से बैंक, सरकारी ऑफिस, बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां, स्कूल, कॉलेज यहां पर हमें कंप्यूटर दिखाई देते हैं। आज बहुत सारी परीक्षाएं भी कंप्यूटर पर ही ली जाती है। घर बैठकर हम कंप्यूटर पर काम कर सकते हैं उसके लिए हमें ऑफिस जाने की जरूरत नहीं होती। कई व्यवहार ऐसे होते हैं जो कंप्यूटर के द्वारा आसानी से किए जाते हैं हमें उसके लिए बैंक में जाने की जरूरत नहीं होती। कंप्यूटर हमें सारी बातें आसानी से सीख सकता है। उसके पास बहुत सारे समस्याओं का समाधान होता है। लेकिन वह समस्याए सिर्फ किताबी होती है। कंप्यूटर से हमें बहुत सारी जानकारी प्राप्त हो सकती है। कंप्यूटर गणित समस्याएं चुटकी में सुलझा सकता है। दुनिया के अलग-अलग कोने में जो जो हो रहा है वह बातें हमें बता सकता है। उसकी जानकारी दे सकता है। कंप्यूटर की वजह से हमारा ज्ञान बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। आज अगर हमें किसी विषय की जानकारी प्राप्त कर लेनी हो तो बड़ी-बड़ी किताबों का अध्यन हमे करना पड़ता है। अगर कंप्यूटर हमें सीखने लगे उसने अगर शिक्षकों की जगह ले ली तो हमें किताबों की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि कंप्यूटर में सारी जानकारी है और इसे देखने में या पढ़ने में बहुत कम समय लगता है। कंप्यूटर बच्चों को ऐसी तरह से सिखाएगा जिससे विद्यार्थियों को सिखाने में रुचि प्राप्त हो जाए। क्योंकि जब तक छात्राओं को पढ़ाया गया कुछ समझ में नहीं आता तब तक कंप्यूटर अलग-अलग तरीके से उन्हें समझाता रहेगा। और कंप्यूटर पर जो लेक्चर होगा वह ऑडियो वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से होगा इस वजह से बच्चों को यह सीखने में बहुत आसानी हो जाएगी। कंप्यूटर के माध्यम से हमारे बहुत सारे कार्य आसान भी हो सकते हैं।
लेकिन इसके बहुत से नुकसान भी होते हैं। कंप्यूटर एक महंगा उपकरण होता है जिसकी देखरेख हमेशा करनी पड़ती है। अगर शिक्षकों की जगह कंप्यूटर आ गए तो विद्यार्थियों का भौतिक विकास तो होगा लेकिन उनका मानसिक विकास नहीं हो सकता। क्योंकि कंप्यूटर में भावनाएं नहीं होती। विद्यार्थी अपनी शिक्षकों से जिस तरह से भावनात्मक रूप से जोड़ सकते हैं वैसे ही कंप्यूटर से वह नहीं जोड़ सकते। जिस तरह पाठशाला में जाकर शिक्षकों की देखरेख में उनके नैतिक मूल्यों का विकास होता है उसे तरह कंप्यूटर के जरिए उनके नैतिक मूल्यों का विकास नहीं हो सकता। सिर्फ उनकी विश्व के बारे में जो जानकारी है वह बढ़ती जाएगी। सभी बच्चे जो भी कंप्यूटर दिखाता है वैसे ही करेंगे वह अपने दिमाग से कोई भी काम करना नहीं चाहेंगे। कंप्यूटर के उपयोग से सिर्फ उनकी मार्कशीट में अंक बढ़ेंगे। लेकिन उनका सामाजिक और व्यक्तिगत विकास नहीं होगा। शिक्षक जैसे हमें अपने बच्चों जैसा प्यार देते हैं वैसा प्यार कंप्यूटर नहीं दे सकता। अगर हमें गीता भी बातें समझ में नहीं आ गई तो हम शिक्षकों से चर्चा कर सकते हैं लेकिन हम अपने कंप्यूटर से चर्चा नहीं कर सकते जो वह बताया वही हमें मानना होगा। इसके साथ-साथ बच्चों के शारीरिक विकास पर भी कंप्यूटर का प्रभाव पड़ता है। कंप्यूटर में से रोचक जानकारी मिलती है इसलिए बच्चे सिर्फ कंप्यूटर का इस्तेमाल दिन में ज्यादा से ज्यादा करेंगे। लेकिन इस वजह से उनके आंखों पर और बौद्धिक क्षमता पर बड़ा परिणाम हो सकता है। वह कंप्यूटर के अधीन हो जायेंगे।
इस वजह से हमें कंप्यूटर चलाना आना चाहिए। उसमें से रोचक तथ्य ढूंढने आने चाहिए। लेकिन पाठशाला में हमें सीखने के लिए शिक्षक ही होने चाहिए।
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