On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण समाप्त करने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही?
Debate – क्या गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण समाप्त करने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही?
आज से 50 साल पहले 1973 में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने नॉर्मा मैककॉर्वी इस महिला ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस याचिका पर अमेरिका सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिका में रहने वाली महिलाओं को गर्भपात की इजाजत दी थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि बच्चा महिला के गर्भ में होता है तो उसे गर्भ का क्या करना है उसे रखना है या फिर अपने शरीर से अलग करना है यह फैसला भी उसी महिला का होना चाहिए। यह कानून पारित होने के बाद अमेरिका के महिलाओं को एक सुरक्षित गर्भपात का अधिकार मिल गया था।
लेकिन यही हक अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल बाद महिलाओं से छीन लिया है सुप्रीम कोर्ट ने अपना ही फैसला बदल दिया है। उन्होंने महिला उनसे गर्भपात का अधिकार छीन लिया है आप सुप्रीम कोर्ट ने कहा है के संविधान गर्भपात का अधिकार महिलाओं को नहीं देता। लेकिन गर्भपात के लिए कानून बनाने का अधिकार उन्होंने सभी राज्यों को दिया है उन्होंने कहा कि सभी राज्य अपने-अपने नियम कानून अलग-अलग बना सकते हैं। बहुत सारे लोग इस फैसले का विरोध कर रहे थे। उन्होंने अनेक प्रदर्शन किए। अमेरिका के जो पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा थे उन्हें भी यह फैसला मंजूर नहीं है। वे कहते हैं कि ऐसा करना मतलब मौलिक अधिकार छीन लेना होगा।
आज भी गर्भपात को लेकर अनेक लोगों में यह बहस होती है की गर्भपात का अधिकार महिलाओं को देना चहिए या नहीं। कभी कभी बच्चे के जन्म के समय आने समस्याएं निर्माण होती हैं उस वक्त गर्भपात का अधिकार अधिकार देना चाहिए। इसके लिए कायदे कानून में व्यवस्था होनी चहिए। ऐसा कहा जाता है की जो गर्भ में पल रहा बच्चा होता है उसे जीने का अधिकार स्वतंत्र रूप से प्राप्त होता है। इसी लिए गर्भपात करना मतलब उसकी हत्या कर देना और संविधान इसकी इजाजत नहीं देता।
लेकिन इस फैसले की वजह से कहीं महिलाओं का जीवन खतरे में आ सकता है। कई बार जब महिला गर्भवती रहती है तब गर्भ के कारण उस महिला के जीवन को खतरा होता है। कभी कभी गर्भ जो बच्चा पलता है उसे कोई बीमारी होती है। इस बीमारी के वह से वह बच्चा विकलांग होता है और जीवनभर दूसरों पर निर्भर रहता है। अगर बच्चा विकलांग जन्म लेता है तो हमेशा ही उसे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है और इसमें सबसे ज्यादा परेशानी है जिस तरह से उसे बच्चों को उठाने पड़ते हैं इस तरह से उसे मां को भी उठानी पड़ती है। कभी कभी उसी बीमारी की वजह से उस बच्चे की जन्म लेते ही मौत हो जाती है। ऐसी स्थिति में महिला के शरीर की बहुत हानि हो जाती है। कभी-कभी किसी महिला पर बलात्कार होता है और उसके बाद गर्भ ठहरता है। ऐसे वक्त में वह मानसिक और शारीरिक तौर से तैयार नहीं होती। पहले ही उसके शरीर और मां पर बहुत घाव होते हैं ऐसे वक्त में महिला अगर अपना गर्भपात करना चाहे तो उसे यह अधिकार प्राप्त होना चाहिए।
इस कानून के चलते कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि महिला गलत तरीके से गर्भपात करने की कोशिश करें और ऐसे तरीकों में उसे महिलाओं को जान का खतरा भी हो सकता है।
अमेरिका में जो गर्भपात का कानून अब पारित हो गया है कई लोग इसका समर्थन करते हैं और कई लोग इसका विरोध भी करते हैं। अधिक लोग कहते हैं कि गर्भवती शरीर में ठहरता है वह एक महिला का शरीर होता है और उसे शरीर में वह गर्भ बढ़ने देना चाहिए या नहीं यह अधिकार सिर्फ उसे ही होना चाहिए। इसका निर्णय कोई और नहीं कर सकता। लेकिन कई लोग यह भी कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अच्छा निर्णय है क्योंकि इसे के बाद कोई भी स्वैराचार नहीं कर सकेगा। सभी पर बंधन आएंगे। लेकिन गर्भपात के भी कुछ निश्चित मानदंड होने चाहिए। जैसे कि जिस गर्भ में बच्चा ठहर है अगर उसे मां के जीवित को हानि होती है तो उसे गर्भपात का अधिकार मिलना चाहिए। अगर बच्चा मानसिक और शारीरिक तौर पर कमजोर है तो भी उसे महिला को गर्भपात का अधिकार मिलना चाहिए। इसके साथ-साथ अगर मां के जीवन को खतरा है तो भी उसे महिला को गर्भपात का अधिकार मिलना चाहिए।
इस वजह से अमेरिका में जो कानून बन गया है उसमें अब सुधारना कर लेनी चाहिए कुछ मामलों में गर्भपात करने का अधिकार उसे महिला को मिलना ही चाहिए।
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