On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की सामग्रियों पर सेंसरशिप अनिवार्य कर देना चाहिए?
Debate – क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की सामग्रियों पर सेंसरशिप अनिवार्य कर देना चाहिए?
सेंसरशिप का अर्थ यह है जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चित्र वीडियो कथन होता है जिससे गलत धारणाएं समाज में फैलती है जो बहुत आपत्तिजनक होता है उस पर सेंसरशिप लगाई जाती है। जब हम सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट कर देते हैं तो अगर वह सामाजिक दृष्टि से गलत है निंदनीय है तो उसे पर सेंसर लगाया जाता है मतलब उसे पर ना पसंद की दिखाई जाती है। सेंसरशिप इस पर ही लगाई जाती है जिस पोस्ट की वजह से किसी की बदनामी होती है किसी का अपमान किया जाता है किसी को फसाया जाता है। अगर आप के वजह से किसी को दुख पहुंचता है तो ऐसे विघ्नों पर सेंसर लगाया जाता है। इसी सेंसर की वजह से कार्य कथन होते हैं चित्र या संदेश होते हैं उसे हम समाज के बीच में फैलने से रोक सकते हैं। क्योंकि ऐसे संदेशों की वजह से समाज को हानि पहुंचती है यह कथन निंदनीय हो या अश्लील होता है। इस वजह से उसे पर सेंसर लगाया जाता है। भारत में रहने के लिए कुछ सामाजिक नियम है। हर एक समाज के अपने कुछ नीति नियम होते हैं। उन पर कई बंधन होते हैं। इसी बंधन को जब समाज के कोई मनुष्य मांगते हैं तो उनकी वजह से किसी की बदनामी हो सकती है। सेंसरशिप इसे रोकने का काम करता है। सोशल मीडिया पर कई पोस्ट ऐसे होते हैं जिससे कई लोगों का अपमान हो सकता है उसमें से गलत धारणाएं फैल सकती है किसी के बारे में समाज के गलत विचारधाराए बन सकती है यह पोस्ट अनेक होती है इस इन पोस्ट को सार्वजनिक करना मतलब किसी की भावनाओं को दुखाना या उनका अपमान करना होता है ऐसी पोस्ट पर सेंसर सेंसरशिप लगता है और इन पोस्ट को सार्वजनिक होने से रोक देता है इस वजह से मूलभूत अधिकारों का आरक्षण होता है। इस वजह से भारत में सेंसरशिप प्रणाली अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की हर एक सामग्रियों पर सेंसरशिप अनिवार्य कर देनी चाहिए। इस वजह से सोशल मीडिया के माध्यम से जो गलत विचारों के पूर्तता होती है जो गलत विचार समाज में फैल जाते हैं उन पर रोक लगाई जा सकती है उन पर बंधन आते हैं। आजकल हमारी तंत्रज्ञान में बहुत प्रगति की है हर किसी के पास स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर ऐसे अनेक प्रकार के गैजेट्स होते हैं। इसमें चलाने के लिए अलग-अलग प्रकार के ऐप्स भी आए हैं। इन ऐप्स की माध्यम से कई लोग चित्र आवाज एडिटिंग कर सकते हैं मतलब अगर किसी की फोटो हो तो उसे फोटो पर दूसरे व्यक्ति का चेहरा लगा देना या इसके साथ-साथ आजकल उसकी आवाज भी हम उसे चित्र के पीछे लगा सकते हैं मतलब हमारे तंत्रज्ञान में बहुत प्रगति की है लेकिन इस वजह से कई लोगों की हानि हो जाती है। जब कोई ऐसा करता है तो समाज में उसके बारे में गलत धारणाएं बनती है। कई बार जीवन भर उसे समाज के गलत नजरों का सामना करना पड़ता है। यह बातें मूलभूत अधिकारों के विरुद्ध है।
इस वजह से अगर समाचार पत्र दस्तावेज या पुस्तक पर भी अगर ऐसे मामले हो जो समाज के लिए हानिकारक हो तो राज्य सरकार इस पर दंड लगा सकती है। इसी के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की सामग्रियों पर भी सेंसरशिप अनिवार्य कर देनी चाहिए क्योंकि सोशल मीडिया के माध्यम से आज हम जल्द से जल्द बहुत लोगों तक पहुंच सकते हैं। सोशल मीडिया एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से हम दुनिया भर की सफर कुछ मिनटों में कर सकते हैं। इस वजह से सोशल मीडिया पर कोई भी पोस्ट या कोई भी अपने विचार डालता है तो उसे दुनिया भर में पहुंचने के लिए कुछ मिनट की ही देरी लगती हैं। इस वजह से बहुत सारे व्यक्तियों का नुकसान हो जाता है समाज में उसकी मानहानि हो जाती है। उसके बारे में समाज गलत धारणाएं बनता है और इन सारी बातों की उसे जीवन भर तकलीफ होती है। इस वजह से ही सोशल मीडिया के हर एक पोस्ट पर या हर एक सामग्री ऊपर सेंसरशिप अनिवार्य कर देनी चाहिए। इस वजह से बच्चे गलत मार्ग पर भी नहीं जाते। इस वजह से जो गलत सामग्री होती है उसे लोगों तक पहुंचने में रोका जा सकता है। जो गलत और हानिकारक जानकारी होती है उसे पर सेंसर प्रतिबंध लगाता है क्योंकि यह जानकारी लोगों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
इसी वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की सामग्रियों पर सेंसरशिप अनिवार्य कर देने चाहिए इसके बहुत सारे फायदे हो सकते हैं।
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