On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is भारत में विमुद्रीकरण (डेमोनेटाइजेशन) का फैसला सही या गलत?
Debate – भारत में विमुद्रीकरण (डेमोनेटाइजेशन) का फैसला सही या गलत?
विमुद्रीकरण इसका शब्द क्या अर्थ है नोटबंदी। यह ऐसी घटना होती है जिसमें पुराने चलन को खत्म करके एक नया चलन शुरू किया जाता है। हमारे पास जो पुराने नोट होते हैं उन्हें हमें सरकार के पास जमा करना होता है और इसके बदले सरकार हमें नए नोट प्रदान करती है। विमुद्रीकरण करके हम भ्रष्टाचार पर नियंत्रण या रोक लगा सकते हैं। इसी तरह से जो नकली नोटों की छपाई करते है उसे पर भी कई हद तक रोक लगाई जा सकती है। जो धन का संचय करते हैं उसे पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसी के साथ-साथ अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए भी विमुद्रीकरण किया जाता है।
भारत में पहला विमुद्रीकरण 1946 में हुआ था इसके बाद 1978 में दूसरा विमुद्रीकरण किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य था काले धन को बाहर निकलना। इसके माध्यम से जो चोरी करके पैसा इकट्ठा किया जाता है उसे पर अंकुश लगना। विमुद्रीकरण करके नया चलन उपयोग में लाया जाता है। उसके बाद पुरानी चालान का कोई महत्व नहीं रहता। भारत के साथ-साथ स्वीडन, सिंगापुर, पाकिस्तान, म्यांमार, उत्तर कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, जिंबॉब्वे इन देशों में भी विमुद्रीकरण किया जाता है। विमुद्रीकरण के दो प्रकार होते हैं एक पूर्ण और दूसरा होता है आंशिक। सरकार एक तो पूर्ण मुद्रा बदलने का आदेश देती है या फिर आशिक तरह से मतलब पूर्ण मुद्रा जो होती है उसमें से थोड़ा सा भाग का विमुद्रीकरण किया जाता है और बाकी बची हुई मुद्रा अपने दयानंद दिन जीवन के लिए उपयोग में आती रहती है।
भारत में आखिरी विमुद्रीकरण मतलब नोटबंदी 8 नवंबर 2016 को हुई। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्होंने विमुद्रीकरण की घोषणा की। उसे वक्त और ₹1000 के नोटों का विमुद्रीकरण हुआ था। और इसके बदले 100, 200, 500 और 2000 के नोट चलन में आ गए।
जब विमुद्रीकरण हुआ था तो इसका सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य ही होता है कि देश में जो भ्रष्टाचार होता है उसे पर रोक लगना और जो काला धन होता है उसे बाहर निकलना। जो अपराधिक या फिर आतंक को फैलाया जाता है उसे पर रोक लगना। जो गलत या नकली मुद्रा होती है वह काम कर देना और कर की जो चोरी करते है उस को रोक देना। जब विमुद्रीकरण हुआ था तब सभी लोगों ने अपना अपना टैक्स जमा किया था और इस टैक्स के रूप में भारत में धन जमा हो गया था। इस विमुद्रीकरण के माध्यम से बहुत सारा काला धन भाग बाहर आ गया और काले धन की वसूली भी हो गई। विमुद्रीकरण शुरू होने से जो कर भरते हैं उनमें 25 प्रतिशत बढ़ोतरी हो गई। इन मुद्राओं के माध्यम से जो आतंकवाद बढ़ रहा था उसे पर अंकुश लगाया गया। विमुद्रीकरण जब शुरू हो गया तब से इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल लोग ज्यादा करने लगे। मतलब डिजिटल लेनदेन शुरू हो गई।
विमुद्रीकरण के जिस तरह से फायदे हो गए इस तरह से उस वजह से कई लोगों को नुकसान का भी सामना करना पड़ा। क्योंकि अचानक विमुद्रीकरण का फैसला सारी जनता को सुनाया गया इस वजह से सभी लोगों में अराजकता फैल गई। जो मजदूर थे उनके पास काम की कमी थी इस वजह से भी जिसके पास वह काम कर रहे थे वह उनको नकद में उनका पैसा नहीं दे सका। विमुद्रीकरण के बाद नया चलन प्रचलित हुआ। लेकिन नई मुद्राए छापने के लिए सरकारी खर्च बढ़ गया। अर्थव्यवस्था में भी मंदी आ गई। इसका असर बहुत सारे व्यवसाय पर भी पड़ा। कई लोगों के पास मुद्रा तो कम थी लेकिन बाजार में उसे मुद्रा को कोई भी लेने के लिए तैयार नहीं था। इस वजह से उन्हें दिन में कई घंटे बैंक की कतार में खड़ा होना पड़ता। इसमें छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग ऐसे सभी लोग थे।
भ्रष्टाचार बंदी, आतंकवाद रोकने के लिए, कर की चोरी जो लोग करते हैं उनके लिए, काला धन जो लोहे इकट्ठा करते हैं उनके लिए विमुद्रीकरण करना हर वक्त जरूरी होता है लेकिन इससे सरकारी तिजोरी पर बहुत बीच पड़ता है। इसके जैसे फायदे हैं वैसे ही नुकसान भी है। सबसे ज्यादा नुकसान मेहनत करके कमाने वाले लोगों को होता है। इसलिए हमें हर साल अपना कर व्यवस्थित रूप से जमा करना चाहिए। काले धन पर रोक लगाने चाहिए। काला धन अपने पास नहीं होना चाहिए इस पर ध्यान देना होगा।
अगर विमुद्रीकरण करना है तो उसके लिए कुछ मान दंड निश्चित करने चाहिए। क्योंकि जो मेहनत करता है ऐसे मामलों में उसी को ज्यादा तकलीफ रहनी पड़ती है।
For more updates follow our net explanations homepage