On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या हमें वित्तीय शिक्षा को अनिवार्य बनाना चाहिए?
Debate – क्या हमें वित्तीय शिक्षा को अनिवार्य बनाना चाहिए?
वित्त मतलब धन, ऋण, संपत्ति। यह उन व्यक्तियों को दर्शाता है जो वित्त का अच्छी तरह से संचालन करते हैं। वित्त संचालन यह ऐसा शब्द है जो हमारे घर से लेकर हमारे नौकरी करने के जगह तक हमारे काम आता है। वित्त मतलब धन – धन जुटाना, जीवन में हम यह धन जुटाने का कार्य जरूर करते हैं। हम जो धन की प्राप्ति करते हैं उसका अच्छी तरह से हमें संचालन भी करना आना चाहिए। इसी का नाम ही वित्त व्यवस्था है। हम अपने जीवन भर वित्त संचालन करते रहते हैं।
हमारे हाथ में जो भी धन पूंजी आती है उसकी हम अच्छी तरह से व्यवस्था करते हैं। कहां पर कितना धन लगाना है किस जगह इन्वेस्टमेंट करना होगा घर में कितना धन लगता है बच्चों की शिक्षा के लिए कितना धन आवश्यक है। धन की यह व्यवस्था करना यह एक कुशल की बात होती है। इसे ही फाइनेंशियल मैनेजमेंट अथवा वित्तीय व्यवस्था कहते हैं। यह हमें सीखना पड़ता है। जब हम वित्तीय व्यवस्था करते हैं तब हम घर में आए हुए धन का अच्छी तरह से संचालन करना सीख जाते हैं। इस वजह से भविष्य में अगर कोई जरुरत आ गई तो हम वहां पर बचाए हुए धन का अच्छी तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह से हम आत्मनिर्भर बनते हैं।
इसकी शिक्षा हमें पाठशाला में ही मिलनी चाहिए। वित्तीय शिक्षा को बच्चों को सिखाना बहुत जरूरी हो गया है। जब हम वित्तीय संचालन सीख जाते हैं तब हम अपने पैसों को कहां पर लगाना है उसका संचालन किस तरह से करना है वह सीख जाते हैं हम ऐसे मौके ढूंढते रहते हैं जहां से हमें पैसे मिल सकते हैं और हमारे मित्र में बढ़ती हो सके। अगर हम वित्तीय व्यवस्था करना सीख जाते हैं तो अगर भले ही हमें कम पैसे मिलते हो उसका संचालन करना उसमें से पैसे बचाना और वह पैसे अपने कामों में लगाना यह हमसे जाते हैं। इससे हमारी अर्थव्यवस्था चलती रहती है। जब हम अपने बच्चों को वित्तीय शिक्षा देते हैं तब वे अपने आप में एक जिम्मेदार व्यक्ति बन जाते हैं। अगर वह दिए गए पैसे अच्छी तरह से निवेश करना सिखाते हैं तो उन्हें यह बात समझ में आती है कि अपना जीवन अच्छी तरह से जीना है तो बचत करनी चाहिए ना कि किसी से उधार लेना चाहिए। इसलिए बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि बचत ही अपनी ताकत होती है।
आजकल कहीं स्कूल में एक छोटी बैंक का निर्माण किया गया होता है। यह बैंक बच्चों के खाते खुलवाती है। अगर उन्हें कर्ज चाहिए तो कर्ज देता है। वहां पर जाकर बच्चे अपने पैसे की बचत करते हैं। अपने खाते से पैसे निकालना। उन्हें इन्वेस्ट करना यह सभी बातें बच्चे खुद जाकर वहां करते हैं। वह बैंक भी उस पाठशाला के बच्चे ही चलाते हैं। इस वजह से उन बच्चों को बैंक के कार्य के साथ-साथ ही धन की बचत कैसे की जाती है इसका पता अपने आप चलता है। पैसे किस तरह से बचत करने हैं इसका अनुभव बच्चों को मिल जाता है इसी अनुभव को लेकर वह भविष्य में पैसों की बचत और उसका व्यवस्थापन अच्छी तरह से कर सकते हैं। जो बचत यह बच्चे छोटे स्तर पर करते हैं और इसे ही उनको बड़े स्तर पर पैसों की व्यवस्था किस तरह से करनी चाहिए इसकी शिक्षा मिल जाती है।
हम जो भी पैसा कमाते हैं जो भी आमदनी हमारे हाथ में आती है हमें उसका उचित व्यवस्थापन उचित संचालन करना चाहिए। हमें खुद को ही बचत की आदत डाल लेनी चाहिए। जिन खर्चों को करने की जरूरत है नहीं है वह खर्च हमें टालने चाहिए। इस तरह हम बचत कर सकेंगे।
वित्तीय व्यवस्थापन यह एक अच्छी आदत होती है। लेकिन कई बार कई लोग उसके इतने अधीन हो जाते हैं कि वह सिर्फ पैसे बचत कैसे कर सकते हैं इसी के बारे में सोचने लगते हैं। उसे पर ही अपना ध्यान हमेशा केंद्रित करते रहते हैं। पैसे बचत किस तरह से करना चाहिए यही बात वह हर वक्त सोचते रहते हैं। इस वजह से बहुत जरूरत की चीज खरीदने में भी कंजूसी करते रहते हैं। उनके अंदर सिर्फ पैसों की बचत करने का जुनून रहता है। खुद भी वह इस विचार में रहते हैं और वह दूसरों को भी यही बात बताते रहते हैं।
इस वजह से जब हम बच्चों को वित्तीय शिक्षा प्रदान करते हैं तब हमें उन्हें यह भी बताना चाहिए कि जो घर से जरूर के है वहां पर हमें हमेशा ही खर्च करना चाहिए। अगर वहां पर हम कंजूसी करेंगे तो हमारा ही नुकसान होगा। वित्तीय व्यवस्था करना हमेशा जरूरी होता है लेकिन अपने जरूरत के खर्च भी करना उतना ही जरूरी है।
Similar post: सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल को अनिवार्य कर देना चाहिए