On this page we have given an article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के लिए आत्मरक्षा कौशल शिक्षा अनिवार्य कर देना चाहिए ?
Debate – क्या शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के लिए आत्मरक्षा कौशल शिक्षा अनिवार्य कर देना चाहिए ?
कई दशकों पहले महिलाओं की स्थिति कुछ अच्छी नहीं थी। वह कभी भी घर से बाहर नहीं निकलती थी। उन्हें चूल्हा चौका करना और अपना घर संभालना यही काम दिए जाते थे। बाकी घर के बाहर जो भी काम है वह काम सारे मर्द देखते थे। महिलाओं की जिंदगी घर से बाहर नहीं थी। उन्हें हमेशा ही घर में रहना पड़ता था घर के काम ही करने पड़ते थे। शिक्षा तो दूर की बात है। वह अपने घर के बाहर के आंगन में भी नहीं आ सकती थी। जब अंग्रेजों ने यह महिलाओं की स्थिति देखी थी तब उन्होंने भारतीय लोगों की मदद से उन्हें बहुत सारे अधिकार प्रदान किया। जहां महिलाओं की जिंदगी उनके घर तक सीमित थी उनके बच्चे और पति के आसपास से घूमती रहती थी वहां पर सावित्रीबाई फुले ज्योतिबा फुले इन्होंने उनके लिए शिक्षा के दरवाजे खुले कर दिए। इसके बाद महिलाओं को शिक्षा का अधिकार मिला। इसके लिए सावित्रीबाई फुले इन्होंने बहुत बड़ा त्याग किया। महिलाओं के लिए स्कूल का निर्माण किया। वहां पर बहुत सारी लड़कियां शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने लगी। इसके बाद भी अंग्रेजों ने महिलाओं को कई अधिकार प्रदान किया। भारत जब स्वतंत्र हुआ तब डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर इन्होंने संविधान में महिलाओं को बहुत बड़ा दर्जा दिया है। महिलाओं के लिए बहुत सारे अधिकार इन्होंने दिए। इस वजह से महिलाएं अपने घर से सुरक्षित बाहर निकल सकती है। घर के बाहर जाकर नौकरियां कर सकती है। शिक्षा का हक भी उन्हें है। पहले लड़कियों का जन्म होना मतलब बहुत बड़ा पाप माना जाता था लेकिन आज लड़कियां हर एक क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है।
लड़की होने आज सारे क्षेत्र कागज कर ली है। हर एक क्षेत्र में वह आगे है। महिलाओं ने यह सिद्ध कर दिया कि घर के काम जी एकाग्रता से वह कर सकती है उतने ही ध्यान से वह घर के बाहर के काम भी कर सकती है। लेकिन जिस तरह से महिलाओं के लिए घर के बाहर के दरवाजे खुले हो गए इस तरह उनकी मुसीबतें भी पड़ गई। आज वह नौकरी करने जाती है शिक्षा प्राप्त करने जाती है कभी-कभी उन्हें शिक्षा प्राप्त करने के लिए या नौकरी करने के लिए अपने घर से दूर जाना पड़ता है। ऐसे में वह महिलाएं सुरक्षित नहीं होती। उनके घर वालों को भी हमेशा उनकी चिंता सताते रहती है।
इसीलिए महिलाओं को किताबों के साथ-साथ आत्मक सुरक्षा कौशल की शिक्षा भी प्रदान करने चाहिए। क्योंकि जब वह अपनी आत्म सुरक्षा कर पाएंगे तभी वह देश में या देश के बाहर कहीं भी जा सकेंगे। अगर वह खुद की सुरक्षा करती है तो वह और उनके माता-पिता भी निश्चित रहेंगे। आज लड़कियां किसी पर निर्भर नहीं है लेकिन अगर वह आत्मरक्षा कौशल सकती है तो समाज में जो दुष्कर्म होते हैं और मानवीय तरीके से उनके साथ प्रस्ताव किया जाता है। इनका मुकाबला बिना डरे कर सकती है। इसके वजह से उनके अंदर कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है। हमारे शरीर के साथ-साथ हमारा मन भी मजबूत होता है। इसीलिए ऐसी शिक्षा को स्कूल में ही सीखना चाहिए। और उनके आत्म रक्षा कौशल को स्कूल के शिक्षा में ही समावेश करना चाहिए।
अगर हमारे पास आत्म रक्षा का कौशल नहीं है तो हम कहीं भी जाने से डरते हैं। इस वजह से हमारे माता-पिता भी हमेशा चिंतित रहते हैं इसलिए ही शिक्षण संस्था में ही यह कौशल सिखा देना चाहिए। अगर शिक्षण संस्थान में ही यह कौशल सिखा देना शुरू करेंगे तो यह कौशल सीखना सभी लड़कियों के लिए अनिवार्य हो जाएगा। इस वजह से सभी लड़कियां इस कौशल का लाभ उठा पाएंगे। इस वजह से लड़कियां अपना विकास भी कर पाएंगे। अगर उन्हें यह कौशल सिखाया गया तो वह अपना विकास कर पाएंगे। यह कौशल सीखने की वजह से उन्हें किसी से भी कोई खतरा नहीं रहेगा। क्योंकि उनका मन भी मजबूत बन गया होगा।
आज लड़कीयोने समाज में बहुत ऊंचा स्थान प्राप्त किया है। सभी जगह पर लड़कियां अपना कौशल दिखती है। धरती से लेकर आसमान तक हर जगह लड़कियों के नाम लिए जाते हैं। ऐसा कोई भी पैसा नहीं है जहां पर लड़कियां अपने पद चिन्ह है नहीं छोड़ता। लेकिन इसके साथ-साथ उन्हें आज के जमाने में आत्म रक्षा कौशल सीखने भी जरूरी होती है। कई लड़कियां बाहर जाकर यह क्वेश्चन नहीं सीख सकती। कई लड़कियां गरीब होती है। पैसों की कमी के वजह से उन्हें यह कौशल सीखने में दिक्कत आती है। इसी वजह से शिक्षण संस्थानों में यह कौशल सिखा देना चाहिए। क्योंकि अगर यह कौशल सीखना अनिवार्य होगा तो सभी बच्चों को यह कौशल सीखने मिलेगा। कोई भी बच्चा इस कौशल से वंचित नहीं रहेगा
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