On this page we have given an article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या सिनेमा में राष्ट्रगान अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए ?
Debate – क्या सिनेमा में राष्ट्रगान अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए ?
सिनेमा एक मनोरंजन का साधन है सभी लोग इस सिनेमा से प्रभावित होते हैं अगर उन्हें वक्त मिले तो इस वक्त में वहां सिनेमा देखना ही पसंद करेंगे। सिनेमा हमारे समाज को प्रभावित करता है। सिनेमा मनोरंजन का एक प्रभावी साधन माना गया है। कई लोग परिवार के साथ बैठकर भी मनोरंजन के लिए सिनेमा देखना ही पसंद करते हैं। सिनेमा की वजह से लोगों की कला सभी लोगों तक पहुंचती है लेकिन फिल्में मनोरंजन के लिए ही होती है ऐसा सभी लोग सोचते हैं। सिनेमा 3 घंटे में खत्म हो जाता है इस वजह से कई लोग इसी को देखना पसंद करते हैं।
हमारा राष्ट्रगान मतलब जन गण मन यह भारत का एक अविभाज्य हिस्सा है। भारत में रहने वाले हर एक नागरिक को इस राष्ट्रगान को सम्मान देना चाहिए यह उसका कर्तव्य है। हमारा भारत देश और राष्ट्रगान यह हमारे लिए सबसे बढ़कर है। हमारे देश में अलग-अलग जाति धर्म के लोग रहते हैं सभी लोग एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं लेकिन जब उसे धर्म के कोई रिवाज चल रहे हो तो सभी लोग उन्हें आदर देते हैं ऐसा नहीं होता। लेकिन जब राष्ट्रगान बजाया जाता है तो सभी लोग उसे आदर देते हैं उसका सम्मान करते हैं। सभी लोग एकजुट हो जाते हैं। राष्ट्रगान में भी यही दिखाया जाता है कि हम राष्ट्रगान जो सेवा करते हैं उनका हमेशा ही सम्मान करते हैं। राष्ट्रगान हमारे देश के लोगों में राष्ट्रभक्ति निर्माण करता है। जन गण मन यह राष्ट्रगान हमारे भारत की पहचान है। इस वजह से भारत का हर एक नागरिक उसका सम्मान करता है।
राष्ट्रगान हमारे देश के राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक है। जहां हमारे इतिहास परंपरा संस्कृति दिखता है। के मन में राष्ट्रीय ताकि भावना का निर्माण करता है। राष्ट्रगान को स्वतंत्रता दिवस या प्रजासत्ताक दिन पर गाया जाता है। इसी तरह से हर स्कूल में रोज ही राष्ट्रगान बच्चे गाते है। जब राष्ट्रीय खेल खेले जाते हैं जैसे कि ओलंपिक उसे वक्त जब हमारे देश का कोई प्रतिनिधि खेल में जीता है तो भी वहां पर राष्ट्रगान बजाया जाता है।
आज थिएटर में भी सिनेमा की शुरुआत में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे कानून की निर्माण किया गया था क्योंकि सरकार कहता था कि जब राष्ट्रगान बजाता है और राष्ट्रवाद हमें दिखाई देता है तो हमारे मन में राष्ट्रभक्ति देशभक्ति का निर्माण हो जाता है। हमारे लोगों में एक नई उमंग भर जाती है नया जोश का निर्माण होता है। इसलिए फिल्म की शुरुआत होने से पहले राष्ट्रगान का बचाया जाना अनिवार्य कर दिया था कई न्यायाधीशों का यह मानना था कि भारत के नागरिक जो है उनमें से बहुत सारे नागरिको को राष्ट्रगान गाना नहीं आता। राष्ट्रगान किस तरह सिखाया जाता है यह उन्हें सीखना चाहिए।
कई लोगों ने इस नियम का समर्थन किया तो कई लोग इस कानून के विरोधी हो गए। क्योंकि जो नियम का समर्थन कर रहे थे उनका कहना था राष्ट्रगान सिर्फ 1 मिनट का होता है और अगर हमें 1 मिनट खड़ा रहना है तो उसमें कोई भी हाथ नहीं है। लेकिन इसकी विरोधी होती है वह कह रहे थे कि थिएटर में लोग फिल्म देखने आते हैं उसे वक्त उनके दिमाग में फिल्म से संबंधित चीजे चल रही होती है। ऐसे वक्त में अगर राष्ट्रगान को बजने भी है तो उनके दिमाग में उस वक्त लग ही विचार चल रहे होंगे। इसके साथ-साथ की कई लोग राष्ट्रगान को महत्व नहीं देंगे। वह उठकर खड़े नहीं होंगे इस वजह से राष्ट्रगान का अपमान हो जाएगा। न्यायाधीश कहते हैं कि राष्ट्रगान बजाना ही चाहिए क्योंकि अब यह समय है कि लोगों के अंदर राष्ट्र भावना पैदा हो राष्ट्र भावना जागृत हो। उन्हें लगना चाहिए कि हम एक ही राष्ट्र में रहते हैं।
लेकिन सिर्फ थिएटर में राष्ट्रगान लगाने से लोगों में राष्ट्रभक्ति पैदा नहीं होगी। कई लोग राष्ट्रगान चलते हुए उठकर खड़े भी नहीं होंगे। इस वजह से राष्ट्रगान का अपमान हो जाएगा। अगर लोगों के मन में राष्ट्रभक्ति निर्माण करनी है तो उन्हें बचपन से ही ऐसी सीख देनी चाहिए। घर में पाठशाला में देशभक्ति के लिए कार्यक्रमों का नियोजन कर देना चाहिए जिस कार्यक्रमों की वजह से लोगों में देशभक्ति पैदा हो सके।
अगर सिनेमाघर में राष्ट्रगान नहीं बचाया जाता तो भी चलेगा कोई क्योंकि कई लोग वहां पर उसका अपमान ही करेंगे। हमें राष्ट्रभक्ति की सीख हमारे माता-पिता और गुरुजन ही दे सकते हैं। अगर बचपन से ही भारत के लोगों को यही सीख मिली तो देशभक्ति के निर्माण के लिए राष्ट्रगान लगाने की कहीं भी जरूरत नहीं पड़ेगी।