On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या बॉलीवुड में परिवारवाद मौजूद है?
Debate – क्या बॉलीवुड में परिवारवाद मौजूद है?
भारत में फिल्मों की परंपरा कई सालों से चलती आ रही है। भारत की पहली फिल्म 1913 में बनी थी। इस फिल्म का राम राजा हरिश्चंद्र था। पहले की फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट इन दो रंगों में ही दिखाई देती थी। राजा हरिश्चंद्र यह फिल्म दादा साहेब फाल्के इन्होने बनाई थी। ऐसा कहा जाता है कि दादा साहेब फाल्के इन्होंने ही सिनेमा को जन्म दिया है।
बॉलीवुड को पहले मुंबई फिल्म या मुंबई सिनेमा इस नाम से जाना जाता था। अभी जो बॉलीवुड यह शब्द प्रचलित है वह भी मुंबई और हॉलीवुड इन दो शब्दों का मिश्रण है। इसके कई सालों बाद बॉलीवुड में पहले बोलने वाली फिल्म आई। इसका नाम आलम आरा यह था। यह भारत की सवाक फिल्म थी। इस फिल्म के निर्देश आर्देशिर ईरानी थे। इसके बाद कई रंगीन फिल्में भी आई। इस तरह फिल्मों मे कई बदलाव आए। इन बदलाव के साथ-साथ ही यहां के लोगों ने इन फिल्मों को अपनाया है। कई सारे भारतीय लोग फिल्म देखने के लिए आतुर रहते हैं। यह मनोरंजन का एक बहुत बड़ा साधन है। भारतीय फ़िल्म उद्योग ने अपना एक विशाल साम्राज्य निर्माण किया है और इस साम्राज्य में हर वक्त अनेक बदलाव होते रहते हैं।
इन बॉलीवुड की फिल्मों में जो अभिनेता और अभिनेत्रियां काम करते हैं वह आगे जाकर अपने कई पीढियां के लिए भी यहीं पर काम तलाश में लगते हैं। यह कई दशा कौन से चलते आ रहा है। अगर हम एक नज़र से इन परिवारों को देखेंगे तो हमें समझ में आ जाएगा की पिछले कई दशकों से एक ही परिवार के अनेक पीढ़ियां बॉलीवुड में काम करके आ रही है। और यह ट्रेंड रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। आज ऐसा लग रहा है कि इन्हीं परिवार उनसे बॉलीवुड बन रहा है। क्योंकि यही परिवार इस बॉलीवुड पर अब राज कर रहे हैं। आज हम अगर गौर से देखेंगे तो जो लोग जब बॉलीवुड का निर्माण हुआ तब अभिनेता या अभिनेत्री के रूप में फिल्मों में काम करते थे आज उनके बेटा और बेटी या फिर उनके नाती और नातिन भी बॉलीवुड में शामिल है। बॉलीवुड की फिल्मों में आज कभी-कभी हमें दादाजी बेटा और पोता पोती यह ऐसे तीन पीडिया दिखाई देती है। यह बातें सिर्फ अभिनेता या अभिनेत्री पर लागू नहीं होती जो निर्देश होते हैं प्रोड्यूसर होते हैं म्यूजिक डायरेक्टर यह भी अपने ही भविष्य जून को इसी दुनिया में लेकर आते हैं। यही उनकी जीवन का एक अविभाज्य भाग बन चुका है।
आज कई युवाओं को बॉलीवुड में नए चेहरे देखने की उत्सुकता रहती है। लेकिन पुराने जमाने से जो चलते आ रहे हैं वही चेहरे उनको फिर से देखने मिलते हैं या फिर उनके ही परिवार के जो बहुत सच है उनके ही चेहरे हमें देखने के लिए मिलते हैं। यह लोग नए चेहरे को आगे आने ही नहीं देते। अपने ही किड्स जो स्टार किड्स होते है वही आगे जाकर स्टार बन जाते हैं और बॉलीवुड पर राज करते हैं।
इन फिल्मों के जो प्रोड्यूसर होते हैं उन्हें भी जो स्टार किड्स होते हैं उन्हें ही आगे बढ़ाना अच्छा लगता है। क्योंकि इसमें उनका भी फायदा होता है। कई परिवार अपने बच्चों के लिए इसी मूवी का प्रमोशन मुफ्त में ही कर देते हैं। कई परिवार फिल्मों में आज भी पैसे निवेश करते हैं ताकि अपने ही स्टार किड्स को प्रोड्यूसर आगे ले जा सके। बॉलीवुड के क्षेत्र में बाहर ही दुनिया का कोई मनुष्य प्रवेश न कर सके इसीलिए बहुत सारे सितारे प्रयत्न करते हैं। ऐसे सितारे भी स्टार किड्स को प्रोत्साहन देते हैं।
जब परिवार बात बंद हो जाएगा तभी बाहरी लोगों को बॉलीवुड में प्रवेश मिल सकेगा और उन्हें भी अपनी कला कौशल के साथ इस दुनिया में प्रवेश मिलेगा। युवाओं के लिए आमदनी के रास्ते खुल जायेंगे। ऐसे कई युवा होते हैं जिन्हें बॉलीवुड इस दुनिया में प्रवेश करना होता है उनके पास उतनी कल भी होती है लेकिन उन्हें कोई रास्ता नहीं दिखता या फिर जब रास्ते मिल जाते हैं तब उनके बीच में यह स्टार किड्स मुश्किलें पैदा करते हैं इस वजह से यहां मनुष्य बॉलीवुड की दुनिया से कोसों दूर रहते हैं। अगर ऐसे युवाओं के लिए बॉलीवुड के रास्ते खुल गए तो सारे लोगों को भी नए चेहरे बॉलीवुड के पर पर देखने मिलेंगे।
बॉलीवुड में परिवारवाद मौजूद है इसी वजह से बाहरी युवाओं को प्रयत्न करके भी बॉलीवुड में प्रवेश नहीं मिलता ऐसे कई परिवार है जिनके बच्चे और पोता, पोती भी बॉलीवुड में कार्यरत है।
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