On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या फिल्में समाज का आइना हैं?
Debate – क्या फिल्में समाज का आइना हैं?
भारतीय सिनेमा ने हमेशा ही भारत में रहने वाले लोगों का मनोरंजन किया है। बच्चों से लेकर घर के बड़े बुजुर्ग लोगों तक सभी लोग सिनेमा देखते हैं। पहले के सिनेमा में मूक अभिनय किया जाता था और यह सिनेमा ब्लैक एंड व्हाइट इन रंगों में ही दिखाई देते थे। लेकिन आज सिनेमा क्षेत्र का बहुत सारा विकास हो गया है। ब्लैक एंड वाइट की जगह अब रंगीन चित्र देखने के लिए मिलते हैं और मूक अभिनय के जगह पर बोलने वाले चित्र पर दिखाई देते हैं इस वजह से हमें सिनेमा का विषय समझने में आसानी हो जाती हैं।
ऐसा कहा जाता है कि सिनेमा का समाज पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इनके जरिए ही समाज प्रगति की ओर जाता है नए-नए विचारों का उद्गम इसी चित्रपातों के जरिए होता है। समाज के प्रगति का एक जरिया इस नजर से सिनेमा को भी देखा जाता है। सिनेमा में जो भी चित्रित किया जाता है जिस तरह से गाने दिखाई देते हैं वह हमारी संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं। कई लोग चित्रपातों के जरिए प्रेरणाय लेते हैं और उसी के आधार पर अपना जीवन बनाने का प्रयास करते हैं। सिनेमा का विषय जो भी हो उसे सिनेमा में हमारा ही जीवन दिखाया जाता हैं। इस तरह फिल्मों में हमारी संस्कृति दिखाई जाती है इस तरह अलग-अलग समाज की संस्कृति भी उसमें दिखाई जाती हैं। इस वजह से हमारी नई-नई संस्कृतियों की जानकारी प्राप्त होती हैं। इसमें अगर कुछ गलत चित्रित किया गया तो लोग हमारी संस्कृति को गलत नजर से देखते हैं।
सभी लोगों को सिनेमा देखना बहुत पसंद होता है। इसे हम एक दस्तावेज के रूप में भी देख सकते हैं क्योंकि इससे हमें बहुत उसे समय की बहुत सारी जानकारी मिल सकती है। समाज में जो विचार दिखाए जाते हैं वह हमारे लिए बहुत जरूरी होते हैं। क्योंकि यह विचार हमारे समाज पर अपना प्रभाव निर्माण करते हैं। फिल्म समाज में बहुत बड़ा बदलाव लाती है। फिल्मों की वजह से समाज में विचारों के परिवर्तन होते रहते हैं। हमेशा ही समाज के विचार बदलते हैं। इसी वजह से जिन फिल्मों को चित्रित किया जाता है वह फिल्में हमारे समाज के लिए हानिकारक नहीं होनी चाहिए। इन्हीं फिल्मों का युवा पीढ़ी पर बहुत गहरा असर पड़ता है। क्योंकि हमारे युवा पीढ़ी के लिए सबसे बड़े मार्गदर्शन के रूप में फिल्में काम करती है। आज की युवा पीढ़ी इसी फिल्मों को अपनी प्रेरणा बनाती है। इस वजह से जब किसी फिल्म की निर्मित की जा रही हो तो उसमें बहुत सोच विचार करना चाहिए।
फिर मैं अलग-अलग विषयों पर बनती है जैसे की सती बंदी विधवा विवाह दहेज प्रथा ऐतिहासिक घटनाएं प्रेरक कथाएं। ऐसे विषय हमारे समाज के लोगों के लिए प्रेरक होते हैं। इससे वह बहुत कुछ सीखते हैं। यही फिल्में गलत परंपराओं का विरोध करती है और नई परंपराओं का निर्माण करती है। किसी घटना से प्रेरक होकर कोई मनुष्य बड़ा आदमी बनता है। इसीलिए यही फिल्में अपने समाज में बदलाव के लिए बहुत जरूरी होती है। क्योंकि बहुत सारे लोग यही फिल्में देखते हैं और इन्ही फिल्मों से कुछ ना कुछ सीखते हैं अपने समाज में बदलाव लाते हैं। अपने विचारों में बदलाव करते हैं। लोग सिनेमा घरों में जाते हैं या फिर आजकल हर एक के हाथ में इंटरनेट और मोबाइल आ गया है यही नहीं तो हर एक के घर पर टीवी भी मौजूद है। फिल्म एक मनोरंजन का आसान और सस्ता रास्ता है। घर के सभी लोग इन्हीं माध्यम से फिल्में देखते हैं। इस वजह से इन फिल्मों का सब लोगों पर बड़ा असर पड़ता है। लोग क्या देखना पसंद करते हैं यह बातें अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। लेकिन अगर मनोरंजन का साधन दूसरा कुछ नहीं है तो लोग भी वही देखते हैं और उन्हें से प्रेरणा देते हैं इस वजह से फिल्मों का समाज व्यवस्था पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
फिल्मों के माध्यम से हमारी संस्कृति, इतिहास दिखाई जाता है। अगर फिल्मों के माध्यम से किसी समाज के बारे में कुछ गलत बातें दुनिया भर में फैलती है तो यह सोच विचार करने जैसी बात होती है। क्योंकि फिल्म में समाज का आईना होती है वह हमारी संस्कृति सभ्यता का प्रचार और प्रचार सभी जगह पर करती है। सभी लोग फिल्मों को देखते हैं और उस समाज के बारे में अपनी-अपनी धारणाएं बना लेते हैं। लोगों को अपना जीवन बेहतर बनाने के लिए यह फिल्में मदद करती है सभी लोगों को एक दूसरे के साथ जोड़ती है। लेकिन अगर फिल्में सकारात्मक हो तो सभी लोग सकारात्मक विचार ही करते हैं नकारात्मक फिल्मों का गलत और बहुत बुरा प्रभाव लोगों पर पड़ता है।
फिल्मों को समाज का आईना कहा जाना यह बात पूरी तरह से सही नहीं है लेकिन पूरी तरह से गलत भी नहीं है। कई सारी फिल्में ऐसी होती है जिसे हम प्रेरणा ले सकते हैं वह सत्य घटना पर आधारित फिल्में होती है। ऐसी फिल्में लोगों का जीवन बेहतर बनाती है। उन्हें मुश्किलों से लड़ना सिखाती है। इस वजह से हमें पूरी तरह से फिल्मों पर आधारित नहीं रहना चाहिए। अगर हमें किसी बात के बारे में सच्चाई जानी है तो हमें अपने तरीके से उसकी खोज करनी चाहिए।
Related Article: बेहतर भविष्य के लिए सिर्फ व्यवहारिक विषयों (गणित, विज्ञान, अर्थशास्त्र) की पढ़ाई होनी चाहिए