On this page we have given an article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या वोट देने के अधिकार की उम्र सीमा घटा देनी चाहिए ?
Debate – क्या वोट देने के अधिकार की उम्र सीमा घटा देनी चाहिए ?
माता देना यह सब नागरिकों का अधिकार है। 18 साल से हर एक व्यक्ति अपना यह अधिकार दिखा सकता है। 18 साल के बाद हर एक व्यक्ति को मताधिकार मिल जाता है। मतदान करना है यह हर एक व्यक्ति का अधिकार होता है और उसे इसका उपयोग करना ही चाहिए। हमारे देश में लोकतंत्र है लोकतंत्र पर आधारित हमारा देश है। हर 5 वर्ष के बाद हम अपने प्रतिनिधि को निर्वाचित करते हैं। इस वजह से हमें मतदान करना ही पड़ता है। भारत के हर एक नागरिक को यह अधिकार प्रदान किया जाता है। इसी पर हमारा लोकतंत्र आधारित होता है। जिस व्यक्ति को 18 साल पूर्ण हुए हैं फिर चाहे वह व्यक्ति किसी भी जाति की, पंथ की, धर्म की, रंग रूप की हो। या फिर उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति कैसी भी हो वह हर परिस्थिति में मतदान करने के लिए स्वतंत्र है। ऐसा नहीं है कि जिसकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति अच्छी है उन्हें मतदान का अधिकार प्राप्त हो जाता है। किसी भी स्थिति में मतदान का अधिकार प्रदान किया जाता है। जब हम मतदान करते हैं तो हम अपना अधिकार बजाते हैं। अगर हमने मतदान नहीं किया और अयोग्य व्यक्ति हमारे प्रतिनिधि के रूप में संसदीय विधानसभा पर पहुंच गया तो वह गलत कानून का समर्थन करेगा। इस वजह से समाज की हानि हो सकती है। अगर हम सही व्यक्ति को मतदान करते हैं तो ऐसी समस्या हमारे सामने कभी नहीं आएगी।
जब हम मतदान करते हैं और सही प्रतिनिधियों को चुनते हैं तब शासन व्यवस्था अच्छी तरह से अपना कार्य कर पाती है। शासन व्यवस्था जब अपना कार्य अच्छी तरीके से करती है तब जनता का हमेशा ही लाभ होता है। देश का विकास होता है। मतदाता के पास इतनी शक्ति होती है कि वह सरकार को बदल सके। इस वजह से हमें हमेशा ही मतदान करना चाहिए। अगर हमें अपना देश सही लोगों के हाथ में देना है तो हमें सबसे पहले सही प्रतिनिधियों का चुनाव करना होगा। इसके लिए हमें अपने मतदान का अधिकार दिखाना होगा।
जिस व्यक्ति को 18 साल पूर्ण होते हैं उस व्यक्ति को मतदान का अधिकार मिल जाता है। मतदाता की उम्र 18 साल पूर्ण होनी चाहिए क्योंकि जब व्यक्ति को 18 साल पूर्ण हो जाते हैं तब हम सही गलत का अच्छी तरह से निर्णय ले सकते हैं। हमें निर्णय क्षमता का विकास हुआ हो चुका है। वह अपने साथ-साथ अपने देश का हित समझ सकते हैं। 18 साल के बाद हम सही गलत के बीच निर्णय ले सकते हैं। जब 18 साल पूर्ण होते हैं तब हम सही और गलत के बीच का फर्क समझते हैं। इसके साथ-साथ हमारे देश के प्रति हमारे क्या कर्तव्य है हमारे अधिकार कौन-कौन से हैं हमारे कर्तव्य कौन-कौन से हैं इसका पता इसी उम्र में ही चल जाता है। हमें हमारे अधिकारों के बारे में संविधान के बारे में पाठशाला में जानकारी दी जाती है। नागरिक जीवन यह विषय पाठशाला के अन्य विषयों में समाविष्ट है। इस वजह से हमें संविधान, अपने अधिकार, कर्तव्यों के बारे में पता चल जाता है। दसवीं कक्षा तक हमें इन सब की जानकारी हो जाती है। ज्यादा से ज्यादा 18 साल की उम्र तक हमें इन सब बातों की जानकारी होती है। इसके बाद हम इतने सक्षम हो जाते हैं कि अपने प्रतिनिधियों को चुन सके। नागरिक शास्त्र इस विषय में सारी जानकारी इन्हीं बातों की दी गई होती है।
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कई बार यह प्रश्न उपस्थित रहता है क्या मतदान करने की उम्र घट देनी चाहिए? इसका उत्तर है नहीं हमें वोट डालने की उम्र 18 साल से काम नहीं कर देनी चाहिए क्योंकि 18 वर्ष से पहले मनुष्य बारिश होता है। उसे सही और गलत के बीच में अंतर समझ में नहीं आता। उसकी मानसिक और बौद्धिक से दिखा विकास नहीं होता है। कभी-कभी 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति गलत फैसला ले सकते हैं। 18 साल के कम उम्र में व्यक्ति कोई भी गलत फैसला ले सकता है इस वजह से यह उम्र कम नहीं कर देनी चाहिए। क्योंकि मतदान करना यह एक जिम्मेदारी का कार्य होता है। जिम प्रतिनिधियों को हम सुनते हैं वह प्रतिनिधि एक जिम्मेदार व्यक्ति होना चाहिए। प्रदेश में विवाह व्यक्ति प्रतिनिधियों के रूप में चुना जाता है उसे प्रदेश का विकास होना चाहिए सही फैसला उन्हें लेने आने चाहिए। इन सब का विचार मतदाता को ही करना है। अगर मतदाता ही बारिश हो गया तो सरकार मैं गलत लोगों का भरना हो जाएगा। इस वजह से वोट देने के अधिकार की उम्र नहीं घटानी चाहिए।