On this page we have given an article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या प्राइवेट शिक्षण संस्थानों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए ?
Debate – क्या प्राइवेट शिक्षण संस्थानों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए ?
प्राचीन भारत से भारत में शिक्षण संस्थाएं मौजूद रही है। हमारे भारत में तक्षशिला नालंदा जैसी शैक्षणिक संस्थाएं थी जहां पर दूर-दूर देश थे विद्यार्थी आकर सीखते थे। इसीलिए भारत में शिक्षा की बहुत पुरानी परंपरा रही हैं। भारत में गुरुकुल पद्धत भी कई सालों से चलती आ रही थी। जब अंग्रेज भारत पर राज कर रहे थे तब उन्होंने देखा कि यहां के लोग सही तरीके से शिक्षा नहीं लेते। गांव में कोई एक व्यक्ति होता था जो लोगों को पढ़ता था। उसके पास भी कोई डिग्री नहीं होती थी। गांव के बच्चे उसके पास जाकर पढ़ना लिखना आए इतनी ही शिक्षा लेते थे। गांव में जो मास्टरजी पढ़ाते थे उनके पास भी गांव के कितने बच्चे पढ़ने आते है, उनकी परीक्षा कैसे लेनी चाहिए इसका पता नही होता था। बच्चों को बैठने के लिए जगह भी नहीं थी।
ऐसे वक्त पर अंग्रेजी सरकार ने भारत के बच्चो को शिक्षा प्रदान करने के हेतु सरकारी स्कूल का निर्माण किया। सभी बच्चों को शिक्षित करने के लिए अच्छी व्यवस्था का निर्माण किया। सरकारी स्कूल में गांव में जो बच्चे रहते थे वह आते थे। इस सरकारी स्कूल की वजह से गांव में रहने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती थी। उसे वक्त सरकारी नौकरियां भी बहुत सारी थी इस वजह से इन शिक्षा का उपयोग वह नौकरी पाने के लिए तो करते ही थे।
आज हमारे आसपास प्राइवेट स्कूल हमें बहुत सारे दिखाई देते हैं। वहां पर सरकारी स्कूल से ज्यादा अच्छी शिक्षा मिलती है। वहां पर तंत्रज्ञान का उपयोग भी किया गया होता है। यह शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से मिलने की वजह से कई सारे माता-पिता अपने बच्चों को इसी स्कूल में डालते हैं। आजकल तो सरकारी स्कूल के तरफ कोई दिखाई भी नहीं देता। कई सालों पहले सरकारी स्कूल में बहुत सारे बच्चे दिखाई देते थे। एक-एक कक्षा में 50 से 55 बच्चे होते थे लेकिन आज उनकी संख्या कम होकर 5 और 10 हो गई है। कई कक्षा में तो बच्चे ही नहीं होते।
हमारे आसपास जो प्राइवेट स्कूल की निर्मित की गई है उनके फीस भी बहुत ज्यादा है लिखिए इसके बावजूद भी माता-पिता अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही दाखिला करवा देते हैं। क्योंकि उनका कहना है कि वहां पर बहुत अच्छी शिक्षा दी जाती है।
सरकारी स्कूल में भी बहुत अच्छे शिक्षा दी जाती है लेकिन उनके पास प्राइवेट स्कूल के पास जिस तरह का तंत्रज्ञान होता है वह नहीं होता। इसके साथ साथ सरकारी स्कूल में जो शिक्षक सीखते हैं उनके पास बच्चों को सीखने के अलावा भी बहुत सारे कार्य होते हैं इसी वजह से वहां बच्चों को अच्छे शिक्षा नहीं दे पाते। इसके साथ-साथ सरकार को थी सरकारी स्कूलों को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उनके जो बाकी काम है उनके लिए लोगों की नियुक्ति कर देनी चाहिए। इसके वजह से लोगों को भी काम मिल जाएगा और शिक्षक भी बच्चों को अपना ज्यादा वक्त देकर सीख अच्छी शिक्षा दे पाएंगे। कई बार यह सारे काम करते वक्त शिक्षकों को बच्चों को सीखने के लिए वक्त नहीं मिलता इस वजह से इन कामों के लिए दूसरे युवाओं की नियुक्ति कर देनी चाहिए।
जो हमारे आसपास प्राइवेट स्कूल होते हैं उन पर प्रतिबंध लगाने से कुछ नहीं होगा अगर हमें अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला देना है तो पहले सरकारी स्कूलों का दर्जा सुधारना होगा। वहां के जो शिक्षक होते हैं उन्हें हमेशा ही नए-नए तंत्रज्ञान की जानकारी होने आवश्यक है। आजकल प्राइवेट स्कूल में प्रोजेक्टर पर चल चित्र दिखाकर सिखाया जाता है इसी तरह का तंत्रज्ञान सरकारी स्कूलों में भी होना आवश्यक है। अगर हम सरकारी स्कूल में शिक्षकों के सीखने का दर्जा लेंगे अगर सरकारी स्कूलों को विकसित करेंगे तो बच्चे फिर से सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाएंगे। फिर उनको प्राइवेट स्कूल की तरफ जाना नही पड़ेगा और बच्चों के माता-पिता भी निश्चित हो जाएंगे क्योंकि कई बच्चों के माता-पीताओं के पास इतने पैसे नहीं होते लेकिन अपने बच्चों को अच्छे शिक्षा देनी चाहिए इस वजह से वह उनका दाखिला प्राइवेट स्कूल में करते हैं।
इस तरह सिर्फ प्राइवेट स्कूलों पर प्रतिबंध लगाने से कुछ नहीं होगा अगर हमें बच्चों को सरकारी स्कूल की तरफ मोड़ना है तो हमें पहले हमारी शिक्षा का दर्जा सुधारना होगा। तभी गांव के बच्चे गांव के स्कूल में दाखिला लेंगे।
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