On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या मांसाहार उचित है?
Debate – क्या मांसाहार उचित है?
इस दुनिया में जो भी सजीव है उन सबको जीने के लिए आहार की जरूरत होती है आहार के दो प्रकार होते हैं शाकाहारी और मांसाहारी। दोनों के ही अपने-अपने फायदे हैं। दोनों में ही पोषक तत्व भरे हुए होते हैं। कई वर्षों पहले जब बंदर मानव के रूप में परिवर्तित हो रहा था तब मानव भी जंगल में रहता था और शिकार करके अपना गुजारा कर लेता था। उन दिनों खेती का उत्पादन शुरू भी नहीं हुआ था। लेकिन जैसे-जैसे मानव विकास की ओर जाने लगा वैसे-वैसे उसने खेती करनी शुरू की। धीरे-धीरे उसका मांसाहार कम होने लगा और वह शाकाहारी खाना पका कर खाने लगा। उस के शरीर में कई बदलाव आए उस में से एक बदलाव यह था के उसकी दातों की रचना में भी परिवर्तन आने लगा था।
इस दुनिया में दो प्रकार का आहार करने वाले लोग हैं मांसाहारी और शाकाहारी। शाकाहारी लोग रोज एक ही तरह का आहार करते है लेकिन मांसाहार करने वाले जो लोग होते हैं उनके आहार में हमेशा विभिन्नता रहती है। जो शाकाहारी होते हैं उनको सिर्फ शाकाहारी चीज ही पचती है उनका पाचन तंत्र यही चीज पचा सकता है, जो मांसाहारी जानवर होते हैं वे मांसाहार पचा सकते हैं। लेकिन जो मानव है वह शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही चीज पचा सकता है उसका पाचन तंत्र दोनों ही चीज पचाने के लिए उपयुक्त होता है।
हमारे शरीर के लिए अनेक पोषक तत्व आवश्यक होते हैं जैसे कि विटामिन, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन। मांसाहार में आयरन विटामिन 12 होता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा भी बहुत होती है। इसके विजय वजह से मनुष्य को जो कब्ज की बीमारी होती है वह नष्ट हो जाती है। मनुष्य का पाचन तंत्र सुधारने में भी मदद होती है। वह रोज अलग-अलग प्रकार का खाना खा सकता है। मतलब उसके खाने में विभिन्नता होती है। मांसाहार में ओमेगा 3 भी होता है जिससे हम अनेक बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं। इस ओमेगा 3 की वजह से बच्चों का दिमाग तेज होने में भी मदद होती है।
इस वजह से मांसाहार का सेवन करना मनुष्य के लिए अधिक उपयोगी माना गया है। लेकिन इसके जैसे फायदे हैं वैसे नुकसान भी बहुत है। जो आहार के विशेषज्ञ होते हैं उनमें से कई विशेषज्ञ मांसाहार खाने से विरोध करते हैं। वे यह कहते हैं कि अधिक मांसाहार खाने से या फिर मांसाहार का सेवन करने से हमें बहुत सारी बीमारियां होती है जैसे के मधुमेह, कैंसर, थकान होना, सर में बहुत दर्द होना, त्वचा रोग, हृदय रोग यह सारे रोग हमारे शरीर में घर कर सकते हैं। इसीलिए मांसाहार नहीं करना चाहिए। हमारे भागवत गीता में भी लिखा है कि जो लोग तामसी भोजन करते हैं उनका स्वभाव भी वैसा ही होता है। मतलब जो लोग मांस खाते हैं वह हमेशा चिड़चिड़ा रहते हैं ऐसे लोगों में गुस्से की मात्रा बहुत होती है इन्हें जल्दी क्रोध आ जाता है। यह लोग हमेशा अस्वस्थ रहते हैं। इसीलिए कई लोग मांस न खाने की सलाह देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग मांस खाते हैं उनकी आयु मर्यादा भी काम हो जाती है। मास पचाने के लिए बहुत वक्त लेता है। मांसाहार को विपत्तियों का घर भी कहा जाता है।
आज भी यह प्रश्न उपस्थित होता है कि मांस मानव के शरीर के लिए उपयोगी है या नहीं। मांस खाने के जैसे फायदे हैं वैसे नुकसान भी बहुत है। इस दुनिया में दोनों प्रकार के लोग हैं। जो शाकाहारी भी है और मांसाहारी भी है। लेकिन जब हम मांसाहार करते हैं तो उसकी मात्रा बहुत कम होनी चाहिए। सिर्फ आहार विभिन्न प्रकार का हो इसीलिए मांसाहार करना चाहिए। मर्यादा से ज्यादा हम अगर मांस का सेवन करते हैं तो वह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसा कहा जाता है कि जैसे ही बंदर का शरीर मानव में परिवर्तित होने लगा वैसे ही उसकी दातों की संरचना में भी परिवर्तन आ गया। और यह दांत अब मांसाहार खाने के योग्य नहीं रहे हैं। लेकिन फिर भी आहार में भिन्नता होनी चाहिए इसके कारण वह मांसाहार करता है। अगर आर्थिक दृष्टि से देखा जाए शाकाहार की तुलना में मांसाहार हमें बहुत महंगा मिलता है। मांसाहार और शाकाहार दोनों तरह के भोजन में हमें संतुलन रखना चाहिए। ऐसा करने से हमारे आर शरीर बीमारियों से भी बच सकता है और हम शाकाहार और मांसाहार ऐसे दोनों ही आहारों का लुफ्त उठा सकता हैं।
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