On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या भारत को रूस का समर्थन करना चाहिए?
Debate – क्या भारत को रूस का समर्थन करना चाहिए?
रूस और यूक्रेन के बीच 2014 से एक संघर्ष चल रहा था। जब यूक्रेन में गरिमा का क्रांति हुई थी तब रूस ने ही क्रीमीया को यूक्रेन से अलग कर दिया। अमेरिका का एक नाटो यह संगठन है जिसमें अमेरिका यूक्रेन को शामिल करना चाहती है। नाटो संगठन में अमेरिका का ही सैन्य सबसे अधिक है। ऐसा करके अमेरिका रूस पर अपना दबाव बनना चाहती है। अगर यूक्रेन अमेरिका के नाटो संगठन में शामिल होता हैं तो रूस पर अमेरिका अपना दबाव बना सकती हैं। इसके साथ साथ रूस को नुकसान भी पहुंचा सकती है।
रूस में जो यूक्रेन पर हमला किया उसकी और एक वजह यहां भी है कि रूसी गैस और तेल का सप्लाई एक पाइप लाइन से करता था वह पाइप लाइन यूक्रेन इस देश से गुजरती थी। इसके लिए हर वर्ष रूस यूक्रेन को अरबों डॉलर देता था। रूस इस पाइप लाइन का रास्ता ही बदलना चाहता था। अमेरिका और पश्चिमी यूरोपीय देशों ने इसका विरोध किया। अगर पाइपलाइन की जगह बदल दी जाए तो यूक्रेन को हर वर्ष जो रक्कम मिलती है वह मिलना बंद हो जाएगी।
रूस और यूक्रेन का भावनात्मक रिश्ता है ऐसा कहा जाता है। यूक्रेन अमेरिका के साथ खड़ा ना रहे ऐसा रूस चाहता है। यूराल पर्वत श्रृंखला जो है वह यूक्रेन से निकलती हैं और यह पर्वत श्रृंखला जो है वही रूस की पहचान है। अमेरिका और रूस ने बहुत लंबे समय से वाद विवाद संघर्ष चलता आ रहा है।
2013 में जो यूक्रेन में वाद विवाद चल रहा था उसके बाद यूक्रेन से क्रीमिया अलग हो गया। 2014 में जो सशस्त्र रूस के समर्थक थे उन्होंने बहुत सारे सरकारी भर्तियों पर कब्जा कर लिया। यही से रूस और यूक्रेन के युद्ध की शुरुआत हो गई। यह युद्ध 523 दिनों तक चला।
जब यूक्रेन को नाटो का सद्स्यत्व चहिए था। इस बात को रूस विरोध कर रहा था। क्योंकि अगर यूक्रेन को नाटो का सदस्य मिल जाता तो अमेरिका का यूक्रेन को समर्थन मिल जाता। यूक्रेन कभी भी अमेरिका से मदद मांग सकता था और इसमें रूस का बहुत नुकसान था। इस वजह से यूक्रेन को नाटो का सदस्य होने से पहले ही रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया।
जब भारत को रूस की आवश्यकता थी तब रूस ने भारत की बहुत मदद की थी भारत के लिए रूस अत्यधिक तंत्रज्ञान वाले परमाणु का उद्गम बन गया। भारत और रूस इन्होंने 2019 में अपने राजनीतिक संबंधों को अंकित किया है। भारत रूस से व्यापारिक तौर पर कई शतकों से जुड़ा हुआ है। लेकिन फिर भी भारत को रूस का इस मामले में समर्थन नहीं करना चाहिए। क्योंकि हर एक देश को अपने कुछ अधिकार होते हैं। उन अधिकारों के तहत वह तय कर सकते हैं कि उन्हें किसी से दोस्ती करनी है और किस से नहीं।
लेकिन फिर भी भारत ने रूस का समर्थन नहीं किया है और कभी भी भारत को रूस का समर्थन नहीं करना चाहिए क्योंकि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और वहा यूक्रेन के प्रदेश में अपना वर्चस्व प्रस्थापित किया। तनाव के स्तिथि का निर्माण किया। वहां के लोगों को भी बहुत परेशान किया। अगर दो देशों में युद्ध हो जाता है तो किसी को भी उसे प्रदेश में रहने वाले लोगों को तकलीफ देने का कोई अधिकार नहीं है। यूक्रेन में रहने वाली जनता थी वह इस युद्ध से बहुत परेशान थी। क्योंकि जिन जिन क्षेत्रों में रूस ने अपना वर्चस्व प्रस्तावित किया था वहां के जनता बहुत घबराई हुई थी वहां के जनता को रूस के सैनिक हमेशा परेशान करते थे। कई बच्चों की मौत हो गई कई नौजवानों की भी इसमें मौत हो गई। मतलब रूस में वहां की जनता पर भी बहुत अन्य किया था और यह गलत बात है। यूक्रेन के नागरिकों में डर का वातावरण निर्माण किया गया। कितने बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया।
यह सभी बातें बहुत शर्मनाक है। यूक्रेन में रहने वाले रही वासियों को रूस के सैनिकों ने जो तकलीफ दी थी वह मानवता के विरुद्ध है और इस घटना का कोई भी देश समर्थन नहीं करता। अगर रस को यूक्रेन के साथ युद्ध करना था तो उनको यूक्रेन के सैनिकों के साथ युद्ध करना चाहिए था ना कि यूक्रेन में जाकर वहां के लोगों को तकलीफ देनी चाहिए थी। इस वजह से भारत को कभी भी रूस का समर्थन नहीं करना चाहिए।
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