On this page we have given an article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is मार्क्सवाद दुनिया के लिए फायदेमंद या खतरनाक ?
Debate – मार्क्सवाद दुनिया के लिए फायदेमंद या खतरनाक ?
मार्क्सवाद का जन्म होने से पहले समाज समाजसत्तावाद का प्रसार हुआ था। उसे वक्त औद्योगिक क्रांति हुई थी। औद्योगिक क्रांति इसका मतलब कई यंत्रों की निर्मित की गई थी। जिसके माध्यम से अनेक वस्तुओं की निर्मिती शुरू हुई थी। इसकी वजह से वस्तुओं को तैयार करने का वक्त भी बचता था। और वस्तु की गुणवत्ता भी अच्छी होती थी। इस औद्योगिक क्रांति के वजह से हस्त उद्योग जो थे वह बंद हो गए। क्योंकि हस्त उद्योगों से जो वस्तुएं निर्मित होती थी उनकी कीमत बहुत ज्यादा होती थी। और इसके विपरीत यंत्रों पर जो वस्तु बनाई जाती थी उसकी कीमत बहुत कम होती थी। जब औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई तो वह यंत्रों को चलाने के लिए बहुत से लोगों की आवश्यकता पड़ी। इस वजह से अनेक रोजगार उपलब्ध हुए। लेकिन इन कारखानों को जो चलाते थे वह जनता से जो उनके हाथ के नीचे काम करते हैं उनसे बहुत काम करवाते थे। और उसके मुताबिक उन्हें तनख्वाह बहुत कम देते थे। कभी-कभी कारागीरों से कारखानदार 12 से 14 घंटे तक काम करवाते थे लेकिन उन्हें तनख्वाह बहुत कम देते थे। वह वस्तुएं या सेवा लोगों में देखकर उनसे जो दफा मिलता था जो उसे कारखाने का मालिक होता था वह खुद के पास रखता था और जो कामगार होते थे उनको सिर्फ तकलीफ सहनी पड़ती थी। जिस तरह से वस्तुओं की मांग बाजार में बढ़ने लगी इस तरह से कामगारों का काम बढ़ने लगा। लेकिन कारखानदार जो होते थे वह कामगारों की संख्या नहीं बढ़ते थे जो कामगार है सिर्फ उनका वक्त पढ़ते थे और उनसे काम करके लेते थे।
मतलब भंडवालदार कामगारों का शोषण करके सिर्फ नफा के उद्देश्य से अपने कारखाने चलते है। इसी प्रचलित सोच को ही मार्क्सवाद कहते हैं। जिन कारखानदारों को लाभ मिलता है वह इस लाभ के जरीए अपने पास संपत्ति इकट्ठा करते है। इस वजह से समाज में वर्गनिर्मिति होने लगी। एक वर्ग मिले हुए संपत्ति के वजह से रईस होने लगे तो कई वर्ग सिर्फ मेहनत करके अपना गुजारा कर रहे थे। इस वजह से दो वर्गों में झगड़ों का प्रारंभ हो गया।
मार्क्सवाद की शुरुआत यूरोप से हो गई थी। वहां पर वहां पर खेती जैसे उद्योग शुरू हो गए। किसान खेती करके संपत्ति कमाने लगे। इस वजह से यह वर्ग श्रीमंत होने लगा और उनके जमीनों में काम करने वाले जो लोग थे वह गरीबी रह गए मतलब श्रमिक दास वर्ग तैयार हो गया। जो श्रीमंत लोग थे वह अपने काम गुलमों माध्यम से करते थे। उन्होंने किया गया मेहनत का परिणाम यह था कि उत्पादन बढ़ गया और इस वजह से संपत्ति में वृद्धि हो गई। लेकिन इसका नफा जो गुलाम थे उन्हें नहीं मिला। जो जमीन के मालिक थे उन्हें इसका लाभ मिला।
जो लोग मजूर कारागीर थे उन्हें इसका कोई भी लाभ नहीं होता था। उन्हें केवल दो वक्त की रोटी मिलती थी। लेकिन इस वजह से जो बड़े लोग थे जैसे कि राज्य सत्ता व्यापारी वर्ग इनके पास संपत्ति जमा होती गई। लेकिन जो इनके लिए काम करते थे वह गरीब ही रह गए। उनकी कभी भी प्रगति नहीं हुई। इस वह ही समाजवादी क्रांति का निर्माण हुआ। जब औद्योगिक क्रांति हुई उसे वक्त जिन यंत्रों का निर्माण किया उसे यंत्रों पर जिन्होंने अपने मालकी हक्क दिखाएं वही आगे जाकर उस से मिला लाभ इकट्ठा करने लगे। इसकी वजह से ही सत्ताधारी और गुलाम ऐसे दो वर्ग निर्माण हो गए। इन दोनों में जो झगड़ा उत्पन्न होता है उसे ही क्रांति कहते हैं।
मार्क्सवाद इसके लाभ यह है कि जो सत्ताधारी लोग होते हैं उन्हें जो लाभ प्राप्त होता है उनको उनके लिए जो काम करते हैं उन्हें बांटना होगा। इस वजह से सत्ताधारी और गुलाम इनमें जो संघर्ष है वह मिट जाएगा। गुलाम जो है वह भी अपने जीवन में सुधार ला सकेंगे। उच्च नीच यह भेदभाव मिट जाएगा और सभी को एक समान माना जाएगा। जो सत्ताधारी लोग कामगारों का शोषण करते हैं वह शोषण सत्ताधारी लोग नही कर पाएंगे। गुलाम को भी अच्छी तनख्वाह मिलेगी। इस वजह से जो कामगार है वह अपना काम पूरे मन लगाकर करेंगे इस वजह से जो कारखानदार है जो सत्ताधारी है उन्हें अधिक लाभ मिल सकता है। जब गुलाम के जीवन में परिवर्तन हो जाएगा तब सामाजिक संरचना में भी बदल हो जायेंगे।
मार्क्सवाद सभी लोगों के लिए फायदेमंद है क्योंकि वह अपने लिए लड़ना सीखना है। और उसके वजह से कोई भी वर्ग उत्पन्न नहीं होता सभी लोग एक समान होते हैं।।
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