On this page we have given an article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की सीमा होनी चाहिए ?
Debate – क्या ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की सीमा होनी चाहिए ?
मानव मतलब कोई मशीन नहीं है जो सिर्फ अपना कार्य करें। मानव में कुछ संवेदनाएं होती है उसके खुद के कुछ विचार होते हैं। उसका अपना एक स्वभाव होता है। इन्हीं स्वभाव के अनुसार मानव विचार और संवेदना प्रकट करता है इसे अभिव्यक्ति कहते हैं। यह संवेदनाएं, भावनाएं और विचार करना यह बातें मानव का जब जन्म होता है तभी से ही मिलती है। इन्हीं विचारों को वह जब बड़ा होता है तो प्रकट करता है और इस पर कोई बंधन नहीं लगा सकता। इसे ही अभिव्यक्ति स्वतंत्रता कहा जाता है। मानव को यह अधिकार उसे जन्म से ही मिल जाता है। संविधान ने मानव को अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का अधिकार दिया है। इसी अधिकार तहत मानव अपने विचार समाज के सामने प्रकट करता है। विचारों के माध्यम से ही मनुष्य अपनी भावनाओं को सबके सामने प्रकट करता है।
स्वतंत्रता का अर्थ है मुक्त हो जाना और अभिव्यक्ति का अर्थ है अपने विचारों को अपनी भावनाओं को प्रकट करना। इसका अर्थ यह है कि अपने विचार और भावनाओं को मुक्त होकर व्यक्त करना इसे ही अभिव्यक्ति स्वतंत्रता कहा जाता है। यह हर एक मानव का अधिकार होता है। मनुष्य में अनेक तरह की भावनाएं होती है उन्हें भावनाओं को वह अपने शब्दों के माध्यम से प्रकट करता है। इसी से उसके दिमाग में और उसके मन में कौन सी बातें चल रही है इसका अंदाजा सबको आता है।
अभिव्यक्ति स्वतंत्र है इसका अर्थ है मनुष्य का अपने विचारों को प्रकट करने का स्वतंत्रता। जो संविधान हर एक मनुष्य को प्रदान करता है। इसमें राजकीय और धार्मिक सामाजिक ऐसे सभी विचारों का समावेश हो जाता है। यह जब स्वतंत्र हमें मिल जाता है तो हमारे जीवन के गुणवत्ता बढ़ जाती है।
लेकिन कई लोग इसका गलत इस्तेमाल करते हैं वह ऐसे बयान देते हैं जिससे समाज की व्यवस्था में उत्तर-पुथल मत सकती है। उनके ऐसे बयानों से विवाद उत्पन्न होता है। कई बार जब गलत विधान किए जाते हैं तब लोग क्रोधित हो जाते हैं और इसके वजह से देश को नुकसान या हानि पहुंच सकती है। अभिव्यक्ति स्वतंत्र यह मानवीय अधिकार है। लेकिन इसका हमें सही तरीके से उपयोग करना चाहिए। क्योंकि जब हम इसका गलत उपयोग करते हैं तो इसका प्रभाव समाज पर भी पड़ता है कभी-कभी यह मामला गंभीर हो जाता है और न्यायालय तक भी पहुंचता है। इसी वजह से ही हम जब अपने विचारों को प्रकट करते हैं तब हमें अच्छे से सोच विचार करके अपनी धारणाएं सबको बतानी चाहिए। कभी-कभी हम जिनकी वजह से समाज में हिंसा हो सकती है। इन सारी बातों का विचार करके ही हमें अपने विचारों को सबके सामने प्रकट करना चाहिए। क्योंकि संविधान हमें अधिकार देता है, स्वतंत्रता देता है लेकिन संविधान हमें कभी भी स्वरचार करने के लिए नहीं कहता। हमें हमेशा ही अपने मर्यादा का विचार करना चाहिए। अपने मर्यादाओं में रहकर ही हर काम को पूर्ण करना चाहिए।
इससे हमारी स्वतंत्रता को कोई भी बाधा नहीं पहुंचेगी। जब हम अपने विचारों को खुले में प्रकट करते हैं तो उससे हमारी मानसिकता दिखती है। और इसका प्रभाव सभी लोगों पर पड़ता है। सभी समाज में विकृति फैल जाती है। सभी लोग क्रोधित हो जाते हैं और वह भी अपनी मर्यादा भूल जाते हैं। हमें जो स्वतंत्र मिलता है उसे वह स्वातंत्र्य कई बंधनों के साथ आता है और इन्ही बंधनों में ही रहकर हमें अपना स्वतंत्र जीना चाहिए उसका उपयोग करना चाहिए। जब हम अभिव्यक्ति स्वतंत्र इस अधिकार को जताते हैं तब उसे स्वतंत्र को सभ्यता नैतिकता शुद्ध भाषा इसका साथ भी मिलना चाहिए। आज हम अपने अधिकारों का गैर उपयोग कर रहे हैं। और उन्हें यह लगता है कि हम अपना स्वतंत्र जी रहे हैं। इस वजह से वह व्यक्ति अपने मन में जो आए वह बोलते हैं। हम अपने स्वतंत्रता का अर्थ गलत निकलती हैं। स्वतंत्र इसका अर्थ स्वेराचार नहीं होता। जब कभी हम गलत बातें कहते हैं तो कभी-कभी यह हमारे ऊपर ही पलट सकती है। इस वजह से समाज में हिंसक घटनाएं हो सकती है। इस वजह से हमें किसी की भी भावनाओं को हनी नहीं पहुंचानी चाहिए। जैसे हमें स्वतंत्र मिला है वैसे ही उन्हें भी स्वतंत्रता का अधिकार मिला है। अगर हम अपने मिले हुए स्वतंत्र को स्वैराचार समझते हैं तो अभीव्यक्ति स्वतंत्रता को सीमाएं होनी चाहिए।
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