On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is भारत में वृद्धों के लिए घर अनिवार्य होना चाहिए
Debate – भारत में वृद्धों के लिए घर अनिवार्य होना चाहिए
हमारे आसपास की आज की स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि वृद्धो के लिए घर अनिवार्य है। हमारे संस्कृत में वृद्धो को हम मान सम्मान देते हैं। हमें उनका हमेशा ही आदर करना चाहिए यही हमारी संस्कृति हमें सिखाती है। हमें उनका कभी भी निराधार करना नहीं चाहिए उन्हें अपशब्द नहीं बोलनी चाहिए। हमारे घर में एक बुजुर्ग ही होते हैं जिनके पास ज्ञान और अनुभव का भंडार होता है। वही ज्ञान और अनुभव हमें हमारे जीवन में उपयोगी होते हैं। यही वृद्धि लोग होते हैं जो हमारे बच्चों को संस्कार देते हैं हमारे बच्चों की अच्छी तरह से परवरिश करते हैं। यही हमें सिखाते हैं कि परिवार का महत्व क्या होता है यही हमें चाहिए हमें सही रास्ता दिखाते हैं कठिनाइयों का किस तरह से सामना किया जाता है यह बात हमें सिखाते हैं। जिनके घर में बुजुर्ग रहते हैं वह घर हमेशा सुखी संपन्न हुआ आनंदी रहता है। हमारे घर के बुजुर्ग ही होते हैं जो हमारी हमेशा चिंता करते हैं हमें प्यार देते हैं। घर के छोटों के वहां मित्र बन जाते हैं। उन्हें कठिनाइयों से लड़ना और सफलता की राह पर चलना यह दोनों बातें हमें सिखाते हैं। इसलिए हमारे घर में बुजुर्गों का होना बहुत जरूरी होता है।
लेकिन आज हम हमारे आसपास देखते हैं कि बुजुर्ग लोगों से युवा पीढ़ी किस तरह से व्यवहार करती है। यही होते हैं जो हमें चलना फिर ना बोलना सीखते हैं मुश्किलों से सामना करना सिखाते हैं खुद परेशानी में रहते हैं और हमें हमारी जिंदगी में सुख सुविधा प्राप्त करके देते हैं। लेकिन यह जब बूढ़े हो जाते हैं तो हम इसे बहुत बुरे तरीके से व्यवहार करते हैं। आजकल कई जगहों पर दिखाई देता है कि बेटे ने अपने माता-पिता को घर के बाहर निकाल दिया। जब बेटा कमाने लगा उसके पास पैसे आ गए तो उसने अपने मां-बाप से कह दिया कि तुम अब बुरे हो चुके हो अब मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नहीं यह कहकर उसने अपने माता-पिता को घर से बाहर निकाल दिया। एक व्यक्ति ने तो अपनी मां से यह कह दिया कि तुम हमेशा बीमार रहती हूं अब तुम्हारे पास आने का भी मन नहीं करता तुम्हारे पास से बदबू आती है इस वजह से उसने अपनी मां को रास्ते पर छोड़ दिया। जो लोग हमें सीखने के लिए हमें बड़ा करने के लिए अपना खून पसीना एक कर देते हैं बहुत मेहनत करके पैसे कमाते हैं उन लोगों को हम रास्ते पर छोड़ देते हैं। कई बेटे तो अपने मां-बाप को वृद्ध आश्रम भेजते ही नहीं उन्हें कहीं पर भी छोड़ देते हैं।
आज बुजुर्गों की स्थिति दयनीय हो गई है हमारा यह गुरुदेव है कि हमें उनके लिए वृद्ध आश्रम खोलने की जरूरत पड़ रही है। जिनके कारण हम इस दुनिया में आते हैं और सारी सुख सुविधा पाते हैं उन्हें ही हम कहीं पर भी छोड़ देते हैं दर-दर भटकने देते हैं यह बहुत गलत बात है। आज हमें अपने माता-पिता बोझ लगने लगे हैं। हम कितने आसानी से भूल जाते हैं कि हमारी माता-पिता ने हमारे लिए कितने कष्ट सही है लेकिन हम उनके प्रति कोई उत्तरदायित्व नहीं निभाते। उनके प्रति हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है ऐसे ही हम समझते हैं। हम अपने संस्कार बहुत जल्दी भूल जाते हैं। कई वृद्ध आश्रम में तो बहुत सारी समस्याओं का सामना बुजुर्गों को करना पड़ता है। कई बेटे तो अपने माता-पिता को छोड़कर विदेश ही जाते हैं और वहीं पर रच बस जाते हैं। उनकी वजह से यहां पर उनके माता-पिता को वृद्ध आश्रम की राह पर चलना पड़ता है। कई माता-पिता तो अपने बेटे की राह देखते देखते आखरी सांस लेते हैं। लेकिन फिर भी वह अपने बेटे से नहीं मिल पाए। उनकी मृत्यु होने के बाद जब उन्हें बुलाया जाता है तब वह कहते हैं हमें वक्त नहीं है आप जो चाहे कर ले। जिन्होंने अपना कैरियर छोड़कर हमें बड़ा किया, हमें अच्छे संस्कार दिए अपना, कीमती वक्त दिया उनके लिए हमारे पास वक्त नहीं होता यह बहुत आश्चर्य की बात हो गई है।
इस वजह से आज भारत में वृद्ध आश्रम की जरूरत हो गई है इन लोगों को वृद्धावस्था में भवनीक जरूरत होती है। अपनी भावनाएं किसी के साथ बातें यहीं उन्हें लगता है। अगर वह अपने घर में रहते हैं तो वहां हमेशा ही अकेले रहते हैं इस वजह से आज उनके लिए वृद्ध आश्रम की व्यवस्था कर देनी चाहिए। अकेलेपन के जीवन से बेहतर है वह वृद्धाश्रम में रहे अपने जैसे उम्र के मित्र, सहेलियों के साथ रहे। आज भारत में यह कानून बना है कि जिस घर में आप रहते हो वह तुम्हारे माता-पिता का घर होता है तुम्हारा नहीं। तुम्हें तुम्हारे माता-पिता को घर से बाहर निकलने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन घर के अंदर जो घुटन भरी जिंदगी होती है उससे अच्छा है कि वृद्ध आश्रम में जाकर वही रहे। अगर बच्चे माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं उन्हें अच्छी जिंदगी देते हैं तो उन्हें वृद्ध आश्रम की राह पर नहीं चलना पड़ेगा लेकिन आज के स्थिति देखते हुए ऐसा लगता है कि वृद्धो के लिए वृद्ध आश्रम की जरूरत है।
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