On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is हमारी बड़ी आबादी गरीबी का कारण नहीं बल्कि एक संपत्ति, एक संसाधन है
Debate – हमारी बड़ी आबादी गरीबी का कारण नहीं बल्कि एक संपत्ति, एक संसाधन है
भारत में बढ़ती आबादी यह एक समस्या बन चुकी है। जब जनगणना की जाती है तो यह लोग संख्या बढ़ती हुई ही दिखाई देती है। हमारे देश का विकास बहुत धीमी गति से हो रहा है। ऐसा कहा जाता है कि हर एक सेकंड में चार नए जन्म होते हैं जिस गति से जन्म का प्रमाण बढ़ता है उसी गति से लोक संख्या भी बढ़ती है लेकिन इसी गति से विकास का दर नहीं बढ़ता आर्थिक विकास की गति बहुत कम है।
आजकल सभी जगह पर अच्छे-अच्छे हॉस्पिटल हो गए हैं। वैद्यकीय क्षेत्र में भी नई-नई सुविधाए आई है। जिसका उपयोग सभी लोगोंको होता है। जन्म का प्रमाण बढ़ता है उसकी तुलना में मृत्यु नहीं होती इस वजह से भी आबादी बढ़ जाती है। इसी तरह से हमारे आसपास बहुत अंदर श्रद्धा है फैली हुई है जैसे आज भी लड़के को ही कुलदीपक माना जाता है। वही वंश को आगे बढ़ता है। इस वजह से जब तक लड़का ना हो तब तक परिवार नियोजन का विचार ही नहीं किया जाता। कभी-कभी लड़के के लिए दूसरी शादी भी की जाती है। कई जगह पर यह माना जाता है कि जिसे भी जन्म दिया जाता है वह ईश्वर के समान होता है ईश्वर का आशीर्वाद होता है इस वजह से परिवार नियोजन नहीं किया जाता। गांव के लोगों में वैदिक यह सुविधा और शिक्षा की कमी की वजह से वहां पर बहुत सारी अर्थ श्रृद्धाएं फैली हुई होती है। कई जगहों पर आज भी लकड़ी की शादी 15 से 16 साल मैं ही की जाती है। जल्दी शादी होने की वजह से उसे बच्चे भी जल्दी हो जाते हैं। उम्र की कमी होने की वजह से उसे कई बातों का ज्ञान नहीं होता।
आज भी हमारे आसपास कई लोग निरक्षर ही रहते हैं पोस्ट इस वजह से जो कई पीढ़ियों से चल आती हुई अंधश्रद्धा का पालन यह लोग भी करते हैं। वे जहां पर रहते हैं वहां पर सुख सुविधा न होने की वजह से वह लोग शिक्षा भी नहीं ले पाते और उन्हें बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जिस तरह से लोग संख्या बढ़ती जाती है हमें हमारे जरूरत की चीजों की काम करता होने लगती है। जैसे कि अन्न वस्त्र और निवारा मनुष्य को जीने के लिए इन चीजों की जरूरत पड़ती है। लेकिन जिस तरह से लोग संख्या बढ़ती जाती है इन चीजों की हमें कमी महसूस होने लगती है। जैसे लोग संख्या बढ़ेगी वैसे ही खाने की चीजों की काम करता होने लगेगी। एक तरफ आबादी बढ़ती रहती है और दूसरी तरह धान्य का उत्पन्न कम हो जाता है। आबादी की बढ़ाने की वजह से ही निवास स्थान की कमतता भी होने लगती है। क्योंकि अगर एक ही परिवार में बहुत सारे सदस्य रहते हैं तो उन्हें रहने के लिए जगह की कमी महसूस होने लगती हैं फिर उसे परिवार का बंटवारा हो जाता है। जब परिवार का बंटवारा हो जाता है तो जो लव उसे परिवार से बाहर निकलते हैं उन्हें रहने के लिए जगह चाहिए होती है। उन्हें शायद जगह तो मिल जाती है क्योंकि रहने के लिए घर बांधा जा सकता है लेकिन जमीन की उपलब्धि नहीं होती। क्योंकि जमीन हम बड़ा नहीं सकते। ऐसे ही वैद्यकीय की सुविधा और शिक्षा का अभाव भी दिखाई देता है। क्योंकि स्कूल और कॉलेज में बच्चों की संख्या कितनी होनी चाहिए यह निश्चित किया हुआ होता है इस वजह से उन्हें अच्छे स्कूल और कॉलेज का दाखिला भी नहीं मिलता। आबादी के बढ़ाने की वजह से लोगों को काम भी नहीं मिलता और इस वजह से घर चलना मुश्किल हो जाता है। आबादी का परिणाम सबसे ज्यादा पर्यावरण पर होता है और जब पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है तो उसका संतुलन बिगड़ जाता है।
कई लोग लोक संख्या या आबादी को एक संसाधन या संपत्ति मान लेते हैं। उनका यह कहना है कि अगर हम लोगों को अच्छे शिक्षा दे उनके अंदर जो कला गुण होते हैं उनका अगर हम सही तरह से विकास करें तो वह हमारे लिए संपत्ति जैसे ही है। बढ़ती आबादी यह एक समस्या है इसी नजर से हम देखेंगे तो हमें समस्याएं हो दिखाई देंगी। लेकिन इसका हमे सही तरह से उपयोग करके लेना चाहिए। हमारे देश में युवाओं की संख्या अधिक है। हमे देश के विकास के लिए इनका ही उपयोग करके लेना होगा। इन्हें हम अगर सही रास्ता दिखाएं, नए नए रोजगारों की निर्मिति करके दे तो युवाओं की माध्यम से देश का आर्थिक विकास भी बढ़ेगा। युवाओं को अगर हम व्यवसाय करने के लिए प्रोत्साहन देंगे तो अपने आप रोजगार की निर्मिती भी हो जाएगी। इससे बेरोजगारी भी काम हो जाएगी। इसके लिए आज इनको पहले अच्छी शिक्षा देने की जरूरत है इसके साथ साथ इनके लिए योजनाएं बनाकर देनी होगी। जिसके वजह से भारत की आबादी एक समस्या नहीं एक संसाधन के रूप में देखी जाएगी।
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