On this page we have given an article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is क्या हमें लैंगिक समानता की जरूरत है ?
Debate – क्या हमें लैंगिक समानता की जरूरत है ?
भारत देश में पुरुष प्रधान संस्कृति होने के कारण यहां पर महिलाओं को हमेशा ही अपने हक के लिए लड़ना पड़ा है। महिलाओं की स्थिति इस देश में अत्यंत दुर्दनीय है कई सालों पहले तक तो महिलाओं को घर के बाहर निकलने के लिए भी इजाजत लेनी पड़ती थी। हर काम के लिए मर्दों पर निर्भर रहना पड़ता था। और महिलाओं को घर में सिर्फ चूल्हा चौका संभालने के लिए रखा जाता था इसके साथ-साथ उन्हें अपने बच्चों को संभालना पड़ता था। उनकी जिम्मेदारी सिर्फ यहां तक ही थी। घर में बैठकर किसी घटनाओं पर चर्चा करना कोई निर्णय लेना घर के बाहर जाकर आर्थिक व्यवस्था में अपना योगदान देना बाहर जाकर काम करना इसकी इजाजत महिलाओं को नहीं थी। इस वजह से वह हमेशा अपने रसोईघर में ही दिखाई देती थी। घर में चूल्हे चौके को संभालना और अपने बच्चों को संभालना यही उनका काम था।
महिलाएं सिर्फ घर के बाहर कोई त्यौहार मनाने के लिए निकलती थी। इन्हीं दिनों में वह अपने घर के बाहर जा सकती थी। बाकी पूरे साल भर वह घर के बाहर नहीं निकलती थी। उन्हें सबके लिए इजाजत लेनी पड़ती थी। कई बार महिलाओं की क्षमता होते हुए भी उन्हें काम करने नहीं दिया जाता था। महिलाओं के लिए शिक्षा लेना भी वर्जित था। इस वजह से वह शिक्षा से भी वंचित रहती थी। समाज में उन्हें दुय्यम स्थान दिया जाता था। मानवता के लिए जो जरूरी अधिकार है उनसे भी उन्हें वंचित रखा जाता था।
इसके बाद समाज में कई बदलाव हुए। आज लड़कियां शिक्षित हो रही है। घर के बाहर निकल रही है। किसी भी चर्चा में अपना योगदान दे रही है। निर्णय लेने में सक्षम है। भारतीय अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे रही है। अपना घर चला रही है परंपरा से चले आ रहे रीति रिवाज जो है वह भी पूरे मन से पूर्ण कर रही है। संविधान में भारतीय महिलाओं को बहुत सारे अधिकार प्रदान किया। इसकी वजह से वह अपने जीवन में सुधार ला सकी। अपने अंदर जो कौशल है उन्हें बढ़ावा दे सकी। भारतीय संविधान कहता है कि लड़के और लड़कियां यह समान है। कोई भी काम नहीं है कोई भी ज्यादा नहीं है। इस वजह से उन दोनों को भी समान अधिकार मिलने चाहिए। दोनों ही शिक्षा प्रदान करनी चाहिए दोनों को ही काम करना चाहिए। मतलब संविधान हमें समानता का अधिकार देता है।
आज लड़की होने यह साबित कर दिया है कि हम किसी से काम नहीं है। आज लड़कियां पूर्ण विश्व में हर एक स्थान पर अपना कौशल दिख रही है। किसी भी क्षेत्र में वह पीछे नहीं है। सबसे कंधे से कंधा मिलाकर वह अपना कार्य पूर्ण कर रही है। हर एक क्षेत्र में लड़कियां लड़कों से आगे है। फिर भी आज कई गांव में लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता है। उन्हें मनुष्य के बराबर भी नहीं माना जाता। आज भी हमारे समाज में उन्हें दुनिया में दर्ज ही दिया जाता है। कई बार महिलाएं अपना योगदान आर्थिक क्षेत्र में देते हैं कंपनियों के बड़े-बड़े निर्णय वह आसानी से ले लेती है। लेकिन जब वह घर में जाती है तब उन्हें किसी भी चर्चा में शामिल नहीं किया जाता। वहां पर कहा जाता है कि तुम्हें कुछ नहीं समझ आएगा इस घर के मर्द अभी है जो कुछ निर्णय लेना है वही ले लेंगे। तुम अपना चूल्हा चौका अच्छे से संभालो बस इतना ही काफी है।
जब हमारे आसपास कहीं की असमानता दिखाई देती है तो इस वजह से कई अवसरों में भी इस असमानता का परिणाम दिखाई देता है। इस वजह से कई लोगों को अवसरों से वंचित रहना पड़ता है। अपने कौशल दिखाने का मौका उन्हें नहीं मिलता। अगर हमें अपने समाज में लैंगिक समानता लानी है तो हमें पहले सभी लड़के लड़कियों को शिक्षा प्रदान करनी होगी। उन्हें शिक्षा का समान अधिकार प्रदान करना होगा। इसके साथ-साथ शिक्षा में यौन शिक्षा का समावेश करना होगा जब लड़के लड़कियां एक दूसरे को अच्छे से जान पाएंगे तभी उन्हें लैंगिक समानता इन शब्दों का अर्थ समझ में आ जाएगा। जब लैंगिक समानता प्रस्तावित होगी तब लड़कियों का जो शोषण किया जाता है उनका देह व्यापार तस्करी की जाती है इस पर भी रोक लगाई जाएगी। वह सभी प्रथम परंपराएं खत्म हो जाएंगे जो लड़कियों के लिए हानिकारक होती है।
भारत देश में लैंगिक समानता की जरूरत है। क्योंकि आज हम 21वीं सदी में जीते हैं। फिर भी हम कई मामलों में पीछे है। आज भी हम महिलाओं को दुय्याम स्थान देते हैं। अगर हमें उनका शोषण रोकना है तो लैंगिक समानता जरूरी है।
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