On this page we have given an article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is वैश्वीकरण की वजह से सामाजिक मूल्यों का ह्रास हुआ है ।
Debate – वैश्वीकरण की वजह से सामाजिक मूल्यों का ह्रास हुआ है ।
वैश्वीकरण इसका अर्थ है जो हमारे देश की अर्थव्यवस्था है उसे दूसरे देशों के साथ जोड़ना। मतलब पूरे विश्व में प्रचार प्रसार करना। इस वैश्वीकरण में सभी लोगों का विचार किया जाता है। वैश्वीकरण यह एक संकल्पना है। इसमें हम जो हमारे देश में वस्तुएं तैयार करते हैं जो हमारी सेवा या ज्ञान होता है उसका प्रचार और प्रसार बाकी सारे देशों में किया जाता है इसे वैश्वीकरण कहते हैं। इस वजह से हमारे देश में जो वस्तुएं और सेवाएं तैयार होती है वह बाकी के देश में सहज उपलब्ध हो जाती है। इससे जिस देश में वह वस्तु बनती है उसे देश को बहुत सारा नफा मिलता है। वैश्वीकरण की वजह से जो रोजगार होते हैं उसमें वृद्धि होती है। बेरोजगारी कम हो जाती है। दूसरे देशों के साथ हमारे देश का संपर्क बढ़ता है। दूसरे देशों के साथ हमारा संबंध अच्छा हो जाता है। इससे शहरीकरण और औद्योगीकरण बढ़ता है। आर्थिक व्यवहारों में गतिशीलता बढ़ जाती है। आर्थिक वृद्धि होती है। जब आर्थिक वृद्धि हो जाती है तब देश में रहने वाले लोगों का रहन-सहन का जो तरीका है उसमें बदलाव आता है। इससे उन सेवा या वस्तुओं पर जो उत्पादन करते हुए कच्चे माल पर खर्च किया जाता है वह खर्च कम हो जाता है और नफा बढ़ जाता है। कई सारे विचारों का आदान प्रदान किया जाता है। इस वजह से स्वातंत्र्य, समता, बंधुता इन मूल्यों का विकास होता है।
ऐसा कहा जाता है कि वैश्वीकरण की वजह से पूरी दुनिया बहुत पास आ गई है। इसकी कुछ सकारात्मक पहलू भी है वैश्वीकरण की वजह से सारे देशों में अलग-अलग रोजगारों की निर्मित हो गई है। इस वजह से बहुत सारे देशों में बेरोजगारी कम हो गई। युवकों को नई-नई जानकारी प्राप्त हो गई। हमारे देश में वैसे ही दूसरे देशों में भी नई-नई नौकरियां मिलने की वजह से युवाओं को नए-नए मौके मिल गए हैं। इस वजह से युवा भी एक देश से दूसरे देश में नौकरी के लिए जाते हैं। वह इसी मौके के तलाश में होते हैं। वैश्वीकरण का परिणाम प्राइवेट क्षेत्र में बहुत हुआ है। युवा उनको जो नौकरियां प्राप्त होती है वह सभी प्राइवेट होती है। मतलब प्राइवेट क्षेत्र में उद्योग निर्मित हो रही है और इसी वजह से युवाओं को रोजगार मिल रहे हैं। इसी वजह से सरकारी क्षेत्र पर जो दबाव पड़ रहा था वह काम हो गया है। वैश्वीकरण की वजह से हम पूरी दुनिया से जुड़ गए हैं। पूरी दुनिया एक दूसरे के पास आ गई हैं। इस वजह से पूरी दुनिया की खबरे हमे पल भर में मिल जाती है। ये जो घटनाएं होती हैं इनका हमारे ऊपर क्या परिणाम हो सकता है इन सारी बातों का विचार सारे युवा करते हैं।
वैश्वीकरण के जैसे सकारात्मक पैलू है वैसे उसके कई नकारात्मक पैलू भी है। हमारे भारत में जिस तरह बड़े बड़े उद्योग इसी तरह छोटे-छोटे उद्योग भी है। जब वैश्वीकरण किया जाता है तब छोटे छोटे उद्योग जो होते हैं वह बंद हो जाते है। क्योंकि बड़े बड़े उद्योगो में जो वस्तुएं तैयार की जाती है वह मशीनों के द्वारा तैयार की जाती हैं। छोटे उद्योगों के मुकाबले यह वस्तुएं बहुत अच्छी होती है। इनकी गुणवत्ता और यह वस्तुएं दिखने में भी अच्छी होती है। इसके साथ साथ इनकी किमत भी कम होती है। इस वजह से लोग इन वस्तुओं की तरफ आकर्षित होते है। इस वजह से यह उद्योग नष्ट हो सकते हैं। इसके साथ साथ खेती जैसे उद्योग भी और छोटे छोटे किसान होते है वह इस वैश्वीकरण के वजह से बाजार में प्रतियोगिता नही कर सकते। जो लोग छोटे उद्योग करते हैं जो किसान खेती करते हैं वह इस बाजार में नहीं टिक सकते।
जो लोग गरीब होते हैं वह गरीब ही रहते हैं और जो श्रीमंत होते है वह श्रीमंत हो जाते है। इस वजह से जब हम वैश्वीकरण की तरफ बढ़ते हैं तो हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि बड़े-बड़े उद्योगों के साथ हमें छोटे-छोटे उद्योगों का भी विकास करना चाहिए। इसके साथ-साथ जो किसान होते हैं वह अपनी अर्थव्यवस्था को ताकत देते हैं। इन्हीं की वजह से धान उगता है। इसीलिए हमें जो किसान होते हैं उन्हें भी आगे लाने के लिए प्रयत्न करने चाहिए। वैश्वीकरण के सकारात्मक पहलू में है और नकारात्मक पहलू भी है इस वजह से हमें दोनों तरफ ही अपना लक्ष्य केंद्रित करना चाहिए। इसके जो नकारात्मक पहलू है उन्हें हम बढ़ावा न देकर उसमें से हमारा फायदा किस तरह हो सकता है यह हमें देखना चाहिए।
Related Article: क्या प्राइवेट शिक्षण संस्थानों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए ?