On this page we have given a article on Debate in Hindi for Students. The name of the topic is मानव पीड़ा को कम करने का एकमात्र तरीका अपनी जरूरतों को नियंत्रित करना है
Debate – मानव पीड़ा को कम करने का एकमात्र तरीका अपनी जरूरतों को नियंत्रित करना है
आज मनुष्य के पास उसके जरूरत की सब चीज हैं। लेकिन उसे जरूर से ज्यादा ही चाहिए होता है। आज मानव को पृथ्वी माध्यम से सब कुछ मिला है। मानव की प्रमुख ज़रूरतें है अन्न, वस्त्र और निवारा। लेकिन यह जरूरत है पूरे होने के बाद भी उसे और कुछ ना कुछ चाहिए ही होता है। मानव की इसी आशा ने पृथ्वी का भी विनाश कर दिया है। पृथ्वी को हम जननी, माता मानते हैं। पृथ्वी ने हमें बहुत कुछ दिया है लेकिन इसके बदले हमने पृथ्वी को कुछ नहीं दिया। सिर्फ हमने उससे लिया है।
मानव को कभी भी संतुष्टता नहीं मिलती। जो भी मिलता है उसे चीज को वह और पानी की भाग दौड़ में लग जाता है। इस वजह से वह कभी शांत नहीं रह पाता। हर वक्त उसे यह चाहिए वह चाहिए इस के मोह वह में पड़ा रहता है और इस मोह की वजह से ही वह हमेशा पैसा कमाने की दौड़ में भागता रहता है। वह अपनी इच्छाओं को काबू में नहीं रख पाता। इस वजह से वह अपना शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और सामाजिक संतुलन को बैठता है। अपने परिवार से, अपने मित्रों से, समाज से बहुत दूर जाने लगता है। हमें पैसा कमाना बहुत जरूरी है लेकिन हर वक्त हम इसी भाग दौड़ में नहीं लगे रहे सकते। पैसा कमाने के साथ-साथ हमें अपने घर वालों को, अपने मित्रों को और समाज में भी वक्त देना उतना ही जरूरी होता है।
मनुष्य हमेशा ही पानी की चाह में दर्द सहकार रहता है वह दर्द मानसिक और बौद्धिक तौर पर होता है। हमारा पड़ोसी या फिर हमारा मित्र अगर कोई नई चीज खरीदें तो हमें उसके लिए आनंद होना चाहिए लेकिन वह चीज पास नहीं है तो इसी वजह से भी हमें बहुत पीड़ा होती है और वह चीज हमारे पास भी होनी चाहिए इस जहां में हम फिर से पैसे कमाने के दौड़ में लग जाते हैं।
मनुष्य को हमेशा कुछ ना कुछ पाने की इच्छा रहती है और इसी वजह से वह हमेशा दुखी और पीड़ित रहता है। वह कभी भी शांत, समाधानी नहीं रह सकता। हमारे पास जो है उसमें आनंद मानने के बजाय हम हमारे पास जो नहीं है सदैव उसका विचार करते रहते हैं और वह चीज हमें किस तरह से मिल सकती हैं इसके बारे में हम हमेशा ही सोचते रहते हैं और दुखी हो जाते है। इस वजह से हम अपने परिवार को भी वक्त नहीं दे पाते। परिवार तो दूर की बात है हम खुद को भी कभी वक्त नहीं देते। इसके बजाय हमारे पास जो भी है उसमें हमें शांति से और समाधानी तरीका से रहना सीखना होगा इसे ही हमें आनंद मिल सकता है।
मनुष्य को लगता है जितना ज्यादा हम पैसा कमाएंगे उतने ही हम आत्मनिर्भर होते जाएंगे हमें जो चाहिए वह चीज हम खरीद सकेंगे और हमें उन चीजों से आनंद मिलेगा। लेकिन मनुष्य को यह समझ में नहीं आता की चीज आनंद लेकर हमारे पास जो चीज होती है वह हमारी आय बताती है। हमारे पास कितना आनंद है यह वह चीज नहीं बता सकती। अगर जिस चीज की हम आशा रखते हैं वह चीज हमें नहीं मिलती तो हम दुखी हो जाते हैं हम बहुत निराश होने लगते हैं हमारे आसपास के लोगों पर हमें चिडचिडाहट होने लगती है इस वजह से वे भी निराश हो जाते हैं। सभी वातावरण ही दुखी हो जाता है।
इसके विपरीत अगर हमारे पास जो भी है उसमें हम समाधान ही रहेंगे तो हमारे जीवन में ज्यादा से ज्यादा आनंद आ सकेगा। हम भी और हमारे आसपास के लोग भी बहुत खुश रह सकेंगे। अगर हमें खुश रहना है तो हमारे पास जो पैसे हैं उसे जरूर की चीजों के लिए ही खर्च करना होगा। पैसों का दुरुपयोग कभी नहीं करना चाहिए। बड़ों की बातें माननी चाहिए हमारे परिवार को जब हम वक्त देते हैं तो हमारा परिवार खुश हो जाता है और इसकी वजह से हम भी आनंदी रहने लगते हैं।
जब हम अपनी जरूरत को नियंत्रित करेंगे तब हमारा खर्चा भी कम होने लगता है। अन्न, वस्त्र और निवारा यह हमारी मूलभूत आवश्यकता है। अगर यह तीनों अच्छे से पूरी हो जाती है तो हमें किसी भी चीज के लिए आसक्त नहीं होना चाहिए। इस वजह से हम तनाव मुक्त जीवन जी सकेंगे। इस वजह से हम हमेशा ही खुश रहेंगे और अपने आसपास के लोगों को भी खुशहाल जीवन दे सकेंगे। मनुष्य अपनी जरूरत को पूरी करने के लिए ही कार्य करता रहता है अगर वह जरूरत थी उन कार्यों से पूरी होती है तो हमें अपना जीवन शांति और संतोष से बिताना चाहिए।
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