Chhattisgarh State Class 7 Hindi Chapter 20 लक्ष्य – बेध Solution
Chhattisgarh State Board Class 7 Hindi Chapter 20 लक्ष्य – बेध Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
लक्ष्य – बेध
1.) लेखक के अनुसार लक्ष्य भेद का मूल मंत्र क्या है और क्यों?
संसार के मनीषियों और कर्मठ पुरुषों ने लक्ष्य भेद के अनेक उपाय बताए हैं। पर जीवन में सफलता का एक ही मंत्र है जो कभी भी निरर्थक नहीं हुआ है। हमारे कोष में एक शब्द है तन्मयता। यह शब्द ही जीवन में लक्ष्य भेद या कार्य सिद्धि का मूल्य मंत्र है।
2.) किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति में तन्मयता की क्या भूमिका है?
तन्मयता मतलब अपने लक्ष्य पे ध्यान केंद्रित करना। उसिको पानेकी इच्छा रखना। आप कुछ भी कार्य कर रहे हो लेकिन इस वक्त आपको आपके लक्ष्य ओर हि ध्यान रहना चाहिए। यही तन्मयता का अर्थ है।
3.) पाठ में तन्मयता के उदाहरण कौन–कल से हैं ?
पहली घटना महाभारत की है। आचार्य द्रोण सभी राजकुमारों को धनुर्विद्या सीखा रहे थे। तभी अर्जुन ने कहा के मुझे सिर्फ उस चिड़िया की आंखें दिखाई दे रही है। और दूसरा उदाहरण यह है कि जब मराठों ने सिहागढ़ पर हमला किया था। उनका नेता मारा गया और मराठा सैनिक भागने लगे। तब सूर्या जी ने पीछे जाने के सभी रास्ते बंद कर दिए। जब उन्होंने देखा के रसिया काट दी गई है। अब भागने का कोई उपाय नहीं है। तब वे ऐसे लड़े कि सिहागढ़ पर विजय पा लिया।
4.) प्रसिद्ध धनुर्धर अर्जुन के लक्ष्य भेद से संबंधित में कौन सी कथा है
गुरुदेव सभी राजकुमारों को धनुर्विद्या सिखा रहे थे तब उन्होंने एक रक्षा के ऊपर बैठी चिड़िया की आंखों की पुतली के लक्ष्य भेज करने कहा। सभी ने लक्ष्य भेद n करने के लिए अनेक कारण दिए। लेकिन अर्जुन ने कहा के मुझे सिर्फ चिड़िया की आंखे दिखाई दे रहीं है। तब आचार्य ने उसकी पीठ थपथपाई। यह कथा प्रसिद्ध धनुर्धर अर्जुन के लक्ष्य भेद से संबंधित कही जाती है।
5.) सिंहगढ़ के किले को मराठे कैसे जीत पाए ?
सिंहगढ़ पर लड़ाई करते वक्त मराठों का सेनापति मारा गया। तभी सभी सैनिक भागने लगे। तब सूर्यजी ने जिस रस्सी के सहारे मराठे ऊपर आए थे वह रस्सी कांट दी। जब पीछे जाने के रास्ते बंद हो गये तब सभी सैनिक जन की बाजी लगाकर लड़ने लगे और इस वजह से उन्हें जीत हासिल हो गई।
6.) कुतुबनुमा की सुई हमें क्या सीख देती है ?
कुतुबनुमा की सुई हमें यह सिखाती है कि हमें एक दिशा और एक लक्ष्य में ही अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हमारे जीवन में हमने जो मार्ग तय किया है उससे भटकाने के लिए बहकाने के लिए बहुत से प्रकाश आएंगे। लेकिन हमें अपने कर्तव्य और सत्य पर अड़े रहना चाहिए। अपने उद्देश्य की सुई को ध्रुव तारे की ओर से कभी ना हट ने देना चाहिए।
7.) संसार में काम करनेवाले कैसे–कैसे लोग हैं?
संसार में काम करने वाले बहुत लोग हैं। कही लोग काम को बोझ समझते है। तो कही लोग पूरे मन से कम करते है। एकनिष्ठ होकर काम करने वाले बहुत कम लोग हैं। लेकिन यही लोग सफल हो पाते है।
8.) लेखक के अनुसार लक्ष्य भेद के लिए क्या आवश्यक है ?
हमे अपने लक्ष्य के तरफ ही अपना ध्यान केंद्रित करना चहिए। हमे अपने लक्ष्य को चुनकर अपने मन और बुरी शक्तियों से अपने लक्ष्य की ओर चले जाना चाहिए। दुनिया को भूल जाना चाहिए। केवल अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
पाठ से आगे
1.) आप सभी अपने–अपने लक्ष्य की कल्पना कीजिए तथा सोचिए कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति कैसे करेंगे। आपस में चर्चा कर लिखिए।
अगर हमने अपना लक्ष्य तय किया है तो हमें उस तक पहुंचने का मार्ग भी निश्चित करना चाहिए। उस मार्ग पर चलते वक्त कितनी भी कठिनाइयां आए, कितनी भी मुश्किलें आए हमें डर कर पीछे नहीं हटना है। हमें डटकर उन परिस्थितियों से मार्ग निकालकर उस रास्ते पर चले जाना चाहिए और अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहिए।
2.) अर्जुन की जगह आप होते तो अपने गुरु के प्रश्नों का आप क्या क्या उत्तर देते? कल्पना कर अपने उत्तर लिखिए।
अर्जुन की जगह अगर हम होते तो हम अपने गुरु को कहते की हमें कुछ और नहीं दिखाई देता फिर चिड़िया की आंखें दिखाई देती है।
3.) लक्ष्य से सफलता और असफलता जुड़ी हुई है। परीक्षा में सफल होना आपका लक्ष्य होता है तो इसमें अपनी सफलता के लिए क्या–क्या करना चाहेंगे? आपस में चर्चा कर लिखिए।
अगर हमारा लक्ष्य है और उस पर चलने का अपना मार्ग है तो हमें उस मार्ग पर आनेवाली कठिनाइयोंके बरेमे भी हमे सोचना चाहिए। उसके लिए हमे पहले ही तैयारी करनी चाहिए।
4.) आचार्य द्रोणाचार्य द्वारा ली गई परीक्षा में अर्जुन के अतिरिक्त सभी राजकुमार क्यों असफल हो गए साथियों से बातचीत कर इस प्रश्न का उत्तर लिखिए।
आचार्य द्रोणाचार्य द्वारा ली गई परीक्षा में अर्जुन के अतिरिक्त सभी राजकुमार और सफल हो गए क्योंकि उन्हें अपने लक्ष्य के अलावा सब कुछ दिखाई पड़ रहा था। लेकिन उन्हें जिस का भेद करना है वहीं लक्ष्य उन्हें दिखाई नहीं दे रहा था इसीलिए सभी और सफल हो गए।
5.) मराठा सेनापति सूर्याजी द्वारा सिंहगढ किले पर जीत के लिए किले की ओर वाली रस्सी का हिस्सा काटा जाना क्या उचित प्रतीत होता है ? शिक्षक और साथियों से बातचीत कर इसका उत्तर लिखिए।
मराठा सेनापति सूर्याची द्वारा सिंहगढ किले की ओर वाली रस्सी का हिस्सा काटा जाना उचित है क्योंकि अगर वह रस्सी काटी नहीं गई होती तो सभी मराठा सरदार पीछे हट जाते और सिंहगढ मराठों को कभी हासिल नहीं होता।
भाषा से
1.) पाठ में इस प्रकार के प्रयोग आपको देखने को मिलेंगे, जैसे उस परीक्षा, इस प्रश्न जिस क्षण उनका नेता. जब मराठे शब्दों का इस प्रकार का 1 प्रयोग सार्वनामिक विशेषण के उदाहरण है। अर्थात् जब कोई सर्वनाम शब्द का संज्ञा शब्द से पहले आना तथा वह विशेषण शब्द की तरह संज्ञा की विशेषता बताना। पाठ से सार्वनामिक विशेषण के उदाहरणों को खोज कर लिखिए।
अपना लक्ष्य
आपका जीवन
उसकी आंख
उनका नेता
उसकी दिशा
अपनी एकाग्रता
2.) पाठ में समानोच्चरित शब्द या समोच्चरित शब्द का प्रयोग हुआ है। ये शब्द सुनने और उच्चारण करने में समान प्रतीत होते हैं, किन्तु उनके अर्थ भिन्न–भिन्न होते हैं। जैसे– और (तथा) और ( तरफ )। चौक ( चौराहा ), चौक (चौक जाना, आश्चर्य में पडना)।
ऐसे ही समान उच्चारण वाले शब्दों को पांठ से ढूंढ कर लिखिए।
बलि – बलिदान
बली – वीरों का नाम
कुल- वंश
कूल – किनारा
सूत – धागा
सुत – पुत्र
केश – बाल
केस – कोर्ट मे चलने वाला मुकदमा
.निम्नलिखित शब्दों के जोड़े दिए गए हैं। इनका अपने वाक्यों में इस प्रकार प्रयोग कीजिए जिससे उनके अर्थ स्पष्ट हो सके- अवधि-अवधी, गाडी- गाढ़ी उतर-उत्तर, प्रमाण-प्रणाम दिन-दीन, देव-दैव, धन-थान, पक्का-पका।
अवधि- मुझे यह काम पूरा करने के लिए थोड़ा अवधि चहिए।
अवधी- अवधी एक भाषा है।
गाडी- उसने नई गाड़ी ले ली।
गाढ़ी- उस पत्ते का रंग गाढ़ा है।
उतर- सभी दोस्त घाटी में उतरे।
उत्तर- रामू ने सभी प्रश्नों के उत्तर दिए।
प्रमाण- छोटी झूठ नही बोल रही है। इसका उसने प्रमाण दिया।
प्रणाम- बडोंको हमेशा प्रणाम करना चहिए।
दिन- आजका दिन अच्छा है।
दीन- वे लोग रास्ते के किनारे रहते है। वे दीन है।
देव- मंदिर जाके देवोंको प्रणाम करना चाहिए।
दैव- काम के साथ साथ हमरा दैव भी अच्छा होना चाहिए।
धन- पर्याप्त मात्रा में सबको धन कमाना चाहिए।
धान – किसान मेहनत करके धन उगाते है।
पक्का- दीदी का रिश्ता पक्का हो गया हैं।
पका- आम का फ़ल पका हुआ है।
3.) संसार और परिवार जैसे शब्दों में इक प्रत्यय लगाकर सांसारिक और पारिवारिक शब्द बनते हैं। इसी प्रकार से निम्नलिखित शब्दों में इक प्रत्यय का प्रयोग कर शब्द बनाइए–
स्वभाव, तर्क, अलंकार, न्याय, वेद, व्यापार, लोक, विज्ञान, व्यवहार, समर
स्वभाव+ इक = स्वाभाविक
तर्क+ इक = तार्किक
अलंकार+ इक = अलंकारिक
न्याय+ इक = न्यायिक
वेद+इक = वैदिक
व्यापार+ इक = व्यापारिक
लोक+इक = लौकिक
विज्ञान+इक = वैज्ञानिक
व्यवहार+इक = व्यवहारिक
समर + इक= सामरिक
4.) पाठ में प्रयुक्त हुए निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्दों को लिखिए– असफलता. एकाग्र केन्द्रित, एकनिष्ठ, प्रच्छन्न इच्छा, निश्चित, मतलब, विजय, संचालक ।
असफलताही- सफलता
एकाग्र- विचलित
केन्द्रित- विकेंद्रित
एकनिष्ठ- बहुनिष्ठ
प्रसन्न – अप्रसन्न
इच्छा- अनिच्छा
निश्चित- अनिश्चित
मतलब- निस्वार्थ
विजय- हार
संचालक- बिगाड़
Read Previous Chapters:
- Chapter 1 कुछ और भी दूं
- Chapter 2 प्रेरणा के पुष्प
- Chapter 3 विद्रोही शक्ति सिंह
- Chapter 4 मौसी
- Chapter 5 सरद रितु आ गे
- Chapter 6 सदाचार का तावीज
- Chapter 7 रात का मेहमान
- Chapter 8 भिखारिन
- Chapter 9 त्यागमूर्ति ठाकुर प्यारेलाल सिंह
- Chapter 10 सितारों से आगे
- Chapter 11 कोई नहीं पराया
- Chapter 12 प्रेरणा स्त्रोत मेरी मां
- Chapter 13 सुभाषचंद्र बोस का पत्र
- Chapter 14 भारत बन जाही नंदनवन
- Chapter 15 शतरंज में मात
- Chapter 16 काव्य माधूरी
- Chapter 17 वर्षा – बहार
- Chapter 18 मितानी
- Chapter 19 शहीद बकरी
- Chapter 21 सुवागीत
- Chapter 22 सुब्रह्मण्य भारती
- Chapter 23 राजीव गांधी