Chhattisgarh State Class 7 Hindi Chapter 11 कोई नहीं पराया Solution
Chhattisgarh State Board Class 7 Hindi Chapter 11 कोई नहीं पराया Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
कोई नहीं पराया
1.) कवि को मानवता पर क्यों अभिमान है ?
कवि सभी धर्म से ऊपर मानवता धर्म को मानता हैं। इसी धर्म का पालन करता है। कवि कहता है की मेरे लिए सबसे ऊपर मानव है। मैं उसीको अपना आराध्य मानता हुं। मानवता धर्म कवि के लिए भगवान से भी बड़ा है। इसी लिए कवि को मानवता पर क्यों अभिमान है ।
2.) जात–पाँत के बंधनों ने मानवता को क्या हानि पहुँचाई है ?
जात पात के वजह से आदमी आदमी से नफरत करने लगा है। जात पात के नाम पर हमेशा ही सब जगह दंगे होते है। मनुष्य मनुष्य से द्वेष करता है। एक दूसरे के मदद के लिए कोई खड़ा नहीं होता। सभी एक दूसरे को नफरत की नज़र से देखते है। जात-पाँत के बंधनों ने मानवता को यह हानि पहुँचाई है।
3.) स्वर्ग–सुख की सुकुमार कहानियों को कवि क्यों नहीं सुनना चाहता है ?
कवि को धरती पर जो सुख मिलता है, वह स्वर्ग से भी अधिक सुंदर सुकुमार है। ऐसा कवि कहते है। इसीलिए स्वर्ग-सुख की सुकुमार कहानियों को कवि नहीं सुनना चाहता है।
4.) कवि संसार को क्या सिखाना चाहता है ?
कवि सभी संसार को कहते है की हम मानव है और हमे सबके साथ अच्छी तरह से पेश आना चाहिए । सबसे ऊपर मानवता धर्म हैं। हमे उस धर्म का पालन करना चाहिए। हमारी खुशियां सबके साथ बांटनी चाहिए। खुद भी हंसना चाहिए और दूसरों को भी हसाना चाहिए।
5.) जंग लगी जजीर किसे और क्यों कहा गया है ?
कवि ने जंग लगी जंजीर देश काल को कहा है। वह कहते है की मुझे असीम मत घसीटो। मुझे सबसे प्यारा धर्म मानवता है। जिन्होंने मानवता को जात पात के बंधनों से बंधा है उनके साथ मुझे मत बांधो।
6.) धर्म को कवि ने कुछ स्याह शब्दों का गुलाम क्यों कहा है ?
ईश्वर एक ही है। लेकिन मनुष्य ने उसे राम, रहीम, अल्लाह कहकर बांट दिया हैं। मनुष्य ने ईश्वर को अलग अलग नाम दिए हैं। इसीलिए कवि ने धर्म को कुछ स्याह शब्दों का गुलाम कहा है।
पाठ से आगे
1.) कवि देवत्व और अमरत्व के स्थान पर मनुजत्व को स्वीकारने की बात क्यों करता है ?
कवि कहते है कि, मनुष्यत्व सबसे बड़ा धर्म है। कवि भी किसी भी धर्म से ऊपर मानवता का धर्म मानता हैं। इंसान इस दुनिया में कही भी रहे प्यार से रहे। कवि को इस दुनिया में प्रेम भावना से ज्यादा कोई भावना प्रिय नही है। इसीलिए कवि देवत्व और अमरत्व के स्थान पर मनुजत्व को स्वीकारने की बात करते हैं।
2.) कविताएँ सभी जाति और धर्म में प्यार और सद्भाव का संदेश देती है. परन्तु हमारे समाज में ऐसा देखने को क्यों नहीं मिलता? साथियों से बात कर अपनी समझ को लिखिए।
सभी कविताएं जाति और धर्म में प्यार और सद्भाव का संदेश देती हैं। लेकिन मानव आज भी पुराने रीति रिवाजों में बंधा हुआ है। वह ये बेडिया छोड़ना नहीं चाहता। इसीलिए हमारे समाज में जात पात के नाम पे दंगे होते हैं।
3.) कवि के मनोभावों को सार्थक करते हुए अगर हर व्यक्ति संसार को अपना घर मानने लगे तो हम जिस समाज में रहते हैं उस समाज की दशा / स्थिति कैसी होगी? चर्चा कर लिखिए।
अगर हर व्यक्ती संसार को अपना घर मानने लगे तो सब लोगोंका विकास होगा और इसके साथ साथ देश का भी विकास होगा। सब लोग प्यार से रह सकेंगे। कहीं पर भी दंगे नहीं होंगे। सभी लोग एक साथ प्यार से रह सकेंगे।
4.) कवि बनावटी दुनिया को छोड़कर वास्तविक जीवन में मिल–जुलकर रहने पर जोर दे रहा है। यहाँ बनावटी दुनिया और वास्तविक जीवन से आप क्या समझते हैं लिखिए।
वास्तविक जीवन मतलब कवि सभी लोगोंको मिलजुलकर मानवता का धर्म अपनाकर रहने के लिए कहता है। जात, धर्म के नाम पर एक दूसरे से द्वेष मत करो यह कवि कहता है। यह दुनिया कवि के लिए बनावटी है। और जहा पर लोग मानवता धर्म को मानते हैं वह दुनिया वास्तविक दुनिया है।
5.) आप विचार कर लिखिए कि मनुष्य मनुष्य के बीच नफरत की दीवारों को कौन खड़ा करता है. और इस संदर्भ में हमारी क्या भूमिका होनी चाहिए?
मनुष्य मनुष्य के बीच जात धर्म के नाम पर नफरत की दीवारें खुद मनुष्य ही निर्माण करता है। हमे इन दीवारों को खत्म कर देना चाहिए। और मानवता धर्म अपना कर सबके साथ प्यार से रहना चाहिए।
भाषा से
1.) पाठ में आए हुए निम्नलिखित शब्दों को ध्यान से देखिए मैं जंग, बॉट, जंज़ीर, हँसना, बँधा, ऊँची, मंदिर, संसार, इंसान कहानियाँ ये शब्द अनुस्वार और चन्द्रबिन्दु के प्रयोग के कारण अनुनासिक कहे जाते हैं। अनुनासिक स्वर की ध्वनि मुख के साथ–साथ नासिका द्वार से निकलती है अतः अनुनासिक को प्रकट करने के लिए शिरोरेखा के ऊपर बिंदु या चंद्र बिंदु का प्रयोग करते है। (शब्द या वर्ण के ऊपर लगाई जाने वाली रेखा को शिरोरेखा कहते हैं)।
बिंदु या चंद्रबिंदु को हिंदी में क्रमश अनुस्वार और चंद्रबिन्दु कहा जाता है।
अनुस्वार और अनुनासिक में अंतर-
- अनुनासिक स्वर है जबकि अनुस्वार मूलतः व्यजन ।
- अनुनासिक को परिवर्तित नहीं किया जा सकता जबकि अनुस्वार को वर्ण में बदला जा सकता है।
- वे शब्द जिनकी मात्राएँ शिरोरेखा से ऊपर न लगी हों जैसे अ आ उ ऊ के ऊपर . अनुनासिक के लिए चंद्रबिन्दु का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के रूप में हँस, चाँद, पूँछ ।
- शिरोरेखा से ऊपर लगी मात्राओं वाले शब्दों में अनुनासिक के स्थान पर अनुस्वार अर्थात बिंदु का प्रयोग ही होता है, जैसे गोंद कोपल जबकि अनुस्वार हर तरह की मात्राओं 4 वाले शब्दों पर लगाया जा सकता है.
हम यहाँ जानने का प्रयास करते हैं कि जब अनुस्वार को व्यंजन मानते हैं तो इसे वर्ण में किन नियमों के अंतर्गत परिवर्तित किया जाता है। जैसे कंबल, झंडा, धंधा को कम्बल.. झण्डा, धन्धा के रूप में उस वर्ग के पंचम अक्षर के साथ लिखा जा सकता है. अर्थात धंधा शब्द का अनुस्वार हटाना है तो अनुस्वार के बाद वाले वर्ण के पंचम अक्षर का प्रयोग करते हैं।
जैसे कंबल शब्द के अनुस्वार को वर्ण में बदलना है तो अनुस्थार के बाद ‘ब’ वर्ण के पंचम अक्षlर ‘म का प्रयोग कर अनुस्वार को वर्ण में बदला जा सकता है। जैसे- कम्बल ।
2.) कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है यहाँ पर संसार शब्द के पर्याय के रूप में जग विश्व, जगत, लोक, दुनियाँ, भव, आदि हैं और हर शब्द की महत्ता वाक्य, विषय और काल के अनुसार विशिष्ट होती है। जैसे–
.दुनियाँ में तरह-तरह के लोग होते हैं।
.ताजमहल विश्व की प्रसिद्ध इमारत है।
इसी प्रकार से जल, पक्षी, सूर्य सोना, धरती शब्द के दो-दो पर्यायवाची खोजकर सटीक वाक्यों में उनका प्रयोग कीजिए।
जल-
जल ही जीवन हैं।
सभी सजीव के लिए पानी जरूरी होता हैं।
पक्षी-
सुबह सुबह पक्षी चहचाहते रहते हैं।
पक्षियों को द्विज भी कहा जाता है।
सूर्य-
सुबह सुरज उगते वक्त नजारा अच्छा दिखता हैं।
सूर्य को हम मित्र के नाम से भी जानते हैं।
सोना-
हमारा चेहरे पर स्वर्ण जैसे तेज होना चाहिए।
सोना इस धातु के अलंकार तैयार किए जाते हैं।
धरती –
भूमी हमारे लिए मां के समान होती है।
किसान धरती पर फैसले उगाते है।
Read Previous Chapters:
- Chapter 1 कुछ और भी दूं
- Chapter 2 प्रेरणा के पुष्प
- Chapter 3 विद्रोही शक्ति सिंह
- Chapter 4 मौसी
- Chapter 5 सरद रितु आ गे
- Chapter 6 सदाचार का तावीज
- Chapter 7 रात का मेहमान
- Chapter 8 भिखारिन
- Chapter 9 त्यागमूर्ति ठाकुर प्यारेलाल सिंह
- Chapter 10 सितारों से आगे
- Chapter 12 प्रेरणा स्त्रोत मेरी मां
- Chapter 13 सुभाषचंद्र बोस का पत्र
- Chapter 14 भारत बन जाही नंदनवन
- Chapter 15 शतरंज में मात
- Chapter 16 काव्य माधूरी
- Chapter 17 वर्षा – बहार
- Chapter 18 मितानी
- Chapter 19 शहीद बकरी
- Chapter 20 लक्ष्य – बेध
- Chapter 21 सुवागीत
- Chapter 22 सुब्रह्मण्य भारती
- Chapter 23 राजीव गांधी