Chhattisgarh State Class 7 Hindi Chapter 1 कुछ और भी दूं Solution
Chhattisgarh State Board Class 7 Hindi Chapter 1 कुछ और भी दूं Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
कुछ और भी दूं
1.) कवि देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर क्यों करना चाहते हैं ?
कभी के मन में अपनी राष्ट्र के लिए अपने दिल में बहुत प्रेम हैl वह देश के लिए अपनी जान भी न्योच्छावर कर सकता है।
2.) माँ के किस ऋण की बात कवि कहते हैं ?
माँ मतलब धरती माँ हमे फल-फूल, औषधी, धान्य देती है। इसके बदले वह हमसे कुछ नहीं लेती। माँ के इस ऋण की बात कवि करते हैं।
3.) कुछ और देने की चाहत कवि को क्यों है ?
कवि के लिए सबसे बडी भारत माता है। भारत माता हमसे सबसे ज्यादा प्यार करती है। इसके बदले कवि अपनी जान देश को समर्पित करने के लिए तैयार है। इससे भी ज्यादा अगर कुछ उनके पास है तो वह भी वे देश को समर्पित कर सकते है।
4.) कवि स्वयं को अकिचन क्यों कह रहे हैं ?
हमरा भारत देश हमारी धरती माता हमें बहोत कुछ देती है। फल-फूल, औषधी, धान्य, खनिज यह संपत्ती बहुत मात्रा में है। यह सब वह हमको देती है लेकिन इसके बदले वह हमसे कुछ नहीं लेती यह रोल धरती मां का हमारे ऊपर है इस रूम के सामने मैं कुछ भी नहीं बिल्कुल तुच्छ हुं, मतलब अकिचन हूं। ऐसा कवि कहते हैं।
5.) क्या स्वीकार करने का आग्रह कवि राष्ट्र माँ से कर रहे हैं ?
कवि राष्ट्र माँ यह कहते है की, जब मेरा सिर मैं एक थाली में रखकर तुम्हारे पास लेकर आउँ तो यह भेट तुम स्विकार कर लेना।
6.) चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ पक्तियों के माध्यम से कवि किन भावों को व्यक्त करना चाहते हैं?
कवि देश को धरती को कुछ देना चाहते है। वे उनके पास जो सबसे मौल्यवान वस्तु है वह देश के लिए समर्पित करना चाहते है। अगर वे अपने पास कि कोई वस्तु देश को दे देंगे तो वह कृतकृत्य हो जाएगा। इसे वे अपना सौभाग्य समझते हैं।
पाठ से आगे
1.) स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित आयु का क्षण–क्षण समर्पित इस कविता को पढ़ने के बाद आपको क्या महसूस होता है? यह कविता पाठ की अन्य कविताओं जैसी है या उससे अलग है। अपने शब्दों में लिखिए।
हमारा देश हमारी भारत माता हमारे लिए सबसे ऊपर होनी चाहिए। इस कविता को पढ़कर ऐसा लगता है कि भारत माता हमारे लिए सब कुछ होनी चाहिए। हमारे पास जो भी है जो भी हम उन्हें दे सकते हैं वह हमें उनको देना चाहिए। हम जितनी सेवा भारत माता की कर सकते हैं उतनी करनी चाहिए। इस कविता को पढ़कर हमारे मन में देश प्रेम की भावना जागृत होती है। स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित आयु का क्षण-क्षण समर्पित इसका मतलब हमारे जीवन का एक-एक पल हमें भारत माता के चरणों में प्रदान करना चाहिए। हमें भारत माता के लिए हमारे आयु का एक-एक क्षण समर्पित करना चाहिए।
2.) इस कविता में कवि राष्ट्र के प्रति अपना सब कुछ अर्पित करने की बात करता है। क्या आपको लगता है कि हमारे आस–पास के लोग इसके लिए तैयार है? लिखिए
अगर हमारे देश के लिए हमारे राष्ट्र के लिए हमें कुछ देना पड़े तो हमें उसके लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। हमारा भाव ऐसा होना चाहिए हम कभी भी देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं। जब राष्ट्र की बात आती है तो हमें बाकी सब कुछ भुला देना चाहिए और सिर्फ राष्ट्र के हित में विचार करना चाहिए।
3.) अपनी माँ और राष्ट्र माता में आपको क्या फर्क लगता है ? अगर हम सब अपनी माँ के सम्मान के प्रति उत्तरदायी हैं, तो स्वाभाविक रूप से राष्ट्र माता के प्रति भी हम समर्पित होंगे। विचार कर लिखिए।
हमारे लिए जैसे हमारी मां होती है वैसे ही हमारी राष्ट्र माता, हमारी मां है। जैसे हमारी माता सदैव हम से प्रेम करती है, वैसे ही हमारी राष्ट्र माता हमेशा कुछ न कुछ देती ही रहती है। ऐसे ही जैसे हमारे मां को चोट लगने से हमें दुख होता है, वैसे ही हमारे राष्ट्रपर कोई आंच आ जाए तो हमें दुख होना चाहिए। हमें सदैव अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
4.) राष्ट्र के प्रति हमारे समर्पण में आपको क्या बाधक लगती हैं ?साथियों के साथ विचार कर अपनी समझ को लिखिए।
राष्ट्र के प्रति हमारी समर्पण में हमें हमारे राजकीय तत्व, सामाजिक- जातीय तेढ, स्वार्थ की भावना यह बातें बाधक लगती है।
भाषा से
1.) इस कविता में बहुत से तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है जैसे ऋण, अकिंचन, भाल, अर्पण, चरण, ध्यज, सुमन, नीड़, तृण आदि इन शब्दों का छतीसगढ़ी भाषा में क्या प्रयोग प्रचलित है उन्हें खोज कर वाक्य में प्रयोग कीजिए।
ऋण
आपने मुझ पर बहुत ऋण किए हैं।
अकिंचन – छोटा
छोटे बच्चे बहुत मस्ती करते हैं।
भाल – माथा, सिर
मेरे भाल पर गुरु जी ने तिलक लगाया।
अर्पण – अरपण
मैं अपना जीवन भारत माता को अर्पण करना चाहता हूं।
चरण- गोंड
रामू अपने माता पिता के चरण हर रोज स्पर्श करता है।
ध्वज- धजा
15 अगस्त और 26 जनवरी को हम ध्वज फहराते हैं।
सुमन – पुष्प, फूल
गुरु को वंदन करते हुए हमने उनको फूल दिए।
नीड़ – चिरई
पक्षी अपने लिए नीड पेड़ों पर बनाते हैंl
तृण – घास
गाय घास चरती है।
2.) निम्नलिखित शब्दों के सही रूप को छांट कर लिखिए– न्यौछावर / न्योछावर, आशीश / आशीष, अकिंचन / अकीन्चन, सवीकार / स्वीकार, स्वाभाविक / स्वभाविक, आसय / आशय, अनुपरास / अनुप्रास, कृतज्ञ / क्रतग्य ।
न्यौछावर / न्योछावर -न्यौछावर
आशीश / आशीष – आशीष
अकिंचन / अकीन्चन – अकिंचन
सवीकार / स्वीकार – स्वीकार
स्वाभाविक / स्वभाविक- स्वभाविक
आसय / आशय – आशय
अनुपरास / अनुप्रास – अनुप्रास
कृतज्ञ / क्रतग्य – कृतज्ञ
3.) प्रस्तुत कविता में तुक के रूप में त, न और र वर्ग का बार–बार दुहराव देखने को मिलताहै। जहाँ वर्णों की बार–बार आवृत्ति होती है, उसे हम अनुप्रास अलंकार कहते हैं।
जैसे- गान अर्पित प्राण अर्पितI
रक्त का कण-कण समर्पित
पंक्ति में त वर्ण का दुहराव देखा जा सकता है पाठ में ऐसे अन्य पंक्तियों को ढुंढे जहाँ अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ हो।
1.) मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित
2.) बांध दो कसकर कमर पर ढाल मेरी
3.) स्वप्न अर्पित प्रश्न अर्पित आयु का क्षण क्षण अर्पित
4.) गांव मेरे द्वार घर आंगन क्षमा दो
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