Chhattisgarh State Board Class 9 Hindi Chapter 8 अकेली Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
Chhattisgarh State Class 9 Hindi Chapter 8 अकेली Solution
1.) पाँच रुपए और अंगूठी को आंचल में बांधते समय बुआ के मन में क्या विचार चल रहे थे?
पाँच रुपए और अंगूठी को आंचल में बांधते समय बुआ को बहुत बुरा लग रहा था। आज तक उसने बड़े बड़े आर्थिक संकटों का सामना किया था। लेकिन अपने पुत्र के अंगूठी को हाथ नहीं लगाया था। वह अंगूठी उनके पुत्र की आखिरी निशानी थी। आज उन्होंने वह अंगूठी उठाई तो उनका दिल धड़क गया। वह अंगूठी उठाते वग्त उनको बहुत बुरा लग रहा था। फिर भी उन्होंने पाँच रुपऐ और अंगूठी आंचल से बांधली।
2.) सोमा बुआ अपने पति की प्रतीक्षा क्यों नहीं करती थी?
सोमा बुआ के पति सन्यासी हो गए थे। बहुत पहले से ही उनको एकांत में रहना पसंद था। उनको किसी से मिलना जुलना पसंद नहीं था। लेकिन जब से उनके पुत्र का निधन हो गया, उन्होंने सन्यासी जीवन जीना शुरु कर दिया। वह साल के ग्यारह महीने हरिद्वार में रहते थे और एक महिना अपने घर आते। लेकिन जब भी आते हैं वह अपने पत्नी को अनाप शनाप ही बोलते थे। उन्होंने कभी अपनी पत्नी से प्यार से बात नहीं की। इसीलिए अब सोमा बुआ भी उनकी प्रतीक्षा नहीं करती थी। अपने पति के होते हुए भी सोमा बुआ को एक विधवा की तरह अपना जीवन बिताना पड़ रहा था। लेकिन सोमा बुआ को अब इसकी आदत हो चुकी थी। इसीलिए वह उनकी प्रतीक्षा नहीं करती।
3.) सोमा बुआ किशोरी लाल के घर मुंडन के कार्यक्रम में पहुंची तो उन्होंने वहां क्या हालात देखें? अपने शब्दों में लिखिएl
सोमा बुआ किशोरी लाल के घर मुंडन के कार्यक्रम में पहुंची तब उन्होंने देखा कि वहां पर कोई भी काम अच्छी तरह से संपन्न नहीं हो रहा है। ऐसे गाने गाए जा रहे थे जो विवाह के प्रसंग में गाए जाते है। उन्होंने भट्टी पर देखा तो समोसे कच्चे थे, गुलाब जामुन भी इतने कम थे के एक पंगत को भी पूरे नहीं पड़ेंगे। यह सब देखके सोमा बुआ ने कार्यक्रम की बागडोर अपने हात में ले ली।
4.) बुआ की सोच और नई फैशन वाली सोच में आप किस तरह का अंतर पाते हैं?
बुआ की सोच और नई फैशन वाली सोच में हमें बहोत अंतर पाते हैं। सोमा बुआ ने कार्यक्रम में जाने के लिए उनकी मद्द,करने के लिए किसिके न्योता का इंतजार नहीं किया। आज हम इस बातसे नाराज होकर बैठ जाते है। पहले जब ऐसी कहां रखे थे निमंत्रण भी बहुत पहले मिल जाता था लेकिन आज मोबाइल के जमाने में कार्यक्रम कब है इसके पहले दिन या उसी दिन निमंत्रण मिल जाता है कार्यक्रम में काम करने के लिए पहले आजू बाजू में रिश्तेदारों को बुलाया जाता था आज हम बाहर के लोगों की मदद लेते है।
5.) “मानो वे दूसरे के घर में नहीं अपने ही घर में काम कर रही हो” इस पंक्ति के माध्यम से तो सोमा बुआ के व्यक्तित्व के बारे में कौन-कौन सी बातें सामने आती है?
सोमा बुआ दुसरों के घर में काम करते हुए भी अपने घर में जैसा वह काम करती थी वैसे ही काम करती थी। पूरे मन से लगन काम पूरा करती थी। घर के सभी लोगों के साथ मिलजुलकर हंसी मजाक से रहती थी। किसीके मन को ठेस नहीं पहुंचाती थी। इससे उनका मिलनसार स्वभाव नजर आता है।
6.) कहानी में आए पात्र सोमा बुआ के पति, राधा भाभी और विधवा ननद के व्यक्तित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
सोमा बुआ के पति-
सोमा बुआ के पति ने उनके पुत्र की मृत्यु होने के बाद संन्यास अपना लिया था। वह ग्यारह महीने हरिद्वार में रहते थे और एक महीना अपने घर आकर रहते। लेकिन जब जब वे घर आते तब तब वह अपनी पत्नी से सही ढंग से बात नहीं करते थे। उनको एकांत पसंद था। सोमा बुआ का किसी से मिलना जुलना भी उनको पसंद नहीं था। वह हमेशा इस बात के लिए उन्हें टोकते रहते।
राधा भाभी –
राधा भाभी सोमा बुआ जहां रहती थी उनके ऊपर की मंजिल में वह रहती थी। उनके यहां वह किराए पर रहती थी। वह हमेशा सोमा बुआ का अकेलापन दूर करने की कोशिश करती। उनसे बात करती रहती। उनके साथ सुख-दुख बाटती रहती थी। उसके आने जाने से सोमा बुआ का दुख भी कम हो जाता था।
विधवा ननंद-
सोमा बुआ को एक ननंद थीl वह विधवा थीl उसके यहां शादी थी तो उन्होंने सोमा बुआ को बुलाया थाl वही एक थी जो सोमा बुआ को खुशहल देखना चाहती थी।
7.) आपके अनुसार कहानी का शीर्षक ‘अकेली’ क्यों है?
अकेली इस कहानी में सोमा बुआ के बारे में बताया गया हैl सोमा बुआ के पति को एकांत पसंद हैl उन्हें किसी के साथ मिल जुल कर रहना पसंद नहीं हैl सोमा बुआ के पुत्र का निधन हो गया है और पुत्र के निधन होने के बाद उनका पति हरिद्वार चला गया हैl वे वर्ष में सिर्फ एक महीना ही अपने घर रहने के लिए आते हैं और बाकी ग्यारह महीने वह हरिद्वार में रहते हैं। घर आकर भी बहुत सोमा बुआ से अच्छी तरह से बात नहीं करते। उनको सोमा बुआ का किसी के घर पर आना जाना पसंद नहीं है। पति होते हुए भी सोमा बुआ को विधवा की तरह रहना पड़ता है। वह अपना जीवन अकेले ही बिताती है। उनके पति की उनको किसी भी तरह की मदद नहीं होती। सभी ओर से सोमा बुआ अकेले ही अपना जीवन बिता रही है। इसीलिए इस कथा को अकेली यह शीर्षक दिया गया हैl
पाठ से आगे
1.) समधी के यहां से बुआ को बुलावा क्यों नहीं आया होगा? आपके अनुसार इसके क्या क्या कारण हो सकते हैं? लिखिए।
समधी के यहां से बुआ को बुलावा नहीं आया था, इसका कारण यह हो सकता है कि बुवा के प्रति बुआ के साथ नहीं रहते थे। इसके साथ साथ बुआ पुराने ख्यालों को थी। उनको आजकल के फैशन के बारे में पता नहीं था। अगर बुआ वह आ जाती तो उनके परिवार की कमी सबको दिखाई देती और वैसे भी उनके देवर की मृत्यु 25 साल पहले हो गई थी उनकी मृत्यु के बाद सोमा बुआ का उनके घर आना जाना बहुत ही कम हो गया था।
2). यदि समधी के यहां से बुआ को बुलावा आ जाता तो कहानी क्या होती है?
दि समधी के यहां से बुआ को बुलावा आ जाता तो बुआ को बहुत खुशी हो जाती। 25 साल जो संबंध टूट चुके थे बुआ को शादी के लिए निमंत्रित करने से बहुत संबंध अधिक दृढ़ हो जाते। बुआ के लिए यह सम्मान की बात होती।
3.) नई लाल -हरी चूड़िया पहनने के बाद बुआ सारे दिन हाथ को साड़ी के आचल से धक्के धक्के तेरी बुआ ने ऐसा क्यों किया होगा?
बुआ को अभी तक शादी के लिए निमंत्रण नहीं आया था। लेकिन बुआ ने शादी में जाने के लिए हर तरह की तैयारी की थी। उन्होंने नई लाल हरी चूड़ियां पहनी थी। आज तक वह सिर्फ मैली हुई चुडियाँ ही पहनती थी। आज उन्होंने नयी चूड़ियां पहनी थी, तो कोई उसे देख ना ले। अगर उनके पति ने उन्हें ऐसे देख लिया तो वह गुस्सा हो जाएंगे और अभी तक उन्हें शादी के लिए भी बुलाया नहीं था। इसीलिए उन्होंने अपनी चूड़ियों को आंचल से ढक के रखा था।
4.) शादी विवाह जैसी सामाजिक समारोहों में अक्सर व्यक्ति अपनी हैसियत से अधिक खर्च करता है और आर्थिक बोझ में दब जाता है। आपके अनुसार यह कहाँ तक उचित है?
शादी विवाह जैसे समारोह हमें व्यक्ति हद से ज्यादा खर्च करता है। शादी ब्याह जैसा समारोह हो जीवन में एक बार ही होता है लेकिन उसमें हमें अनावश्यक खर्च या अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च नहीं करना चाहिए। आज महंगाई बढ़ गई है, बाजार से सामान लाने के लिए हमें बहुत पैसे खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन फिर भी हमें फिजूल खर्च नहीं करने चाहिए। आवश्यकता के अनुसार ही में खर्च करना चाहिए। शादी ब्याह जैसे समारोह के लिए हम कर्ज निकालते हैं, आर्थिक बोझ तले दब जाते हैं और हमारे साथ साथ दूसरे बच्चों का भी भविष्य खतरे में डालते हैं। इसीलिए हमें शादी ब्याह जैसे समारोह में अपनी हैसियत से ज्यादा या जरूरत से ज्यादा खर्च नहीं करना चाहिए।
भाषा के बारे में
1.) इस पाठ में अनुनासिक ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए दो तरह के संकेतों चंद्रबिंदु (ँ)और बिंदु(ं) का प्रयोग हुआ है और अनुस्वार को व्यक्त करने के लिए बिंदु(ं) का उपयोग कई जगह हुआ है। कक्षा में समूह बनाकर नीचे दी गई सारणी में ऐसे शब्दों को खोजकर लिखिए।
अनुनासिक (ँ) | अनुनासिक(ं) | अनुस्वार(ं) |
पाँच | पापडों | पंकज |
आंँगन | उन्होंने | अंकुश |
माँ | चूड़ियों | बंद |
चाँदी | दिनों | मुंडन |
अँगुठी | हाथों | सन्यास |
2.) पाठ में आए अनुनासिक और अनुस्वार के उपयोग वाले शब्दों के अलावा ऐसे शब्दों का चयन कर एक सूची बनाइए जिसमें अनुनासिक और अनुस्वार का प्रयोग हुआ हो।
अनुनासिक (ँ) | अनुस्वार (ं) |
चाँद | पंगत |
आँसू | मंगल |
साँप | संत |
मुँह | गंगा |
3.) घर -बार, मिलना- जुलना, आस-पास, अभी-अभी आदि इस तरह के शब्दों पर प्रयोग में आते हैं, इस कहानी में भी आए हैं। कक्षा में समूह बनाकर इसी प्रकार के शब्दों को ढूंढकर सूची बनाइए एवं उन्हें निम्नांकित सारणी के अनुसार वर्गीकृत कीजिए।
दोनों समान शब्द | परस्पर विरोधी शब्द | विपरीत लिंगी शब्द | पहला सार्थक दूसरा निरर्थक शब्द | दोनों निरर्थक शब्द |
धीरे-धीरे | आना -जाना | पति -पत्नी | चाय – वाय | आयँ – बाँय |
जल्दी-जल्दी | खाना-पीना | मां बाबा | आस- पास | टाय-टाय |
नई- नई | जागना- सोना | नाना- नानी | रहन- सहन | नॅक – नॅक |
पास- पास | दाना -पानी | चाचा- चाची | मिलना – जुलना | माँक – माँक |
दूर-दूर | ऊपर -नीचे | स्त्रि-पुरष | नोक- झोंक | |
साथ – साथ | अंदर- बाहर |
4.) “समधीयोंका मामला ठहरा, सो भी पैसेवाले।”
क) यहां ठहरा शब्द से क्या आशय है?
संधियों का मामला है वह भी पैसे वाले यहां पर ठहरा इस शब्द का मतलब ‘है’ ऐसा है।
ख) ठहरा शब्द के लिए अलग-अलग अर्थ बताने वाले वाक्य लिखिए।
तुम जरा ठहर ठहर कर सांस लो।
वह बाजार में ठहरा हुआ है।
Read Previous Chapters
- Chapter 1 जीवन नही मरा करता है
- Chapter 2 गुल्ली डंडा
- Chapter 3 अपूर्व अनुभव
- Chapter 4 छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- Chapter 5 गद्दार कौन
- Chapter 6 कलातीर्थ खैरागढ का संगीत विश्वविद्यालय
- Chapter 7 बच्चें काम पर जा रहे हैं
- Chapter 9 जामुन का पेड़
- Chapter 10 रीढ की हड्डी
- Chapter 11 सुरज टघलत है
- Chapter 12 लोककथाएँ
- Chapter 13 नदिया- नरवा मां तँउरत हे
- Chapter 14 ग्राम्य जीवन
- Chapter 15 मेघालय का एक गांव मायलिनोंग
- Chapter 16 बूढ़ी पृथ्वी का दुख
- Chapter 17 सी. वी. रमन
- Chapter 18 प्लास्टिक कल का खतरा, आज ही जागें
- Chapter 19 विकसित भारत का सपना
- Chapter 20 पद
- Chapter 21 आ रही रवि की सवारी
- Chapter 22 अखबार में नाम
- Chapter 23 अपने हिस्से में लोग आकाश देखते हैं