Chhattisgarh State Board Class 9 Hindi Chapter 15 मेघालय का एक गांव मायलिनोंगExercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
Chhattisgarh State Class 9 Hindi Chapter 15 मेघालय का एक गांव मायलिनोंग Solution
1.) मायलिनोंग गांव में बने घरों व काॅटेज की क्या विशेषताएँ है?
मायलिनोंग यह भारत का सबसे स्वच्छ गांव है। इसके लिए इसे क्लीनस्ट विलेज इस नाम से भी पूरे भारत में जाना जाता है। इस गांव के घर व कॉटेज बांस के बने हुए हैं। यहां की बहुत सारी चीजें बास के लकड़ी से ही बनी रहती है। घर के छत, दीवारें, झाड़ू ऐसी बहुत सारी चीजें यहां पर लकड़ी और बाँस से ही बनती है। यहां पर अत्यधिक मात्रा में बरसात होती रहती है। इस वजह से यह सारी चिजें वाॅटर प्रूफ है। मतलब कितनी भी बरसात हो लेकिन पानी घर के अंदर नहीं आता। पूरे गांव में कहीं भी का कचरा या गंदगी दिखाई नहीं देती। सारी जगह पर स्वच्छता रहती है।
2.) पहाडं पर चढते हुए दृष्य को लेखिका ने अद्भुत क्यों कहां है?
पहाडं पर चढते हुए दृष्य को लेखिका ने अद्भुत कहां है, क्योंकि जब लेखिका पहाड़ों पर जा रही थी, तब उसे कार पर कुछ छोटी-छोटी बारिश की बूंदे दिखाई दी। उसे लगा कि अब भारी मात्रा में बरसात हो जाएगी। लेकिन जो गोबिन था उसने लेखिका से कहा कि मैडम यह बारिश की बूंदे नहीं है। यह बादल है। लेखिका कार से बाहर आ गई और उसने देखा तो वहा पर सचमुच बादल थे। बारिश का जरा भी नामोनिशान नहीं था। लेखिका जहां पर खड़ी थी वहां से चारों तरह सफेद बादल दिखाई दे रहे थे और बाकी कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। यह सब देखकर लेखिका से मुंह से अपने आप ही निकल गया कि यह तो बड़ा ही अद्भुत नजारा है।
3.) गावं के पुल का नाम “लाईव रुट ब्रिज” ही क्यों रखा गया होगा?
गावं के पुल का नाम “लाईव रुट ब्रिज” रखा गया क्योंकि यह ब्रिज वृक्षों के जड़ों से तैयार किया गया था। यह पेड़ जो थे इनके जड़ों को जोड़ा गया था। लेकिन बांधा नहीं था। प्राकृतिक रूप से यह जड़े एक दूसरे से जुड़ी हुई थी। यह ब्रिज थिलांग नदी पर बना था।
4.) “यह कोई एक दिन का काम नहीं होता न तो एक महीने का।” “लाईव रुट ब्रिज” के बारे में ऐसा क्यों कहां गया होगा?
यह जो लाइव रूट ब्रिज था। यह प्राकृतिक रूप से बना हुआ था। इसीलिए यह कोई एक दिन का काम नहीं होता नहीं एक महीने का। इसे बनने में 100 वर्ष लगते हैं। खासी जनजाति के जो लोग थे वह लोग ऐसे पुल बनाते थे। रबड़ के पौधों को विशिष्ट जगह पर लगाना पड़ता है। उसके बाद जब यह पौधे बड़े हो जाते हैं, तो इनको बाँसो की मदद से चोटी की तरह बांधा जाता है। यह जड़े प्राकृतिक रूप से रस्सी की तरह चिपक जाती है और आगे आगे बढ़ती रहती है। इस सारे प्रक्रिया में 100 साल लग जाते हैं।
5.) मायलिनोंग में किस प्रकार के पेड़- पौधे पाए जाते है? और स्थानीय लोग इनका किस – किस तरह से उपयोग करते है?
मायलिनोंग मैं खासतौर पर सुपारी, काली मिर्च, तेजपत्ता, बाँस, फूल, झाड़ू, कटहल, लीची, अनन्नास, संतरा, केला आदि के पेड़ मिलते हैं। बाँस, सुपारी, झाड़ू इन शब्दों का उपयोग यह लोग घर बनाने के लिए करते हैं। रबड़ और बाँस का उपयोग पुल बनाने के लिए, तेजपत्ता, काली मिर्च मसालों के लिए और फलों का उपयोग व्यापार के लिए किया जाता है।
6.) मायलिनोंग को एशिया और भारत का सबसे स्वच्छ गावं घोषित किया गया। ऐसी कौन कौन सी बातें विशेष बातें है जिनके कारण इसे यह सम्मान प्राप्त हुआ?
मायलिनोंग यह गांव स्वच्छ और सुंदर है। यहां के लोग अपने जीवन में प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करते हैं। जैसे कि कचरा रखने के लिए बांस की टोकरी या खाद भी यहापें कचरे से तैयार की जाती है। जगह-जगह सड़कों के किनारे साफ-सुथरे शौचालय बने हैं। यह गांव स्वच्छ और प्रदूषण विरहित है। निसर्ग सौंदर्य से भरा हुआ है। इसीलिए मायलिनोंग को एशिया और भारत का सबसे स्वच्छ गांव घोषित किया है।
पाठ से आगे
1.) मायलिनोंग में लोगों के नाम हमारे और आपके नामों से भिन्न रखे जाते है, जैसे- फेस्टीवल, एयरटेल, वोडाफोन, दिसंबर आदी
क) कल्पना करके लिखिए की मायलिनोंग के लोगों ने और कौन-कौन से नए नाम रखे होंगे?
मई, जुलाई, अगस्त, फरवरी, मंगल, शुक्रवार, बुधवार ऐसे नाम मायलिनोंग कि लोगों ने रखे हुए होंगे।
ख) सुखवार की काकी का नाम बुधवार बाई है। क्योंकी, वह बुधवार के दिन पैदा हुयी थी। इसी प्रकार आपके आसपास भी ऐसे लोग होंगे जिनके नाम से कोई न कोई रोचक बात जुडी होगी। अपने साथीयों व बडों से बातचीत करके ऐसे नामों व उसके बारे में पता किजिए और लिखिए।
आषाढ़ से आषाढी, श्रावण से श्रावणी, बारिश के मौसम में जन्म लिया इसलिए वर्षा, अक्षय तृतीया के दिन जन्म लिया इसीलिए अक्षया
2.) मायलिनोंग में कटहल के बडें तनों पर ही ट्री हाऊस बनाए जाते है तथा रबर के पेडों की जडों से ब्रिज तथा बाँस कि पेडों की नालियाँ, दीवारे आदी बनाई जाती है। यदि यही सब कुछ यहाँ बनाया जाए तो कौन कौन से पेडों का उपयोग किया जाएगा और क्यो?
पेड़ | क्यो? | |
ट्री हाऊस | बरगद | यह सारे पेड़ मजबूत होते हैं |
घर कि दिवारें | बाँस | |
घरों की छते | पलास के पत्ते | इन पत्तों का आकार बहुत बड़ा होता है |
यदि ब्रिज बनाना हो तो | बरगद के पेड़ |
3.) अपने किसी ऐसे प्राकृतिक स्थान का भ्रमण अपने परिवार या स्कूल के विद्यार्थियों के साथ किया होगा उसका वर्णन इस प्रकार कीजिए कि पढ़ने वाले उसे पढ़कर उस स्थान के बारे में अच्छे से समझ पाए।
कुणकेश्वर सिंधुदुर्ग जिले में स्थित एक गांव है। यहां पर शिव जी का बहुत बड़ा मंदिर है। समंदर के किनारे बसा हुआ यह एक गांव है। घूमने आने वाले लोगों के लिए यह एक तीर्थक्षेत्र और पर्यटन स्थल भी है। इसे दक्षिण की काशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर हर साल यात्रा भर्ती है। तीन दिन की यात्रा होती है। बहुत सारे लोग इस वक्त शिवजी के दर्शन करने कुनकेश्वर आते हैं। यहां के समुद्र में जो पत्थर है उस पर सौ शिवलिंग बनी हुई है।
4.) लेखिका ने हिंदी के लिए एक शब्द का प्रयोग किया है दुभाषी या अर्थात दो भाषा भाषी लोगों के बीच संवाद स्थापित करने वाला।
क) आपके आसपास लोग कौन-कौन सी भाषाएं बोली आप बोलते हैं? लिखिए।
हमारे आसपास हिंदी, अंग्रेजी, कोकणी यही भाषा बोली जाती है।
ख) यदि आपको कोई अन्य भाषा भाषी व्यक्ति से बात करना हो और आप एक दूसरे की भाषा नहीं जानते हो तब आप एक दूसरे से कैसे बात करेंगे?
यदि किसी ऐसे व्यक्ति से बात करनी हो जिसे हमारी भाषा नहीं आती तो हम उसे सांकेतिक भाषा या इशारों में बात करेंगे। आज हम सब लोगों के पास मोबाइल है। सामने वाले से बात करने के लिए हम उसका उपयोग करेंगे।
भाषा के बारे में–
1.) ‘जड़’ के लिए पाठ में कई विशेषण शब्दों का प्रयोग किया गया है जैसे- मजबूत, मोटी- मोटी, हवाई आदि।
इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों के लिए कौन-कौन से विशेषण शब्द प्रयोग किए जा सकते हैं? सोचकर लिखिए।
बादल- घने बादल
रास्ता – कच्चा रास्ता
बारिश- रिमझिम बारिश
पुल – मजबूत पुल
साड़ी – सुंदर साड़ी
पेड़- घना पेड़
नदी- बहती नदी
2.) पाठ में 1 शब्द प्रयुक्त हुआ है- अद्भुत नजारा इसमें से अद्भुत शब्द हिंदी का है और नजारा उर्दू का। हम बोलचाल में इस तरह से भाषाओं का मिलाजुला प्रयोग करते हैं। आप इस तरह के कुछ अन्य शब्द खोज कर लिखिए।
उसका दोस्त
कल की तारीख
मां का इंतजार
सालाना कार्यक्रम
चाचा से गुजारिश
रात का ख्वाब
3.) बाँस व सड़क दोनों संज्ञा व्यंजनात है। लेकिन बाँस का बहुवचन बाँस ही रहता है पर सड़क का सड़के हो जाता है।
जैसे – दस सड़के कई सड़कें
दस बाँस कई बाँस
पाठ में अन्य सभ्य ढूंढिए और बहुवचन बनाने के नियमों पर चर्चा कीजिए।
रास्ता- रास्ते
यात्रा- यात्रा
जंगल -जंगल
समंदर- समंदर
गाड़ी -गाड़ीयों
पहाड़ -पहाड़
भाषा -भाषाएँ
योग्यता विस्तार
गतिविधि
1.) इस यात्रा वृतांत के लेखिका को एक पत्र लिखिए, जिसमें आप निम्नांकित बिंदुओं की मदद ले सकते हैं-
. आपको उनका लेख कैसा लगा?
. इस गांव के बारे में आप और क्या क्या जानना चाहते हो?
. आप किसी यात्रा से जुड़े अनुभव को या घटना को भी साझा कर सकते हैं।
लेखिका अनीता सक्सेना जी
मायलिनोंग,
नमस्ते
आदरणीय अनिताजी
आप को मेरा सादर प्रणाम। आपका मेघालय का एक गांव: मायलिनोंग यह आपका लेख हमें बहुत पसंद आया। भारत में ऐसा भी एक गांव है जो अपने प्रकृति को महत्व देता है, यह पढ़ के बहुत अच्छा लगा। इस गांव ने अपने स्वच्छता पर ध्यान दिया है। इससे हमें भी यह समझ आता है हमें की हमें अपने घर की और आजू बाजू के परिसर की स्वच्छता रखनी चाहिए। इससे हमारे प्रकृति की सुंदरता बढ़ेगी और हमें भी प्राकृतिक चीजों से बने हुए वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए इससे पर्यावरण की हानि नहीं होती।
आप ऐसे ही प्रेरणादायक लेख लिखते रहिए। ऐसी कथाओं से हमें भी कुछ ना कुछ सीखने मिलेगा और हम अपने भारत देश के बारे में बहुत सी जानकारी इकट्ठा कर पाएंगे।
आपकी प्रशंसक
रश्मि वंदना
मुंबई
2.) अगर आप अपने गांव शहर को सबसे अच्छा सुंदर बनाना चाहते हैं तो निम्नांकित सरोवर क्या-क्या कार्य करने की आवश्यकता है?
स्वयं के स्तर पर – अपना घर और आजू-बाजू का परिसर स्वच्छ रखेंगे कहीं पर भी गंदगी नहीं करेंगे। कचरा कचरे के डिब्बे में ही डाल देंगे।
प्रशासनिक स्तर पर – प्रशासन को पत्र लिखकर जगह-जगह कचरे के डिब्बे रखने के विनंती करेंगे।
पंचायत स्तर पर – गांव की पंचायत में स्वच्छता का मुद्दा उठाएंगे जगह-जगह शौचालय की व्यवस्था करने के लिए आवेदन देंगे अपना घर परिसर और सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी नहीं फैलाएंगे।
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