Chhattisgarh State Board Class 9 Hindi Chapter 2 गुल्ली डंडा Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
Chhattisgarh State Class 9 Hindi Chapter 2 गुल्ली डंडा Solution
गुल्ली डंडा
1.) लेखक ने ऐसा क्यों कहा कि गुल्ली डंडा सब खेलो का राजा है?
लेखक कहते हैं कि, हमारे अंग्रेज दोस्त माने या ना माने गुल्ली डंडा सब खेलो का राजा हैl क्योंकि इस खेल के लिए बहुत बड़ी जगह नहीं लगती, किसी भी नेट की जरूरत नहीं है, या फिर कोर्ट की जरूरत नहीं हैl यह खेल खेलने के लिए बहुत ज्यादा पैसों की जरूरत ही नहीं पड़तीl किसी भी पेड़ की एक छोटी सी कहानी काट लो उसे गुल्ली बना लो और दो लोगों को इस खेल में शामिल कर लो तो हम मजे से यह खेल खेल सकते हैं।
2.) ‘मुझे न्याय का बल था। वह अन्याय पर डटा हुआ था।’ लेखक खेल में पराजित होने के बाद भी अपनी ओर ‘न्याय का बल क्यों मांगता है और वह’ (गया) को ‘अन्याय पर डटा’ हुआ क्यों कहता है?
एक दिन लेखक और गया यह खेल खेल रहे थे। गया पदा रहा था और लेखक पद रहे थे। लेखक को ऐसा लगता है कि पदाने में हम दिन भर मस्त रह सकते हैं। लेखक को पदना एक मिनट का भी रास नहीं आता। लेखक ने पदने से गला छुड़ाने के लिए बहुत सारी चाले चली, लेकिन गया था जो दाँव लिए बगैर लेखक का पिंड नहीं छोड़ता था। गया से बचने के लिए लेखक घर की ओर दौड़ पड़े, लेकिन गया ने दौड़ कर उन्हें पकड़ लिया और बोला मेरा दाँव देकर जाओ। पदाया तो बड़े बहादुर बन के पदने के बेर में क्यों भाग जाते हो? लेखक ने गया को अमरुद खिलाए थे। इसीलिए लेखक को लगता था कि अगर मैंने गया को अमरुद खिलाए हैं तो, दाँव देकर जाने में कोई गलत बात नहीं है। गया लेखक के साथ बंदे कर रहा है ऐसा लेखक को लगता है।
3.) पिताजी अपने तबादले से दु:खी थे, जबकि लेखक खुश था। क्यों?
जब लेखक के पिताजी का तबादला हो गया, तब लेखक बहुत खुश थे, क्योंकि उन्हें नई दुनिया देखने को मिलेगी, नई जगह घूमने मिलेगा, नए दोस्त वहां मिलेंगे। इसीलिए लेखक बहुत खुश थे। लेकिन पिताजी इस बात से दुखी थे, क्योंकि जहां अब लेखक रह रहे थे वहां पर उनके पिताजी की आमदनी अच्छी हो रही थी। नई जगह कितनी आमदनी होगी यह पता नहीं था। यहां पर खर्चा कम था, सभी चीजें सस्ती मिल जाती थी, नई जगह पर सब चिजे जेसी इतनी सस्ती नहीं मिलने की इसे पिताजी अपने तबादले से दु:खी थे।
4.) बीस साल बाद जब लेखक फिर से उस कस्बे में पहुंचा, तो उस कसबे और लेखक में क्या क्या बदलाव हो चुके थे?
20 साल बाद जब लेखक फिर से उस कस्बे में पहुंचे तब वहां डाक बंगले में ठहरे थे। उस वक्त लेखक ने इंजीनियरिंग पास की थी। जब वह डाक बंगले में ठहरे तो उनकी बचपन की स्मृति है उनके हृदय में जाग उठी। उन्होंने छड़ी उठाई और कस्बे की सैर करने वह निकल पड़े। जहा जहा वह बचपन में गए थे, वह सारी जगह उनको देखनी थी। उनकी आंखें उसके लिए व्याकुल हो रही थी। अब वहां पर सब कुछ बदल गया था। उनके लिए सारी जगह अपरिचित हो गई थी। जहां पर बरगद का पेड़ था वहां अब सुंदर बगीचा बन चुका था। जहां पर खंडहर था वहां पर पक्के मकान खड़े हुए थे। उन्हें अब उनके पुराने मित्रों से भी मिलना था। लेकिन अब दुनिया बदल गई थी। उस गांव से जब वह गए थे उस गांव में और आज के गांव में बहुत फर्क हुआ था।
5.) लेखक के साथ खेलते हुए गया के मन में गुल्ली डंडा के प्रति वही जोश और उत्साह देखने को नहीं मिला, जो बचपन में हुआ करता था। गया के व्यवहार में इस परिवर्तन के पीछे कौन से कारण हो रहे होंगे?
लेखक के साथ खेलते हुए गया के मन में गुल्ली डंडा के प्रति वही जोश और उत्साह देखने को नहीं मिला जो बचपन में हुआ करता था, क्योंकि लेखक अब बड़े अफसर बन गए थे और गया एक मजदूर था। गया खेल नहीं रहा था, लेखक को खेला रहा था। उनका मन रख रहा था। लेखक एक इंजीनियर थे। एक अफसर बन गए थे और यही अफसरी लेखक और गया के बीच में दीवार बन गई थी। इसीलिए गया के मन में गुल्ली डंडा के प्रति वही जोश और उत्साह देखने नहीं मिला जो बचपन में मिलता था।
6.) निम्नलिखित कथनों के क्या अभिप्राय है-
क.) “वह बड़ा हो गया है, मैं छोटा हो गया हूं।”
लेखक को ऐसा लगता है कि कि आप मैं अफसर बन गया हूँ। यह अफसरी मेरे और मेरे मित्र के बीच आ गई हैं। मैं अब उसका लिहाज पा सकता हूँ, अदब पा सकता हूं, लेकिन उसका सहचर्य कभी नहीं पा सकता। लड़कपन था तब मैं उसका समकक्ष था। अब मैं इतना बड़ा हो गया हूँ कि सिर्फ मैं उसकी दया पा सकता हूँ। अब वह मुझे अपना जोड़ नहीं समझता। वह बड़ा हो गया है, और मैं छोटा हो गया हूं।
ख.) “हमारे कई दोस्त ऐसे भी है, जो थापी को बैसाखी से बदल बैठे।”
गुल्ली से आंख फूटने का भय रहता है, तो क्या क्रिकेट से सिर फुट जाने, तिल्ली फट जाने, टांग टूट जाने का भय नहीं रहता। अगर हमारे माथे में गुल्ली का दाग आज तक बना हुआ है, तो हमारे कई दोस्त ऐसे भी है जो थापी को बैसाखी से बदल बैठे यह अपनी अपनी रुचि है।
पाठ से आगे-
1.) गुल्ली डंडा एक ऐसा भारतीय खेल है जिसके लिए पैसे खर्चने की जरूरत नहीं पड़ती। अपने आसपास/ परिवेश में प्रचलित ऐसे खेलों की सूची बनाइए। वर्तमान समाज में इन खेलों के प्रति घटते आकर्षण के क्या कारण हो सकते हैं?
हमारे आसपास /परिवेश में प्रचलित खेलों की सूची-
1.) खो खो
2.) छुपन छुपाई
3.) रस्साकशी
4.) शतरंज
5.) म्यूजिकल चेयर
6.) सांप सीढ़ी
आजकल ऐसे खेल बच्चे नहीं खेलते। बच्चों के हाथ में अब वीडियो गेम आ गए हैं। उनको वीडियो गेम खेलना बहुत पसंद है, या फिर यह बच्चे टीवी देखते रहते हैं। इन बच्चों को इन प्रचलित खेलों में कोई रुचि नहीं लगती।
आजकल के बच्चे किताबों से भारी बैग लेकर स्कूल में जाते हैं। उसके बाद उनके मां बाबा उन्हें क्लास के लिए भेजते हैं। या फिर उन्हें बाकी सारी गतिविधियां भी पूरी करनी होती है। यह सब चीजें बच्चों की मां बाबा के लिए महत्वपूर्ण होती जा रही है। हम जो खेल खेलते थे यह खेल आज के बच्चे नहीं खेलते। ऐसी खेल खेलना मतलब वक्त बर्बाद करना एस्से सबको लगता है। इनकी जगह हो कंप्यूटर वीडियो गेम और टीवी इनके लिए समय दिया जाता है।
गुल्ली – डंडा कहानी में इस खेल से जुड़े कुछ शब्द आए हैं जैसे दाँव पदना/ पदाना, हुच, गुल्ली आदि। अपने आसपास प्रचलित खेलों से जुड़ी शब्दावलीयों की एक सूची बनाइए।
1.) शतरंज – चेकमेट ( शह और मात )
2.) खो – खो – खो
3.) क्रिकेट- रन, आउट, फ्रि हिट
भाषा के बारे में
1.) सामान्य अर्थों को छोड़कर विशेष अर्थकों प्रकट करने वाले वाक्यांश मुहावरे तथा वाक्य लोकोक्ति कहे जाते हैं। लोकोक्ति लंबे लोक अनुभव को व्यक्त करने वाला सूत्र वाक्य होता है। कहानी में कई मुहावरे और लोकोक्तियां का प्रयोग हुआ है; जैसे लोटपोट हो जाना, हर्रे लगे ना फिटकरी रंग चोखा आए, पिंड न छोड़ना आदि इन मुहावरों के अलावा कहानी से अन्य मुहावरे भी ढूंढिए और उनका वाक्य में प्रयोग करते हुए अर्थ स्पष्ट कीजिए।
1.) अरुचि हो जाना- इच्छा ना होना
बच्चों को पढ़ाई में रुचि हो जाती है।
2.) गला छुड़ाना- पीछा छुड़ाना
लेखक ने अपने दोस्त से गला छुडा लिया।
3.) पिंड न छोड़ना- पीछे पड़ना या साथ ना छोड़ना
हम सब दोस्त एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ते।
4.) तबादला हो जाना- नौकरी के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर चला जाना
जब मेरे पापा का तबादला हो गया तो हम सब बहुत दु:खी हो गए।
5.) खुशी मे फूला न समाना- बहुत खुशी हो जाना
दीदी को नौकरी लगने के कारण हम सभी खुशी में फुला न समा सकें।
6.) गले मिलना- गले से लगाना, आलिंगन देना
बहुत दिनों बाद घर आपके मैं अपने मां के गले लग गई।
7.) अदब पाना- सम्मान पाना
हमें सभी को अपने बुजुर्गों को अदब देना चाहिए।
2.) कहानी में ‘बचपन’, ‘लड़कपन’ जैसे शब्दों का प्रयोग हुआ है। ‘बच्चा’ और ‘लड़का’ में प्रत्यय जोड़ने से यह नया शब्द बना है। ‘बच्चा’ और ‘लड़का’ जातिवाचक संज्ञा शब्द है। जबकि ‘बचपन’ और ‘लड़कपन’ भाववाचक संज्ञा शब्द है। कहानी से जातिवाचक संज्ञा शब्दों को छांट कर उसका भाववाचक रूप बनाइए।
उदाहरण
जातिवाचक संज्ञा शब्द |
भाववाचक संज्ञा शब्द |
आदमी |
आदमियत |
मास्टर |
मास्टरी |
विलायत |
विलायती |
अमीर |
अमीरी |
3.)’सोहन बस्तर में रहता है और वह रोज स्कूल जाता है।’
इस वाक्य में वह निश्चयवाचक सर्वनाम है। जिसका प्रयोग सोहन के लिए हुआ है। जबकि कहानी से ली गई अग्रलिखित वाक्यों में वह हो का प्रयोग सर्वनाम के रूप में किसी व्यक्ति को सूचित नहीं करता है। हिंदी भाषा में वह सर्वनाम शब्द का प्रयोग कई बार दूर या अनुपस्थित व्यक्ति को सूचित करने के अतिरिक्त भाव या विचार के लिए भी होता है। जैसे-
वह प्रातकाल घर से निकल जाना, वह पेड़ पर चढ़कर टहनियाँ काटना और गुल्ली डंडे बनाना, वह उत्साह, वह खिलाड़ियों के जमघट, वह पदना और पदाना, वह लड़ाई- झगड़े, वह सरल स्वभाव जिससे छूत अछूत अमीर गरीब का बिल्कुल भेद न रहता था, जिसमें अमीराना चोचलों की, प्रदर्शन की, अभिमान की गुंजाइश ही न थी, यह उसी वक्त भूलेगा जब… जब…
. उपर्युक्त वाक्यों की तरह वह का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
1.) वह पढ़ाई कर रहा है।
2.) वह खाना बना रहा है।
3.) वह खेलने गया है।
4.) वह गाड़ी चला रहा है।
5.) वह अपना काम कर रहा है।
उसी वक्त भूलेगा जब… जब… वाक्य को पूरा कीजिए।
उसी वक्त भूलेगा जब इस समाज में भेदभाव खत्म हो जाएगा और हम सब एक हो जाएंगे।
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- Chapter 19 विकसित भारत का सपना
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