Chhattisgarh State Class 9 Hindi Chapter 20 पद Solution
Chhattisgarh State Board Class 9 Hindi Chapter 20 पद Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
1.) अवसर बीत जाने के बाद पछताना क्यों पड़ता है? पद में दिए गए उदाहरणों के भाव लिखिए।
अवसर बीत जाने के बाद पछताना पड़ता है, क्योंकि जब अवसर होता है तब हम उस अवसर का सदुपयोग नहीं करते। समय का सदुपयोग नहीं करते। यह अवसर दोबारा हमें नहीं मिलता। जब अवसर हाथ से चला जाता है, वक्त चला जाता है तो हम पछताते रहते हैं। ऐसा कहते हैं कि भगवान की सबसे सुंदर कलाकृति मानव है। हमें समय रहते ही भगवान को शरण जाना चाहिए। जीवन में भगवान का नाम स्मरण करना चाहिए, पूजा करनी चाहिए। जब मृत्यु हो जाती है तो यह सुख हमें नहीं मिलता। कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो जब उसकी मृत्यु हो जाती है तब उसे खाली हाथ ही जाना पड़ता है। जब हमारी मृत्यु का समय आता है तब सभी लोग साथ छोड़ जाते हैं।
2.) अंत चले उठी रिते पंक्ती का भावार्थ क्या है?
जब मानव का अंत समय निकट आता है, तो वह खाली हाथ ही चला जाता है। तब उसने कमाई हुई धन-संपत्ति लोग उसके काम नहीं आते। मानव को जीवित रहते ही ईश्वर की आराधना करनी चाहिए। हम ईश्वर की आराधना छोड़कर संपत्ति कमाने के पीछे भागते रहते हैं। धन- दौलत कमाते हैं। लेकिन भगवान का नामस्मरण नहीं करते जो हमें करना चाहिए।
3.) ‘सुरस्याम देखते ही रिझै, नैन नैन मिली ठगोरी’ से कवी का क्या आशय है?
‘सुरस्याम देखते ही रिझै, नैन नैन मिली ठगोरी’ इस पंक्ति का आशय यह है कि राधा के सुंदर रूप को देखते ही श्याम मतलब कृष्ण राधा उनपर रिझ जाते हैं। जब राधा कृष्ण एक दूसरे को देखते हैं तो दोनों के दोनों स्तब्ध ही रहे जाते हैं। दोनों मनमोहित हो जाते हैं। उन्हें कुछ नहीं समझ आता।
4.) कबीर के पद में जग बौराने का क्या आशय है?
संसार को जब हम सत्य कहते हैं तो वह हम पर रुष्ट हो जाता है। हमें मारने के लिए हमारे पीछे भागता रहता है और असत्य को अपने पास बुला लेता है। ईश्वर का नामस्मरण नहीं करता। सत्य तो ईश्वर ही है। बाकी सारा संसार नश्वर है। लेकिन हम ईश्वर का नाम नहीं जपते। नामस्मरण नहीं करते और असत्य का सहारा लेते हैं। इसीलिए कबीर ने जगह के बौराने ऐसा कहा है। मतलब सारा संसार पागल हो गया है।
5.) ‘मरम’ से कबीरका क्या आशय है?
ईश्वर एक हैl हिंदू उसे राम के नाम से जानता है, तो मुसलमानों उसे अल्लाह के नाम से जानते हैं। लेकिन ईश्वर एक ही है। ईश्वर चराचर में है। यह रहस्य मानव नहीं जानता। मरम इस शब्द से कबीर का आशय है रहस्य।
6.) कबीर ने किसके ज्ञान को थोथा कहा है? और क्यों?
कबीर कहते हैं कि ईश्वर राचर में है। वह हर एक आत्मा में बसे हुए हैं। लेकिन हम प्रत्यक्ष ईश्वर को नहीं मानते, उसे हम मूर्ति के रूप में देखते हैं। पाषाण के रूप में पूजन करते हैं। यह दिखावा है मतलब थोथा है।
7.) धनी धरमदास के पद में सत्य व्यापार कि बात की गई है। सत्य- व्यापार से कवि का क्या आशय है?
धनी धरमदास के पद में सत्य व्यापार कि बात की गई है। सत्य- व्यापार से कवि यह कहना चाहते हैं कि ईश्वर सभी जगह है। सृष्टि के शुरुआत से सृष्टि के अंत तक भगवान है और वही सत्य हैl हमें इसका व्यापार मतलब नामस्मरण करना चाहिएl इस व्यापार में हमें लगत भी नहीं लगानी पड़तीl अगर हम इस का व्यवसाय करते हैं तो हमें उसका लाभ ही लाभ मिलता हैl यह व्यापार कभी भी नुकसान में नहीं डालता।
8.) ‘पूंँजी ना टूटै नफा चौगुना’ से क्या अभिप्राय है?
अगर हम किसी भी व्यवसाय की शुरुआत करते हैं कि कोई भी उद्योग करते हैं तो हमें उसमें कुछ रुपए लगाने पड़ते हैंl तब जाकर हमारा व्यवसाय उद्योग शुरू होता है और जब वह बढ़ता जाता है तब हमें उससे फायदा होता हैl अगर वही व्यवसाय आगे न चले हम उस व्यवसाय को अगर आगे ना बढ़ाए तो हमें नुकसान होता है और हम जो उस व्यवसाय पर धन लगाते हैं वह भी चला जाता हैl लेकिन अगर हम भगवान का नामस्मरण मतलब व्यापार करें तो ना ही हमारा नुकसान होता है ना तो हमें उस पर पैसे लगाने पड़ते हैंl लेकिन हमें उसका फायदा जरूर होता हैl
पाठ से आगे
1.) अवसर निकल जाने पर पछतावा होता हैl जीवन में अवसर को कैसे पहचाना जाए?
व्यक्ति जीवन में अपना लक्ष्य तय करता है और उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक रास्ता निश्चित करता हैl कितने भी परिश्रम करने पड़े, कितना भी उतार-चढ़ाव आए उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए वह हर संभव प्रयत्न करता है। कभी-कभी उसे वक्त के साथ समझौता करना पड़ता है, ताकि वह मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ सके। जीवन में सुख दुख परेशानियां आती रहती है। उस वक्त भी हमे समझौता करना पड़ता है। लेकिन जो व्यक्ति आलसी होता है जिसके जीवन में कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं होता जो मिला हुआ समय बर्बाद करता है वह जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता। सभी प्राणियों में मानव का जन्म सर्वश्रेष्ठ माना गया है। लेकिन इसके बाद भी मानव ईश्वर का नाम नहीं लेता। वह धन, पैसा, मोह, माया इसके पीछे लगा रहता है। जब मनुष्य की मृत्यु निकट आती है तब उसे इस बात का पश्चाताप करना पड़ता है। उसे पछतावा होता है।
2.) अत्यधिक संग्रह की प्रवृत्ति सुखकर क्यों नहीं हो सकती है? अगर नहीं तो क्यों? अपने विचार लिखिए।
मानव भौतिक सुविधाओं के पीछे भागता रहता है। उसके लिए ज्यादा से ज्यादा धन पैसा कमाने में लग जाता है। लेकिन वह यह नहीं समझता कि हमारी इच्छाएं कभी खत्म नहीं हो सकती। जब एक इच्छा की पूर्तता होती है। तब हमारे मन में दूसरी इच्छा जाग जाती है और हमें उसके पीछे भागने लगते हैं और इनकी पूर्तता करते-करते हम कितनी ही बार दुखी क्यों ना कर ले। हम हमेशा दुखी ही रहते हैं, जब हम बहुत पैसा कमाते हैं। बहुत धन अपने पास होता है तब हम हमेशा इस चिंता में लगे रहते हैं कि उसकी देखभाल कैसे करें ? इसीलिए अत्यधिक संग्रह की प्रवृत्ति सुख पर नहीं हो सकती।
3.) क) ‘अौचक ही देखी तहँ राधा’ इस पंक्ति में औचक देखने से क्या आशय है?
राधा कृष्ण जी से पहली बार मिल रही थी। तब कृष्ण ने पितांबर धारण किया था, उनके सर में मोर पंख था, शरीर पर चंदन का लेप लगाया था। इतना सुंदर और प्यारा रूप देखकर राधा को आश्चर्य लगा।
ख) आप किसी परिचित को अचानक अपने सामने पाते हैं तो आपके मन में क्या- क्या भाव आते हैं?
अगर कोई परिचित व्यक्ति अचानक से सामने आ जाए तो हमें बहुत ज्यादा खुशी होती है, क्योंकि वह हमसे मिलने वाला है इसकी जानकारी हमें नहीं रहती। इसीलिए उसे देखकर उसे गले लगाने का मन करता है।
4.) आपके अनुसार व्यक्ति का सामाजिक व्यवहार कैसा होना चाहिए?
व्यक्ति का सामाजिक व्यवहार बड़ा ही नंबर होना चाहिए समाज में घुल मिल कर रहना चाहिए। जब किसी से व्यवहार करना हो, सामाजिक संबंध रखने हो तो उसे सामने वाले से नम्रता से बात करनी होगी, क्योंकि हम समाज के साथ और लोगों के साथ जैसा व्यवहार करेंगे वैसा ही समाज और लोग हमारे साथ में व्यवहार करेंगे। हमें हमारे समाज में अच्छे कार्य करने चाहिए। हमारे कार्य से दूसरों को प्रेरणा मिलनी चाहिए। किसी को तकलीफ हो ऐसा व्यवहार हमें लोगों के साथ नहीं करना चाहिए।
5.) पद में किशोर कृष्णा और राधा के मिलने का वर्णन ब्रज भाषा में दिया है। आप इसे अपनी भाषा में लिखिए।
जब भगवान श्री कृष्णा खेलने के लिए यमुना तट पर अपने साथियों के संग गए थे, तब उन्होंने धोती पहनी थी, सिर पर मोर पंख था, हाथ में भौरा, चक्र और रस्सी थी। उनकी मूर्ति बहुत ही मनमोहक लग रही थीl वहीं पर राधा और उनकी सखिया भी थीl राधा जी ने नीले रंग का लहंगा पहना था, माथे पर बिंदी थी और पीठ पर उनकी चोटी थी। राधा जी ने अचानक कृष्ण को देख लिया। उनकी मनमोहक छवि उनको बहुत प्यारी लगी। तभी कृष्ण जी ने भी राधा को देख लिया। वे दोनो पहली बार मिले थे और देखते ही उनकी आंखों में एक दूसरे के लिए प्यार दिखाई दिया।
भाषा के बारे में
1.) जहां एक ही ध्वनि की आवृत्ति होती है उसे अनुप्रास अलंकार कहा जाता है। जैसे- पीपर पाथर पूजन लागे (यहां और प की एक से अधिक बार आवृत्ति हो रही है) इस प्रकार की अन्य पंक्तियां पाठ से छाटकर लिखिए।
कटि कछनी पितांबर बांधे
कोइ- कोइ लादै काँसा पीतल, कोइ- कोइ लौंग सुपारी
2.) आपके घर की भाषा और इन पदों की भाषा में किस तरह का अंतर व समानता है? इस पाठ में बहुत से शब्द होंगे जो आपके घर की भाषा में भी थोड़े फेरबदल के साथ प्रचलित होंगे। उन शब्दों की सूची बनाइए।
करम- (कर्म)
वरत -( व्रत)
नृप -(राजा)
नैन- (आंखें)
पदारथ- (पदार्थ)
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- Chapter 6 कलातीर्थ खैरागढ का संगीत विश्वविद्यालय
- Chapter 7 बच्चें काम पर जा रहे हैं
- Chapter 8 अकेली
- Chapter 9 जामुन का पेड़
- Chapter 10 रीढ की हड्डी
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- Chapter 12 लोककथाएँ
- Chapter 13 नदिया- नरवा मां तँउरत हे
- Chapter 14 ग्राम्य जीवन
- Chapter 15 मेघालय का एक गांव मायलिनोंग
- Chapter 16 बूढ़ी पृथ्वी का दुख
- Chapter 17 सी. वी. रमन
- Chapter 18 प्लास्टिक कल का खतरा, आज ही जागें
- Chapter 19 विकसित भारत का सपना
- Chapter 21 आ रही रवि की सवारी
- Chapter 22 अखबार में नाम
- Chapter 23 अपने हिस्से में लोग आकाश देखते हैं