Chhattisgarh State Board Class 9 Hindi Chapter 11 सुरज टघलत है Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
Chhattisgarh State Class 9 Hindi Chapter 11 सुरज टघलत है Solution
1.) “टघल टघल के सूरज झरत है” इस पंक्ति का क्या आशय है?
गर्मी के दिन है और सूरज पिघल कर रहा है और गर्मी बरसा रहा है। “टघल टघल के सूरज झरत है” इस पंक्ति का आशय यही है।
2.) कविता में तेज गर्मी के एहसास का भाव निहित है। इसे अपने शब्दों में लिखिएँ।
गर्मी के दिनों में उष्णता बढ़ जाती है धरती तपने लगती है गर्मी के वजह से पानी कम हो जाता है। नदी, तालाब, कुआं सूखने लगता है। मनुष्य के साथ-साथ पशु ,पक्षी भी पानी के लिए तड़पते हैं। मजदूर जो कष्ट का काम करते हैं, वह पसीने से लथपथ हो जाते हैं। नदी, तालाब सूखने के साथ-साथ पेड़ के पत्ते भी सूख जाते हैं। सड़के गर्म हो जाती है, सड़कों पर बिना चप्पल पहने चलना मुश्किल हो जाता है। दोपहर में मजदूरों को काम करना भी कष्टदायक हो जाता है।
3.) ग्रीष्मा काल में झाँझ के चलने से मनुष्य किस प्रकार प्रभावित होता है?
ग्रीष्म काल में झाँझ चलती है। मतलब सारी जगहों पर गर्मी के वजह से गर्म हवा चलती रहती है। इस वजह से आंखें सुलगती रहती है, आंखों में जलन सी होती है। कान और हाथ, पैर तपने लगते हैं, होंठ सूखने लगते हैं। ऐसी गर्मी में मनुष्य कष्ट के काम नहीं कर सकता वह पसीने से लथपथ हो जाता है।
4.) इन पंक्तियों का अर्थ लिखिए-
” चट चट जरथे अँगना बैरी
तावा बनगे छानी
टप – टप टपके कारी पसीना
नोहर होगे पानी।”
गर्मी के दिन है तेज गर्मी है। ऐसे में घर का आंगन भी गर्मी से तप रहा है। जैसे रोटी बनाने के लिए तवा गर्म करना पड़ता है, वैसे ही घरों के छतें भी गरम हो गयी है। चेहरे से पसीना गिर रहा है। गर्मी के वजह से तालाब, कुएं के पानी सूख गया है, लेकिन शरीर गर्मी से पानी पानी हो रहा है।
5.) ग्रीष्म काल में पानी का अभाव हो जाता है। कवि ने किन पंक्तियों में इस बात का उल्लेख किया है?
भरे पलपला, जरे भोंभरा
फोरा परगे गोड़ म
फिनगेसर ले रेंगत – रेंगत
पानी मिलिस पोंड़ म।
नदिया पातर पातर होगे
तरिया रोज अँटावत हे
खँड म रुखवा खड़े उमर के
टँगिया ताल कटावत हे।
” चट चट जरथे अँगना बैरी
तावा बनगे छानी
टप – टप टपके कारी पसीना
नोहर होगे पानी।”
6.) ‘पलपला’ और भोंभरा शब्द के अर्थ में क्या अंतर है?
पलपला मतलब गर्मी और भोंभरा मतलब गर्मी के वजह से धरती का तपना।
7.) ‘हर-हर के दिन आगे’ ले आप का समझथव?
गर्मी की ऋतु में पेड़ के पत्ते सूखने की वजह से गिर जाते हैं। ग्रीष्म ऋतु में गर्म हवा चलने लगती है, बवंडर आने लगता है। हर-हर के दिन आगे अर्थात ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्मी।
पाठ से आगे
1.) ग्रीष्म ऋतु में तालाब/ नदी के सूख जाने पर जल-जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? लिखिए।
ग्रीष्म ऋतु में तालाब/ नदी के सूख जाने पर तालाब नदी के बहुत सारे जीव जंतु मर जाते हैं। कई जीव दलदल में फंस जाते हैं। और कई गर्मी की वजह से अपनी जगह बदल देते हैं।
2.) गर्मी के दिनों में पानी की समस्या पर अपने आसपास के अनुभवों को लिखिए।
जब गर्मी बहुत बढ़ जाती है तब तालाब, कुएं, नदी का पानी सूखने लगता है। पेड़, पौधों के पत्ते सूख जाते हैं और गिर जाते हैं। पानी की मात्रा कम हो जाती है। ऐसे में पानी में जो जीव जंतु रहते हैं वह अपनी रहने की जगह बदल देते हैं, या फिर कुछ जंतु मर जाते हैं। मनुष्य को पशु पक्षियों को पीने के लिए पानी नहीं मिलता। पानी के लिए मनुष्य को बहुत जगह भटकना पड़ता है। दूर-दूर से पानी लाकर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है।
3.) नगरीकरण के कारण लगातार वृक्ष काटे जा रहे हैं। वृक्षों को कटने से प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
नगरीकरण के कारण लगातार वृक्ष काटे जा रहे हैं। औद्योगिकरण बढ़ रहा हैl शहर में बड़ी-बड़ी इमारतें बन रही है और इसके लिए वृक्षों को काटा जा रहा हैl वृक्षों क काटे जाने से पर्यावरण की हानि हो रही है। मनुष्य के लिए पशु, पक्षी, जीव, जंतु के जीने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। यह ऑक्सीजन हमें वृक्षों से मिलता है। जब वृक्ष काटे जाते हैं तो पर्यावरण से ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है। ऐसे ही धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है। मनुष्य के लिए घर बनाते बनाते हम जंगल के जंगल नष्ट कर रहे हैं। इस वजह से पशु पक्षियों के लिए जीव जंतुओं के लिए रहने कि जगह नष्ट होती जा रही है। बीमारियां बढ़ रही है। प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, पानी की मात्रा कम हो रही है। अगर मनुष्य को जिंदा रहना है तो उसे पेड़ लगाने जरूरी है ।
4.) टप -टप, रिमझिम, चम-चम, बिजली, घुमडते बादल, काली घटा, साथ-साथ, हवा, उफनते नदी – नाले, झूमते पेड़ आदि शब्दों का प्रयोग करते हुए वर्षा ऋतु पर एक कविता/ लेख लिखिए।
बच्चों को वर्षा ऋतु पसंद आता है। गर्मी के मौसम में धरती तपने लगती है और जब उस पर टप -टप करके पानी की बूंदे गिरती है तो वह धरती शांत हो जाती है। वर्षा ऋतू हर एक को पसंद होता है। इस ऋतु में चम चम करके बिजली चमकती है। घूमर के बादल आते हैं। बादल गरजते हैं, काली घटाएं आसमान में छा जाती है , साथ -साथ ठंडी ठंडी हवा चलने लगती है। मौसम सुहाना बन जाता है और इसके बाद जो रिमझिम करके बारिश बरसती है, उसमें तो सबका मन प्रफुल्लित हो जाता है।
गर्मी के मौसम में पेड़ पौधों के पत्ते सूख कर गिर जाते हैं। जब बारिश आती है तो पेड़ पौधे भी झूमने लगते हैं। उन पर नए पत्ते उगते हैं। नदी नाले कुएं तालाब पानी से भरने लगते हैं पशु पक्षियों का मन भी प्रफुल्लित हो जाता है। सभी जीव जंतु उत्साह से नाचने लग जाते हैं।
भाषा के बारे में
1.) निम्नलिखित छत्तीसगढ़ी मुहावरों के हिंदी अर्थ लिखिए।
1.) नोहर होना- मुश्किल से मिलने वाला, अनोखा
2.) फोड़ा परना- त्वचा पर गर्मी से छाले पड़ना
3.) कान तिपना- सचेत करना
4.) आँखी मां आगी जलना- क्रोध आना
5.) आगी फुँकना- आग लगाना
6.) पथरा फोरना- मेहनत करना
7.) साँस उड़ना- निधन होना
2.) कविता में आए युग में शब्दों को छांटकर लिखिए जैसे- टप- टप चम-चम। इसी तरह पाठ्यपुस्तक में हिंदी के भी युग्म शब्द आए हैं। उनकी सूची बनाइए।
1). टघल टघल
2.) रेंगत-रेंगत
3.) पातर – पातर
4.) चट- चट
5.) टप-टप
6.) साँय-साँय
7.) सिट्ठा- सिट्ठा
8.) लक-लक
9.) लस – लस
10.) नस-नस
11.) लकर – लकर
12.) धकर -धकर
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