Chhattisgarh State Board Class 9 Hindi Chapter 10 रीढ की हड्डी Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
Chhattisgarh State Class 9 Hindi Chapter 10 रीढ की हड्डी Solution
1.) लड़के वालों के स्वागत में रामस्वरूप के घर में हो रही तैयारियों का वर्णन कीजिएl
लड़के वालों के स्वागत में रामस्वरूप घर में बहुत सारी तैयारियां कर रहा होता हैl घर को सजाना, मिठाईयां लाना, नमकीन ऐसे खाद्य पदार्थों का इंतजाम करना, मेहमानों के लिए बैठने की व्यवस्था करना, उसे चादर, तकिए से सजाना, घर में चाय नाश्ते का इंतजाम करना, घर की साफ सफाई करना ऐसी तैयारियां रामस्वरूप के घर में हो रही थी।
2.) पुराने जमाने की लड़कियों और उमा के बीच क्या अंतर है?
पुराने जमाने की अधिकतर लड़कियां शिक्षित नहीं होती थी। जबकि उमा एक शिक्षित लड़की है। उसने अपना शिक्षण अच्छी तरह से पूरा कर लिया है। उसके अपने विचार है। विवाह तय करते वक्त भी उसने जो उसको पसंद नहीं है उसने उसका विरोध किया है। जबकि प्राचीन काल में लड़कियां ऐसे मामलों में चुप बैठी थी। उनके माता-पिता जो तय करें उसे स्वीकार कर लेती थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया उसने विवाह के लिए उस लड़के को अस्वीकार कर लिया। वह अपनी मर्जी से विवाह करना चाहती है। पुराने जमाने की लड़कियों में और उमा में यह अंतर है।
3.) उमा गोपाल प्रसाद से यह क्यों कहती है, “घर जा कर यह पता लगाइए कि आपके लाडले बेटे की रीढ़ की हड्डी है या नहीं?”
हमारे शरीर में मुख्य काम होता है रीढ़ की हड्डी का। इसी के सहारे हम अच्छे से बैठ सकते हैं। अगर रीढ़ की हड्डी ना हो या उसमें खराबी आ जाए तो हम सीधा बैठ नहीं सकते। घर जा कर यह पता लगाइए कि आपके लाडले बेटे की रीढ की हड्डी है या नहीं ऐसा उमा गोपाल प्रसाद से कहती है, क्योंकि गोपाल प्रसाद के बेटे ने बहुत सारे अवगुण है। उसने बहुत सारे दोष है। लेकिन फिर भी वह जो लड़की देखने जा रहा है उस लड़की और उसके घर वालों की इस तरह से छानबीन करता है जैसे वह चरित्रवान लड़का है और सामने वाले लड़की चरित्रहीन है।
4.) पाठ के आधार पर उमा का चरित्र चित्रण कीजिएl
उमा पुराने जमाने की लड़की है, लेकिन वह एक शिक्षित लड़की है। गलत बात का वह विरोध करती है और अपनी बात सामने वाले से आत्मविश्वास पूर्णा कहती है। गलत प्रथा, परंपरा और रीति रिवाजों का विरोध करती है। उमा का स्वभाव बहुत अच्छा है। उसे सादा जीवन बिताना अच्छा लगता है। वह एक सर्वगुण संपन्न लड़की है, साहसी है। बिना डरे काम करती है। गलत बात का जवाब देती है।
5.) लड़की वालों के लौटने के बाद उमा की हंसी सिसकियों में क्यों तब्दील हो गई?
उमा के पिता उमा के लिए लड़का देख रहे थे। उनकी इच्छा थी कि उमा का विवाह अच्छे घर में हो, संस्कारी घर में हो और उमा अपने आगे का जीवन अच्छी तरह से बिताए। लेकिन उमा के लिए जो लड़का आया था, वह चरित्रहीन था। उमा ने उनके गलत बातों का विरोध किया और उनको वापस भेज दिया। लेकिन जब वे लौट गए तब उमा हंसने लगी, क्योंकि उसे ऐसे घर में नहीं जाना था जहां पर लड़कियों को कोई कीमत ना दी जाती हो। लेकिन जब उसने अपने पिता को देखा तो उसकी हंसी सिसकियों में बदल गई, क्योंकि अपने लड़की का विवाह होना हर एक पिता की इच्छा होती है, मेरी लड़की अच्छे घर में जाए ऐसी ईच्छा उमा के पिता की भी थी।
6.) उमा के पिता द्वारा अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के समय उसे छिपाना यह विरोधाभास उनकी इस व्यवस्था को दिखाता है?
पुराने जमाने में लड़कियों को शिक्षित नहीं किया जाता था। अगर लड़की बहुत ज्यादा शिक्षित हो तो उसका विवाह होना मुश्किल होता। जितनी ज्यादा शिक्षित लड़की उतना ज्यादा दहेज लिया जाता था और जब वह लड़की अपने ससुराल जाती थी, तो उसके शिक्षित होने के कारण उसे बहुत ताने भी दिए जाते थे। इसीलिए उमा के पिता अपनी बेटी शिक्षित है यह सब से छुपाना चाहते थे।
पाठ से आगे
1.) पढ़ी-लिखी लड़की के घर में आ जाने से स्थिति या किस प्रकार बदलती है? अपना उत्तर तर्क सहित लिखिएl
पढ़ी-लिखी लड़की जब विवाह के बाद दूसरे घर में या ससुराल में चली जाती है, अगर वह घर पुराने रीति-रिवाजों से गलत परंपराओं से बंधा हुआ है, तो वह उसको और स्वीकार करती है। ऐसी रिती रिवाजों का परंपराओं का वह विरोध करती है। परिणाम यह होता है कि उस लड़के को सभी लोग गलत समझने लगते हैं। उसके बारे में अनाप-शनाप बातें करने लगते हैं। पुराने जमाने में लड़कियां इतनी शिक्षित नहीं होती थी। लेकिन आज बहुत सारी लड़कियां अपनी शिक्षा पूरी करती है और दूसरे घर में जाती है। जब एक लड़की शिक्षित होती है तो पूरा घर शिक्षित करती है। एक तरह से वह पूरे समाज को शिक्षित करती है। जब ऐसी लड़की घर में आती है तो घर की आधी जिम्मेदारी अपने सर उठा लेती है। बहुत सारे कार्य ऐसे होते हैं जो सिर्फ पुरुष कर सकते हैं, लेकिन लड़की शिक्षित होने के कारण वे कार्य वह भी करने लगती है। इससे उनकी जिम्मेदारी भी बट जाती है।
2.) क्या लड़के और लड़कियों की शिक्षा व्यवस्था अलग अलग तरह की होनी चाहिए? कारण बताते हुए अपना उत्तर लिखिएl
आज की स्त्री पुरुषों के समान मानी जाती है और पुरुषों में आज के जमाने में हम भेदभाव नहीं करते। ऐसे समय में लड़के और लड़कियों की शिक्षा व्यवस्था भी अलग-अलग नहीं होनी चाहिए। उन दोनों को समान शिक्षा देनी चाहिए। आज स्त्री और पुरुष बराबर माने जाते हैं, लेकिन फिर भी शादी के बाद घर गृहस्ती संभालना, भोजन पकाना यह कार्य स्त्री के ही माने जाते हैं। अगर वह ये सब नहीं कर सकती तो आगे जाकर उसे परेशानी होती है। इसीलिए आज के युग में लड़के और लड़कियों के लिए समान शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। दोनों को ही समान अवसर प्राप्त होने चाहिए।
3.) “अब मुझे कह लेने दो बाबूजी यह जो महाशय खरीददार बन कर आए हैं। उनसे जरा पूछिए कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होते? क्या उनको चोट नहीं लगती है? क्या वे बेबस भेड़ बकरियां है जिन्हें कसाई अच्छी तरह देखभाल कर….?”
क) इस वक्तव्य में उमा ने प्रवृत्तियों पर चोट की है?
यह प्रश्न उमा ने लड़के वालों को पूछा है, क्योंकि उमा को ऐसे प्रश्न पूछे गए जैसे व्यापारियों को पूछे जाते हैं। उठना बैठना सिलाई कढ़ाई के बारे में प्रश्न पूछ कर उमा के दिल पर लड़के वालों ने प्रहार किया था। उसके दिल को चोट पहुंचाई थी। सब प्रश्नों के उत्तर देने के बाद भी लड़कों वालों ने कई गलत सवाल उसे पूछे। उमा ने बहुत से सहनशीलता दिखाई और आखिर में उनको जवाब दे दिया। आपका लड़का चरित्रहीन है उसके अवगुणों पर आप पर्दा डाल रहे हैं और आपको लड़की सद्गुणी चाहिए यह गलत बात है।
ख) वक्तव्य के अंत में अधूरे छोड़े गए वाक्य को पूरा कीजिए।
“अब मुझे कह लेने दो बाबूजी यह जो महाशय खरीददार बन कर आए हैं। उनसे जरा पूछिए कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होते? क्या उनको चोट नहीं लगती है? क्या वे बेबस भेड़ बकरियां है जिन्हें कसाई अच्छी तरह देखभाल कर खाना खिला कर उनका ध्यान रखो उन्हें कांट देता है?
- रामस्वरूप अपनी बेटी की पढ़ाई लिखाई छुपाते हैं और गोपाल प्रसाद अपने बेटे की कमजोरियों पर पर्दा डालते हैंl क्या आपको उन दोनों का यह व्यवहार उचित लगता है अपने पक्ष के समर्थन में तर्क दीजिएl
रामस्वरूप अपनी बेटी का विवाह हो अच्छे घर में हो, संस्कारी घर में हो, उसे आगे जाकर कोई तकलीफ ना हो इसके लिए वह उसकी पढ़ाई छुपाते हैंl वह बी. ए पास है और रामस्वरूप कहते हैं कि वह मैट्रिक पास है। दूसरी तरफ गोपाल प्रसाद जी अपने बेटे के गलतियां छुपाता है, उस पर पर्दा डालता है। उसका लड़का कितना अच्छा है यही सब को बताते है। लेकिन हम जब बाहर जाकर किसी से रिश्ता तय करने लगते हैं, नए रिश्ते की बुनियाद रखते हैं तो उनसे कुछ भी छुपाना गलत है। उन्हें हमें सही जानकारी देनी चाहिए।
भाषा के बारे में
पाठ में आई इन मुहावरों और लोकोक्ति का अर्थ लिखकर उनका प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए-
क) बाप सेर है तो बेटा सवा सेर – एक से बढ़कर एक होना
रास्ते पर दो लोगों में लड़ाई हो रही थी कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था जैसे कि बाप सेर है तो बेटा सवा शेर।
ख) खीसे निपोरना- किसी भी बात पर हंसना, बेवजह हंसना
दोनों बाप बेटे अपनी गलतियां बता कर खीसे निपोरने लगे।
ग) कांटों में घसीटना- मुश्किलें बढ़ाना
रामस्वरूप अपनी बेटी का गलत जगह विवाह तय करके उसको कांटों में घसीट रहा था।
घ) चूँ न करना- किसी भी बात का जवाब ना देना, शांत बैठना
दोनों भाई पढ़ाई करते वक्त चूँ न करते है।
ड) कानों में भनक पड़ना – किसी को भी खबर ना होना
सीता ने मां का जन्मदिन मनाने की पूरी तैयारी की, और किसी के कानों में भनक भी ना पड़ने दी।
च) आंखें गड़ाकर देखना- एक टक देखते रहना
रामस्वरूप अपनी बेटी की तरफ आंखें गड़ाकर देखता रहा।
2.) इन वाक्यों के रेखा की शब्दों को उनके हिंदी पर्यायवाची शब्दों से इस तरह बदलिए के वाक्य का अर्थ न बदले।
क) तुम्हारी बेवकूफी से सारी मेहनत बेकार ना हो जाए।
तुम्हारी नासमझी से सारी मेहनत बेकार ना हो जाए
ख) लड़कियों को दिल नहीं होते
लड़कियों को हृदय नहीं होते।
ग) उनके दकियानूसी खयालों पर मुझे गुस्सा आता है।
उनके पुराने ख्यालों पर मुझे गुस्सा आता है।
घ) उनकी हंसी सिसकियों में तब्दील हो जाती है।
उनकी हंसी सिसकियों में बदल जाती है।
ड) चीनी नाम के लिए डाली जाए तो जायका क्या रहेगा?
चीनी नाम के लिए डाली जाए तो स्वाद क्या रहेगा?
3.) हिंदी में कुछ पुल्लिंग रूप में प्रयोग किए जाते हैं किंतु उनके पर्यायवाची उर्दू शब्द स्त्रीलिंग रूप में है।
क) उदाहरण को समझते हुए तालिका पूरी कीजिए-
हिंदी पुल्लिंग | उर्दू स्त्रीलिंग |
उदाहरण मार्ग | राह |
विलंब | देर |
रोग | बीमारी |
स्वर | आवाज, ध्वनी |
व्यायाम | आखाडा, कसरत |
चित्र | तसबीर |
ख) परिवर्तित उर्दू स्त्रीलिंग शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
राह – उसने सही राह चुनी है।
देर -वह बहुत देर से आया था।
बीमारी- दीदी को खांसी की बीमारी हो गई है।
ध्वनि- हमें आवाज कम करने वाले पटाखे लगाने चाहिए जिससे ध्वनि प्रदूषण ना हो।
कसरत- भैया सुबह शाम कसरत करते हैं और अपना शरीर तंदुरुस्त रखते हैं।
तसबीर- हमारे पाठशाला के शिक्षा अच्छी तसबीर बनाते हैं।
4.) पाठ में आए इन शब्दों को देखिए।
टोस्ट- वोस्ट, पेंटींग- वेंटींग, पढ़ाई- वढ़ाई
शब्दों के इस तरह के युग्म में पहला शब्द सार्थक होता है और दूसरा निरर्थक इन शब्दों में निरर्थक शब्द के स्थान पर आदि या वगैरह लिखने से भी शब्दों के अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता जैसे- टोस्ट वगैरह को टोस्ट आदि भी लिखा जा सकता है।
अपनी बातचीत में आमतौर पर प्रयोग में आने वाले बीस ऐसे शब्दों को लिखिए।
1.) काम-धाम
2.) कचरा- वचरा
3.) खाना-वाना
3.) सीधा-साधा
4.) सच- मुच
5.) जान- वान
6.) खान-पान
7.) पाना – वाना
8.) गाड़ी- वाड़ी
9.) बैग -वैग
10.) पानी -वानी
11.) दिन- विन
12). लिख-विख
13.) दाल -वाल
14.) नमक -धमक
15.) गाना- वाना
16.) बात- वात
17.) लाठी वाठी
18.) चालू-वालू
19.) रात-वात
20.) नाम- वाम
5.) नीचे एक बाल नाटिका के कुछ संवाद दिए गए हैं। खिलाड़ियों के दो दलों के बीच संवाद हो रहा है। दल एक के कथन पूरे पूरे दिए गए हैं। किंतु दल दो के कथन नहीं दिए गए हैं। आप अपनी समझ के अनुसार दल दो के कथनों को लिखिए।
दल ऐक -अरे तुम लोग कहां जा रहे हो?
दल दो- हम सब लोग तिकोने मैदान जा रहे हैं।
दल एक – क्या? तिकोने मैदान में? किसलिए?
दल दो- हम तिकोने मैदान में खेलने जा रहे हैं।
दल एक – नहीं, तुम वहां नहीं खेल सकते। वह हमारा मैदान है क्योंकि हमने उसे पहले ढूंढा है।
दल दो- तुमने ढूंढा है तो क्या हुआ? मैदान है, हम कहीं भी जाकर खेल सकते हैं।
दल एक – नहीं, तुम कोई और जगह ढूंढो।
दल दो- नहीं हम वही जाकर खेलेंगे। हमने यही तय किया है।
दल एक – हम नहीं मानते। वह हमारा मैदान है।
दल दो- हमने कहा ना हम वही जाकर खेलेंगे।
दल एक – तुम झगड़ा करना चाहते हो?
दल दो- हां तुम अगर ऐसा करोगे तो हम झगड़ा ही करेंगे ना।
दल एक – आओ, वहां खड़े मत रहो।
दल दो- ठीक है फिर चलो हम भी देखते हैं।
योग्यता विस्तार
1.) महिलाए आजकल कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कार्य कर रही है। क्षेत्र का नाम लिखकर उस क्षेत्र की सफल/ प्रसिद्ध महिलाओं के नाम लिखिए-
क्षेत्र |
कार्य विद्या | उल्लेखनीय महिला |
उदाहरण संगीत | वायलिन वादन |
एन. राजम |
नृत्य |
भरतनाट्यम | सोनल |
खेल | क्रिकेट |
झूलन गोस्वामी |
व्यापार |
लाइम रोड फाउंडर और सीईओ |
सूची मुखर्जी |
2.) दहेज प्रथा पर लगभग 300 शब्दों में एक निबंध लिखिए।
भारत में दहेज प्रथा बहुत पुरानी है। आज हमारे भारत में दहेज विरोधी कानून बन गया है, लेकिन फिर भी बहुत सारी जगह शादी के वक्त लड़कीयों दहेज लेना अच्छा समझा जाता है। यह वर्षों से चलती आई एक दकियानूसी परंपरा है। आज भी दहेज लेना अच्छा समझा जाता है। अगर दहेज लिया या नहीं दिया जाता तो यह रीति-रिवाजों से बाहर जाकर की हुई एक गलती समझी जाती है।
पुराने जमाने में यह रित थी की लड़की अपने घर से जाते हुए कुछ ना कुछ सामान लेकर अपने ससुराल जाती है, क्योंकि तब लड़कियों के लिए मायके से लाई हुई वही एक आखिरी याद होती थी। उसके बाद उसके मायके से उसे कुछ नहीं दिया जाता था। लेकिन आज लड़की के शादी के बाद भी लड़की पराई नहीं समझी जाती। उसे उसके मायके से कुछ ना कुछ दिया जाता है।
आज दहेज गलत प्रथा बन चुकी है। जब लड़कियों के घर से दहेज मांगा जाता है तो लड़की के पिता अपने लड़के की अच्छे घर में शादी हो, इसीलिए जो मांगा जाता है वही देते जाते है। अपने हैसियत से बाहर जाकर वह लड़की को सब कुछ देते हैं। लेकिन ऐसा करते वक्त वह भी कर्ज में डूब जाते हैं। ऐसा करने के बाद लड़की की शादी तो हो जाती है। लेकिन उसके पिता का भविष्य खतरे में आ जाता है। वही कर्ज चुकाते चुकाते पूरी जिंदगी उनकी इसी में चली जाती है।
आज दहेज विरोधी कानून हैl हम सबको उसका पालन करना चाहिएl दहेज लेना और देना गलत है और हमें भी यह नियम कानून का कठोरता से पालन करना चाहिए। हम जब ऐसा करेंगे तभी दहेज लेना और देना बंद हो जाएगा और कई जिंदगियां भी बच जाएगी।
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- Chapter 6 कलातीर्थ खैरागढ का संगीत विश्वविद्यालय
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- Chapter 18 प्लास्टिक कल का खतरा, आज ही जागें
- Chapter 19 विकसित भारत का सपना
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- Chapter 23 अपने हिस्से में लोग आकाश देखते हैं