Telangana SCERT Solution Class VIII (8) Hindi Chapter 9 कबीर की साखियां
कबीर की साखियां
प्रश्न
1.) प्रस्तुत दोहे में सबको माटी का घर क्यों कहा गया है?
सब वस्तुएं मिट्टी से बनी है और आखिर में मिटी मे ही मिल जाते है। कोई भी वस्तु हो मनुष्य, फल, फूल, जीव जंतु यह सब आखिर में मिट्टी में ही मिल जाते हैं। क्योंकि सभी का जन्म मिट्टी से ही होता है।
2.) पृथ्वी के सारे प्राणी एक-दूसरे के संबंधी हैं। कैसे?
सभी प्राणियों का जन्म मिट्टी से ही हुआ है और सभी को आखिर में मिट्टी में ही मिल जाना है। इसी वजह से सभी एक दूसरे से सगे संबंधी है।
3.) इस दोहे का संदेश क्या है?
इस दोहे का संदेश यह है कि सभी का जन्म मिट्टी से हुआ है। इसलिए ना कोई बड़ा है ना कोई छोटा है। सभी एक समान है और सभी को आखिर में मिट्टी में ही मिल जाना है। हमारे जीवन में जो कुछ हमें मिलता है हमें इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। सभी के साथ प्यार से रहना चाहिए
सुनिए- बोलिए
1.) वर्तमान समय में कबीर के दोहों की सार्थकता पर चर्चा कीजिए।
पहले की अपेक्षा आज हमारा देश सभी क्षेत्रों में संपन्न है। सभी क्षेत्रों में उसने ऊंचाई प्राप्त की है। कबीर कहते हैं कि तलवार को म्यान में ही रखने में हमारी भलाई है। लोगों का देश मत करो, उनको गाली के बदले गाली मत दो। अगर हमने भी ऐसा ही किया तो गलियों की गठरी तैयार होगी। सभी मनुष्य में कोई ना कोई गुण है किसी कोई कम नहीं है कोई ज्यादा नहीं है। कबीर के दोहे हमें जिंदगी जीने की सीख देते हैं। इसीलिए वर्तमान समय में भी यह उपयोगी है।
2.) हम जानते हैं कि कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे, किन्तु इनके दोहे नीतिपूर्ण एवं ज्ञानवद्र्धक हैं। इस प्रकार निरक्षर होना साक्षर होने से अधिक महत्वपूर्ण है। चर्चा कीजिए।
हम शिक्षित हो गए इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें बहुत जानकारी है। कई ऐसे लोग होते हैं जो शिक्षित नहीं होते लेकिन उन्हें समाज में कैसे रहते हैं उसकी जानकारी होती है। कई लोग शिक्षित होते हैं लेकिन उनको यह जानकारी नहीं होती। अपने अनुभव से हमें बहुत कुछ सीख मिलती हैं। यही महत्वपूर्ण होती है।
पढ़िए
1.) तलवार का महत्व होता है म्यान का नहीं। उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं?
तलवार मतलब मनुष्य के अंदर जो गुण होते हैं वह और म्यान मतलब मनुष्य की बाहर ही सुंदरता। मनुष्य के गुना को सभी लोग देखते हैं सबका ध्यान मनुष्य के गुणों पर होता है। अगर वही गुण अच्छे नहीं है तो उसे मनुष्य पर कोई ध्यान नहीं देता। म्यान मतलब बाहरी आवरण। ऐसी सुंदरता का कोई अर्थ नहीं होता हमारे अंदर के गुण भी अच्छे होने चाहिए।
2.) पाठ की तीसरी साखी, जिसकी एक पंक्ति है- “मनुवा तो दहुँ दिसि फिर, ये तो सुमिरन नाहि। ” के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?
हमें अगर ईश्वर की प्रार्थना करनी है उसकी उपासना करनी है तो हमें कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है। पूजा, उपासना, कर्मकांड यह जो हम करते हैं यह सिर्फ बाहरी दिखावे होते हैं। प्रदर्शन होता है। अगर हम हम अपने मन से भगवान का नाम ले तो भगवान हमसे दूर नहीं होता।
3.) कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं? पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
कबीर कहते हैं कि किसी को भी छोटा मत समझो सभी एक समान होते हैं। वह कहते हैं कि घास की कभी निंदा मत करो। अगर वही घास हमारी आंख में चली जाए तो उसका परिणाम बहुत बड़ा होता है। इसी प्रकार किसी को भी उपेक्षित मत समझो। उस पर अन्याय मत करो।
4.) मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे में व्यक्त होता है?
मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते हैं। यह भावार्थ पांचवे दोहे में हैं। व्यक्ति का शत्रु खुद वही होता है। जग मैं उसका कोई शत्रु नहीं होता।
5.) कबीर ने किस दोहे में अपशब्द का प्रयोग न करने के लिए कहा है?
कबीर ने अपने दूसरे दोहे में कहा है कि अपशब्द का प्रयोग ना करें। वे कहते हैं के आवत गारी एक है , उलटत होई अनेक। मतलब कोई हमें अगर गाली देता है या आप सब कहता है तो हमें उल्टा उसे अपशब्द नहीं कहना चाहिए।
6.) सभी प्रकार के मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं। पर एक समान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं।” पाठ में आये कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं।
आवत गारी एक है, उलटत होई अनेक।
कह कबीर नहि उलटिए, वहीं एक की एका
इस दोहे से हमें पता चलता है कि सभी प्रकार के मनुष्य एक ही प्रकार से देखते सुनते हैं पर एक समान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोविकृति के अनुसार कार्य करते हैं।
लिखिए
1.) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पांच वाक्यों में लिखिए।
1.) गर्व त्याग करने से क्या लाभ है?
जब इंसान अपना कर अपना अहंकार त्याग देता है। सभी लोगों से प्यार से बात करने लगता है तब उसे कोई दुख नहीं मिलता। जो भी मिलता है सुख ही मिलता है। कबीर जी कहते हैं कि आप किसी को अपशब्द मत कहो। उसके बदले आप प्रभु का नाम लो। ऐसा करने से ही हमें सब का प्यार मिलेगा। जिसके पास ज्ञान है वही श्रेष्ठ है।
2.) ईश्वर भक्ति में आडंबर नहीं होना चाहिए। इससे आप क्या समझते हैं?
ईश्वर को बाहरी दिखाने से कोई मतलब नहीं होता। वह कहता है कि आप पूरी मन से मेरा नाम लो। पूजा, अर्चना ऐसे बाहरी अवडंबरो से कोई मतलब नहीं होता। ईश्वर यह देखता है के आप के मन में कितनी श्रद्धा है।
3.) जिसके पास ज्ञान है उसी की जाति श्रेष्ठ है, क्यों?
जिसके पास ज्ञान है उसके पास अहंकार नहीं होता। ज्ञान हमें सभी बातों की जानकारी देता है। वह बताता है कि जिस मिट्टी में हमारा जन्म हुआ है, उसी मिट्टी में हम आखिर में मिल जाएंगे।ज्ञान जब इंसान को प्राप्त हो जाता है तब इंसान सभी से समान रूप से पेश आता है इसीलिए जिसके पास ज्ञान है उसी की जाति श्रेष्ठ है।
II.) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ-दस वाक्यों में लिखिए।
1.) कबीर ने अपने समय की रूढ़ियो व अंधविश्वासों का विरोध किया। आज भी हमारे समाज में अनेक प्रकार की रूढ़ियाँ विद्यमान हैं। वे क्या हैं? सोचकर लिखिए।
कबीर जी के समय में जो रूढ़िया परंपरा समाज में चलती आ रही थी। उनमें से अनेक परंपरा गलत थी। उसे सिर्फ इंसान को दुख ही मिल सकता था। लेकिन आज में और उसे वक्त में बहुत फर्क है। आज हमने ज्ञान प्राप्त कर लिया है। इसीलिए रूढ़ि परंपराओं का अर्थ हमें मालूम होता है। ईश्वर का अर्थ उसकी पूजा क्यों करनी चाहिए यह सब बातें आज हमें मालूम होती है।
2.) कबीर ने तत्कालीन रूढ़ियों व अंधविश्वासों को मिटाने के लिए कविताएँ लिखीं। आप आज की रूढ़ियों को दूर करने के लिए क्या करना चाहेंगे?
आज अगर गलत रूढ़िया वह परंपरा हमारे समाज में प्रचलित है। तो हम उसे बदलने की कोशिश करेंगे। हम हमारे बड़ों से बात करेंगे। अगर उन्हें हमारे बातें गलत लगती है तो हम हमारे आने वाले पीढ़ियों को समझाएंगे की क्या सही है और क्या गलत है। रूढ़ि व परंपराओं का सही अर्थ हम सबको समझाएंगे।
शब्द भंडार
1.) या आपा को डारि दे, दया करे सब कोय”
ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पंक्तियों में आपा को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। क्या आपा’, ‘स्वार्थ’ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?
आपा मतलब अहंकार और घमंड। इस दोहे का अर्थ यह है कि मनुष्य का स्वभाव प्रेम से माया से भरा हुआ होना चाहिए। उसमें घमंड और अहंकार नहीं होना चाहिए। सबसे बात करते वक्त के उसकी बातों में मिठास होनी चाहिए।
2.) माला तो कर में फिरे। इस चरण में आये कर का अर्थ क्या है-
क.) करना ख.) हाथ ग.) चुंगी
उत्तर – ख.) हाथ
3.) मनुवा तो दहुँ दिसि फिर इस चरण में आये दिसि का अर्थ है-
क.) देश ख.) दिन ग.) दिशा
उत्तर – ग.) दिशा
भाषा की बात
बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है, जैसे- वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा मनुवा आदि हो जाते हैं। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती है। नीचे कुछ शब्द दिये जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो ग्यान, जीभि पाऊँ, तलि, आँखि, बरी
ग्यान- ज्ञान
जीभि जीभ
पाऊँ- पाना, हासिल करना
तलि- तले, निचला
आँखि- आंखे
बरी- बड़ा
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