Telangana SCERT Solution Class VIII (8) Hindi Chapter 11 सुदामा चरित
सुदामा चरित
प्रश्न
1.) इन पंक्तियों में किस घटना का वर्णन है?
जब सुदामा श्रीकृष्ण के महल के द्वार पे आया था। इस घटना का वर्णन इन पंक्तियों में किया है।
2.) कृष्ण-सुदामा की मित्रता के बारे में आप क्या जानते हैं?
कृष्ण-सुदामा में घनिष्ठ मित्रता थी। कृष्ण का जन्म राजपरिवार में हुआ था और सुदामा का ब्राह्मण परिवार में फिर भी उन दोनों में अच्छी मित्रता थी।
3.) अपने मित्रों के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है ?
अपनी मित्रों का जैसे हम मस्ती मौज करते वक्त साथ देते हैं वैसेही उनके मुश्किलों में हमे उनका साथ देना चाहिए। उन्हें मुश्किलों से बाहर आने के लिए मदद करनी चाहिए। अगर हमारा मित्र गलत राह पर चल रहा हो तो उसे हमे सलाह देनी चहिए। इस राह पर जाने से उसे रोकना चहिए।
सुनिए – बोलिए
1.) सच्चा मित्र बड़ी मुश्किल से मिलता है। सच्चे मित्र में क्या-क्या गुण होने चाहिए? मित्रों से चर्चा कीजिए।
सच्चा मित्र हमे गलत राह पर जाने से रोकते हैं। वह हमेशा हमारे साथ रहते हैं। मुश्किलों से लड़ने में मदद करते हैं। अगर हम किसी बात में पीछे हो तो वह हमे अपने साथ खींचता है। हम किसी से भी कम नहीं है यही वह हमे बताते हैं। वह हमे कभी निराश नहीं होने देते। हमारी बुराई नही करते। अच्छे काम के लिए हमेशा प्रोत्साहन देते हैं।
2.) दो व्यक्तियों में अच्छी मित्रता हो सकती है-
- यदि दोनों के गुण आपस में मिलते हों
- यदि दोनों के गुण आपस में नहीं मिलते हों दोनों के पक्ष में मत दीजिए और चर्चा कीजिए।
दो व्यक्तियों के गुण मिले या ना मिले उन दोनों में अच्छी मित्रता हो सकती है। अगर दोनों के गुण नहीं मिलते तो वह भी एक दूसरे की मदद से अपनी कमियों को पूरा कर सकते हैं और अगर दोनों को गुण मिलते हैं तो वह दोनों कुछ अच्छा कार्य कर सकते हैं।
पढ़िए
1.) सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।
जब सुदामा कृष्ण के द्वार पर पहुंचे तब उसकी धोती फटी हुई थी, अंग पर जो कपड़े थे वह मेले हो चुके थे। ऐसी स्थिति में वह कृष्ण के द्वार पर खड़े थे। जब श्री कृष्ण ने सुदामा की स्थिति देखी तो उन्हें अत्यंत बुरा लगा। अपने मित्र की हालत देखकर उन्हें रोना आ गया। उन्होंने सुदामा के पैर धोने के लिए पानी और परात मंगवाई। लेकिन कृष्ण के आंखों से इतने आंसू निकल गए कि उन्हें आंखों के पानी से सुदामा के पैर धूल गए।
2.) पानी परात को हाथ छुयो नहिं नैनन के जल सो पग धोए।” भाव स्पष्ट कीजिए।
इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि सुदामा की दैनिक दशा देखकर कृष्ण के आंखों से आंसू बहने लगे। उन्होंने परात और पानी तो मंगवा लिया। लेकिन उनके आंसू की धारा से सुदामा के पैर धूल गए।
3.) चोरी की बान में हो जू प्रवीने।”
क.) उपर्युक्त पंक्तियाँ कौन किससे कह रहा है?
चोरी की बान में हो जू प्रवीने। यह पंक्ति श्री कृष्ण सुदामा से कह रहे हैं।
ख.) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए ।
कृष्ण को देने के लिए सुदामा के पत्नी ने थोड़े से चावल दिए थे लेकिन कृष्ण का वैभव देखकर वह चावल सुदामा छुपाने लगा उसे वक्त कृष्ण ने उसे कहा कि तुम तो चोरी करने में माहिर हो गए हो।
ग.) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौनसी पौराणिक कथा है?
कृष्णा और सुदामा एक ही आश्रम में अपना शिक्षण कार्य पूरा कर रहे थे। तब गुरु मां ने उन दोनों से जंगल से लकड़ियां इकट्ठा करके लाने के लिए कहा। गुरु माने दोनों के लिए चने बांधकर पोटली देती है और उनसे कहती है कि जब भूख लगे तो खा लेना। रास्ते में सुदामा ने श्री कृष्ण से कहे बिना सारे चने खा लिए।
इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे यह कहानी है।
4.) द्वार से खाली लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वे कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।
सुदामा कृष्ण के पास गए थे इनको अपनी परिस्थिति बताने के लिए लेकिन वहां जाकर वहां कुछ नहीं कह पाए लेकिन जब सुदामा कृष्ण के महल से खाली हाथ लौट रहे थे। तब उनके मन में यह विचार आया, कि कृष्णा ने मेरा स्वागत बहुत अच्छे किया था। लेकिन मुझे खाली हाथ भेज दिया। मतलब मेरा कृष्ण ने जो स्वागत किया था क्या वह एक दिखावा था? ऐसे विचार सुदामा के मन में आने लगे।
5.) अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाये तब उनके मन में क्या-क्या विचार आये ?
सुदामा कृष्ण से मिलकर अपने गांव लौट गए। जब वे अपने गांव पहुंचे तो वहां पर उनको सब नया-नया दिखाई दिया। उनकी झोपड़ी उन्हें खोजने पर भी नहीं मिली। तब उनके मन में विचार आया कि क्या कहीं मैं घूम फिर कर फिर कृष्ण के महल के पास तो नहीं पहुंच गया। यहां तो मेरी झोपड़ी थी, वह कहां गई और यह सब बदला-बदला सा क्यों नजर आ रहा है।
6.) निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
सच्चा मित्र वही होता है जो कठिनाइयों में मुश्किलों में हमारा साथ देता है। जब हम मुश्किल में है तो वह हमारी मदद करता है। ऐसेही मदद सुदामा की कृष्ण ने की थी, जब सुदामा मुश्किलों में था। तब कृष्ण ने उनकी हर तरह से सहायता की। उनकी दयनीय अवस्था में उनकी मदद की और अपने मित्रता निभाई। कृष्ण ने सुदामा की अवस्था पहचान ली और उसे निर्धन से साधन बना दिया। दो मुट्ठी चावल के बदले कृष्ण ने उनको उनके हक की सारी संपत्ति दे दी।
7.) कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति ।
विपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।”
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे और सुदामा चरित में किस प्रकार की समानता दिखाई पड़ती है?
हमारे पास जब धन संपत्ति होता है तो सगे संबंधी हमारे आसपास दिखाई देते हैं। लेकिन सच्चा मित्र जो है वह स्थिति कैसे भी हो वह हमारा साथ कभी भी नहीं छोड़ता। धनुष संपत्ति न होते हुए भी वह हमारा साथ पूरी निष्ठा से निभाता है।
लिखिए
1.) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में लिखिए।
1.) यदि आपका कोई अत्यंत प्रिय मित्र आपसे बहुत वर्षों बाद मिलने आये तो आप को कैसा अनुभव होगा?
अगर हमारा कोई मित्र जो हमें अत्यंत प्रिय हो वह अचानक से हमें मिल जाए तो हमें बहुत आनंद होगा। उसके साथ बिताए हुए हर पल हमें याद आएंगे। उस के साथ बैठकर बहुत सारी बातें हम करेंगे। उसे गले लगाएंगे।
2.) कृष्ण ने सुदामा की सहायता उनके समक्ष नहीं की। उन्होंने उनके जाने के बाद अप्रत्यक्ष रूप से उनकी सहायता की। कृष्ण ने ऐसा क्यों किया होगा ?
श्री कृष्ण सुदामा के मन की स्थिति जानते थे। अगर सुदामा के सामने कृष्ण उनकी मदद करते तो सुदामा उनको असहाय नजरों से देखते रहते। उसके बारे में वह कृतज्ञता व्यक्त करते। यह कृष्ण को नहीं चाहिए, इसके लिए कृष्ण ने सुदामा की सहायता उनके समक्ष नहीं की।
3.) आपका सबसे अच्छा मित्र कौन है? आप उसको क्यों पसंद करते
मित्र वह है जो हर परिस्थिति में आपका साथ निभाए। मुश्किलों में कठिनाइयां में आपका साथ ना छोड़े। हमारा भी सच्चा मित्र खुश नहीं है एक वही है जो किसी भी परिस्थिति में आपका साथ नहीं छोड़ना।
II.) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर आठ-दस वाक्यों में लिखिए।
1.) उच्च पद पर पहुँच कर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता भाई- बंधुओं से नज़र फेरने लगता है। ऐसे लोग सुदामा चरित पढ़कर क्या सोचते होंगे?
आज के जमाने में जब कोई व्यक्ति उच्च पद पर पहुंचता है या फिर अधिक समृद्ध होकर अपने निधन माता-पिता भाई बंधुओ से नजर फेर लेता है ऐसे लोगों को हमारे समाज में स्वार्थी कहते हैं। ऐसे लोग यह कविता पढ़ेंगे जरूर लेकिन उन्हें यह कविता समझ में नहीं आएगी। हमें हमारे माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। हमारे मन में दयालु भाव, प्रेम, माया, ममता यह सब भावनाएं होनी चाहिए। जो लोग दूसरों को दुख देते हैं वहां अपने जीवन में कभी भी सुखी नहीं होते।
2.) एक अच्छी पुस्तक व्यक्ति का सच्चा मित्र होती है। ऐसा क्यों कहा जाता है ?
पुस्तके हमारे सच्चे मित्र होते हैं। वह हमें हमेशा रास्ता दिखाती है। अंधकार से प्रकाश की ओर पुस्तक हमें ले जाती है। वह हमसे कुछ अपेक्षा भी नहीं रखती। हमें पुस्तकों से बहुत सारा ज्ञान मिलता है।
शब्द भंडार
पुलकनि- पुलकित होना
लोचत – ललचाता है
उपर्युक्त शब्द तथा उनके प्रचलित रूप भाव को उजागर करते हैं। पाठ में आये ऐसे ही अन्य शब्दों एवं उनके प्रचलित रूपों की सूची बनाइए ।
सुहावत= मन को अच्छा लगने वाला
मुस्काय= मुस्कान
भावत= दिखने में सुंदर लगना
नैनन = नैनों से
2.) करुनानिधि’ अर्थात् ‘करुणानिधि दो शब्दों के योग- करुणा + निधि से बना है। इन शब्दों के अर्थबोध भी अलग-अलग हैं। कविता में आये ऐसे ही अन्य शब्द ढूँढें और लिखें।
दीनदयाल= दीन दयाल = गरीबों, दीनों पर दया करने वाला।
गुरुमातु= गुरु माता= गुरु की पत्नी
भाषा की बात
पानी परात को हाथ छुयो नहि, नैनन के जल सो पग धोए।” ऊपर लिखी गई पंक्ति ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए ।
वैसोई राज-समाज बने, गज, बाजि घने मन संभ्रम छायो । कैधों परयो कहुँ मारग भूलि, कि फैरि के मैं अब द्वारका आयो।। भौन बिलोकिबे को मन लोचत, सोचत ही सब गाँव मझायो । पूँछत पाडे फिरे सब सों पर, झोपरी को कहुँ खोज न पायो ।
भूमि कठोर पै रात कटै, कहँ कोमल सेज पै नींद न आवत ।।
प्रशंसा
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला नहीं रह सकता। समाज में उसके अनेक मित्र समय-समय पर बनते ही रहते हैं। वे एक-दूसरे का सहयोग कर आगे बढ़ते हैं। अब आप बताइए कि मित्रों का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
मनुष्य समाज में रहने वाला प्राणी है। वह अकेला नहीं रह सकता जैसे घर में मां-बाप बच्चों के साथ वह रहता है, घर से बाहर निकालने के बाद वह अपने दोस्तों के साथ रहता है दोस्त अपनी जिंदगी में बहुत जरूरी है। कभी-कभी गलती करने पर, समझाने के लिए, गलत राह पर अगर हम चल रहे हैं तो हमें सही राह दिखाने के लिए। हमारे साथ हर वक्त रहने के लिए। मुश्किल, कठिनाइयों का सामना करने के लिए, दोस्तों की जरूरत लगती है। दोस्त एक ऐसा इंसान होता है जिससे हम सारी बातें कर सकते हैं। दोस्त किसी भी उम्र के हो सकते हैं हमसे छोटे हो सकते हैं हम उम्र हो सकते हैं या फिर हमसे बड़े भी हो सकते हैं। दोस्ती करते वक्त उम्र नहीं देखी जाती।
For More Chapters Check Here –
- Chapter 1 बरसते बादल
- Chapter 2 लाख की चूड़ियां
- Chapter 3 बस की यात्रा
- Chapter 4 दीवानों की हस्ती
- Chapter खेल जहा मैदान वहा
- Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
- Chapter 6 अरमान
- Chapter 7 कामचोर
- Chapter 8 क्या निराश हुआ जाए?
- Chapter थैंक्यू निकुंभ सर
- Chapter 9 कबीर की साखियां
- Chapter 10 जब सिनेमा ने बोलना सीखा
- Chapter दो कलाकार
- Chapter 12 जहां पहिया हैं
- Chapter 13 पानी की कहानी
- Chapter 14 हमारा संकल्प
- Chapter 15 सूरदास के पद
- Chapter 16 बाज और सांप
- Chapter पहाड़ से ऊंचा आदमी