Chhattisgarh State Class 8 Hindi Chapter 5 इब्राहिम गार्दी Solution
Chhattisgarh State Board Class 8 Hindi Chapter 5 इब्राहिम गार्दी Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
1.) इब्राहिम गार्दी कौन था? उसमें किस युद्ध में भाग लिया था?
इब्राहिम गार्दी मराठोंका सेनापति था और उसने पानीपत के युद्ध में भाग लिया था।
2.) अहमद शाह अब्दाली इब्राहिम से घृणा क्यों करता था?
अहमद शाह अब्दाली इब्राहिम से घृणा करता था क्योंकि इब्राहिम मुसलमान होकर भी मराठों के साथ खड़ा उनकी सेना वह नेतृत्व करता था।
3.) पानीपत का युद्ध कब हुआ था और किस किस के बीच हुआ था?
पानीपत का युद्ध 1761 में अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच हुआ।
4.) शुजाउद्दौला इब्राहिम को अब्दाली के समक्ष उसी समय क्यों नहीं पेश करना चाहता था?
शुजाउद्दौला इब्राहिम को अब्दाली के समक्ष उसी समय पेश नहीं करना चाहता था क्योंकि इब्राहिम दस हजार सेना के टुकड़ी का सेनापति था और वह बहुत घायल हो चुका था वह ठीक होने के बाद शुजाउद्दौला उसे अब दाल के सामने पेश करने वाला था।
5.) किस के मारे जाने पर इब्राहिम गार्दी दुखी हुआ?
पानीपत के युद्ध में सदाशिवराव और विश्वास राव मारे गए उनके मारे जाने पर इब्राहिम गार्दी दुखी हुआ।
6.) इब्राहिम गार्दी के नजरिए में मुसलमान कौन है?
इब्राहिम गार्दी के नजरिए में जो अपने मुल्क के साथ गद्दारी करें जो आपने मूवी ऑफ बार-बार करने वाली परदेशियों का साथ दे वह मुसलमान नहीं है ।
7.) अपने जख्मों की पीड़ा को दबाते हुए इब्राहिम ने अब्दाली को क्या उत्तर दिया?
“खुदा अरबी, फारसी, पश्तो जबान को ही समझ का है क्या? वह मराठी फारसी नही जानता? क्या खुदा राम नही और क्या राम और रहीम अलग-अलग है? अपने जख्मों की पीड़ा को दबाते हुए इब्राहिम ने अब्दाली को यह उत्तर दिया।
8.) अब्दाली ने इब्राहिम गार्दी को क्या सजा दी?
इब्राहिम गार्दी को अब्दाली ने टुकड़े टुकड़े करके उसका वध करने की सजा दी।
9.) कहानी से वाक्य चुनकर लिखिए जिनसे इस्लाम धर्म की विशेषताएं प्रकट होती होl
इब्राहिम गार्दी मैं मुसलमानों की यह विशेषताएं बताएं कि जो अपने मूल के साथ गद्दारी करें अपने मुल्क को बर्बाद करने वाले परदेशी उनका साथ दे वह मुसलमान नहीं है और क्या खुदा अरबी, फारसी या पश्तो जबान को ही समझता है क्या खुदा राम नहीं और राम और रहीम अलग-अलग है।
10.) यदि अपनी जान बचाने के लिए इब्राहिम तौबा कर लेता तो आप उसके संबंध में क्या राय बनाते?
यदि अपनी जान बचाने के लिए इब्राहिम तौबा कर लेता तो वह डरपोक और कायर समझा जाता।
11). इब्राहिम गार्दी के गुणों को शिर्षकों के रूप में लिखिएl
निडर- इब्राहिम हर परिस्थिति का सामना बिना डरे करता था।
कर्तव्यनिष्ठ- किसी भी परिस्थिति में इब्राहिम अपने कर्तव्य से भगता नहीं था।
12.) किसने कहा? किससे कहा?
क.) “इस समय वह घायल पड़ा है।”
शुजाउद्दौला ने अब्दाली के दूत से कहा।
ख.) “मुसलमान होकर फिरंगी की जबान पढ़ि। फिर मराठों की नौकरी की।”
अहमदशाह अब्दाली ने इब्राहिम को कहां।
ग.) “जो अपने मुल्क को बर्बाद करने वाले परदेशियों का साथ दें वह मुसलमान नहीं।”
इब्राहिम गार्दी ने अहमद शाह अब्दाली से कहा।
घ.) “मेरे इस दिल के टुकड़े हो जाने से रूह के टुकड़े तो होंगे नहीं।”
इब्राहिम ने अब्दाली से कहा।
ड.) “हम हिंदू मुसलमानों की मिट्टी से ऐसे सुरमा पैदा होंगे जो वहशियो और जालिमों का नामोनिशान मिटा देंगे।”
इब्राहिम ने अहमद शाह अब्दाली से कहा।
पाठ से आगे
1.) इस पाठ में इस्लाम धर्म का उल्लेख है। आप सभी धर्मों के उन पहलुओं को आपस में चर्चा कर लिखिए जो सभी में समान रूप से पाए जाते हैं।
हमेशा भी धर्म के पहलुओं को पढ़ा, इसके बारे में अपने मित्रोंसे, शिक्षकोंसे और विद्वानोंसे भी चर्चा की। इससे हमें यह पता चला कि कोई भी धर्म क्रूरता का संदेश नहीं देता। कोई भी धर्म यह नहीं कहता कि हिंसा करो। सभी धर्म शांति और प्रेम का संदेश देते हैं। सभी धर्म मानवता का संदेश देते हैं। जब हम सब एक साथ रहते हैं, तो हमें प्यार से रहना चाहिए ना कि एक दूसरे की नफरत करनी चाहिए। हमें एक दूसरे के साथ प्यार से रहने की जरूरत है ना कि झगड़ने की एक दूसरे से नफरत करने की। जब हम प्यार से रहेंगे तभी सबका विकास होगा। सभी तरफ शांति बनी रहेगी।
2.) मराठों के सेनापति इब्राहिम के जीवन के लिए कौन-कौन से पहलू है जो उन्हें धर्म की सभी सीमाओं से ऊपर उठाकर एक नेक इंसान के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं प्रश्नचिन्ह चर्चा कर लिखिए।
इब्राहिम किसी भी धर्म में भगवान में भेदभाव नहीं करता था। ऐसे ही वह मनुष्य में भी भेदभाव नहीं करता था। उसके लिए सभी धर्म समान थे। वह राम में खुदा देखता था। तो रहीम में राम को देखता था। वह अपना कर्तव्य अच्छे से पूर्ण करता था। वह एक नीडर सेनापति था। जब मौत उसके सामने थी तो भी वह नहीं डरा। अपने कर्तव्य के लिए उसने अपनी जान भी दे दी। यह पहलू है जो इब्राहिम को धर्म की सभी सीमाओं से ऊपर उठकर एक नेक इंसान के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं।
3.) धर्म /मजहब /पंथ का वास्तविक स्वरूप कभी भी हमारी राष्ट्रीयता में बाधक नहीं है। इस विषय पर आपस में विचार कर इसके पक्ष और विपक्ष में तर्कों को लिखिए।
हमारे राज्य में बहुत सारे धर्म के लोग एक साथ रहते हैं और सभी लोग अपने अपने धर्म का पालन करते हैं। लेकिन वह लोग जब एकत्रित होते हैं तो वह अपने धर्म के साथ दूसरों के भी धर्म का सम्मान करते हैं। यह धर्म हमारे राष्ट्र के हित मैं बाधक नहीं बन सकते। जब राष्ट्र की बात आती है तो सभी धर्म के लोग राष्ट्र के हित के बारे में कभी सोचते हैं। उसे ही महत्व देते हैं।
4.) एक पाठ में इस्लाम धर्म के दो नजरिया को पढ़ने और समझने को मिलते हैं यह क्या है? दोनों में से कौन सा नजरिया महत्वपूर्ण है जान पड़ता है और क्यों? मित्रों से चर्चा कर लिखिए।
हमें इस पाठ में इस्लाम धर्म के दो नजरिए देखने के लिए मिलते हैं। एक नजरिया इब्राहिम का है इसमें वह कहता है कि अपने धर्म के साथ-साथ दूसरों का धर्म भी उतना ही महत्वपूर्ण है। दूसरे धर्म को भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए जितना हम अपने धर्म को देते हैं। हमें दूसरों के धर्म की प्रताड़ना नहीं करनी चाहिए और दूसरा नजरिया है अब्दाली का जो सिर्फ अपना धर्म ही उँचा मानता है। अपने धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए वह हो दूसरे धर्म के लोगों को परेशान करता है। इसमें से हमें इब्राहिम का नजरिया अच्छा लगता है। जो अपने साथ-साथ दूसरों का भी सम्मान करता है।
भाषा से
1.) पाठ से लिए गए निम्नलिखित समानार्थी शब्दों के परस्पर जोड़े बनाएं-
विदेशी या गोरा पेश फौजी पड़ाव. नफरत
हाजिर करना पलटन छावनी घृणा कमजोर
शरीर मूर्ति फिरंगी क्षीण. हत्या
बुत आज्ञा जश्न अरमान क़त्ल
आदेश तन इच्छा उत्सव
विदेशी या गोरा- फिरंगी
पेश – हाजिर करना
फौजी- पलटन
पड़ाव- छावनी
नफरत- घृणा
कमजोर- क्षीण
शरीर- तन
मूर्ति- बुत
आज्ञा- आदेश
जश्न- उत्सव
अरमान- इच्छा
हत्या- कत्ल
2.) 5 में बहुत से विदेशी शब्दों का प्रयोग हुआ है पूरे दिन का हिंदी में समानार्थी देने वाले शब्दों को लिखिए- तोबा, मुल्क, फतह, यकीन, जबान, शागिर्दी, शर्म, वक्त, अरमान, बुतपरस्त, बदजुबान, वहशी, जालीम।
तोबा- माफी
मुल्क- राष्ट्र, देश
फतह- जीत
यकीन- विश्वास
जबान – शब्द या वचन
शागिर्दी- शिष्य
शर्म- लज्जा
वक्त-समय
अरमान-इच्छा
बुतपरस्त- मूर्ति की पूजा करने वाला।
बदजुबान- कड़वी बोली बोलने वाला।
वहशी- जो जंगल में रहता है।
जालीम- क्रूर
3). पाठ में आए सरल, मिश्र व संयुक्त वाक्य की पहचान कीजिए।
सरल वाक्य- अहमद शाह के सामने इब्राहिम गार्दी लाया गया।
मराठों का सेनापति इब्राहिम गार्दी बंदी हुआ।
मिश्र वाक्य- अहमद शाह ने पूछा, तुम मराठों की दसहजार पलटनोंके सेनापति थे।
पर यकीन है कि आप खुदा के फरिश्ते नहीं है।
संयुक्त वाक्य- क्या खुद राम नहीं है और क्या राम और रहीम अलग-अलग है?
जिन बुतों को बहुत से लोग पूजते हैं और आप भी, मैं उनको नहीं पूजता।
4.) पाठ से प्रश्नवाचक वाक्य को खोजकर लिखिए साथ ही कुछ साधारण वाक्यों का चुनाव कर प्रश्नवाचक वाक्यों का निर्माण कीजिए।
तुम मराठों के दसहजार पलटनोंके जनरल थे?
पहले तुम फारसीयोंके नौकर थे?
तुमने फिरंगी जबान भी पढी़ है?
क्या तुम नमाज पढ़ते हो?
जानते हो तुम अब किसके सामने हो और किससे बात कर रहे हो?
फिर मराठों की नौकरी की?
5.) धर्म की कट्टरता हानिकारक है-इस विषय पर बीस वाक्योंका एक निबंध लिखिए।
धर्म की कट्टरता अपने साथ-साथ बाकी सारे लोगों के लिए भी हानिकारक होती है। हमारी कट्टरता का प्रभाव बहुत सारे लोगों पर पड़ता है। इस वजह से हम समाजसे बिछड़े हुए रहते हैं। इसका परिणाम हमारे घर के बाकी लोगों पर और ज्यादातर करके अपने घर की स्त्रियों पर होता है। आज पाठशाला में घर में सभी जगह पढ़ाया जाता है कि भाईचारे से रहो एक दूसरे के साथ प्यार का बंधन बांध लो। अहिंसा बुरी चीज होती है। लड़ाई झगड़ा मत करो। लेकिन ऐसे लोग जो धर्म का कट्टरता से पालन करते हैं उनकी वजह से हम समाज में सामंजस्य पूर्ण नहीं रह सकते। एक दूसरे से के साथ नहीं चल सकते। इस वजह से देश भी खतरे में आ सकता है। ऐसे लोग हमारे राष्ट्रीय एकता को ठेस पहुंचाते हैं। ऐसे विचारों के साथ अगर हम चलते हैं तो हम कभी भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। धर्म को मानना कोई गलत बात नहीं है लेकिन गलत तथा परंपराओं को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना चाहिए। तभी हमारा विकास होगा। अगर हम धर्म में परिवर्तन नहीं लाते तो हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। समाज में प्यार से नहीं रह सकेंगे।
6.) इस पाठ में लगे उद्धारण चिन्हों – वाले (” “) 4 वाक्य को लिखिए। यह भी लिखिए कि उस वक्त चिंता कब और कहां लगाए जाते हैं।
“उसे हर हालत में इसी पल जाना होगा।”
“फिरंगी या मराठी जबान में नमाज पढ़ते होंगे।”
“मार दिया गया, सिर काट दिया गया। ”
” पहले तौबा कर। ”
Read Previous Chapters
- Chapter 1 नई उषा
- Chapter 2 एक नई शुरुआत
- Chapter 3 अब्राहम लिंकन का पत्र
- Chapter 4 पचराही
- Chapter 6 जो मैं नहीं बन सका
- Chapter 7 दीदी की डायरी
- Chapter 8 एक साँस आजादी के
- Chapter 9 साहस के पैर
- Chapter 10 प्रवास
- Chapter 11 हमारा छत्तीसगढ़
- Chapter 12 अपन चीज के पीरा
- Chapter 13 विजयबेला
- Chapter 14 आतिथ्य
- Chapter 15 मनुज को खोज निकालो
- Chapter 16 बरसात के पानी ले भू – जल संग्रहण
- Chapter 17 तृतीय लिंग का बोध
- Chapter 18 ब्रज़ माधुरी
- Chapter 19 कटुक वचन मत बोल
- Chapter 20 मिनी महात्मा
- Chapter 21 सिखावन
- Chapter 22 हिरोशिमा की पीड़ा
- Chapter 23 युग नायिका सावित्रीबाई फुले