Chhattisgarh State Class 8 Hindi Chapter 21 सिखावन Solution
Chhattisgarh State Board Class 8 Hindi Chapter 21 सिखावन Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
सिखावन
1.) हमन ला चाँटी ले का– क सिखावन मिलथे ओरिया के लिखव।
जो चीटियां हमलावर होती है वह बिना थके काम करती है। बहुत मेहनत करती है।
2.) ‘ठाढे– ठाढे ठिहा– ठिकाना नइ मिलय – एमा कवि के भाव ल बने अरथा के लिखव?
अगर हमें अपनी मंजिल तक पहुंचना है तो हमें आगे चलते रहना चाहिए अगर हम रुक जाएंगे तो मंजिल तक नहीं पहुंच पाएंगे।
3.) काकर बल म ये दुनिया ल जीते जा सकत हे, अउ दुनिया ल जीतना के का अर्थ हे?
अगर हमें दुनिया को जीतना है तो उसके लिए हमें ज्ञान का सहारा लेना चाहिए उसी के बल पर हम दुनिया को जीत सकते हैं ।
4.) पेड़ ल दानी काबर कहे गे हवय?
पेड़ हमें फूल फल लकड़ी औषधे देती है। इसीलिए पेड़ को दानी कहा गया है
5.) ‘घाम– छाँव के खेल‘ के अर्थ ल बने समझ के लिखव?
दुनिया में रात और दिन होता है जैसे घाम- छाँव मतलब धूप और छाँव होता है वैसे हम मनुष्य के जीवन में सुख और दुख आते जाते रहते हैं।
6.) ‘रात‘ अउ अँधियार के अर्थ कवि के अनुसार का हो सकत हे?
हमारे जीवन में जो उसके लिए आती है उसका अर्थ कभी नहीं रात ऐसे बताया है और अंधियार से कवि का मतलब है निराशा।
7.) ‘आसा अउ बिसवास के दिया बारना के भाव ल लिखव?
आशा और विश्वास का दिया हमारे मन में हमेशा हमें जलाए रखना है हमें कभी भी किसी भी परिस्थिति में निराश नहीं होना है ऐसा इस पंक्ति का भाव है।
पाठ से आगे
1.) एके अवगुन सौ गुन ल, मिलखी मारत खाय।
गुरतुर गुल वाला सुवा, लोभ करे, फँद जाय।।
इसका संदर्भ क्या हो सकता है वह इससे आप कहां तक सहमत है। विचार कर लिखिए।
इस पंक्तियों में लिखा है कि हममे सौ अच्छाइयां है लेकिन अगर एक अवगुण है यह अवगुण हमारे उन सौ गुणों पर भारी पड़ता है। सभी लोग इसी एक अवगुण को भी याद रखते हैं कोई भी उन सौ गुणों की तरफ देखता ही नहीं। हमें भी इस अवगुण से दूर ही रहना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को लालच और लोभ से भी दूर रहना चाहिए।
2.) जीवन बर आसा अउ बिसवास ल कवि ह जरुरी बताय हे। का तुमन घलव वइसने सोचथन बिचार करके लिखव।
हमारे जीवन में आशा और विश्वास यहां दो बातें बहुत महत्वपूर्ण में रहती है। मुश्किलों से सामना करने के लिए कठिनाइयों से दूर रहने के लिए यह दो बातें हमारी मदद करती है। आशा का दिया हमें हमेशा कहता है कि निराश मत हो जाना। कितनी भी कठिन परिस्थितियां आए अपने लक्ष्य को पाने के लिए चलते रहना।
3.) नवा रद्दा खोजे ले जीवन म का – का परिवर्तन हो सकथे, अपन कक्षा के दू समूह बनाके सोचव अउ लिखव।
अगर हम हमारे जीवन में निराश हो जाते हैं तो हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए नया रास्ता खोजना चाहिए। जीवन में हमारे हमेशा ही कठिन परिस्थिति आएगी। लेकिन हमें अपने लक्ष्य से हटना नहीं है। उस तक पहुंचने के लिए हमें हर एक कोशिश करनी चाहिए। अगर नए रास्ते पर चलते चलते हम अपने जीवन पर सफल हो जाते हैं तो हमें उसने रास्ते को अपनाना चाहिए।
4.) “अगर दुनिया में किताब या किताब लिखइया नइ होतिन ता का होतिस।” ए विषय में दस लाइन लिखव।
अगर दुनिया में किताबें नहीं लिखी जाती तो हमें कोई भी चीज समझने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती। हमें इतिहास का ज्ञान ही नहीं होता। किताब से ही पढ़कर हम समझते हैं कि दुनिया में अपना व्यवहार कैसे होना चाहिए, क्या सही है क्या गलत है यह सब बातें हमें किताब से ही पता चलती है। अगर किताबें नहीं होती तो हमारे देश को स्वतंत्रता कैसी मिली, हमारा देश अंग्रेजों के हाथों में कैसे गया यह हमें पता ही नहीं चलता। हमें किसी भी बात का ज्ञान नहीं होता। बहुत सारी बातें हमें याद रखने पड़ती।
5.) सीख के अइसनेहे दोहा मन ल सकेल के लिखव।
भाषा से
1.) कविता अउ लेख के भाषा म बड़ा अंतर होथे। कविता के भाषा अउ लेख के भाषा ल पढ़व अउ गुनव। कविता म षब्द भले कमती होथे, फेर ओकर अर्थ ह बड़े होथे। एमा कमती शब्द म बड गहरी बात ल कहे के उदिम कवि ह करे रहिथे। एकरे सेती कविता के शब्द म लुकाय भाव अउ विचार ल बने देखे अउ समझे ल परथे। एकर छोड़ कवि ह अपन भाषा ल गहना – गुरिया घलो पहिराथे, तेला अलंकार कहे जाथे।
जइसे-
अ) आसा अउ बिसवास के दीया।
ब) गुरतुर – गुन
पहिली डाँड ल पढ़व अव गुनव। दिया ह माटी के बनथे, फेर कवि हा आसा अउ बिसवास ल दिया के रुप मे दे हवय। ये ह रुपक अलंकार के उदाहरण आय। अब दुसरइया म दू शब्द के जोडी हवय गुरतुर अउ गन। दूनो शब्द के शुरु ह ग अक्षय ले होय हे। अइसन प्रयोग ल अनुप्रास अलंकार कहिथे।। अपन षिक्षक ले पूछके अउ आने – आने प्रयोग के बारे म जानव अउ लिखव, जइसे –
अ.लाखन -लाखन
ब. ठाढ़े – ठाढ़े
घाम- छाँव – अनुप्रास अलंकार
लाखन -लाखन – अनुप्रास अलंकार
महर – महर – अनुप्रास अलंकार
फूल – फर – अनुप्रास अलंकार
ठिकान – सार – अनुप्रास अलंकार
नान – नान – अनुप्रास अलंकार
2.) ये पाठ के कविता ह दोहा छंद में बँधाय हे छंद माने बँधना। छंद ह कई प्रक होथे। कोनो छंद म मात्रा के गिनती करे जाथे त कोनो छंद म वर्ण के गिनती जाथे। जेमा ‘मात्रा‘ के गिनती करे जाथे, तेला ‘मात्रिक छंद‘ अउ जेमा ‘वर्ण‘ के ि करे जाये, तेला ‘वार्णिक छंद कहे जाथे।
दोहा ह अर्धसम मात्रिक छंद आय एकर चार चरण होथे पहिली अउ तीसर के 13-13 मात्रा के पाछू यति होथे दुसरइया अउ चौथइया चरण में 11-11 । होथे सब मिला के 24 -24 मात्रा होथे मात्रा के गिनती ल ‘गुरु’ अउ ‘लघु’ ल के करे जाये ‘गुरु माने दू मात्रा अउ ‘लघु’ माने एक मात्रा गुरु वर्ण के उच्चार जादा समय लागथे अउ लघु वर्ण के उच्चारण में कम समय लागथे। जेन वर्ण में व मात्रा नइ रहय या इ अउ उ के मात्रा रहिथे तेला लघु या एक मात्रा माने ज आने मात्रा वाला वर्ण ल दू मात्रा या गुरु माने जाथे। गुरु के चिनहा ‘s’ अउ लघु चिनहा ‘l’ जइसे होथे।
lll llS
उदाहरण- कमल, कमला
II S SSSI IL II S SSSI = 13+11 = 24
सब ला देथे फूल-फर सब ला देथे छाँव ।
11 11 SS SISIS III SSI -13-11-24
अइसन दानी पेठ के परो निहर के पाँव ।
पाठ में आय दू उन दोहा ल लिखके मात्रा के गिनती करव ।
दोहा
एके अवगुण सौ गुन ल, मिलखी मारत खाय
IIIII ISSI SS IIS II SI = 13+11=24
दोहा
महर महर जे नई करे फूल अबिरथा जान
III S S II IS SI IIIS SI= 13+11=24
3.) छत्तीसगढ़ी भाषा में गंज अकन मुहावरा के प्रयोग करे जाथे एकर प्रयोग ले भाषा के प्रभाव के ताकत बढ़ जाथे अउ भाव में गहराई आ जाथे।
4.) खाल्हे लिखाय मुहावरा मन ल अपन वाक्य में प्रयोग करव । मिलखी मारना, मीठ लबारी बोलना,पल्ला मारना ।
मिलखी मारना- आँखे झपकाना
मिलखी मारतेही चंदु ने लड्डु खा लिए।
मीठ लबारी बोलना- झूठी प्रशंसा करना
मीठ लबारी बोलके रामू अपना काम निकलवा लेता था।
पल्ला मारना- ज्यादा से ज्यादा अंतर कम समय में तय करना।
भैया रोज दौड़ने के लिए जाते हैं उनका उद्देश्य है पल्ला मारना।
5.) उल्टा अर्थ वाला शब्द लिखव –
अँधियार- रात, तम
आसा- भरोसा
लबरा- सच बोलने वाला
छाँव – धूप
जीत – हार
6.) जेन शब्द है संज्ञा या सर्वनाम शब्द के विशेषता बताये, तेला विशेषण‘ कहे जाथे। जइसे – गुरतुर गुन । एमा गुन के विशेषता बताय जावत है। कइसन गुन है ? ये प्रश्न के उत्तर हवे गुरतुर हे। संज्ञा शब्द के साथ कइसे या कइसन के प्रश्न करे म विशेषण शब्द के पता लग जाथे।
मीठ, गुरतुर, नवाँ
7.) पाठ म आय दोहा मन के संदेश उपर दस वाक्य लिखव।
पार्टी में आए तो हे मन के संदेश से हमें यह सीख मिलती है के रोज रात होती है और रोज ही नया दिवस आता है। मतलब अंधियारा खत्म होके उजाला हमेशा ही आता है। हमें बस विश्वास रखना चाहिए। आशा का दीप जलाए रखना चाहिए। हममे सौ गुण हो लेकिन जब कोई भी देखता है तो हमारा एक अवगुण ही देखता है। कोई भी हमारे उन सौ गुणों के ऊपर लक्ष्य नहीं देता। हमें कभी भी लोभ नहीं करना चाहिए। कई लोग मीठी बोली बोल के झूठ बोलकर प्रतिष्ठा पाने की कोशिश करते हैं। लेकिन इस से अच्छा है कि हम सच बोले क्योंकि झूठ बहुत देर तक टिकता नहीं है । लेकिन सत्य की उम्र बहुत लंबी होती है। धूप और छाया तो आते ही रहते हैं। इस तरह जिंदगी में भी निराशावादी कठिन परिस्थिति आती रहेंगी हमें अपने लक्ष्य की ओर चलते रहना है। अगर फूलों में सुगंध ना हो तो हम उस फूल की तरफ देखते भी नहीं है। वैसे ही जिस आदमी में जिस व्यक्ति में सिर्फ अवगुण हो तो वह अवगुणी व्यक्ति किसी को पसंद नहीं आता। पेड़ हमें फूल, फल, छाव, औषधि देता है। वैसे ही हमें भी दूसरों को देते रहना चाहिए।
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