Chhattisgarh State Class 8 Hindi Chapter 1 नई उषा Solution
Chhattisgarh State Board Class 8 Hindi Chapter 1 नई उषा Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
1.) नई उषा से कवी का क्या अभिप्राय है?
नई उषा से कवी का यह अभिप्राय है, कि आज तक हम दूसरों की गुलामी कर रहे थे। हमारा देश दूसरों के हाथ में था। हम आजाद नहीं थे।लेकिन अब हमारा देश स्वतंत्र हो चुका है। हमारे मन में आशा कि नई किरणों ने जन्म लिया है। अब हमें हमारे देश का विकास हम कैसे करेंगे इस पर ध्यान देना है। कवि ने नई उषा मतलब आजादी यही अर्थ लगाया है।
2.) सभी मनुष्यों में किन किन गुणों का विकास होना चाहिए?
कवि के अनुसार मनुष्य के कर्म अच्छे होने चाहिए, मनुष्य में मैत्री, सहानुभूति, सख्य, सत्य, प्रेम, विवेक, ज्ञान और दया इन गुणों का विकास सभी मनुष्यों में होना चाहिए।
3.) कविता में कवी के ‘प्राण – प्राण गा उठे’ कहने का क्या आशय है?
अच्छे कर्मों से ज्ञान और ज्योति इन सब से हमारा देश जगमगा उठेगा। अपने पैरों पर वह खड़ा हो जाएगा। किसी के आश्रय की उसे जरूरत नहीं पड़ेगी और इसके कारण इस देश में रहने वाले सभी लोग खुशी-खुशी अपना जीवन बिताने पाएंगे।कविता में कवी के ‘प्राण – प्राण गा उठे’ कहने का यह आशय है
4.) समाज को स्वाश्रयी कैसे बनाया जा सकता है?
समाज में रहने वाले लोग सब अच्छे कर्म करेंगे, सभी जगह से ज्ञान प्राप्त करेंगे तब हमारा देश स्वाश्रयी बनाया जा सकता हैl
5.) नयी उषा शिर्षक कविता में कवी किन किन परिवर्तनों की ओर संकेत करता है?
हमारा देश परतंत्रता में था, अब वह स्वतंत्र हो गया है। अब हम गुलामी नहीं करेंगे। ज्ञान प्राप्त करेंगे और उसी ज्ञान का उपयोग हम हमारे जीवन में करेंगे। अपना विकास करेंगे। नई उर्जा इस शीर्षक कविता में कवि इन्हीं परिवर्तनों की ओर संकेत करता है।
6.) कविता में वर्णित वसुंधरा शस्य श्यामला सदा कैसे बनी रह सकती है? स्पष्ट किजिए।
कविता में वर्णित वसुंधरा नवयुवकों के परिश्रम से शस्य श्यामला सदा बनी रह सकती है। कवि नवयुवकों कहते हैं, कि उन्हें मेहनत करनी चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। जब वह मेहनत करेंगे अपने मेहनत का पसीना जब इस धरती पर पड़ेगा तब इस धरती पर हरी भरी फसलें लहराएगी।
7.) प्रमाद की महानिशा बीतने से ववि का आशय है?
कवि कह रहे हैं कि अब प्रमाद की महानिशा मतलब हम पर जो परतंत्रता का गुलामी का ग्रहण लगा था, या कालरात्रि छाई हुई थी वह अब बीत गई है। अब नया सवेरा है, नई उषा की किरण सभी तरफ छा गई है। अब हमारी मेहनत रंग लाएगी, इस मेहनत की चर्चा सभी जगह की जाएगी।
8.) प्रस्तुत कविता नवयुवकों मन में किनकिन भावों का संचार कर रही है?
जो अंधकार हमारे जीवन में छाया हुआ था, वह समाप्त हो गया है। अब नवयुवकों के मन में ज्ञान, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना, शिक्षित होना, दूसरों को प्रेम दिखाना, दया इन भावों का संचार हो रहा है।
9.) यह कविता नवयुवकों को क्या संदेश देती है?
इस कविता के माध्यम से हमें पता चलता है, कि आज हमारे देश में उषा की नई किरण जाग गई हैं। जैसे यह किरण हमारे देश में जाग गई है, वैसे ही यह किरण हमारे मन में भी होनी चाहिए। हमें आलस्य को छोड़ देना चाहिए और बहुत मेहनत करनी चाहिए। जब हम मेहनत करेंगे तो ही हमारा विकास होगा। तभी हम आगे बढ़ पाएंगे और हमारे देश को भी आगे ले जाएंगे। हमें शिक्षित होना होगा, भेदभाव को भुलाकर सभी लोगों के साथ हमारे समाज में हमें प्यार से रहना होगा, अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी होगी। ज्ञान की ज्योति हर तरफ फैलानी होगी।
पाठ से आगे
1.) कविता की इन पंक्तियों के भाव को अपने शब्दों में लिखिए-
उठो, चलो, बढ़ो समीर शंख है बजा रहा
भविष्य सामने खड़ा प्रशस्त पथ बना रहा।
प्रवाह स्नेह का प्रत्येक प्राण में पला करें
प्रदीप ज्ञान का प्रत्येक गेह में जला करें।
यह कविता के माध्यम से कवि कह रहे हैं, कि सूरज अब जाग गया है, अंधेरा खत्म हो गया है। अब हमें भी उठ कर खड़ा होना चाहिए, मेहनत करनी चाहिए। समीर मतलब वायु, हमारे आसपास जो हवा चल रही है वह शंख बजा रही है और इन युवकों को अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए मार्ग दिखा रही है। जी जान लगाकर हमारा लक्ष्य पाने के लिए, सफलता पाने के लिए हमें काम करना चाहिए। जब हम ऐसा करेंगे तो हमारा भविष्य सुनहरा हो जाएगाl हमें विकास की ओर ले जाएगा। इसके लिए हमें सभी लोगों को शिक्षित करना चाहिए। उन्हें ज्ञान का मार्ग दिखाना चाहिए।
2.) उष:काल में हमारे आस-पास के परिवेश में क्या परिवर्तन नजर आता है और हमें कैसा महसूस होता है? लिखिए।
उष: काल में धरती पर सूर्य की सोने जैसी किरणें पड़ती है। तब सारी धरती इस किरणों से चमकने लगती है। पक्षी नींद से जागते हैं और चहचहाने लगते हैं। यह दृश्य देखने जैसा होता है। सभी का मन इससे प्रसन्न हो जाता है। सभी लोगों में कार्य करने की नई उर्जा आ जाती है।
3.) स्वश्रयी अथवा स्वनिर्भर समाज से आप क्या समझते हैं? शिक्षक पर चर्चा कर इसकी विशिष्टताओं को लिखिए।
स्वश्रयी अथवा स्वनिर्भर होना मतलब स्वयं पर निर्भर होना। किसी पर आश्रित ना रहना। अपना काम स्वयं कर लेना।
भाषा से
1.) कविता में अरुण, प्रभात, स्वेद, धरा, सुकर्म, शस्य जैसे शब्द आए हैं। जिन्हें हम तत्सम शब्द कहते हैं तत्सम (तत् + सम = उसके समान) आधुनिक भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त ऐसे शब्द है जिनको संस्कृत से बिना कोई रूप बदले में ले लिया गया है। अर्थात यह शब्द सीधे संस्कृत से आए हैं। कविता से ऐसे शब्दों का चुनाव कर उनका अर्थ अपनी भाषा में स्पष्ट करते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए।
1.) वसुंधरा- धरती
बारिश के दिनों धरती हरे रंग की चादर पहनी हुई होती है।
2.) स्वर्ण- सोना
प्रातः काल मैं सूरज की किरणें सोने जैसे दिखाई देती है।
3.) प्रभात- सवेरा
सवेरे उठने वाले लोग हमेशा प्रसन्न में रहते हैंl
4.) उषा- सुबह
सुबह -सुबह पक्षी चहचहाने लगते है।
5.) समीर – हवा
ठंड के मौसम मे हवा अल्हाद दायक होती है।
2.) नई किरण, नए संदेश, खिले कमल जैसे शब्द कविता की पंक्तियों में प्रयुक्त हुए हैं। जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बता रहे हैं, अथवा उत्पन्न कर रहे हैं जिन्हें हम विशेषण कहते हैं। कविता में प्रयुक्त ऐसे विशेषण को पहचान कर उनकी जगह नए विशेषणोंके सार्थक प्रयोग कीजिए। जैसे – सुनहरी किरण, शुभ संदेश, मुस्कुराते कमल
सुनहरी प्रभात
प्रकाश से भरा ज्ञान
1.) उठो उठो नए संदेश दे रही दिशा दिशा
इस पंक्ति में उ एवं द वर्ण की आवृत्ति कई बार हुई है। जहां एक ही पंक्ति में एक ही वर्ण की बार-बार आवृत्ति होती हो वहां अनुप्रास अलंकार होता है। इसमें भाषा में प्रवाह लय और सोंदर्य उत्पन्न होता है।
यह कविता की एक पंक्ति दी गई है दिए गए शब्दों की सहायता से शेष तीन पंक्तियों की रचना कीजिए।
पूर्व दिशा, सूरज, चहचहाना, पक्षी, रात, अंधेरा, खिला, किरण, बाग- बगीचे।
जागो -जागो हुआ सवेरा
सूरज की किरणों से जीवन में उजियाला सारा।
पक्षीयोंकी मधुर आवाज लगे प्यारी-प्यारी
बाग- बगीचे में फुल खिले न्यारे।
Read Previous Chapters
- Chapter 2 एक नई शुरुआत
- Chapter 3 अब्राहम लिंकन का पत्र
- Chapter 4 पचराही
- Chapter 5 इब्राहिम गार्दी
- Chapter 6 जो मैं नहीं बन सका
- Chapter 7 दीदी की डायरी
- Chapter 8 एक साँस आजादी के
- Chapter 9 साहस के पैर
- Chapter 10 प्रवास
- Chapter 11 हमारा छत्तीसगढ़
- Chapter 12 अपन चीज के पीरा
- Chapter 13 विजयबेला
- Chapter 14 आतिथ्य
- Chapter 15 मनुज को खोज निकालो
- Chapter 16 बरसात के पानी ले भू – जल संग्रहण
- Chapter 17 तृतीय लिंग का बोध
- Chapter 18 ब्रज़ माधुरी
- Chapter 19 कटुक वचन मत बोल
- Chapter 20 मिनी महात्मा
- Chapter 21 सिखावन
- Chapter 22 हिरोशिमा की पीड़ा
- Chapter 23 युग नायिका सावित्रीबाई फुले