Chhattisgarh State Class 8 Hindi Chapter 19 कटुक वचन मत बोल Solution
Chhattisgarh State Board Class 8 Hindi Chapter 19 कटुक वचन मत बोल Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
कटुक वचन मत बोल
1.)लुकमान अपने बकरे के शरीर के सबसे अच्छे और बुरे हिस्से के चयन में जीभ को ही क्यों चुना?
लुकमान के हिसाब से अगर जीभ अच्छी है तो सब अच्छा है लेकिन अगर जीभ बुरी है तो हमारे साथ कुछ भी अच्छा नहीं होगा ऐसा लुकमान का कहना था इसीलिए उसने बकरे के शरीर के सबसे अच्छे और बुरे हिस्से के चयन में जीभ को ही चुना।
2.) चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस के कथन के जरिए लेखक क्या बताना चाहता है?
चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस के कथन के जरिए लेखक यह कहना चाहता है कि अगर हम अच्छा बोलते हैं मीठी वाणी बोलते हैं तो उसे अच्छा समझा जाता है। उसका सत्कार किया जाता है। लेकिन हम अगर कटु वचन बोलते हैं तो उसे द्वेष, तिरस्कार की नजरों से देखा जाता है।
3.) लेखक ने ह्रदय को तोड़ने वालों को क्षमा न देने की बात क्यों कही है?
जब कोई कटु वचन बोलता है तो जिसके लिए यह बोल बोले गए हैं उसे बहुत बुरा लगता है। उसके ह्रदय को चोट पहुंचती है जो चोट कभी भी नहीं भरती। इसीलिए लेखक विरुद्ध तोड़ने वालों को क्षमा न देने की बात की है।
4.) किसी के द्वारा प्रयोग किए कठोर वचन शरीर में चुभते हैं। क्यों ? उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
ऐसा कहते हैं कि तलवार के घाव भर सकते हैं लेकिन शब्दों से जो वार होते हैं उसके घाव नहीं भरते। इसलिए हमें बोलते वक्त सोच समझकर बोलना चाहिए। हम जब कटु वचन बोलते हैं सामने वाले को चोट पहुंचती है। सामने वाले के दिल को बुरा लगता है।
5.) श्रीमती शास्त्री का क्रोध का पारा किस शेर को सुनकर नीचे उतर गया और क्यों?
किसी एक नौकर के हाथों काम बिगड़ने के कारण श्रीमती शास्त्री उसे डांट रही थी शास्त्री जी ने उन्हें एक शेर सुनाया वह शेर ऐसा था कि-
जो बात कहो साफ हो सुधरी हो भली हो
कड़वी ना हो खट्टी ना हो मिश्री की डली हो
यह शेर सुनकर श्रीमती शास्त्री जी का क्रोध का पारा नीचे उतर गया।
6.) श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने शेर के माध्यम से अपनी पत्नी को क्या समझाने का प्रयास किया स्पष्ट कीजिए।
श्री लाल बहादुर शास्त्री जी अपनी पत्नी से कहते हैं कि हमें ऐसी बात कहनी चाहिए जो सामने वाले को बुरी ना लगे। सब कुछ हमारे मन के मुताबिक नहीं हो सकता। लेकिन सामने वाले मनुष्य के दिल को चोट पहुंचे ऐसी बात हमें नहीं कहनी चाहिए।
7.) दोनों ज्योतिषियों ने राजा को एक ही बात कही उनके कहने के तरीके में आपको क्या अंतर लगता है?
राजा की एक ही बात को दोनों ज्योतिषियों ने अलग अलग तरह से समझाया। एक से राजा से कह दिया के केआपके सभी प्रियजन आपके सामने मर जाएंगे। लेकीन दुसरे ने कहा के आप सबसे अधिक साल जीएंगे। दुसरे ज्योतिषि ने राजा से मधुर वचन कहें इसिलिए राजा आंनदी हो गया लेकिन यही बात पहले ज्योतिषि ने कटू वचन के साथ कहीं थी। इसिलिए राजाने दुसरे ज्योतिषि को पुरसाकार मिल गया।
8.) लोकप्रिय बनने के लिए आपको क्या करना होगा?
लोकप्रिय बनने के लिए हमें अपने जिभा पर संयम रखना होगा। सबसे बात करते समय मधुर वाणी का प्रयोग करना चाहिए।
पाठ से आगे
1.) जीभ कोमल है दाँत कठोर है। जिस में लचीलापन होता है जो नम्र होता है वह अधिक समय तक जीता है। इस उक्ति पर आप अपना अभिमत दीजिए।
जीभ कोमल है दाँत कठोर है। जिस में लचीलापन होता है जो नम्र होता है वह अधिक समय तक जीता है। मतलब जब हमारा जन्म होता है तब हमारे जन्म के साथ जीभ हमारे शरीर में होती है। हमारे जन्म के बाद दांत निर्माण होते हैं। लेकिन दांत हमारे मृत्यु से पूर्व ही गिर जाते हैं। ऐसे ही जो नम्र होता है उसका जीवन अधिक सुख में बिकता है। लेकिन जो कठोर होता है उसे ज्यादा तकलीफ उठानी पड़ती है।
2.) वाणी तो सभी को मिली हुई है परंतु बोलना किस–किस को ही आता है। ऐसा कहा जाता है। क्या आप इस तरह के लोगों से मिले हैं जो बातें करते समय बिना सोचे समझे बोल जाते हैं। उनके बारे में लिखिए।
वाणी तो सबको ही मिली हुई है जन्म के बाद हम सीखते हैं कि, बोलना कैसे हैं लेकिन कब हमें क्या बोलना चाहिए। कितना बोलना चाहिए यह हमें कोई नहीं सिखाता। यह हमें अपने आप ही सीखना होता है।
3.) लुकमान के इस कथन से आप कहां तक सहमत है कि जीभ अच्छी नहीं तो सब बुरा ही बुरा है। तर्क सहित अपने विचार रखिए।
जीभ अच्छी है तो सब अच्छा ही होता है। हम कितने भी बड़े व्यक्ति क्यों ना बने लेकिन अगर हमारी वाणी अच्छी नहीं है तो यह बड़प्पन किसी काम का नहीं है। हम कितना भी पैसा कमाए, कितने भी हम सुंदर हो लेकिन हमारी वाणी में मिठास नहीं है सामने वाले व्यक्ति के प्रति आदर नहीं है तो उस पैसे का उस सुंदरता का कोई अर्थ नहीं होता।
4.) एक बात से प्रेम झरता है और दूसरी बात से झगड़ा होता है। इस तरह के अनुभव आप सभी के भी रहे होंगे इसके बारे में आपस में बात कर लिखिए।
एक बात से प्रेम झरता है और दूसरी बात से झगड़ा होता है। यह कथन पाठ में दिए गए इस उदाहरण से सिद्ध होता है जहां पर राजा ने एक सपना देखा था। जिसमें उस राज्य के सारे दांत टूट गए थे। जब उस राजा ने इस सपने का अर्थ ज्योतिषी से पूछा, तो ज्योतिषी ने बताया कि आपके सभी सगे संबंधियों की मृत्यु आपके मृत्यु से पूर्व हो जाएगी। लेकिन इसी सपने का अर्थ दूसरे ज्योतिषी ने यह बताया कि आप अपने सभी सगे संबंधियों से अधिक साल तक ऐश्वर्या का उपभोग लेंगे।
5.) वाक् चातुर्य से कटु वचन को प्रिय और मधुर बनाया जा सकता है इस बात पर विचार करते हुए अपनी समझ को लिखिए।
वाक् चातुर्य से कटु वचन को भी प्रिय और मधुर बनाया जा सकता है। जैसे कि दूसरे ज्योतिष ने राजा के सपने का अर्थ बताया। कभी-कभी हम सामने वाले से ऐसा सत्य कह देते हैं जिससे सामने वाले के ह्रदय को ठेस पहुंचे। लेकिन हम वही बात उससे प्यार से भी कह सकते हैं।
6.) आपके अपने अनुभव के हिसाब से जीवन में वाणी का क्या महत्व है? अपने अच्छे और बुरे अनुभवों को रखीए।
हमारे जीवन में वाणी का बहुत महत्व है। अगर हम सामने वाले से मधुर वाणी में बात करेंगे तो जो कोई काम नहीं होने वाला है तो वह भी हो जाएगा। लेकिन अगर हम बोलते वक्त कटु वचनों का प्रयोग करते हैं तो जो काम हो सकता है वह भी काम नहीं होगा। हमें जन्म से ही सिखाया जाता है कि क्या क्या बोलना चाहिए। लेकिन कौन सी बात कहां पर कहनी चाहिए, कैसे बात करनी चाहिए? यह हमें कोई नहीं सिखाता। यह हमें अपने आप ही सीखना पड़ता है। जैसे एक छोटा बच्चा अगर उसे प्यार से बात करो तो वह खाना चुपचाप खाता है। लेकिन अगर उसे डांटते हुए बात करें तो वह और भी शोर मचाता है।
7.) कड़वी बात नहीं संसार में न जाने कितने झगड़े पैदा किए हैं– कोई पूरा नहीं किया ऐतिहासिक घटना को आधार बनाकर इस कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए।
द्रोपदी ने दुर्योधन को अंधा कहा था इस एक वाक्य की वजह से पूरा महाभारत हो गया।
भाषा से
1.) पाठ में विनम्र स्वभाव मधुर वाणी, गलत प्रयोग, विनाशकारी महाभारत, अभिमानी फुल, मीठी वाणी जैसे विशेषण शब्दों का प्रयोग हुआ है अपने शिक्षक के सहयोग से पता कीजिए कि उक्ती शब्द विशेषण के किन भेदों के उदाहरण है।
विनम्र स्वभाव – गुणवाचक विशेषण
मधुर वाणी – गुणवाचक विशेषण
गलत प्रयोग – गुणवाचक विशेषण
विनाशकारी महाभारत – गुणवाचक विशेषण
अभिमानी फुल – गुणवाचक विशेषण
मीठी वाणी – गुणवाचक विशेषण
2.) पाठ में आए कुदरत जवान ना कंगन शेर शक्ति जैसे विदेशी शब्दों के पर्यायवाची शब्द( किसी शब्द विशेष के लिए प्रयुक्त समानार्थी शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं। यद्यपि पर्यायवाची शब्द समानार्थी होते हैं किंतु भाव में एक दूसरे से किंचित दिल ना होते हैं।) खोज कर वाक्य में प्रयोग कीजिए।
कुदरत – निसर्ग
मनुष्य पर कुदरत सबसे ज्यादा प्यार करती है
जबान – वाणी
हमारी वाणी हमेशा मीठी होनी चाहिए।
नापसंद – जिसमें रुचि ना हो
मुझे करेले की सब्जी नापसंद है ।
शेर – शायरी
गुलजार जी के शेर बहुत अच्छे होते हैं
सख्ती – कठोर
हमें कभी-कभी बच्चों के साथ सख्ती से पेश आना पड़ता है।
3.) वाक्य संरचना को समझने के लिए निम्नलिखित उदाहरणों को देखिए–
1.) उसकी प्रशंसा इधर-उधर फैलने लगी।
2.) दास प्रथा के दिनों में एक मालिक के पास अनेक गुलाम थे जिनमें एक था लुकमान।
3.) एक दिन उसके मालिक ने उसे बुलाया और कहा सुनते हैं तुम बहुत होशियार हो पहले वाक्य में क्रिया अथवा एक ही विधेय है उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं। दूसरे वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य है और एक आश्रित या सहायकों का वाक्य है। यह संपूर्ण वाक्य मिश्र वाक्य है। तीसरे वाक्य में दो वाक्य है और शब्द से जुड़े हैं और दोनों स्वतंत्र हैं जिन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं। पाठ से इस प्रकार के दो दो वाक्यों को चुनकर लिखिए। यह भी जानने का प्रयास कीजिए कि मिश्र वाक्य में आश्रित उपवाक्य संज्ञा उपवाक्य है या विशेषण क्रिया विशेषण वाक्य है तीनों प्रकार के दो दो वाक्यों संरचना कीजिए।
साधारण वाक्य –
मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है।
जीभ ने दुनिया में बहुत बड़े-बड़े कहर ढाए हैं
संयुक्त वाक्य-
आपके साथ संबंधी और प्रिय जन आपके सामने ही एक-एक कर मर जाएंगे।
एक बकरे को क़त्ल किया और उसके जीभ लाकर मालिक के सामने रख दी।
मिश्र वाक्य-
कुछ बातें कह नहीं पड़ती है किंतु ऐसे अवसर पर होना यह चाहिए कि बात भी कह दी जाए और उसमें वह कड़वाहट ना आने पाए जो दूसरे के ह्रदय को विदीर्ण कर देती है।
दोनों कथनों का सत्य एक ही है किंतु पहले ज्योतिषी को कारावास मिला और दूसरे को पुरस्कार।
4.) पाठ में दूर, सद, वि, तथा अभि उपसर्ग के योग से बने शब्द तथा दुरुपयोग ( दुर+उपयोग), सदुपयोग ( सत+उपयोग) विनम्र (वि+ नम्र), एवं अभिमानी(अभि+ मानी) आए हैं। शब्द शब्द के पूर्व में जोड़कर शब्द के अर्थ में परिवर्तन अथवा विशेषता उत्पन्न करते हैं ऊपर सरका कहलाते हैं। आप भी इन उपसर्ग उन से बने पांच पांच शब्द लिखिए।
दूर – दुशासन, दुर्लभ, दुर्मिल, दुर्धर, दुर्जन
सद- सद्गविवेक, सदवर्तन, सदविवेक,
वि- विदेश, विवाद, विनम्र, विशेष, विभाग
अभि- अभिनेता, अभिमान, अभिशाप, अभिनेता, अभिरक्षक
5.) इस पाठ का एक छोटा अनुच्छेद प्रति लेख के लिए बोलिए। उत्तर पुस्तिकाओं का अदल बदल करा कर विद्यार्थियों से उनका परीक्षण कराए। शिक्षक श्यामपट्ट पर अनुच्छेद लिखेंगे।
एक दिन शास्त्री जी उनके घर पर खाना खा रहे थे तभी श्रीमती शास्त्री जी उनके नौकर पर गुस्सा होने लगी क्योंकि नौकर से कोई काम बिगड़ गया था। तभी शास्त्री जी ने अपनी पत्नी से कहा, कि तुम अपनी जबान क्यों कड़वी कर रही हो ? ऐसे बहुत से प्रसंग आते हैं जो हमारे मन के विरुद्ध होते हैं। लेकिन इसमें हमें अपना संयम नहीं खोना चाहिए। सुनो मैं तुम्हें एक शेर सुनाता हूं- जो बात कहो साफ-सुथरी हो भली हो, कडवी ना हो खट्टी ना हो मिश्री की डली हो
6.) दीर्घ जीवी शब्द दीर्घ+जीवी दो शब्दों से मिलकर बना है। इसी प्रकार के दो शब्दों को मिलाकर पांच नए शब्द और बनाइए जैसे काम+चोर से बना कामचोर।
दुर + आचारी = दुराचारी
उप + जिविका = उपजिविका
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
महा + इंद्र=महेंद्र
कल्याण + आकारी = कल्याणकारी
7.) इस पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
इस पाठ के जरिए लेखक हम सब से कहना चाहता है कि जो भी बोलो उसमें अपने मीठे शब्दों का प्रयोग करो। कड़वी बातें खुद को और दूसरों को भी दुख देती है। हर काम अपने मन के अनुसार हो ऐसा नहीं हो सकता। लेकिन उसी प्रसंग में भी हमें खुद पर संयम रखना चाहिए। हर वक्त यह याद रखो के अपने मुख से सिर्फ मीठे वचनों का प्रयोग हो।
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