Chhattisgarh State Class 8 Hindi Chapter 18 ब्रज़ माधुरी Solution
Chhattisgarh State Board Class 8 Hindi Chapter 18 ब्रज़ माधुरी Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
ब्रज़ माधुरी
1.) चितै – चितै चारों और इस जिंदगी और बार–बार चौक पर इधर उधर देख रहा है और क्यों?
चितै – चितै चारों और इस जिंदगी और बार-बार चौक पर इधर उधर देख रहा है, कृष्ण दही चुरा रहे है। उन्हें दही चुराते वक्त कोई देख ना ले इसिलिए वह चारो ओर देख रहे है। मतलब चौकन्ने है।
2.) कमल में भौरा कैसे बंद हो गया?
भौरे को कमल का रस चखना था इसिलिए वह कमल पर बैठ गया। शाम होते ही कमल ने अपनी पंखुडियां बंद करली। इस वजह से कमल में भौरा बंद हो गया
3.) कमल कोष में बंद भौरा मन ही मन क्या सोच रहा था?
कमल कोष में बंद भौरा मन ही मन में यह सोच रहा था की शाम होने कि वजह से कमल ने अपनी पंखुडियां बंद करली। जब सुबह हो जाएगी, सुर्योदय हो जाएगा तब फिरसे कमल कि पंखुडियां खुल जाएगी और मै कमल का रस चख पाउंगा।
4.) भौरे की इच्छा हो का अंत कैसे हुआ?
जब सुबह हो जाती है और कमल कि पंखुडियां खुलने लगती है तब भौरे की इच्छा हो का अंत होता है।
5.) नैन आघाने का क्या आशय है?
जब तक कृष्ण का मुख न देखे तब तक आखों को चैन नहीं मिलता। नैन आघाने का यही आशय है।
6.) नायिका अपनी सखी से मन की किन दुविधाओं का उल्लेख करती है?
नायिका के सखी को कृष्ण का दर्शन करना है। जब तक कृष्ण का मुख न देखे उसे चैन नहीं मिलता। वह कृष्ण कि एक झलक देखने के लिए तरस गई है। वह नायिका से पुछती है की मै क्या करुँ जिससे कृष्ण के दर्शन हो?
नायिका अपनी सखी से
7.) भाव स्पष्ट कीजिए–
सुमिरन वही ध्यान उनको ही मुख में उनका नाम
दूजी और नाहिं गति मेरी बिनु मोहन घनश्याम
इस पंक्ती में यह कहाँ है की, नायिका के सखी के मुख से अब,सिर्फ कृष्ण का ही नाम निकलता है। उसका ध्यान अब मोहन में ही लगा रहता है। अगर वे नहीं रहेंगे तो मेरे जीवन को कोई अर्थ नहीं रहेंगा।
पाठ से आगे
1.) भौरे के मन में ढेर सारी इच्छाएं थी जो अगले पल में ध्वस्त हो गई। हमारे मन में भी ढेर सारी इच्छाएं जन्म लेती है पर वे पूर्ण नहीं हो पाती क्यों? साथियों के साथ विचार कर लिखिए।
हमारी अपेक्षाएं कभी पूर्ण नहीं हो सकती। हमारी अपेक्षा होती है कि हमारी सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाए। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। हमारे मन में एक इच्छा पूर्ण होने के बाद दूसरी इच्छा, दूसरी इच्छा पूर्ण होने के बाद तिसरी इच्छा। ऐसी नई-नई इच्छाएं हमारे मन में जन्म लेती ही रहती है। लेकिन कभी ना कभी कोई ना कोई इच्छा अपूर्ण रह सकती है। हमें जितना मिलता है उससे ज्यादा पाने की इच्छा हमें हमेशा ही रहती है। हम कभी भी समाधानी नहीं रह सकते। लेकिन मनुष्य का जीवन सीमित है उसमें जो मिलता है उतना ही हमें लेना चाहिए।
2.) बालक श्रीकृष्ण की लीलाओं को आपने अपने बड़े बुजुर्गों से सुना और पुस्तकों में पड़ा होगा जो दिल आपको प्रभावित करती है उसे लिखकर कक्षा में सुनाइए।
बालक श्रीकृष्ण की लीलाओं को हमने अपने बड़े बुजुर्गों से सुना है और पुस्तकों में पढ़ा भी है। उसमें से हमें प्रभावित करने वाली कहानी यह है कि, श्री कृष्ण का अपने दोस्तों के लिए माखन चुराना। श्री कृष्ण की मैया श्री कृष्ण को माखन देती थी। लेकिन तब भी वह दूसरों के घर जाकर माखन चुराता था। क्योंकि उसके दोस्त गरीब घर के थे। उनकी मैया माखन तैयार करके राजधानी में बेचने जाती थी। उनके दोस्तों को यह माखन खाने के लिए नहीं मिलता था। इसीलिए श्री कृष्णा दूसरों के घर जाकर माखन चुराता था। लेकिन वह माखन अपने दोस्तों में बांट देता था।
3.) जिस तरह श्री कृष्ण बांसुरी( वाद्य यंत्र) बजाते थे वैसे आप भी कोई वाद्य यंत्र बजाते होंगे आप किस प्रकार का वाद्य यंत्र बजाना पसंद करेंगे कारण सहित अपना अनुभव लिखिए।
जिस तरह श्री कृष्ण बांसुरी बजाते हैं वैसे ही हमें पियानो बजाना बहुत पसंद है। उसकी सप्तसुर बहुत प्रभावी लगते हैं। इससे मन शांत हो जाता है। इसीलिए हम पियानो बजाना पसंद करेंगे।
4.) पद में सखी के मन में उलझन है कि वह क्या करें और कहा जाए? ऐसे ही हमारे जीवन में अनेक उलझन है जिसे हम किस से कहें। क्या आपके साथ भी ऐसा होता है? इस विषय पर अपने साथियों के साथ चर्चा कर अपने अनुभवों को लिखिए।
पद में सखी के मन में उलझन है कि वह क्या करें और कहा जाए? ऐसा ही हमारे साथ भी होता है। कभी-कभी कुछ ऐसी परेशानियां होती है कुछ ऐसी घटनाएं होती है जिसे हम दूसरों को कह नहीं सकते। उनको मन में भी नहीं रख सकते। ऐसे में हमें किसी दोस्त की जरूरत होती है, जो हमारा कहना शांत मन से सुन सके।
5.) बालक कृष्णा के दही चुराने के पीछे क्या मकसद हो सकता है कक्षा में चर्चा करें।
कृष्ण का माखन चुराने के पीछे यह मकसद था कि उसके दोस्त साथी जो थे उनकी माएं मक्खन तैयार करके राज्य की राजधानी में बेचने जाती थी और बाहर से घर के लिए वस्तुएं लाते थी। लेकिन वही मक्खन उनके बालोंको को मतलब कृष्ण के दोस्तों को नहीं मिलता था। यह मक्खन उन्हें भी खाने के लिए इसीलिए वह मक्खन चुराता था।
भाषा से
1.) ब्रज माधुरी पाठ के पौधे ब्रज भाषा में लिखे गए हैं। ब्रजभाषा के निम्न शब्दों को छत्तीसगढ़ी में क्या कहते हैं? ढूंढकर लिखिए जैसे– सिहात है, काँधे, पाँव, मीत, आजु, लौ, कित, उरहानौ, होइगो, प्रात, सखी, बरजो, खीजौ, काह।
सिहात है- इरखा
काँधे- कंधा
पाँव- मिठा
मीत- मितान
आजु लौ – आज
कित- किथे
उरहानौ- बोली मारना
होइगो-होइथे
प्रात- मुँह झु
सखी- गुडिया
बरजो- बजरथे
खीजौ- खिसियात
काह- काखर
2.) चितै – चितै चारों ओर चौकि– चौकि परै त्योहि, पंक्ति में च वर्ण की आवृत्ति हुई है जो अनुप्रास अलंकार है। इस अलंकार के अन्य उदाहरण कविता से ढूंढ कर लिखिए।
1.) जहाँ- तहाँ जब – तब खटकत पात है।
2.) मन ही मन यो मन सुबा
3.) कुछ शब्दों के दो या दो से अधिक अर्थ होते हैं जो उसके संदर्भ के आधार पर थकान भिन्नता रखते हैं जैसे भाग शब्द का अर्थ भागना और हिस्सा है। निम्नलिखित शब्दों के अर्थ अगद भिन्नता को स्पष्ट करते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए–
1.) काल – वक्त- मृत्यु
मैं चार के वक्त आऊंगा ।
उनकी मृत्यु तो परसों ही हो गई थी।
2.) भीत- डरना- भिंत
3.) जग- दुनिया- एक ऐसा बर्तन जिसमें पानी रखा जाता है।
तुम उस जग में पानी रख दो।
तुमने कभी जब दुनिया घूमी है?
4.) रोम – रोम एक देश है- शरीर पर के रोए
दीदी कल ही रोम गई है।
कल इतनी ठंड थी के शरीर के रोम रोम खडे हो गए।
5.) मन – नाम- ह्रदय
एक लडके का नाम मन था।
नृत्य कला में मेरा मन मगन रहता है।
6.) मोहन – नाम – कान्हा का नाम
हमारी क्लास में मोहन नाम का लड़का है।
कान्हा को सब लोग मोहन नाम से भी जानते हैं।
7.) घनश्याम – कान्हा का नाम- काले बादल
घनश्याम गायों को चराने ले जाता था।
आकाश से अभी-अभी काले बादल हट गए हैं।
8.) आन- आना- रोकना
तुम मेरे साथ कल बाजार आना।
तुम मेरे साथ मेरे घर पर रुक जाओ।
4.) क. 14 वर्षों की अवधि बीत जाने के बाद राम के न लौटने से लोग आकुल हो गए।
ख. तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना अवधि में की है।
ऊपर के 2 उदाहरण से स्पष्ट है कि सुनने में बहुत समान लगने वाले शब्द का अर्थ और प्रयोग की दृष्टि से भिन्नता रखते हैं जिन्हें हम श्रुति समानार्थी शब्दों के रूप में पहचानते हैं निम्नलिखित ऐसे ही शब्दों का अर्थ ग्रहण करते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए।
कोष- कोस, रीति- रिति, अंश – अंस, दिन-दीन, चिर-चीर, अली- अलि, कूल-कुल।
कोष- कोठार
हमारे घर में ध्यान में रखने के लिए कोठार है।
कोस- दुरी नापने का एक साधन
भैया चार कोस दूर रहते हैं ।
रीति- परंपरा
हम सब लोग एक दूसरे की परंपराओं का सम्मान करते हैं।
रिति- रिक्त
खाने का डिब्बा तो रिक्त है।
अंश – नाम
दीदी ने अपने बेटे का नाम पंच रखा था
अंस- कंधा
पापा ने घर के जिम्मेदारी बड़े भैया के कंधे पर दे दी।
दिन- दिवस
दिवस शुरू होते ही हमें उठना चाहिए।
दीन-गरीब
वह गरीब घर का लड़का है।
चिर- दीर्घकाल
रामायण महाभारत के ग्रंथ हमें दीर्घकाल से ज्ञान देते हैं ।
चीर- वस्त्र
हम वस्त्र खरीदने के लिए बाजार गए।
अली- भौरा
फूलों पर भौरे गुनगुना करते हैं।
अलि – दोस्त
मेरे कक्षा में मेरे बहुत सारे दोस्त है।
कूल- किनारा
हम सब लोग छुट्टियों में समुद्र किनारे घूमने गए।
कुल- एकुण
कुल मिलाकर हम सब पांच छह जन है।
5.) दैनिक जीवन में कभी हम हंसते हैं, कभी उदास हो जाते हैं, कभी क्रोधित होते हैं, कभी प्रेम करते हैं, तो कभी घृणा करते हैं, और कभी हमें आश्चर्य होता है। यही भाव कविताओं में भी प्रकट होते हैं। इन भावों को साहित्य में रस कहा जाता है रस के निम्नलिखित दस भेद है–
श्रृंगार वीर रौद्र हास्य विभत्स अद्भुत करुण शांत भयानक और वात्सल्य।
पाठ में पंकज कोष…… इस ठंड में जीवन की निरर्थक का बताई गई है। अतः यह शांत रस की रचना है। इसी तरह सखी हम काह करें….. इस ठंड में गोपियों का श्री कृष्ण के प्रति प्रेम भाव प्रकट हो रहा है। यहां शृंगार रस विद्यमान है । उक्त प्रकार के छंदों के एक एक अन्य उदाहरण शक्तिपुत्र लिखे व समझे।
श्रृंगार रस – अरे बता दो मुझे कहां प्रवासी है मेरा, इसी बावले से मिलने को डाल रही हूं मैं फेरा।
हास्य रस- नेता को कहा था गधा शर्म न तुझको आए कहीं, गधा इस बात का बुरा मान न जाए।
करुण रस- यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को जाओगे सब सुनकर अटल केकई स्वर को।
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