Chhattisgarh State Class 8 Hindi Chapter 15 मनुज को खोज निकालो Solution
Chhattisgarh State Board Class 8 Hindi Chapter 15 मनुज को खोज निकालो Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
मनुज को खोज निकालो
1.) मूल व्यक्ति को कवि ने कहा से खोज निकालने को कहा है?
जाति, धर्म, वर्ण, संस्कृति,भाषा, समाज में बटे हुए मनुष्य से हमें मूल व्यक्ति को खोज निकालना है। ऐसे कवि ने कहा है। वह मनुष्य ऐसा होना चाहिए जो इन सब से बाहर निकला हो।
2.) कवि ने मानव में फैली किन-किन विविधताओं का उल्लेख किया है?
जात, वर्ण, संस्कृति, देश, राष्ट्र- धर्म, नीति, रूढी, रिती, भाषा, श्रेणी, संस्कृति मानव में फैली इन विविधताओं का उल्लेख कवि ने किया है।
3.) मूल व्यक्ति से कवि का क्या तात्पर्य है?
मूल व्यक्ति जात, धर्म, वर्ण इन सब के परे होना चाहिए। उसमें मानवता भरी होनी चाहिए। मूल व्यक्ति से कवि का तात्पर्य मानवता है।
4.) आज समाज में व्यक्ति –व्यक्ति के बीच किस प्रकार के भेद उत्पन्न हो गए हैं?
आज समाज व्यक्ति- व्यक्ति के बीच जाति, वर्ण, धर्म, भाषा, प्रांत, देश इस प्रकार के भेद उत्पन्न हो गए हैं।
5.) इस कविता में कवि ने खंड मनोज का प्रयोग किया है। इस से आप क्या समझते हैं?
मूल मानव मानवता से भरा हुआ था। आज का मानव जाति, धर्म, वर्ण, देश, प्रांत, भाषा, समाज, रिवाज इन सब में बटा हुआ है। कविता में कवि ने खंड – मनोज का प्रयोग इन्हीं मनुष्य के लिए किया है।
6.) कवि किस अंध यवनिका को उठाने की बात कह रहा है?
कवि अंध यवनिका को उठाने की बात कर रहा है। मतलब हमारे समाज में जो अंधविश्वास, रूढ़िवादी अंधविश्वास फैला हुआ है और हमारा समाज जिस अज्ञानता में जी रहा है, इन सब से पर्दा हटा कर हमें आज मूल मनुष्य की खोज करनी चाहिए। ऐसा कवि कह रहा है।
7.) वर्गो में बटा हुआ मनुष्य किस प्रकार पूर्व मनुष्य बन सकता है?
कभी का यह कहना है कि मनुष्य को अपना वर्ग, धर्म, पंथ, देश इन सबको बाजू करके एक मानव की तरह विचार करना चाहिए। जो अपना जीवन सबके साथ प्यार से गुजार सके। मानवता से गुजार सके।
8.) रुढी रितिगत विश्वासों को मिटा देने की बात कवि ने क्यों कि है?
रुढी रितिगत विश्वासों को मिटा देने की बात कवि ने की है, क्योंकि हमारी रूढी, परंपरा, रीति रिवाज यह हमारे समाज में भेदभाव पैदा करते हैं। इसीलिए कवि कहते हैं कि उनको मिटाकर हमें आपकी समझ से राष्ट्र का विकास करना चाहिए।
पाठ से आगे
1.) आपकी दृष्टि में एक आम आदमी की क्या विशेषताएं होनी चाहिए। चर्चा कर लिखिए
हमारी दृष्टि में एक आम आदमी जो होता है उसे अपने धर्म, जात इनसे ऊपर होकर विचार करना चाहिए। सब के धर्म का आदर करना चाहिए। इन सब से राष्ट्र का विकास यह महत्वपूर्ण बात है। उस पर हमें ध्यान देना चाहिए। अगर सभी लोग ऐसा विचार करेंगे तो हमारा राष्ट्र का विकास हो जाएगा।
2.) भाईचारे की भावना को विकसित करने पर पाठ में बार-बार बल दिया गया है। भाईचारे की भावना के विकास में बाधक तत्व कौन-कौन से हो सकते हैं? मित्रों और शिक्षकों से बातचीत कर लिखिए।
भाईचारे की भावना को विकसित करने के लिए हमें सब के धर्म का उतना ही सम्मान करना चाहिए जितना हम अपने धर्म का सम्मान करते हैं। सभी के रीति रिवाज, परंपराएं, अलग-अलग होती है सभी की वेशभूषा अलग-अलग होती है। इन सब का सम्मान हमें करना चाहिए। तभी हमारे मन में भाईचारे की भावना पैदा हो सकती है। अगर हम सिर्फ अपना ही धर्म, रूढी, परंपरा, भाषा, संप्रदाय इनका सम्मान करेंगे और दूसरे धर्म का अपमान करेंगे तब हमारे भाईचारे की भावना के विकास में यह तत्व बाधक हो सकते हैं।
3.) मनुष्य और मनुष्य के बीच जो भी भेद बताए गए हैं वे भाषा वेशभूषा उपासना के आधार पर बताए गए हैं जो केवल बाह्य तत्व है जबकि मूल रूप से सभी मनुष्य एक है। कैसे वैसे मैं इस विषय पर अपनी सहमति और असहमति को कारण सहित लिखिए।
मनुष्य और मनुष्य के बीच जो भी भेद बताए गए हैं वे भाषा, वेशभूषा, उपासना के आधार पर बताए गए हैं। जो केवल बाह्य तत्व है। जबकि मूल रूप से सभी मनुष्य एक है। क्योंकि मनुष्य का सिर्फ धर्म, रीती, देश यह अलग-अलग होते हैं लेकिन जन्म मरण सुखा दुख यह एक जैसा ही होता है।
सहमति – हमारा ऐसा मानना है कि अगर मनुष्य खुद तय करता है कि हम भेदभाव नहीं करेंगे सबसे ऊपर हम मानवता यह धर्म मानेंगे तब मनुष्य मूल व्यक्ति बन सकता है।
असहमति- मनुष्य को मूल व्यक्ति बनने के लिए अपने धर्म, रूढी, परंपरा इन सब को मिटाना होगा। इस बात से हम सहमत हैं, क्योंकि अगर मनुष्य चाहे तो अपने धर्म की परंपरा इनका जितना सम्मान करता है, उतना ही सम्मान वह दूसरों के धर्म का कर सकता है और सभी लोग भाईचारे से रह सकते हैं।
4.) हमारे देश में भाषा के दुराग्रह ने एक मनुष्य को दूसरे का दुश्मन बना दिया है। कैसे? शिक्षक तथा साथियों से चर्चा कर लिखिए।
आज हमारे देश में सभी प्रांतों राज्य अपने भाषा के लिए लड़ रहे हैं। सबका कहना यही है कि हमारी भाषा सबसे ऊपर होनी चाहिए। लेकिन हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है। जो सबको समझ में आती है। हमें ऐसी भाषा अपनानी चाहिए जो सबको समझ में आए। हम जहां रहते हैं वहां की भाषा का अभिमान तो हमें होना चाहिए, लेकिन जब दूसरे लोग हमारे प्रांत में आते हैं, या हम हमारे प्रांत से दूसरे प्रांत में जाते हैं तब हमें इसी भाषा का उपयोग करना होगा जो सबको समझ में आती है।
5.) हमारे समाज में फैली रूढ़ियों और अंधविश्वासों ने किस प्रकार लोगों में एक दूसरे के प्रति गुणा के भाव पैदा कर दिए हैं? स्वयं के अनुभव के आधार पर उदाहरण के माध्यम से अपनी बात को रखिए।
हमारे समाज में सबसे ऊपर जरूरी परंपरा का पालन होता है। वह है धर्म और जाति यह एक विषय है जो मनुष्य मनुष्य में भेदभाव करता है। अगर हमें हमारे राष्ट्र का विकास करना है तो यह बात हमें भूल नहीं होगी। हमारा धर्म एक ही है, मानवता यही हमें मन में रखना है और आगे बढ़ना है। पूजा-पाठ, धर्म-कर्म, के झूठे बंधन को हमें तोड़ कर आगे बढ़ना होगा।
हमारे आस पास ऐसी कोई रोड़ी परंपरा का पालन नहीं होता जिसकी वजह से मनुष्य मनुष्य में भेदभाव हो।
6.) इस कविता में एक सच्चे मनुष्य को खोज निकालने की बात कही गई है। एक सच्चे मनुष्य को लेकर आपके मन में क्या कल्पना है? दस वाक्यों में लिखिए।
आज मनुष्य शिक्षित हो गया हैl लेकिन वह अपने जाति, धर्म, रूढी परंपरा इनको सबसे ऊपर रखता है। मनुष्य ही अपने सच्चे धर्म को भूल गया है। भारत देश धर्मवीरहीत देश है, लेकिन वहां सबके धर्मों को सम्मान देता है। किसी का भी धर्म ऊंचा नहीं है तो कोई भी निकले स्तर पर नहीं है। जो मनुष्य शिक्षित होता है, वह मनुष्य- मनुष्य में भेदभाव नहीं करता। सभी को सम्मान देता है। सबसे ऊपर मनुष्य धर्म है और उसका हमें हमेशा ही पालन करना चाहिए। जब हम ऐसा करेंगे, भेदभाव को नष्ट करेंगे तभी हम हमारे राष्ट्र को आगे ले जाएंगेl
भाषा से
1.) पाठ में प्रयुक्त इन शब्दों के विलोम अर्थ को प्रकट करने वाले शब्दों को ढूंढिए मनुज विविध रीती अवनि सभ्य रिक्त अपनाना खंड असंस्कृत जाति वर्ण विश्वास भीतर ऊपर राजा धनी।
मनुज * दनुज
विविध* एक जैसा
रीती * कुरीती
अवनि * आकाश
सभ्य *असभ्य
रिक्त *भरा हुआ
अपनाना * छोड देना
खंड * अखंड
असंस्कृत* संस्कृत
जाति* विजाती
वर्ण * कुवर्ण
विश्वास * अविश्वास
भीतर* बाहर
ऊपर * नीचे
राजा * रंक
धनी* गरिब
2.) कविता में बहुत से समान रूप से उच्चारित शब्दों का प्रयोग हुआ है वाक्य प्रयोग द्वारा आप इनकी अर्थ को स्पष्ट कीजिए-
1.) भाषा भूषा- महाराष्ट्र में मराठी भाषा बोली जाती है।
हमारी वेशभूषा अच्छी होनी चाहिए।
2.) राजा प्रजा- छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान राजा थे।
प्रजा हमेशा भगवान की तरह होती है।
3.) सज्जन दुर्जन- सज्जनों का हमेशा सत्कार किया जाता है।
सभ्य व्यक्ति दुर्जन के पास जाने से कतराते हैं।
3.) निम्नलिखित के दो दो समानार्थी शब्द लिखिए-
भव – जग, विश्व
राजा – भूप नृप
धनी – श्रीमंत धनवान
निर्धन- दीन, गरीब
मानव- मनुष्य, आदमी
अवनी- धरा, पृथ्वी
अखिल- संपूर्ण, पूरा
4.) भाषा भुषा एक सामासिक शब्द है जिसके दोनों शब्द संज्ञा है। बीच में और का लोप है इस प्रकार के और चार शब्द कविता में से छाँटए ।
1.) राजा प्रजा – राजा और प्रजा
2.) सभ्य असंस्कृत- सभ्य और असंस्कृत
3.) सज्जन दुर्जन -सज्जन और दुर्जन
4.) श्रेणी वर्ग- श्रेणी और वर्ग
5.) देश राष्ट्र – देश और राष्ट्र
6.) इन शब्दों को शब्दकोश में दिए गए क्रम के अनुसार लिखिए।
समत्व, भूषा, भव, असंस्कृत, विविध, विश्वास, अंध, वर्ण, अवनि, अखिल
अखिल, अंध, असंस्कृत, अवनि, भव, भूषा, वर्ण, विविध, विश्वास, समत्व
6.) निम्नलिखित सामानोच्चारित शब्दों का प्रयोग अपने वाक्य में इस प्रकार कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए-
चिता/ चीता राज/ राजा अंध/अंधा भव /भाव जन /जाना।
मनु शब्द में ज प्रत्यय जोड़कर मनुज शब्द बना है। जिसका अर्थ है मनु से जन्मा।
चीता- एक पशु
चीता जंगल में रहता है
चिता – शैया पर रखा हुआ शव
कोरोना काल में सैया पर बहुत सारी चिंताएं रखी हुई थी।
राज- ऐसी बात जो किसी को बताई नहीं जा सकती।
सबके कोई ना कोई राज होते हैं।
राजा – शासन चलाने वाला
राजा के लिए प्रजा भगवान समान होती है।
अंध- अपनी ही बात चलाना
हमारे समाज में बहुत सारे अंधविश्वास पहले हुए हैं।
अंधा- जिसे दिखाई ना दे
ब्रेल लिपि अंधे व्यक्तियों के लिए बनी हुई है।
भव – जगत
इस जगत में सभी लोग प्यार से रहते हैं।
भाव- कीमत
आज मनुष्य को कोई कीमत नहीं रही है।
जन- मनुष्य
मनुष्य को मनुष्य के साथ मानवता से रहना चाहिए।
जान- प्राण
हमारी जान सबसे महत्व पूर्ण है।
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