Chhattisgarh State Class 8 Hindi Chapter 17 तृतीय लिंग का बोध Solution
Chhattisgarh State Board Class 8 Hindi Chapter 17 तृतीय लिंग का बोध Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
तृतीय लिंग का बोध
1.) राम के वन गमन के प्रसंग में किन्नरों के बारे में किस कथा का वर्णन मिलता है?
श्री राम जब 14 वर्ष के लिए वनवास जा रहे थे, तब सभी प्रजा उनके पीछे-पीछे आ रही थी। लेकिन श्री राम जी ने सरयू नदी पर ही सभी लोगों से कहा, कि वे वापस लौट जाए और श्री राम जी अपने वनवास के लिए निकल पड़े। जब 14 वर्ष वनवास में बिताने के बाद वे अयोध्या लौट आए तो वह सरयू नदी के पास आ गए। वहां पर सभी किन्नर लोग थे। तो श्री राम जी ने उनसे पूछा, कि आप लोग वापस क्यों नहीं गए? तो किन्नरों ने श्री राम जी को जवाब दिया कि आपने तो सभी नर और नारीयोंको अयोध्या लौटने के लिए कहा था। हमें नहीं। श्री राम जी ने उनकी भक्ति देखकर उन्हें आशीर्वाद दे दिया के कलयुग में उनका ही राज होगा और उनके आशीर्वाद से सब का कल्याण हो जाएगा।
2.) शिखंडी कौन थे और क्यों प्रसिद्ध हुए?
महाराज द्रुपद के पुत्र और द्रौपदी के भाई थे शिखंडी युद्ध कला में निपुण थे। जब महाभारत का युद्ध हुआ था,तब शिखंडी ने अपना योगदान दिया था। उन्होंने सेना का नेतृत्व भी किया था।
3.) राम वनवास से वापस लौटते हुए किन्नरों को क्या आशीर्वाद दिए?
जब राम जी वनवास से वापस लौट आए तो हमें किन्नरों को यह आशीर्वाद दिया कि जब कलयुग होगा तब वहां पर किन्नरों का राज होगा और उनके आशीर्वाद से सभी लोगों का कल्याण हो जाएगा।
4.) दैहार क्या है?
जैसे आधार या वृद्ध लोगों के लिए आश्रम होता है वैसे ही किन्नरों के लिए दैहार
यह एक आश्रम है। यहां पर किन्नरों को शिक्षा- दीक्षा दी जाती है। नृत्य का प्रशिक्षण दिया जाता है।
5.) तृतीय लिंग को किन अन्य नामों से जानते हैं?
किन्नर, टीजी इन नामों से तृतीय लिंग के लोगों को जाना जाता है।
6.) तृतीय लिंग के लोगों ने किन–किन क्षेत्रों में प्रसिद्धि प्राप्त की है?
समाज सेवा, राजकीय क्षेत्र, फैशन, कॉरपोरेट्स इन क्षेत्रों में तृतीय के लोगों ने प्रसिद्धी प्राप्त की है।
7.) विकास क्रम में पीछे कौन से वर्ग है और क्यों?
जो नीचेले स्तर के लोग हैं जैसे कि तृतीयपंथी, आदिवासी समाज, दलित समाज यह वर्गो विकास क्रम में पीछे है। इन लोगों के पास पर्याप्त रोजगार उपलब्ध नहीं है, ऐसे ही उनके पास शिक्षा के साधन भी उपलब्ध नहीं है। इसीलिए यह वर्ग विकास क्रम में पीछे रह जाते हैं।
पाठ से आगे
1.) पाठ में प्राचीनकाल उनके नाम आए हैं जैसे त्रेता, द्वापर, कलयुग यह काल क्यों प्रसिद्ध है? मित्रों से चर्चा कर लीजिए।
पाठ में प्राचीन काल के नाम आए हैं। जैसे – त्रेता युग, द्वापर युग। त्रेता युग में श्री राम जी का जन्म हुआ था और रामायण में जो जो घटनाएं घटी है वह सब त्रेता युग में ही घटी है। ऐसे ही द्वापर युग में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और महाभारत में जो जो घटनाएं घटी है वह सब द्वापर युग में ही घटी है। आज जो काल चल रहा है उसे हम कलयुग कहते हैं। यह महत्वपूर्ण घटना घटने की वजह से त्रेता, द्वापर और कलयुग प्रसिद्ध है।
2.) महाभारत, रामचरितमानस, पुराण आदि प्रसिद्ध ग्रंथों का उल्लेख पाठ में है। इन कथाओं पर आपस में चर्चा कर संक्षिप्त रूप में लिखिए।
पाठ में महाभारत, रामचरितमानस इन कथा में किन्नरों का उल्लेख किया गया है। रामचरितमानस में किन्नरों को श्री राम जी ने आशीर्वाद दिया थाl कलयुग में जिस को किन्नर आशीर्वाद देंगे उसका कल्याण हो जाएगा और कलयुग में किन्नरों का ही राज होगा। महाभारत में भी शिखंडी एक किन्नर ही था। महाभारत के युद्ध में शिखंडी ने सेना का नेतृत्व किया था।
3.) ऐसा दिखता है कि समाज में हर तबके के लोग अपनी आजीविका के लिए परिश्रम करते हैं और इसमें समाज का सहयोग मिलता है। तृतीय लिंग के लोगों को आजीविका के लिए संघर्ष क्यों करना पड़ता है विचार कर लिखिए।
तृतीय लिंग के लोगों को अपनी रोज की जरूरतें पूरी करने के लिए मध्ययुगीन काल में वह बधाई मांगने निकलते थे। वह भी साल में एक या फिर दो बार। मध्ययुगीन काल में किन्नरों को इतना महत्व नहीं दिया जाता था। उनको सब लोग अलग नजरिए से देखा करते थे। लेकिन आज के युग में किन्नर सभी क्षेत्र में अपना वर्चस्व दिखा रहे हैं, अपनी जरूरतें वे लोग खुद पूरी कर रहे हैं।
4.) कोई मनुष्य तृतीय लिंग का है इसमें उसका क्या दोष है? हम उससे समाज के अन्य लोगों की तरह सामान्य व्यवहार क्यों नहीं कर पाते हैं? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
कोई मनुष्य तृतीय लिंग आता है इसमें उसका कोई दोष नहीं है। जिसका जन्म होता है। वह ये तय नहीं करता कि वह किस रूप में जन्म लेगा। इसीलिए तृतीय लिंग के लोगों इसमें कोई दोष नहीं है। प्राचीन काल में उनको एक अलग नजरिए से देखा जाता था। उनके लिए लोगों के मन में एक हीन भावना थी। लेकिन आज सरकार ने किन्नरों को उनके अधिकार दिए है। आजकल तृतीयपंथी लोग भी शिक्षित हो रहे हैं, नौकरी कर रहे हैं और अपना अस्तित्व भी दिखा रहे हैं।
5.) प्रस्तुत पाठक से तृतीय लिंग के कई प्रसिद्ध नामों का उल्लेख है इससे यह स्पष्ट होता है कि इस समुदाय के लोगों को समान अवसर मिले तो अपनी क्षमता को साबित कर सकते हैं। आपके अनुसार इन्हें उत्तर क्यों नहीं मिल पाता है? साथियों से बात कर अपनी समझ को लिखिए।
त्रेता युग द्वापर युग में किन्नरों को बहुत महत्व दिया जाता था यह हमने पाठ में देखा है। मध्ययुगीन काल में उनका महत्व कम हो गया था। लेकिन आज वर्तमान काल में मतलब कलयुग में किन्नरों को समान दर्जा दिया जाता है। वह शिक्षा भी लेते हैं, राजकारण, समाज कारण, फैशन ऐसे क्षेत्र में वह कार्य कर रहे हैं। मध्य युग में समाज कि कुछ गलत परंपरा रीति रिवाजों की वजह से किन्नरों का महत्व कम हो गया था। लेकिन आज उनको सभी क्षेत्रों में और लोगों के साथ समान दर्जा दिया जाता है।
भाषा से
1.) अलग–अलग, गुरु –शिष्य, एक– दो, शिक्षा – दीक्षा
उपयुक्त शब्द पाठ में प्रयुक्त हुए हैं जिनको लिखने में योजक चिन्ह (-) का प्रयोग किया गया है।योजक चिन्ह का उपयोग पुनरुक्त युग्म और सहचर शब्दों के मध्य किया जाता है। उदाहरण स्वरूप – हानी-लाभ, जीवन – मरण, कभी – कभी, खाते -पीते। आप पाठ से और अपने आसपास प्रचलित ऐसे 10 शब्दों को लिखिए जिनमें-का प्रयोग होता हो।
आज-कल
आना-जाना
नर- नारी
गुरु – शिष्य
माता- पिता
एक – दो
शिक्षा- दिक्षा
राजा- रानी
उपर-नीचे
आदी-अंत
2.) किन्नर, ऊर्स, आजिविका, अस्मिता, बधाई, पारंगत, प्रतिभा, विशारद शब्दों का छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रचलित अर्थ वाले शब्द लिखिए।
किन्नर- किन्नर, तृतीय पंथी
ऊर्स- जुलूस
आजिविका-उपजिविका, कमाई
अस्मिता – अस्तित्व
बधाई – शुभेच्छा, भेट
पारंगत-निपूण
प्रतिभा – समझ
विशारद – पंडित
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