Chhattisgarh State Class 8 Hindi Chapter 14 आतिथ्य Solution
Chhattisgarh State Board Class 8 Hindi Chapter 14 आतिथ्य Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
आतिथ्य
1.) लेखक के द्वारा की गई पदयात्रा का कारण क्या था?
लेखक को ऐतिहासिक स्थानों का महत्व जानना था इसीलिए लेखक पदयात्रा कर रहे थेl
2.) हेड मास्टर जी ने लेखक को अपने घर पर ना ठहरने की क्या वजह बताइए?
हेड मास्टर जी ने लेखक से कहा कि यहां आस-पास बहुत से चोरियां हो रही है। यह वजह एडमास्टरजी ने लेखक को अपने घर ना ठहरने के बताइ।
3.) थकावट के दुख से भी अधिक दर्द था मर्माहत अभिमान का लेखक द्वारा इस तरह कहे जाने का क्या कारण हो सकता है?
लेखक को हेड मास्टर जी पर भरोसा था कि वह उन्हें रहने के लिए जगह दे देंगे। लेकिन हेड मास्टर जी ने उनको मना कर दिया। इस वक्त लेखक को जो थकावट आई थी। वह भी भूल गए और उनका अभिमान चुर हो गया।
4.) थके हुए लेखक के मन में हेडमास्टर जी के घर ठहरने को लेकर कौन-कौन सी भावनाएं उठ रही थी?
थके हुए लेखक को लग रहा था कि मास्टरजी के घर अगर रुकने को मिल जाए तो गर्म गर्म पानी से पैर धोने के लिए मिलेंगे, शायद गरम गरम दूध भी मिल जाए और मालिश करने के लिए तेल भीl मैं वहां आराम कर सकूंगा, मेरी थकान भी वह दूर हो जाएगीl ऐसी भावनाएं लेखक के मन में हेड मास्टर जी के घर पर ठहरने को लेकर उठ रही थीl
5.) हेड मास्टर से मिलने से पूर्व और उसके बाद में लेखक के मनोभाव में क्या परिवर्तन हुआ?
हेड मास्टर जी से मिलने से पहले लेखक को लग रहा था कि हेड मास्टर जी बहुत अच्छे व्यक्ति हैं। लेकिन जब हेड मास्टर जी से मिले उसके बाद लेखक को उन पर क्रोध आने लगा। उन्हें लगने लगा हेड मास्टर जी एक निर्दई व्यक्ति है।
6.) परिचय पत्र देखकर हेड मास्टर के विचारों में किस प्रकार का परिवर्तन हुआ ? सोचकर लिखिए।
हेड मास्टर जी को लग रहा था लेखक एक चोर है। जब उन्होंने लेखक का परिचय पत्र देखा तो उनके विचारों में परिवर्तन हो गया। उन्हें यह लगने लगा के लेखक एक अच्छा व्यक्ति है। फिर मास्टर जी ने लेखक को धर्मशाला तक पहुंचाने के लिए एक आदमी को लेखक के साथ भेज दिया
7.) लेखक चोर नहीं था इस बात का विश्वास दिलाने के लिए उसने क्या किया ?
लिखा चोर नहीं है इस बात का विश्वास दिलाने के लिए लेखक ने सबको अपना परिचय पत्र दिखाया।
8.) लेखक के अनुसार जीवन के पथ पर अकेले चलना क्यों कठिन है?
हमारे जीवन में हमें बहुत सारी मुश्किलों का कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। तब हमें किसी ना किसी की मदद की किसी ने किसी के सहारे की जरूरत पड़ती है। जीवन के पथ पर हम हर वक्त अकेले नहीं चल सकते।
9.) गहरी सहानुभूति दिखाने वाले की आज्ञा का उल्लंघन आसान नहीं होता इस पंक्ति के द्वारा लेखक अपने दुखिया भिक्षुक मित्र के किन भागों को बताना चाहता है?
लेखक के पास गज डेढ़ गज का टुकडा था। उसे लेखक ने अंधे को दे दीया। अब लेखक के पास कुछ नहीं बचा था। लेकिन उस अंधे ने उस कपडे़ को लेखक के पैरों पर बांध दिया और थोडी देर में उसे खोलदिया। उसके बाद लेखक कि थकावट दूर हो गई।
10.) उन्हें क्या मालूम कि जो उनके लिए अंधेर है वह मेरे लिए महाअंधेर है। लेखक ने महान देर किसे कहा है?
लेखक को यात्रा करते करते थकावट आई थी। इसीलिए वह मास्टर जी के घर गए थे ताकि वह भी आराम कर सके। लेकिन लेखक जब वहां पर गए तो सब लोगों ने उन्हें चोर समझ लिया पुलिस थाने लेकर जाए ऐसी बातें वहां पर हो रही थी एक ही बात कोई सुनना नहीं चाहता था इसीलिए लेखक यह कहते हैं कि उनके लिए महाअंधेर है।
पाठ से आगे
1.) पाठ में लेखक ने लिखा है कि बुरे आदमी में क्या अच्छाई नहीं होती? अर्थात हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों होती है। आप स्वयं की बुराई और दूसरों की अच्छाई पर समूह में बात करते हुए बातचीत के प्रमुख बिंदुओं का लेखन कीजिए।
कोई व्यक्ति पूर्ण रूप से बुरा या अच्छा नहीं होता। हर एक व्यक्ति में कुछ ना कुछ अच्छा होता है और हर किसी में कुछ ना कुछ बुरे गुण भी होते हैं। कोई भी व्यक्ति सर्वगुण संपन्न नहीं होता। हम जब समूह में चर्चा करते हैं तब किसी के अच्छे गुणों को नहीं देखते हमसे सामने वाले व्यक्ति में क्या बुराई है इसी पर चर्चा करते हैं। हम समूह में चर्चा करते हैं तो हमें दूसरों के अच्छे गुण बताने चाहिए। जिससे वह प्रेरित हो और अच्छा इंसान बन सके।
2.) जब सभी लेखक की अवहेलना कर रहे थे तब धर्मशाला के गलियारे में भिक्षुक ने उसकी सहायता और सेवा की। भिक्षुक के इस व्यवहार को पढ़ते समझते हुए आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न हुए? उसे एक अनुच्छेद में लिखिए।
जब सभी लेखक की अवहेलना कर रहे थे तब गलियारे की एक भिक्षुक ने लेखक की मदद की। उस भिक्षुक ने लेखक के पैर कसकर बांध दिए। जिससे लेखक कि थकावट कम हो गई उन्हें दर्द से राहत मिल गई। उस भिक्षुक में दया का भाव था। उस भिक्षुक के पास कुछ नहीं था। लेकिन सबसे बड़ा श्रीमंत व्यक्ति उस दिन वही था।
3.) पाठ के अनुसार लेखक को लोगों ने रात में चोर समझकर घेर लिया। अपने आप को इस समस्या से उबारने के लिए उसे जब कोई सहारा नहीं मिला तब उसकी अपनी ही बुद्धि काम आई है। आप इस तरह की परिस्थिति में होंगे तो क्या करेंगे? अनुमान करके और अपने मित्रों से बात करके लिखिए।
हम सब काम करते हैं, या अपना लक्ष्य पाने के लिए दर-दर भटकते हैं तब हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे वक्त में हमें शांत रहकर काम करना चाहिए। कैसी भी कठिन परिस्तिथी आए, कठिनाइयों से हमें हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसी परिस्थितियां जीवन में बार-बार आती ही रहेंगी उसका हमें डटकर सामना करना होगा और इसके लिए हमें शांत रहना जरूरी है।
भाषा से
1.) अनअधिकार शब्द अन् ऊपर सड़कों के साथ अधिकार शब्दों के मेल से बना है। जिसका अर्थ होता है बिना अधिकार के आप भी अन् उपसर्ग से बनेगा शब्दों का निर्माण कीजिए ।
अनसुना
अनदेखा
अनकहे
अनचाहे
अनमोल
अनभिज्ञ
2.) राम कहानी सुनाना कोई, चारा ना होना, अपना रास्ता लेना , अथ से इत तक, अपना सा मुंह लेकर रह जाना, आप लोग गुम हो जाना, कोल्हू का बैल आदि मुहावरे है। जो इस पाठ में आए हैं इन मुहावरों के अर्थ लिखिए और वाक्य में प्रयोग भी कीजिए।
राम कहानी सुनाना – पूरी बात जान लेना
लेखक ने अंधे को पुरी राम कहानी सुनाई।
कोई चारा ना होना – कोई रास्ता नजर न आना
रहने के लिए घर न मिलने के कारण लेखक को कोई रास्ता नहीं सुझ रहा था।
अपना रास्ता लेना – अपने मार्ग पर चल पडना।
सुबह होते ही अंधे ने अपना रास्ता ले लिया।
अथ से इत तक – शुरवात से अंत तक
लेखक को अथ से इत तक परेशानियों का सामना करना पडा़।
अपना सा मुंह लेकर रह जाना- लज्जा का भाव निर्माण होना।
दुसरी बार लेखक हेड मास्टर जी के घर अपना सा मुंह लेकर गए।
अक्ल गुम हो जाना- कुछ ना सुझना।
परिक्षा को नजदीक आते देख छात्राओं की अक्ल गुम हो जाती है।
कोल्हू का बैल – 24 घंटे काम करना
अंग्रेज सभी भारतीयों से कोल्हू का बैल जैसे काम करवाते थे।
3.) क) एक स्टूल बैठने के लिए दिया गया और पानी का एक गिलास।
आज हम काम पर गए और काम किया।
विद्यार्थियों को काम दिया और मैंने खाना खाया।
दीदी घर आइ और सो गयी।
हमने खाना बनाया और गरिब लोगों में बाँट दिया।
पापा को जगाया और उनके साथ हम बाजार गए।
ख) जब आदमी को कोई और सहारा नहीं रहता तब बुद्धि उसके काम आते हैं।
जब हम काम करते हैं तब हमें आनंद मिलता है।
जब हम घर जाते हैं तब मां काम कर रही होती है
जब पापा डांटते हैं तब बहुत बुरा लगता है।
जब हम नानी के घर जाते हैं तब हमें बहुत खुशी मिलती है।
जब मैं अच्छे अंक से पास होता हुं तब पापा बहोत खुश होते है।
उपायुक्त दोनों वाक्य में और शब्दों के अलग-अलग अर्थ है उसका प्रथम वाक्य में और का अर्थ और जुड़ाव जबकि दूसरे में अन्य है आप भी इसी तरह हो और शब्द के दिन अभिनव प्रयोग करते हुए पांच – पांच वाक्यों की रचना कीजिए।
4.) (1.)सुबह होते ही मैं अपना रास्ता लूंगा।
2.) मैं धीरे-धीरे पहुंच ही गया।
पाठ से उद्धृत उपयुक्त उदाहरणों में ही निपात का प्रयोग हुआ है कुछ अव्यय शब्द वाक्य में किसी शब्द या पद के बाद रखकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल ला देते हैं इन्हीं निपात कहा जाता है इसी तरह भी, मात्र, तक, तो, भर आदि भी निपात है आप भी इन का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
भी- आप भी हमारे साथ आ जाओ।
क्या आप भी यह काम करते हो..?
मात्र- एकमात्र तुम ही हो जो यह काम कर सकते हो।
मात्रा तू ही मेरे साथ आओगे।
तक- यहां तक तो मैं भी साथ आ जाता।
तुम कहां तक पढ़े हो?
तो- तुमने तो कमाल कर दिया।
मैं तो तुम्हारे साथ ही हूं।
भर- दिन भर तुम यही काम करते हो क्या?
5.) प्रातः काल अपने साथी को ना पाकर लेखक के मन में क्या विचार उठे होंगे? कल्पना करके लिखिए।
लेखक जब परेशानी में था तो उसकी मदद उस अंधे व्यक्ति ने की थी। लेखक जब तक गया था तब उसने लेखक के पैरों में कसकर कपड़ा बांधा था और थोड़ी देर बाद उसे खोला भी था। इस वजह से लेखक की परेशानी कम हो गई थी। लेखक सुकून से सो पाया था। लेकिन जब लेखक सुबह उठा तो उस व्यक्ति को अपने बाजू में देखकर निराश हो गया होगा, क्योंकि अंधे व्यक्ति ने लेखक कि बहुत मदद की थी।
6.) लेखक के स्थान पर यदि आप के साथ यह घटना घटित होती तो आप इसे अपने किसी मित्र सहेली को पत्र के रूप में कैसे लिखते/ लिखती?
रामनगर
गली नं 304
कल्याण मुंबई
प्रिय मित्र
साधना
कैसी हो…? तुम्हारी बहुत याद आ रही थी। तुम्हे पता है ना मैंने तुम्हें कहा था कि मुझे कुछ ऐतिहासिक स्थानों की जानकारी लेने के लिए शिक्षक मुझे भेज रहे हैं। यह ऐतिहासिक स्थान बहुत दूर नहीं थे। मैं पैदल से जा सकूंगी इतने पास थे। तो मैंने पैदल ही जाने का निश्चय किया। जब मैं इन स्थानों को देखने के लिए घर से निकल पड़े तब मुझे बहुत आनंद आने लगा। लेकिन 1 दिन ऐसा हुआ कि मैं बहुत थक गई थी और रहने के लिए एक जगह ढूंढ रही थी। मुझे यह बताया गया के वहापे एक अध्यापिका रहती है जिनका स्वभाव बहोत अच्छा है। वह मेरी मदद करेंगी। मैं उनके घर गयी थी। लेकिन मुझे उन्हों ने जगह देने से मना कर दिया। उन्हों ने मुझे धर्मशाला में ठहरने को कहा। मैं वहा पे गयी तो वहापें एक अंधा भिकारी मुझे मिल गया। उसने मेरी बहुत मदद की। मेरे ही पास का कपड़ा लेकर उसने मेरे पैरों पर बांध दिया। जिससे मेरे पैर दर्द से मुक्त हो गए और मुझे नींद भी अच्छी आ गई। सुबह मैंने उठकर देखा तो वह भिकारी वहां पर नहीं था। वह कहीं चला गया था। निस्वार्थ होकर उसने मेरी मदद की थी।
अगले महीने में तुम्हारे पास आ रहे हुं। तब मैं तुम्हें सविस्तर से सारी बातें बता दूंगी।
तुम्हारी प्यारी सखी नंदिनी
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