Telangana SCERT Solution Class IX (9) Hindi Chapter 12 उपभोक्तावाद की संस्कृति
उपभोक्तावाद की संस्कृति
प्रश्न
1.) इस विज्ञापन से हमें क्या संदेश मिलता है?
इस विज्ञापन से हमें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का, जो वस्तुएँ हम खरीद रहे हैं, उसकी जांच पड़ताल करने का अधिकार ग्राहकों को है और अपने अधिकारों के लिए हमें जागरूक रहना चाहिए। इसका संदेशा हमें एक विज्ञापन से मिलता हैl
2.) उत्पादों की गुणवत्ता को हम किन चिन्हों द्वारा पहचान सकते हैं?
उत्पादन की गुणवत्ता को हम हॉलमार्क या हर वस्तु पर एक प्रमाणित चिन्ह होता है उस चिह्न द्वारा हम उत्पादों की गुणवत्ता को पहचान सकते हैं।
3.) अपने किसी एक पसंदीदा विज्ञापन के बारे में बताइए।
मुझे अमूल आइसक्रीम का विज्ञापन बहुत अच्छा लगता है। इस विज्ञापन में दो बच्चे दिखाएं है एक के गिलास में दूध है और दूसरा बच्चा आइसक्रीम खा रहा है और पीछे गाना लगता है उस गाने से हमें यह संदेश मिलता है कि अमूल आइसक्रीम मैं दूध होता है।
अर्थग्राह्यता प्रतिक्रिया
विचार विमर्श
1.)आज दूरदर्शन या अन्य टीवी चैनलों पर विविध प्रकार के लुभावने विज्ञापन देखे जा सकते हैं। इनमें से कुछ अंधविश्वास को भी प्रेरित करते हैं। कुछ को देखते ही पता चलता है कि इनमें सच्चाई नहीं है। इससे बहुत से लोग छले भी जाते हैं। लोगों को इस संबंध में किस प्रकार जागरूक किया जा सकता है। चर्चा कीजिए।
जिस तरह का विज्ञापन हम टीवी पर देखते हैं वस्तु भी उसी गुणवत्ता की हो यह जरूरी नहीं। इसीलिए हमें वस्तु की जांच पड़ताल करनी चाहिए। हम ग्राहक है और हमें अपने अधिकारों के बारे में जागरूक रहना चाहिए। टीवी पर जो विज्ञापन दिखाया जाता है, जिस कहानी के आधार पर हमें वस्तु खरीदने के लिए कहा जाता है, वह कहानी काल्पनिक होती है, रची हुई होती है। उसमें कितनी सच्चाई है यह हमें जान लेना चाहिए। किसी भी चीज को खरीदने से पहले उस पर लगे प्रमाणित चिन्ह को देखना चाहिए। अगर कोई भी वस्तु लेने के बाद हम ठगे जाते हैं, हमें फसाया जाता है, तो उसके खिलाफ हमें शिकायत दर्ज करनी चाहिए।
2.) “आज के व्यापारिक प्रतिस्पर्धा युग में विज्ञापनों में बातें बढ़ा- चढ़ा कर कहना अनिवार्य है।” इसके पक्ष विपक्ष में वाद विवाद कीजिए।
आज हर जगह प्रतियोगिता लगी हुई है। व्यापारियों के बीच में भी अपना व्यापार बढ़ाने के लिए स्पर्धा लगी हुई होती है। इसके लिए वह अपने चीजों को बढ़ा चढ़ा कर दिखाते हैं। कोई मशहूर हस्तियों के साथ विज्ञापन करते हैं। काल्पनिक कहानियां दिखाते हैं। कभी-कभी इससे अंधश्रद्धा को भी बढ़ावा मिलता है। यह चिजे हमारे लिए कई हद तक उपयोगी हो सकती है लेकिन इसकी जांच पड़ताल करना हमारी जिम्मेदारी है।
पढ़ना भाव समझना और भाव विस्तार
क. पाठ्य में उत्तर ढूंढिए।
1.) इनसे संबंधित पंक्तियां पाठ में ढूँढकर लिखिए।
. प्रतिष्ठा के लिए वस्तुएं खरीदना।
यह प्रतिष्ठा चिन्ह है। समाज में आपके हैसियत जताते हैं।
. उपभोक्तावाद से जन्मा संकट।
उपभोक्ता संस्कृति हमारी सामाजिक नींव को हिला रही है।
2.) लेखक के अनुसार जीवन में ‘सुख’ से क्या अभिप्राय है?
हर प्रकार के शारीरिक, मानसिक उपभोग- भोग ही सुख है।
3.) आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है?
आज के उपभोक्तावादी संस्कृति से हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के संस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं।
4.) व्यक्ति- केंद्रिकता से क्या अभिप्राय है? लेखक ने इसके बारे में क्या कहा है?
व्यक्ति केंद्र करता मतलब अपने आप से ही मतलब होना। लेखक इसके बारे में कहते हैं कि हमारे नैतिक मानदंड ढीले पड़ रहे। हैं व्यक्ति केंद्रिकत बढ़ रही है। स्वार्थ परमार्थ पर हावी हो रहा है।
ख. पाठ समझकर उत्तर दीजिए।
1.) उपभोक्तावाद से क्या अभिप्राय है अपने विचार लिखिए।
उपभोक्तावाद का अर्थ है, जो वस्तुएं हमारे पास है, जिन वस्तुओं को हम खरीदना चाहते हैं, उससे अधिकाधिक सुख और आनंद मिले।
2.) “जाने अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित हो रहे हैं।” आशय स्पष्ट कीजिए।
हम उत्पादक कंपनियों के गुलाम बन चुके हैं। आज की संस्कृति में बदलाव आया है। इसके वजह से हमारा माहौल और चरित्र भी बदल रहा है। आज हम भोग को ही सुख मान रहे हैं।
3.) प्रतिष्ठा के हास्यास्पद रूप से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
प्रतिष्ठा के अधिक प्रतिस्पर्धा में जो अपना है उसे हम खो रहे हैं। हम हास्य का विषय बनते जा रहे हैं।
4.)गांधीजी ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है?
उपभोक्ता संस्कृति हमारी सामाजिक नीवं को हिला रही है। यह एक बड़ा खतरा है। इसके लिए गांधीजी ने कहा कि उपभोक्ता संस्कृति हमारे समाज के लिए एक चुनौती है।
ग. पढ़ने की योग्यता का विस्तार।
प्रस्तुत पद्यांश पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
1.) कवि अपने गीतों की क्या विशेषता बता रहा है?
यह गीत भूख और प्यास भगाता है यह मसान में भूत भगाता है यह विशेषता कवि अपने गीत की बता रहे हैं।
2.) इस कविता में विज्ञापन की झलक दिखाई देती है। इस दृष्टि से कवि कहा तक सफल हुआ है?
इस कविता में विज्ञापन की कोई झलक दिखाई नहीं देती।
3.) क्या गीत बेचे जा सकते हैं? इस बारे में अपने विचार दीजिए।
गीत कभी भी बेचे नहीं जा सकते।
अभिव्यक्ति सृजनात्मकता
स्वाभिव्यक्ति
क. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार पाँच वाक्यो में लिखिए।
1.) कोई वस्तु आपके लिए उपयोगी हो या ना हो लेकिन टीवी पर विज्ञापन देखकर आप उसे खरीदने के लिए अवश्य लालायित होते हैं? क्यों?
कोई वस्तु हमारे लिए उपयोगी हो या ना हो हम टीवी पर विज्ञापन देखकर उसे खरीदना चाहते हैं। क्योंकि उस विज्ञापन को कोई प्रसिद्ध व्यक्ति कर रहा होता है। उसकी कहानी काल्पनिक होते हुए भी बहुत आकर्षक होती है वह चीज भी दिखने में बहुत आकर्षक होती है। उनकी प्रभावशाली बातों से हम लोग उस चीज की तरफ खींचे जाते हैं।
2.) आपके अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार वस्तु की गुणवत्ता होनी चाहिए या उसका विज्ञापन? तर्क देकर स्पष्ट कीजिए।
हमारे अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार वस्तु की गुणवत्ता होनी चाहिए, ना कि उसका विज्ञापन। क्योंकि विज्ञापन में वस्तुओं का महत्व या उस वस्तु को बढ़ा चढ़ाकर दिखाई जाता है। हमें उस काल्पनिक कथा से या फिर वस्तु हमने देखी है इसके आधार पर वह वस्तु हमें खरीदनी नहीं चाहिए। हमें उसकी गुणवत्ता देखनी चाहिए। गुणवत्ता देखने से वह वस्तु ज्यादा से ज्यादा वक्त तक उपयोगिता में रहती है।
3.) आज के विज्ञापनों में अश्लीलता बढ़ती जा रही है। इसके रोकथाम के क्या उपाय किए जाने चाहिए?
ऐसे विज्ञापन हमें नहीं देखनी चाहिए। या फिर जिस विज्ञापन में अश्लीलता हो उस वस्तु को हमें खरीदना नहीं चाहिए। अखबार में भी ऐसे विज्ञापन दिखाई देते हैं। जब यह विज्ञापन अखबार में दिए जाते हैं तब उस विज्ञापन के अनुसार ही मूल्यों का आकार होना चाहिए। जब हम ऐसा करेंगे तो ही इस पर रोक लग सकती है।
ख. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ दस वाक्यो में लिखिए।
1.) आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही ‘दिखावे की संस्कृति’ पर विचार व्यक्त कीजिए।
आज के उपर गुप्ता का भी संस्कृति हमारी सामाजिक नीवं को हिला रही है। यह हमारे लिए एक बड़ा खतरा है। हमारे नैतिक मानदंड ढीले पड़ रहे हैं। व्यक्ति केंद्रकता बढ़ रही है। स्वार्थ परमार्थ पर हावी हो रहा है। भोग की आकांक्षा आसमान को छू रही है। हम दिखावे को ज्यादा महत्व देने लगे हैं। हम वस्तु की गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। वह दिखने में कितना अच्छा है उसका विज्ञापन किस तरह से किया गया है इस पर हम ज्यादा ध्यान देते हैं। यह गलत है।
2.) विज्ञापन में भाषा का विशेष चमत्कार होता है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
विज्ञापन में भाषा का चमत्कार होता है। जो लोगों के मन को आकर्षित करता है। कोई भी विज्ञापन दिखाते वक्त उस चीज से जो परिणाम दिखते हैं, उन्हें हमें बताया जाता है जैसे- अगर आइसक्रीम का विज्ञापन हो तो हमें आइसक्रीम के बारे में बातें बताई जाती है, जैसे आइसक्रीम को बनाने में क्या-क्या लगता है जैसे कि दूध। वह बच्चों को कितना टेस्टी लगता है। इसके बारे में हमें बढ़ा चढ़ाकर बताया जाता है।
3.) आज के उपभोक्ता संस्कृति हमारे रीति-रिवाजों और त्योहारों को किस प्रकार प्रभावित कर रही है अपने अनुभव के आधार पर एक अनुच्छेद लिखिए।
आज के उपभोक्ता संस्कृति हमारे रीति रिवाज और त्योहारों को प्रभावित कर रही है। समाज में वर्ग की दूरी बढ़ रही है। सामाजिक सरोकारों में कमी आ रही है। जीवन स्तर का यह बढ़ता अंतर आक्रोश और अशांति को जन्म दे रहा है दिखावे की संस्कृति पहले की सामाजिक अशांति बढ़ेगी, संस्कृति का -हास होगा। विकास के उद्देश्य पीछे हट रहे हैं। मर्यादा ए टूट रही है, नैतिक मानदंड ढीले पड़ रही है। व्यक्ति केंद्रकता बढ़ रही है। पहले घर के काम मिल जुलकर किए जाते थे लेकिन अब वही काम नौकरों से कराए जाते हैं।
सृजनात्मक कार्य
आप प्रतिदिन टीवी पर ढेरों विज्ञापन देखते- सुनते हैं और उनमें से कुछ आप की जबान पर चढ़ जाते हैं। आप अपनी पसंद की किन्ही दो वस्तुओं पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
1.)आइसक्रीम
गर्मी में खाए
ठंडा ठंडा आइसक्रीम
और कूल हो जाए
इसकी विशेषता
आइसक्रीम दूध से बना हुआ।
हर एक फ्लेवर में उपलब्ध
2.) गोलगप्पे
खुद खाइए औरों को भी खिलाइए
चटपटे गोलगप्पे
प्रशंसा
आज के युग को विज्ञापन युग भी कहा जा सकता है। यह सही है कि व्यापारिक विज्ञापन अधिकतर आडंबरपूर्ण होते हैं। लेकिन विज्ञापनों के माध्यम से जनता को जागरूक भी किया जाता है। शिक्षा, पोलियो, उपभोक्ता, जागरूकता आदि कार्यक्रमों का प्रचार भी इन्हीं विज्ञानों के जिम्मे है। आज के समाज में विज्ञापनों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
आज टीवी पर अखबारों में चीजों का विज्ञापन दिखाते हैं। उनके इस्तेमाल के बारे में बताते हैं ,काल्पनिक विज्ञान तैयार करते हैं। लेकिन उसे टीवी पर अखबारों में हमें जनता से जागरूक करने के लिए जो विज्ञापन जरूरी होते हैं, वह भी दिखाई जाते हैं। जैसे ग्राहक मंच। हम बाजार से जो भी वस्तु लाते हैं, अगर हमें लगता है वह वस्तु गलत है या उस वस्तु के माध्यम से हमें फंसाया जा रहा है तो हम ग्राहक मंच पर तक्रार कर सकते हैं। हमारे अधिकारों के बारे में जानने के लिए जागो ग्राहक जागो यह भी एक मंच है। ऐसे ही हमें बच्चों को पढ़ाने के लिए या फिर उनके टीकाकरण के लिए भी विज्ञापन किए जाते हैं। इससे हमारी मदद हो जाती है।
भाषा की बात
1.) “धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है।” इस वाक्य में ‘बदल रहा है’ क्रिया है। यह क्रिया कैसे हो रही है? धीरे-धीरे? तो धीरे-धीरे शब्द क्रिया विशेषण है। जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं क्रिया विशेषण कहलाते हैंl वाक्य में जिन शब्दों से हमें पता चलता है क्रिया कैसे कब कितनी और कहां हो रही है बेशक क्रिया विशेषण कहलाते हैं।
क. ऊपर दिए गए उदाहरण को ध्यान में रखते हुए क्रिया विशेषण से युक्त पाँच वाक्य पाठ में से छांट कर लिखिए।
1.) यह मसूड़ों को मजबूत करता है और यह पूर्ण सुरक्षा देता है।
2.) कोई बबूल या नीम के गुणों से भरपूर है।
3.) एक में हल्की खुशबू है।
4.) घड़ी पहले समय में दिखती थी।
5.) विकास के विराट उद्देश्य पीछे हट रहे है।
ख. धीरे-धीरे, जोर से, लगातार, हमेशा, आजकल, कम, ज्यादा, यहां, उधर, बाहर- इन क्रिया विशेषण शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
1.) बहुत धीरे धीरे चलता है।
2.) वह आजकल पढ़ाई ज्यादा कर रही है।
3.) वह लगातार बाहर घूमने जाता है।
4.) तुम यहां बैठ कर क्यों रो रहे हो?
5.) तो और जोर से दौडना सीख लो।
ग. नीचे दिए वाक्यों में से क्रिया विशेषण और विशेषण शब्द छाँट कर अलग लिखिए।
1.) कल रात से निरंतर बारिश हो रही है।
क्रिया – हो रही है, क्रिया विशेषण- कल
2.) पेड़ पर लगे पके आम देखकर बच्चों के मुंह में पानी आ गया।
क्रिया- पानी आ गया, क्रिया विशेषण- देखकर
3.) रसोईघर से आती पुलाव की हल्की खुशबू से मुझे जोरों की भूख लग आई।
क्रिया- भूख लग आई, क्रिया विशेषण- जोरों से
4.) उतना ही खाओ जितनी भूख है।
क्रिया- खाओ, क्रिया विशेषण- उतना
5.) विलासिता की वस्तु उनसे आजकल बाजार भरा पड़ा है।
क्रिया – पडा़ है क्रिया विशेषण- आजकल
For More Chapters Check Here :