Telangana SCERT Solution Class IX (9) Hindi Chapter 4 तुम कब जाओगे अतिथि
तुम कब जाओगे अतिथि
प्रश्न
1.)मेहमाँ से क्या तात्पर्य है?
सूचना दिए बिना या फिर वक्त निश्चित किए बिना जो आता है उसे मेहमान कहा जाता है या फिर घर में अगर कोई व्यक्ति अचानक आए तो उसे भी हम मेहमान ही कहते हैं।
2.)गीत पंक्तियां और चित्र के भाव की तुलना कीजिए।
लेखक कहते हैं कि मेरा घर होम स्वीट होम जैसा है। लेकिन तुमने अब इसकी स्वीटनेस खराब करदी है। तुम्हें आए हुए लगभग 4 दिन हो गए लेकिन तुम जाने का नाम ही नहीं ले रहे हो। लेखक के अनुसार अब उनके आर्थिक स्थिति भी बिगड़ी हुई थी। इसे वह अतिथि के सामने भी नहीं ला सकते थे। इसीलिए लेखक चाहते थे कि अतिथि अब जल्द से जल्द उनके घर लौट जाए। लेकिन लेखक अतिथि से यह सब नहीं कह पा रहे थे।
3.) क्या आज भी मेहमान को जान से प्यारा माना जाता है?
आजकल सभी लोगों की जीवनशैली बदली हुई है। सभी अपने-अपने काम में व्यस्त है। ऐसे जीवन में सभी को लगता तो है कि हमारे घर मेहमान आए, लेकिन वह जल्दी से अपने घर भी लौट जाए ऐसा भी लगता है। क्योंकि सभी का बहुत सारा समय नौकरी के लिए घर के बाहर बितता है। इसलिए वह अतिथि का अच्छे से तिथ्य नहीं कर सकते।
अर्थग्राह्यता प्रतिक्रिया
विचार विमर्श
1.) प्रसिद्ध उक्ति हैं – अतिथि देवो भव:। इसके पक्ष- विपक्ष में चर्चा कीजिए।
अतिथि देवो भव इस उक्ति के अनुसार हमें अपने अतिथियों का सम्मान ही करना चाहिए। जब तक वह हमारे साथ है तब तक हमें अपना कुछ समय देना चाहिए। जब हम ऐसा करते हैं तो प्यार बढ़ता है और खुशी मिलती है। यही हमें हमारे बच्चों को भी सिखाना चाहिए के हमेशा ही अपने अतिथियों का सत्कार करे सम्मान करें।
2.) आज की बदली हुई परिस्थिति में अतिथि के आगमन पर हमारा क्या उत्तरदायित्व है।
आज ही परिस्थिति बदली हुई है। हर कोई अपने काम में व्यस्त है। लेकिन जब हमारे घर अतिथि आते हैं तो हमें ऊनका सन्मान ही करना चाहिए। अतिथी देवो भव: ऐसे हमारी संस्कृती कहती है। इसके अनुसार अतिथि यह भगवान के समान होते हैं। तो भगवान का हर तरह से सन्मान करना हमारा काम है।
पढ़ना भाव समझना और भाव विस्तार
क.पांठ में उतर ढूंढिए।
1.) पांठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए।
क. अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
अगर अतिथि अचानक आ जाए बिना बताए आ जाओ खर्चा कैसे कर सकेंगे ऐसी शंका पैदा होती है क्या हम अतिथि का अच्छे से सत्कार कर पाएंगे यह लेख सोचने लगता है।
ख. लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े
अगर कोई मेहमान हमारे घर ज्यादा दिन रुकता है तो उसके सत्कार में कमी आ जाती है, फिकापन आ जाता है। मेहमान जब बहोत दिन रुकता है तो हमारा निजी जीवन खराब होने लगता है। ऐसे लोग खुद के घर का अच्छा पन बनाए रखते हैं, लेकिन दूसरों के घर कि स्वीटनेस को खराब करते हैं।
ग. मेरी सहनशिलता की वह अंतिम सुबह होगी।
जब मेहमान घर से जाने का नाम नहीं लेते बहुत दिन रह जाते हैं। तो उनका आदर सत्कार कुछ कम हो जाता है। वह कब जाएंगे यही विचार मन में आता है।
2.) निम्नलिखित भाव से संबंधित पंक्तियां कहानी में ढूंढिए और उन्हें रेखांकित कीजिए।
क. लेखक द्वारा बढ़िया भोजन करवाना सिनेमा दिखाना।
स्वागत- सत्कार की जिस बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे, वहाँ से नीचे उतर हमने फिर दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की और रात्रि तुम्हें सिनेमा दिखाया।
ख. अतिथि की बात पर लेखक की पत्नी की आंखें बड़ी-बड़ी हो जाना।
मेरी पत्नी की आंखें एकाएक बड़ी हो गई। आज से कुछ बरस पूर्व उनकी ऐसे आंखें देख मैंने अपने अकेलेपन की यात्रा समाप्त कर दी थी। पर अब जब वे ही आंखें बड़ी होती है तो मन छोटा होने लगता है। वे इस आशंका और भय से बड़ी हुई थी कि अतिथि अधिक दिनो तक ठहरेगा।
ग. अतिथि के आगमन की आरंभिक अवस्था में लेखक के साथ विविध विषयों पर चर्चा।
लेखक ने अतिथि का बहुत अच्छे से स्वागत किया था। जब अतिथि घर में आए तो उनके साथ बैठकर अपनी पुरानी यादों के साथ हंसी-मजाक, चर्चा की और यह बहुत अच्छी थी।
ख. पाठ समझकर उत्तर दीजिए।
1.) लेखक ने मेहमान की तुलना एस्ट्रोनॉट्स से क्यों की?
लेखक कहना चाहते हैं कि एस्ट्रोनॉट लाखों मिल दूरी पार करके चांद पर गए थे लेकिन वहां पर भी ज्यादा देर तक नहीं रुके लेकिन अतिथि बहुत समय से उनके घर पर रह रहा है।
2.) पति और पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?
जब लेखक के घर मेहमान आया तो लेखक में मेहमान का स्वागत गले लग कर किया। अच्छे-अच्छे पकवान खिलाएं। पत्नी ने भी मेहमान का हाथ जोड़कर स्वागत किया।
3.)”अतिथि सदैव देवता नहीं होता मानव और थोड़े अंशो में राक्षस भी हो सकता है।” इस कथन से आप क्या समझते हैं?
हम अतिथि को देवता मानते हैं लेकिन अतिथि जब किसी के घर समय से अधिक रुकता है तो वह सबको परेशानियों में डाल देता है। वह सब को राक्षस लगने लगता है।
4.) लेखक अतिथि को कैसे विदाई देना चाहता था?
लेखक ने अतिथि का अच्छी तरह से सत्कार किया। जब अतिथि घर जाए तो अतिथि को रोकने की कष्ट करें करने पड़े।फिर भी वह अपने घर चला जाए। ऐसी विदाई लेखक अतिथि को देना चाहता था।
5.) जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए और क्यों?
जब अतिथि चार दिन तक घर नहीं गया, तो लेखक के व्यवहार में कुछ बदलाव आ गया। जैसे उन्होंने उससे खुश हो कर मुस्कुरा कर बातें करने बंद की। पहले जो भोजन था उसने खिचड़ी का रूप ले लिया और लेखक और उसके पत्नी के मन में अतिथि के लिए जो भावनाएं थी उसकी जगह गलत शब्द आने लगे।
ग. पढ़ने की योग्यता का विस्तार
नीचे प्रेमचंद की ‘सवा सेर गेहूं’ का अंश दिया जा रहा है। पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
1.) महात्मा जी के आगमन पर चिंता क्यों हुई?
महात्मा जी के आगमन पर चिंता हुई क्योंकि महात्मा जी को क्या खिलाऊँ? यह प्रश्न था। गांव भर में गेहूं का आटा ना मिला।
2.) आगंतुक के घर के मालिक से क्या संबंध रहे होंगे?
आगंतुक घर के मालिक के कोई नहीं लगते थे। लेकिन वह एक अतिथि थे और उनका अातिथ्य करना जरूरी था।
3.) “गांव में सब मनुष्य ही मनुष्य थे, देवता एक भी ना था, अतःएव देवताओं का खाद्य पदार्थ कैसे मिलता?” इसके माध्यम से प्रेमचंद ने किस प्रकार का व्यंग्य किया है
प्रेमचंद हम से कहना चाहते हैं कि गांव में सिर्फ मनुष्य ही थे। देवता नहीं थे, तो देवताओं के खाद्य पदार्थ वहा कैसे मिलते। अगर देवता वहां रह रहे होते तो वहां भी देवताओं के खाद्य पदार्थों मिल रहे होते और वहां के मनुष्यों को देवताओं के लिए क्या लगता है, कौन सा भोजन अच्छा है? यह सब मालूम होता।
अभिव्यक्ति सृजनात्मकता
स्वाभिव्यक्ति
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार पांच वाक्य में लिखिए।
1.) यदि आप अतिथि बनकर कहीं जाते हैं तो आपकी क्या अपेक्षाएं होती है?
यदि हम अतिथि बनकर कहीं जाते हैं तो हमारा अच्छे से स्वागत हो, रहने की व्यवस्था हो, कहीं घूमने फिरने ले जाए अच्छे से आदरातिथ्य करें, यह अपेक्षाएँ होती है।
2.) घर आए अतिथि को आप अपनी कौन-कौन सी वस्तुएं प्रसन्नता पूर्वक देना चाहेंगे?
अगर हमारे घर अतिथि आए तो हम उनका स्वागत अच्छे से करेंगे उनकी रहने की व्यवस्था करेंगे खाने के लिए अच्छे व्यंजन बनाएंगे घूमने के लिए गाड़ी की व्यवस्था करेंगे यह सब हम उनको प्रसन्नता पूर्वक देना चाहेंगे।
3.) गांव और शहरों के आतिथ्य सत्कार में आपको क्या अंतर दिखाई देता है?
गांव और शहर के अतिथि सत्कार में बहुत अंतर होता है। जैसे गांव में हम कम चीजों में भी खुश रहते हैं, लेकिन शहर में हमें बहुत सारी सुविधाएं चाहिए। गांव में हम जाकर कितने भी दिन रुक सकते हैं, वहां की जीवनशैली अभी तक भागा दौड़ी कि नहीं है। इसीलिए वहां पर अतिथि सत्कार महीनों तक किया जाता है। लेकिन शहर में कुछ दिन ही हम रह सकते हैं।
4.) आपकी दृष्टि में अच्छे अतिथि के क्या लक्षण है?
हमारी दृष्टि मैं अच्छे अतिथि के यह लक्षण है कि जब अतिथि घर में आए उसके पहले हमें उसकी सूचना दें कि हम आ रहे हैं। जिसके घर में अतिथि जा रहा है, वहां पर जाकर उन लोगों को ज्यादा परेशान ना करें। सबकी अलग-अलग, अपनी-अपनी रहन-सहन के तरीके होते हैं उनमें दखलअंदाजी ना करें और कुछ दिन रुक कर वापस अपने घर चला जाए।
निम्नलिखित प्रश्नों के आठ दस वाक्यों में उत्तर लिखिए।
1.) “संबंधों के संक्रमण के दौर से गुजरना” इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं विस्तार में लिखिए।
संबंधों के संक्रमण के दौर से गुजर ना इसका मतलब है कि अपने घर परिवार वालों के बीच में या फिर जो रिश्तेदार होते हैं उनके बीच में परिवर्तन आना। घर के लोगों से रिश्तेदारों से पहले तो सभी प्रकार के संबंध अच्छे थे, लेकिन कुछ ऐसा हो गया कि यह सब क्रोध में बदल गया। अगर अतिथि हमारे घर में आता है तो हमें अच्छा लगता है।लेकिन समय से अतिथि रहा तो उनके और हमारे संबंध में तनाव से होने लगता है।
2.) लेखक ने अतिथि को क्या-क्या सुविधाएं प्रदान की?
लेखक ने अतिथि का अच्छे से स्वागत किया। उसे खाने में दो दो प्रकार की सब्जिया, रायता, मीठी चीजों की व्यवस्था की उसके रहने का कपड़े धुलवाने का इंतजाम कर दिया। अलग-अलग प्रकार की सुविधाएं दी। लेकिन जब अतिथि जाने का नाम नहीं लेने लगा तो लेखक और उसके पत्नी का मन बेचैन होने लगा।
3.) आपके यार एक सप्ताह के लिए यदि आपके नाना नानी आकर रहे तो आप उनकी किस प्रकार सेवा करेंगे?
जैसे लेखक के घर अतिथि आया था वैसे हमारे घर अगर हमारे नाना नानी आकर रहे तो हम उनकी हर प्रकार की सेवा करेंगे। खाने में जो अच्छा लगता है वह खिलाएंगे। उनको घुमाने ले जाएंगे। हम ध्यान रखेंगे कि उन्हें हर प्रकार की सुविधा दी जाए। उन्हें किसी भी प्रकार की तकलीफ ना हो। हम उनको बहुत सारा प्यार भी देंगे।
सृजनात्मक कार्य
इस कहानी को संवाद रूप में लिखिए। उसका कक्षा कक्षा में अभिनय कीजिए।
लेखक के घर पहले सूचना ना देते हुए अतिथि आता है। अब दरवाजे पर घंटी बज रही है।
लेखक – रुको रुको आता हूं।
मेहमान – अरे नमस्ते
लेखक और उसकी पत्नी – अरे आइए आइए स्वागत है आपका।
पत्नी- आप बैठो मैं आप सबके लिए चाय और नाश्ते का इंतजाम करती हूं।
लेखक- अरे अभी तो खाने का वक्त हुआ है अब तो खाना खाएंगे।
दूसरे दिन
लेखक- आइए आइए यहां पर कैसा लगा आपको
मेहमान- जी यहां पर तो सब कुछ अच्छा है मुझे तो बहुत अच्छा लगा।
लेखक- जी निसंकोच रहिए अपना ही घर है।
मेहमान 3 दिन होने के बाद भी जाने का नाम नहीं लेता अभी तक वहीं रह रहा है।
मेहमान – अरे सुनो तो मेरे कपड़े बहुत पहले हो गए इसे लॉन्ड्री में डलवा दें क्या? यहां पर कोई है क्या लॉन्ड्री?
लेखक – अरे है ना मैं आज यह सब लॉन्ड्री में भेजता हूं।
पत्नी – अरे आप दोनों कहां पर जा रहे हो।
लेखक- लॉन्ड्री जा रहे हैं
अतिथि को आए हुए बहुत दिन हो गए हैं अब लेखक की पत्नी लेखक से पूछ रही है।
पत्नी अरे यह अतिथि अब कब जाएंगे अब तो मैं भी परेशान हो गई हूं रोज रोज मेहमान नवाजी करके।
लेखक – मैं भी तो क्या कर सकता हूं?
पत्नी – अब मैं तो आज कुछ नहीं बनाऊंगी सीधी-सादी खिचड़ी बनाऊंगी।
लेखक – ठीक है बनाओ।
प्रशंसा
“मेहमाँ जो हमारा होता है वह जान से प्यारा होता है।” भारतीय संस्कृति की महानता में इस विचार की प्रमुख भूमिका रही है। इसी प्रकार भारतीय संस्कृति की कुछ विशेषताएं लिखिए।
भारतीय संस्कृति में प्रकृति की पुजा की जाती है।
अनेकता मे एकता
धार्मिक ऐकता
भाषा की बात
1.) पर्याय शब्दों के संदर्भ में बेमेल छाँटिए।
चांद – शशि, सोम, अनल, सुधाकर
अनल
अतिथि -अदिति, आगंतुक, मेहमान, पाहुन
अदिति
दिवस – दिन, वार, वासर
वासर
कमल -सरोज, जलज, पंकज, कुटज
कुटज
अंतरंग – घनिष्ठ, दोस्ताना, मैत्रीपूर्ण, अंत:पुर
अंत:पुर
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