Telangana SCERT Solution Class X (10) Hindi Chapter 6 राम लक्ष्मण परशुराम संवाद
राम लक्ष्मण परशुराम संवाद
1.) संस्कृति से क्या आशय है?
संस्कृति मानव जाति एवं मानवता का कल्याण चाहती हैl
2.) चरित्र निर्माण में संस्कृति की क्या भूमिका है?
संस्कृति मानव जाति एवं मानवता का कल्याण चाहती है जिससे मनुष्य का चरित्र उभरता है।चरित्र निर्माण में हमारी संस्कृती महत्वपूर्ण कार्य करती है। संस्कृती हमे सही रास्ता दिखाती है। इमानदारी से कैसे कार्य किए जाते है वो हमे बाती है। अगर संस्कृती की मुल्य गलत है तो हमर चरित्र भी अच्छा नहीं होगा।
प्रश्न
1.) शिवधनुष के तोड़े जाने का कारण क्या है?
महाराज जनक ने सीता स्वयंवर रखा थाl उसमे रामजी ने धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढते वक्त वह धनुष टुट गयाl
2.)परशुराम क्यों क्रोधित हुए? आपके विचार में क्या यह उचित है? क्यों?
परशुराम जी का क्रोध उचित नही था। क्योंकी श्री राम जी ने वाह धनुष जान बुझकर नाही तोडा था। राजा जनक ने जो सीता के लिए स्वयंवर रखा था, उसमे रामजी ने वह धनुष उठया ओर प्रत्यंचा चढाते समय वह धनुष टूट गया। इस बातकों परशुराम जी समझ नही पाए।
3.) क्रोध के कारण कैसी परिस्थितियां उपलब्ध होती है?
क्रोध के कारण विपरीत परीस्थिती निर्माण होती है। क्रोध आने पर हम कुछ सोच समझ नाही पातेl जो बाते शांती से सुलझ सकती है वह क्रोध की वजह से बिगड सकती है।
4.)इस पाठ्यांश में कौन सा पात्र आपको अच्छा लगा और क्यों?
हमे लक्ष्मण का पात्र अच्छा लगा। क्योकी जब परशुराम जी क्रोध में आए थे तब उनसे बात करने का काम लक्ष्मण जी ने किया। उनको हर एक घटना अच्छे से बताई। जब सब शांत रहकर खडे थे तब लक्ष्मण जी परशुराम जी से बात कर रहे थे।
अर्थग्राह्यता प्रतिक्रिया
1.)प्रश्नों के उत्तर बताइए।
1.)संकलित अंश में राम का व्यवहार विनय पूर्ण और संयत है। लक्ष्मण लगातार व्यंग्य बाणों का उपयोग करते हैं। और परशुराम का व्यवहार क्रोध से भरा हुआ है इस परिस्थिति में आप का व्यवहार कैसा होता?
परशुराम जी बहोत क्रोधीत व्यक्ती है। ऐसी परिस्थीती में हमरा व्वयहार शांततापूर्ण होता। हम उनको एक घटना अच्छी तरह से समझाने की कोशिश करते। उनके क्रोध को शांत कराते।
2.) मनुष्य को परिस्थितियों के अनुसार अपने स्वभाव में परिवर्तन कर लेना चाहिए या नहीं कारण बताइए।
मनुष्य को परिस्थितियों के अनुसार अपने स्वभाव में परिवर्तन कर लेना चाहिए । जैसी परिस्थिती सामने आती है उसके अनुसार हमें विचार करना चाहीए। अगर विपरित परिस्थिति हो और हम हट करने लगे तो परिस्थितिया बिगड जाएंगी। जो व्यक्ती परिस्थिति के अनुसार चलता है वही इस दुनिया में जिवीत रहता है।
आ) भाव स्पष्ट कीजिए।
1.)नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइही केउ दास तुम्हारा ।।
आयेसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाई बोले मुनि कोही।।
शिवधनुष जब टूटता है तो परशुराम जी क्रोधीत होते है। श्री रामजी उनका क्रोध शांत करना की कोशिश करते है। वह कहते है की जिसने धनुष तोडा है वह आपका ही तो दास है। तब परशुराम जी कहते है की दास का काम सेवा करना होता है तुमने जो किया है ऐसा व्यवहार दुष्मन करता है।
2.) लखन कहा हसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना।।
का छति लाभु जून धनु तोरे। देखा राम नयन के भोरें।।
धनुष टुटने पर परशुराम जी का क्रोध सातवे आसमान पर होता है। लक्ष्मण जी को ये बात समझ नहीं आती के वह इतना क्रोध क्यो कर रहे है। धनुष ही तो टुटा है। ऐसी कोनसी बात हुयी है, के एक धनुष के लिए वह एक सजीव की हत्या करना चले है। परशुराम जी की बाते लक्ष्मण सुनते है और उनसे कहते है की मैं सुना है सभी धनुष एक समान होते है। फिर एक धनुष टुटने क से ऐसी कौनसी बात होगयी यह मुझे समझ नहीं आता।
3.) भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल वार महिदेवन्ह दीन्ही।।
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।
परशुराम जी क्रोध मे थे। फिर भी लक्ष्मण जी ने अपनी बात उनके सामने रख दी। फिर परशुराम जी अपने विरता का गुणगान गाने लगे वो कहते है की मैं ने सहस्त्र् भुजोंको काट डाला है, कितनी बार ही भूमी को मैंने राजाओं से विरहीत कर दिया है तो तुम कौन हो?
इ) निम्नलिलिखित भाव को व्यक्त करने वाली कविता की पंक्तियां ढूंढकर लिखिए।
1.)धनुष को तोड़ने वाला कोई तुम्हारा दास होगा?
नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइही केउ दास तुम्हारा ।।
2.) लक्ष्मण क्या कहकर धनुष के टूटने पर राम को दोष रहित बता रहे थे?
छुअत टूट रघुपतिहु न दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू।।
ई) पद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
1.) रैदास की ईश्वर के प्रति भक्ति कैसी है?
रैदास की ईश्वर प्रति भक्ति निराकार है। वह सगुण रुको नहीं मानते। वह ईश्वर को मन ही मन में पूजते हैं। वह ईश्वर को फल फुल पानी तो चढ़ाते हैं उपासना भी वह करते हैं लेकिन वह मन ही मन में करते हैं।
2.) इस पद का केंद्रीय भाव क्या है?
रैदास सगुण भक्ति को नहीं मानते। वह कहते हैं कि हम जो भी ईश्वर को देते हैं वह सब अशुद्ध होता है। यह सब चीजें निरर्थक है। यही इस पद का केंद्रीय भाव है।
3.) पूजा के बारे में कवि क्या कहते हैं?
रेदास भगवान की पूजा मन ही मन में करते है। वो कहते है की भगवान को हम क्या देंगे, जो देते फल, फुल, चंदन, ये सब चिजे अशुध्द है ये सब मैं आप पर कैसे चढादु? मैं मन ही मन में आप की पूजा करता हूं।
4.) “मलयगिरि भेदियो भुअंग । विष अमृत दोउ एकै संग।।” इस पंक्ति का भाव बताइए।
रेदास भगवान की पूजा मन में करते है।बाहरी सब चिजे विशैली है। तो इन चिजों से भगवान को भोग कैसे लगा सकते है? चंदन का पेड तो विष से भरा होता है। तो चंदन का उपयोग हम ईश्वर की भक्ती के लिए कैसे कर सकते है?
अभिव्यक्ति सृजनात्मकता
अ) इन प्रश्नों के उत्तर पाठ 6 वाक्य में लिखिए।
1.) परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के कौन कौन से तर्क दिए?
- यह धनुष पुराना होने का वजह से बहोत कमजोर हो गया था।
- यह जो धनुष है वह हमको और धनुषों के जैसा ही प्रतीत हुआ।
- भैयाने बचपन में ऐसे कई सारे धनुष तोडे है।
- यह टुटने पर किसीको नुकसान नहीं होगा
यह सारे तर्क लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने पर दे दिए।
2.) क्रोध का केवल नकारात्मक कि नहीं सकारात्मक पक्ष भी होता है। पक्ष विपक्ष में अपने विचार प्रकट कीजिए।
क्रोध आना अच्छी बात हैl लेकीन हमे क्रोध किस वजाह से आ रहा है या फिर हम उसका उपयोग किसके भलाई के लिए न करते हुए किसीको मारने के लिए कर रहे हैं तो ये गलत बात है। अगर आपके क्रोध से किसीकी भलाई होती है तो वह सकरातमक क्रोध हैl लेकीन आपके क्रोध से किसिकी मृत्यु होती है तो वह नकारात्मक है। परशुराम एक धनुष टूटने की वजह से क्रोधीत हो गये इसीलिए उनका क्रोध नकारात्मक है।
आ) पाठ के आधार पर राम लक्ष्मण और परशुराम के संवाद उनकी तुलना कर अंतर स्पष्ट कीजिए।
परशुराम जी बहुत क्रोधित होते हैं, क्योंकि श्री राम के हाथों शिवजी का धनुष टूट जाता हैl लक्ष्मण जी उन्हें समझाने की कोशिश करते हैंlvलेकिन परशुराम जी का क्रोध कम नहीं होताl यहां पर श्रीराम के संवाद में बहुत विनम्रता हैl वह कहते हैं कि मैं तो उनका दास हूं वह भगवान के सामने परशुराम जी के सामने नतमस्तक हो जाते हैंl उन्हें किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं हैl लेकिन परशुराम जी के भाषा में क्रोध अधिकतर दिखाई देता हैl ताकत दिखाई देती हैl लक्ष्मण जी यहां पर परशुराम जी को बातें समझाने की कोशिश करते हैंl उनके संवाद आत्मविश्वास से भरे हुए हैं
इ.) इस कविता को संवाद रूप में लिखिए।
परशुराम -अरे! मेरा धनुष किसने तोड़ा है।
श्री राम – प्रभु यह धनुष मेरे हाथों टूट गया है, लेकिन मैं आपका दास हूं।
परशुराम- तुम अपने आप को दास कहते हो लेकिन तुमने जो किया है वह एक दुश्मन की भाँति है किया है।
श्री राम – नहीं ऐसा नहीं है मैं तो सिर्फ आपकी भक्ति की है।
परशुराम – मैं अब तुम्हारी हत्या कर दूंगा क्योंकि तुम ने धनुष तोड़ा है और घोर पाप किया है।
लक्ष्मण- हे प्रभु हमने आज तक बहुत सारे धनुष तोडे हैं तब आप इतने क्रोधित नहीं हुए तो आज ही क्यों?
परशुराम – तुम अभी बालक हो तुम्हें इन सब चीजों का ज्ञान नहीं है।
लक्ष्मण – लेकिन प्रभु मुझे यह नहीं समझ में आ रहा है। यह है तो एक धनुष ही। तो यह टूटने से किसी को क्या हानि हो सकती है। यह धनुष टूटने में किसी का भी दोष नहीं है।
परशुराम – आपको समझ नहीं है मेरा क्रोध कितना बड़ा है मैं क्षत्रियों का दुश्मन हूं मैंने इस भूमि को राजा उनसे प्राप्त कर दिया था मुझे किसी की हत्या करने पर मजबूर मत करो।
ई) इस पाठ में भी विनय संयम साहस आदि गुणों का सुंदर वर्णन किया गया है जीवन में इस गुणों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
विनय साहस और संयम के गुण ऐसे हैं, जिससे हम आगे बढ़ सकते हैं। हमारी हर वक्त प्रगति होती रहती है। हमें हर काम में सफलता मिलती है। जिन लोगों में विनय यह गुण होता है वह किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। जिन मनुष्य में संयम होता है वह अपनी इच्छाओं पर काबू पा सकते हैं। विनय साहस और संयम जिनमें होते हैं वह लोग वीर कहलाते हैं। किसी भी मुसीबतों का डटकर सामना कर सकते हैं।
भाषा की बात
अ)सूचना पढ़िए और उसके उत्तर दीजिए।
1.)नयन, रिपू (पर्याय शब्द लिखिए।)
नयन – नेत्र
रिपू- वैरी
2.)विनय, संयम.) ( एक एक शब्द के विलोम शब्द से वाक्य प्रयोग कीजिए।)
विनय *अविनय
राजु का वर्तन अविनयशील है।
संयम* असंयम
छोटी को खिलौने चाहीए। उसके पास असंयम बहोत है।
3.) दास, शैली ( एक एक शब्द का वचन बदल कर वाक्य प्रयोग कीजिए।)
दास- दासों
आपको आज जो हमने सिखाया वह आप हमारे दांसों को भी बताएं।
शैली- शैलियां
लेखक अलग-अलग शैलियों में लिखते है।
4.) महीप कुमार, नृपबालक ( इन शब्दों में किसी विभक्ति का लोप हुआ है पहचानिए।)
महिप कुमार मतलब राजा का बेटा और नृपबालक मतलब भी राजा का बेटा
आ) सूचना के अनुसार उत्तर लिखिए।
1.) मोही- कोही, तोरा- मोरा (पाठ में आए इसी तरह की तुकबंदी शब्द पहचान कर लिखिए।)
तोही – द्रोही, जाना – समाना, कीन्ही – दीन्ही
2.) शिवधनुष, सहस्त्रबाहु, महिपकुमार (समास विग्रह कर लिखिए।)
शिवधनुष्य- शिव का धनुष , तत्पुरुष समास
सहस्त्रबाहु – सहस्त्र बाहु वाला , द्विगु समास
महिपकुमार – महिप का बेटा,
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