Telangana SCERT Solution Class X (10) Hindi Chapter 10 कन्यादान
कन्यादान
प्रश्न
1.) महारानी ने किस पुण्य कार्य का उल्लेख किया?
राजा ने राज्य का सोच विचार कर के बहुत सारे पुण्य के काम किए थे, लेकिन इसमें एक काम रह गया था। वह है अपने बेटी का कन्यादान करना। उसकी शादी करना। तो महारानी ने महाराज से अपनी बेटी का कन्यादान इस पुण्य कार्य की बात की है। महारानी ने इस पुण्य कार्य का उल्लेख किया है।
2.)कन्यादान के अलावा और कौन-कौन से दान होते हैं?
कभी-कभी मनुष्य अपनी संतान सुख समृद्धि के लिए दान करता है। कभी हम जो कमाते हैं उसमें से कुछ भाग दान करते हैं। कई बार अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए विद्वानों को ब्राह्मणों को भी दान किया जाता है और एक दान ऐसा होता है जिसमें हम किसी भी फल की इच्छा ना रखते हुए दान करते हैं।
3.)कन्यादान शब्द की सार्थकता के बारे में बताइएl
हमारे भारतीय समाज के हिंदू धर्म के विवाह में कन्यादान नाम की एक रस्म होती है। जिसमें पिता अपनी पुत्री की शादी करते वक्त उसका हाथ उसके वर के हाथ में देता है। इसके बाद उस वर को ही उस कन्या की जिम्मेदारी निभानी होती है। इस दान को हिंदू धर्म में सबसे बड़ा दान कहा गया है।
प्रश्नों
1.) कन्यादान के समय मां को लड़की अंतिम पुंजी क्यों लगी? बताइए।
एक कन्या को बड़ा करते वक्त मां अपना वक्त उसे देती है, प्यार देती है। सब कुछ सिखाती है, संस्कार देती है, पाल पोस कर बड़ा करती है और दिन यही कन्या पराया धन कहकर अपने ससुराल चली जाती है।उस वक्त उस मां को असहनीय दुख हो जाता है। मां और बेटी यह रिश्ता सबसे नजदीकी होता है। इसीलिए बेटी को अंतिम पूंजी कहा गया है।
2.)’पाठिका थी बहुत धुंधले प्रकाश की’ इस पंक्ति से क्या तात्पर्य है?
मां अपने बेटी का हर तरह से ख्याल रखती है। जब बहुत समझदार होती है तब उसकी शादी कर कर देती है। यह मां के लिए एक अच्छी बात है कि अपने बेटे की शादी हो रही है, लेकिन जिस बेटी को उसने पाल पोस कर बड़ा किया उसे किसी दूसरे के हाथों सौपना माँ के लिए कठिन हो जाता है।मां को हर वक्त लग रहा होता है कि उसकी बेटी अभी भी बड़ी नहीं होती हुई है। अभी बहुत छोटी है। समाज के रीति-रिवाजों को नहीं पहचानती है। उसे हमने आज तक सुख ही सुख दिया है। इसलिए उसे दुखों का पता नहीं शादी के बाद उसे पूरा जीवन आदर्श चलाना है।
3.)सुख दुख के समय हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए?
सुख दुख के समय हमारा व्यवहार समान होना चाहीएl सुख और दुख मे हमे हमारे साथ जो लोग है उनका पता चलता हैl हमारे साथ सुख मे कौन होता है दुख में कौन होता है इसका पता चलता हैl सारे परिस्थियों में अनुसार हमारा व्यवहार होना चाहिये।
4.) स्रियो में हम आत्मसम्मान की भावना कैसे जगा सकते हैं?
माँ अपनी बेटी को समाज मे कैसे रहा जाता है? उसके रिती रिवाजों के साथ परंपराओं के साथ कैसे जिया जाता है? ये समझाती है? माँ उसे कहेती हैं सिर्फ अपनी चेहरे की सुंदरता में मत उलझी रहना। अगर ऐसा करोगी तो तुम खुदको कमजोर पाओगी। यहां पर समाज में जो स्त्रियों के प्रति व्यवहार किया जाता है उस बारे में मां अपने बेटी को समझा रही होती है। माँ कहती है के रीती रिवाज परंपरा है यह तो सही बात है। लेकिन अन्याय अत्याचार सहन मत करना। अपनी सुंदरता में फंसी मत रहना।
अर्थर ग्राह्यता प्रतिक्रिया
अ) प्रश्नों के उत्तर बताइए।
1.) ‘कन्यादान’ कविता की रचना के पीछे कवि का मुख्य उद्देश्य क्या हो सकता है? बताइए। चर्चा कीजिए।
हमारी जो रीति रिवाज परंपराएं हैं इनके बारे में कवि ने कहा है, सभी परंपरा अच्छी है ऐसी बात नहीं है। कई दकियानूसी परंपरा है, इनके अनुसार स्त्रियों को घर में ही बैठे रहना चाहिए, या फिर स्त्री अपना अस्तित्व खो देती है। यह दकियानूसी परंपरा हमें समाप्त करनी चाहिए। यह इस कविता का उद्देश्य है।
2.) कन्यादान करना क्या वास्तव में कन्या का दान करना है? विवाह के लिए कन्यादान शब्द का प्रयोग करना कहां तक उचित है? पक्ष विपक्ष में चर्चा कीजिए।
विवाह में कन्यादान एक महत्वपूर्ण विधि माना गया है सबसे बड़ा दान कन्यादान होता है। ऐसा कहा गया है लेकिन आज भी कुछ व्यक्तियों के लिए यह एक सिर्फ परंपरा है रूढी है। जहां पर एक स्त्री सभी विधियों के साथ अपने आभूषणों के साथ अपनी सुंदर काया लेकर एक दूसरे परिवार को स्वीकार करती है। उसके बंधनों को स्वीकार करती है और न जाने के आगे जाकर कितने अत्याचार सहन करती है। कई बार दहेज न मिलने पर उस लड़की को स्त्री को मार दिया जाता है। उस पर अनेक अत्याचार किए जाते हैं। ऐसे विवाहों के लिए कन्यादान यह उचित शब्द नहीं है।
आ) पाठ पढ़िए। अभ्यास कार्य कीजिए।
1.) इस कविता के कवि कौन है? उन्होंने समाज के किन विषयों को अपनी रचनाओं का आधार बनाया है?
इस कविता के कवि ऋतुराज इनका जन्म राजस्थान में हुआ था। और शिक्षा भरतपुर में इन्होंने अध्यापन कार्य भी किया है। इनको परिमल पुरस्कार मीरा पुरस्कार जैसे पुरस्कारों से इनका सम्मान किया गया है। इन्होंने सामाजिक परिवार से संबंधित समस्याओं को अपने काव्य में जगह दे दी। आम आदमियों की चिंताओं का इन्होंने चित्रण किया है और अपनी रचनाओं का आधार बनाया।
2.) ‘आग रोटियां सेकने के लिए है जलने के लिए नहीं’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
मां कहती है कि आग रोटियां सेकने के लिए होती है जलने के लिए नहीं। इसका मतलब है हमें हमारे रीति रिवाज परंपराओं का पालन करना चाहिए। लेकिन यही रीति परंपराओं की वजह से हम पर अन्याय होता है, हमें अत्याचार सहन करना पड़ता है तो इनका कोई उपयोग नहीं है।हमें यह सब बर्दाश्त करना नहीं है। समाज के नियमों का हमें पालन करना चाहिए। लेकिन कोई अगर हम पर अन्याय अत्याचार कर रहा है तो उन पर भी हमें रोक लगानी चाहिए।
3.) कवि ने इन शब्दों का प्रयोग किसके लिए किया है-
अ) अंतिम पूंजी आ)स्त्री जीवन के बंधन इ)पाठिका
अ( अंतिम पूंजी- मां के जीवन का आखिरी धन मतलब अंतिम पुंजी उसकी बेटी होती है।
आ)स्त्री जीवन के बंधन- स्त्रियों के आभूषण और कपड़े जिनमें मनुष्य सदा फंसा रहता है यही उसके जीवन के बंधन है।
इ)पठिका- पठिका का मतलब इसे कम रोशनी में पढ़ने वाली पठिका जो सुखों को महसूस कर सकती है लेकिन दुख दर्द कि उसे समझ नहीं है।
4.) कवि ने बेटी के स्वभाव की क्या विशेषताएं बताई है?
बेटी का स्वभाव सरल है। समझदार है। लेकिन उसे अभी तक समाज के कुरितियों का परंपराओं का ज्ञान नहीं है। जो चल रहा है वह सब कुछ अच्छा है। ऐसा उसे लगता है। उसे दुख दर्द पढ़ने नहीं आते लेकिन उसे महसूस होते हैं।
इ) पद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- ‘भाइयों मैं अब वह नहीं हूं जो पहले थी।’ कविता में स्त्री का ऐसा कहने का क्या कारण होगा?
वह कह रही है कि मैं अब वह नहीं हूं जो पहले थी। अब मैं बदल गई हूं। समाज के कुरीतियों से बाहर आ गई हूं। अब मैं पढ़ी लिखी स्री हूं। अब मुझे आप आभूषणों में रीति रिवाजों में नहीं बाँध सकते।
- सोने के गहने तोड़कर फेंकने की बात कौन कर रहा है? क्यों?
सोने के गहने तोड़कर फेंकने के बात एक स्त्री कर रही है, क्योंकि उसे लगता है कि सोने के गहने पहना कर इस समाज में उसे एक बंधन में बांध लिया था। अब उसने ज्ञान रूपी प्रकाश प्रज्वलित किया है। जिससे उसे अन्याय अत्याचार के खिलाफ लड़ना सिखाया। अब बहुत जागरूक नागरिक बन चुकी है। अब वह परंपराएं और रीति-रिवाजों के गहने तोड़कर बाहर आ गई है। अब वह वापस नहीं लौटना चाहती।
- उपयुक्त अध्याय और कन्यादान कविता के भाव में क्या समानता है?
उपयुक्त अध्याय और कन्यादान यह कविता स्त्री के ऊपर लिखी गई है। इन दोनों में समाज की कुरीतियों को नाकारा है। दोनों का कहना है कि समाज में आज तक स्त्री को दुय्यम दर्जा दिया गया है। उसको आभूषणों में और समाज के रीति रिवाज परंपराओं के बंधन में बांध दिया गया, फसाया गया। सिर्फ रिश्ते निभाने के लिए मजबूर किया गया। अब वह अपना रास्ता खुद चुनेगी, क्योंकि अब उसने अच्छे से शिक्षा पा ली है। अब इन सारे बंधन से मुक्त हो गई है।
- इस कविता को उचित शीर्षक दीजिए।
स्त्री और परंपराएं
ई) निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
1.) लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
मां कहती है लड़की बड़ी तो हो गई है, लेकिन अभी इतनी समझदार नहीं है।वह सुख को महसूस कर सकती है। लेकिन दुख दर्द कि उसे समझ नहीं है। वह सारे सामाजिक कुरीतियों को परंपराओं को नहीं जानती। वह अच्छाई और बुराई मे फर्क नहीं जानती। वह अभी बहुत भोली है, सरल है, सीधी है।
2.)आग रोटियां सेकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
स्त्री नाजुक, सुंदर और कोमल है। लेकिन कमजोर नहीं है। तुम भी कमजोर मत होना। आग पर रोटियां पकाई जाती है। आग जलाने के लिए नहीं होती। मतलब किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार तुम्हारे साथ हो रहा हो, तो तुम्हें उसके खिलाफ आवाज उठाना चाहिए। अन्याय सहन नहीं करना है, उससे लड़ना है, उसके खिलाफ आवाज उठानी है।
अभिव्यक्ति सृजनात्मकता
अ) इन प्रश्नों के उत्तर पाच – छह पंक्तियों में लिखिए।
1.) मां लड़की को पाल पोस कर बड़ा करती है। वह घर में सब की लाडली होती है। उसके विवाह पर उस को विदा करते समय परिवार वालों की क्या प्रतिक्रिया होती है?
जब किसी लड़की की शादी तय की जाती है तब सबसे ज्यादा दुख सबसे ज्यादा दर्द उसकी मां को होता है। क्योंकि जो मां जन्म देती है, तकलीफ सहती है, उसके सुख दुख के साथी भी उसकी मां ही होती है। मां और बेटी सबसे अच्छी सहेलियां होती है। बेटी अपने मां के सबसे ज्यादा करीब होती है। जब लड़की की शादी तय की जाती है तब मैं अपना दिल कठोर कर जाती है। क्योंकि आपको अपनी बेटी का कन्यादान भी करना होता है। बेटी को दूसरे घर भेजना होता है। हमारे समाज की यही रीत है यही परंपरा है।
2.) मां ने ऐसा क्यों कहा होगा कि लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना?
मां ने कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखना। मतलब मां अपनी बेटी को समझा रही है यह दूसरी लड़की है जैसे सामाजिक कुरीतियों में आभूषणों में और सुंदरता में फंसी रहती है वैसे तुम मत फसना। यही तुम्हारी कमजोरी बन सकती है। अगर कुछ भी अन्याय अत्याचार हो तो उसके खिलाफ आवाज उठाना। चुप में बैठना तुम उन लड़कियों जैसी मत बनो जो अपने संबंधों में फंसी रहती है। तुम्हें इन सब को तोड़कर आगे बढ़ना है यह याद रखना।
3.) मां को अपनी बेटी ‘अंतिम पुंजी’ लग रही थी इस वाक्य के आधार पर बताइए कि परिवार में बेटी का क्या महत्व है?
मां को अपने बेटे अंतिम पूंजी लगती है, क्योंकि मां ने उसे पाल पोस कर बड़ा किया होता है। वह दोनों सुख दुख के साथी होते हैं एक बेटी को अपने मां से ज्यादा करीबी कोई नहीं होता। जब बेटी की विदाई होती है, तो मां को भी सबसे ज्यादा दुख दर्द होता है। क्योकी आज तक जिसे पाल पोस कर बड़ा किया, जिसको अच्छे से संस्कार दिए। वह अब दूसरे घर चली जाएगी। जो अपनी बेटी की खुशियों के लिए सारी जिंदगी कुछ भी करने के लिए तैयार होते हैं और जब शादी होती है उस लड़की की तब जिंदगी भर की सारी पूंजी उसकी शादी में लगा देते हैं। इसीलिए अपनी बेटी को अंतिम कुंजी कहा गया है।
आ) इन प्रश्नों के उत्तर दस से बारहम पंक्तियों में लिखिए।
1.)कवि ऋतुराज ने इस कविता के माध्यम से समाज के की स्थिति की ओर संकेत किया है? और क्यों?
कवि ऋतुराज ने समाज की कुरीतियां और परंपराओं की ओर संकेत किया है। समाज ने स्त्री को हमेशा एक बंधन में बांध लिया है। उसे गहने कपड़े और सुंदरता का लालच देकर उसे घर के चारदीवारी में ही रखा गया। स्त्री को बाहर नहीं जाना चाहिए, उसे काम नहीं करना चाहिए, ऐसे गलत निर्देश उसे देकर उसे घर में ही बांधकर रख दिया गया। बाहर जाने वाले स्त्रियों को चरित्रहीन कहा गया। अब वही स्त्री शिक्षा के माध्यम से समाज के कुरीतियों से बाहर निकल रही है। घर से बाहर जा रहा रही है। अन्याय अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रही है। खुद भी शिक्षित हो रही है और अपने आसपास के लोगों को भी शिक्षा प्रदान कर रही है।
2.) आजकल कुछ लोग वैवाहिक संबंधों का चुनाव धन-दौलत के आधार पर करते हैं जो अनुचित है। ऐसे लोगों को आप क्या सुझाव देंगे?
पहले समाज में पढ़े लिखे लोग नहीं थे। इसीलिए कुछ कुरीतियों का पालन करते थे। लेकिन आज समाज पढा हुआ है, शिक्षित हो गए हैं। लेकिन आज भी हमारे समाज में कुरीतियों का पालन किया जाता है। विवाह तय करते वक्त आज भी लड़की के गुणों को नहीं देखा जाता उसकी सुंदरता या फिर उसके परिवार द्वारा जो धन दौलत दिया दी जाती है उसे देखकर विवाह निश्चित किए जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो भी लड़की पर अन्याय अत्याचार किए जाते हैं। आज दहेज प्रथा को बंद कर दिया गया है। लेकिन हमारे समाज में कई लोग ऐसे हैं जो आज भी दहेज लेते हैं या दहेज देते हैं। यह सब गलत है वैवाहिक संबंध इस बात के आधार पर निश्चित नहीं करने को आगे बढ़ावा देंगे तो फिर यह कुरीतियां आगे भी चली रहेगी। स्त्रीयों पर हावी हो जाएगी जो कि गलत है।
इ) दहेज समाज की एक कुरीति है। इसकी निर्मूलन पर एक लेख लिखिए।
दहेज लेना गलत है और देना भी गलत है। यह यह हम कई दिनों से या कई सालों से सुनते आए हैं इसके खिलाफ कानून भी हो चुका है। लेकिन आज भी हमारे समाज से यह प्रथा जाने का नाम नहीं ले रही। कई सालों पहले जब हमारा समाज शिक्षित नहीं था, पढ़ा लिखा नहीं था। तब हम यह इस रित का पालन करते थे। तब बाल विवाह भी किया जाता था और अगर उसमें अच्छे से दहेज ना मिला हो तो उस लड़की को बहुत प्रताड़ित किया जाता था। उस लड़की को बहुत पीड़ा से गुजरना पड़ता था। उस पर अन्याय अत्याचार होते थे। लेकिन आज हमारा समाज शिक्षित होते हुए भी इस प्रथा को आगे बढ़ावा देता है। यह गलत है। विवाह बंधन में दोनों को बांधते वक्त हमारे समाज में आज भी यही सुनने को मिलता है, कि लड़के वालों का पक्ष ऊंचा होता है, और लड़के वालों का पक्ष हमेशा नीचा होता है। लेकिन हमें यह भेदभाव खत्म कर देना चाहिए। लड़की वालों का पक्ष और लड़के वालों का पक्ष दोनों बराबर है। स्त्री पुरुष दोनों ही समान है। उनको समान ही दर्जा देना चाहिए। हमें ही यह भेदभाव खत्म कर देना चाहिए। अगर ऐसा होगा तो ही हम दहेज प्रथा को खत्म कर सकेंगे।
ई)आज महिलाएं घर और बाहर की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है। घर और समाज के विकास में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है इस पर अपने विचार लिखिए।
जब कोई पुरुष सीखता है तो वह अकेला सीखता है लेकिन जब मैं एक स्त्री शिक्षा प्रदान करती है तो वह अपने आसपास के लोगों को भी शिक्षित करती है। ऐसा कहा जाता है। पहले महिलाओं को घर में ही रखा जाता था। घर के बाहर निकलने के लिए उनको मनाई थी। लेकिन आज महिला घर से बाहर निकल गई है। शिक्षा प्रदान कर रही है खुद भी शिक्षित हो रही है। काम के लिए घर से बाहर निकल रही है। महिला किसी भी क्षेत्र में आज पीछे नहीं है। वह सिर्फ आगे बढ़ रही है। उसने खुद में अनेक बदलाव किए हैं। सरकार ने भी महिलाओं के लिए अनेक कानून किए हैं। जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, दहेज विरोधी कानून, बाल विवाह के विरोध में कानून किया है। अगर इसके खिलाफ कोई आवाज उठाता है तो उसे कानूनी रूप से सरकार शिक्षा देती है। महिला शिक्षित हो रही है इस वजह से हमारे समाज में अनेक बदलाव नजर आ रहे हैं।
भाषा की बात
अ)(में दी गई सूचना पढ़िए और उसके अनुसार अभ्यास कीजिए।
1.) बाँचना सयानी आभास ( अर्थ लिखिए।)
बाँचना – सहन करना या समझना
सयानी – समझदार
आभास- महसूस करना
2.) वस्त्र प्रकाश आभूषण( पर्याई शब्द लिखिए।)
वस्त्र- कपडा, पोशाख
प्रकाश- उजाला
आभूषण- अलंकार
3.) पाठिका लेख कवि ( लिंग बदलकर वाक्य प्रयोग कीजिए।)
पाठिका- पाठक
बहुत पाठक अच्छे से लिखता भी है।
लेख- लेखिका
लेखिका के पास अच्छी अच्छी किताबें है।
कवि- कवियित्री
उस कविता में कवित्री ने सामाजिक कुरीतियों पर अपने विचार स्पष्ट किए हैं।
आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
2.) वस्त्रभूषण कन्यादान प्राणधार (विग्रह कर समास पहचानिए।)
वस्त्रभूषण- वस्त्र + आभूषण -कर्मधारय समास
कन्यादान- कन्या का दान- तत्पुरुष समास
प्राणधार- प्राणों से भी प्रिय- तत्पुरुष समास
इ) अंतिम पुंजी, धुँधला प्रकाश, लयबद्ध पंक्ति ( पद परिचय दीजिए।)
अंतिम पुंजी- कन्यादान करते समय मां सबसे अधिक दुखी हो जाती है उसका दुख सिर्फ वही महसूस कर सकती है उसे ऐसा लगता है कि उसके पूरे जीवन की पुंजी उसकी बेटी है इसीलिए उसे वह अंतिम पुंजी सी लगती है
धुँधला प्रकाश – कभी कहते हैं कि बेटियां भी समझदार नहीं हुयी है। मां की नजरों में वह अभी छोटी है। उसे दुख दर्द महसूस तो हो सकते हैं, सुख भी महसूस हो सकता है। लेकिन दुख दर्द का उसे अभी तक पता नहीं चला है, उसे समाज के रितियों के बारे में पता नहीं है।
लयबद्ध पंक्ति- एक लड़की का जीवन हमेशा घर में ही बितता है, उसे रिती और परंपराओं के बंधनों से जकड़ा जाता है। उसे आभूषण, कपडे और सुंदरता के भ्रम में फसाया जाता है।
ई) पाठ में आए संज्ञा शब्दों से 5 विशेषण बनाइए।
1 दान- दानशूर
2 प्रामाणिक – प्रामाणिकता
3.) सुख – सुखद
4.) दुख – दुखद
5.) भोला – भोलापन
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