Telangana SCERT Solution Class X (10) Hindi Chapter मंगल मानव और मशीन
मंगल मानव और मशीन
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ दस पंक्तियों में लिखिए।
1.)मंगल ग्रह की विश्व कल्याण की भावना क्या है?
मंगल मानव और मशीन इस पाठ के लेखक विनोद रस्तोगी ने मंगल ग्रह के मानव के बारे में क्या विचार है यह स्पष्ट किया है मंगल ग्रह के लोग सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचते। या फिर किसी समाज समुदाय के बारे में सोच नहीं सोचते । बल्कि वह पूरे ब्रह्मांड पूरे विश्व के बारे में सोचते हैं। मंगल ग्रह के लोक पूरे ब्रह्मांड का कल्याण करना चाहते हैं। वह सिर्फ अपना कल्याण नहीं करना चाहते। उनका दायरा इतने में ही सीमित नहीं है । वे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि सभी लोगों को सद्बुद्धि प्रदान करें । सभी ग्रहों के साथ वह एक संगठित करना चाहते हैं।,सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। उनमें भाईचारे की भावना है। इससे पता चलता है कि वह सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचते। सभी मानव जाति का कल्याण करना चाहते हैं। और इसी के साथ-साथ सभी विश्व का भी कल्याण वह चाहते हैं।
2.)मंगल ग्रह के लोग मानव के संदर्भ में क्या विचार रखते हैं?
लेखक विनोद रस्तोगी द्वारा लिखा गया मंगल मानव और मशीन इस पाठ में मानव और मशीन को लेकर विचार स्पष्ट किए गए हैं। मंगल ग्रह के लोग पूरे मानव जाति के बारे में क्या सोचते हैं यह बताया गया है।
मंगल ग्रह के लोग मानव के बारे में कहते हैं कि सभी मानव आपस में ही लड़ते रहते हैंl अभी मशीनों के गुलाम बन गए हैं। उन्हें एक दूसरे का भला बुरा नहीं समझ में आता। वह सिर्फ अपने बारे में ही सोचते रहते हैं। सभी के कल्याण के बारे में ना सोच कर वह खुद को और समाज को भी पीछे धकेल रहे हैं । वह अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकते हैं। वह धर्म जाति देश के नाम पर एक दूसरे के साथ लड़ाई करते रहते हैं। उन्होंने अभी अपने जीवन में मशीनों को बहुत ज्यादा महत्व दिया है। हम लोगों में भाईचारा नहीं है इसीलिए बहुत सारी समस्याएं खड़ी हुई है। मानव अभी बहुत स्वार्थी हो गया है
3.)एकांकी में मशीनी सभ्यता पर किया गया व्यंग्य स्पष्ट कीजिए?
यह एकांकी श्री विनोद रस्तोगी इन्होंने लिखी है। इसमें मानव मशीनों पर कैसे निर्भर हो गया है। मशीनों का बढ़ता महत्व इस पर चर्चा की गई है।
एकांकी में मशीनी सभ्यता पर व्यंग किया गया है। मंगल ग्रह के लोग और लोगों से यह बातें करते हैं कि आज आपके स्वामी मशीन है। आप सभी मशीनों पर निर्भर है। किसी भी काम के लिए आप मशीनों का इस्तेमाल करते हैं। आपके पास अपना दिमाग होते हुए भी आप मशीनों का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करते हैं । सभी स्वार्थी हो गए हैं। अपने स्वार्थ के लिए आप कुछ भी कर सकते हैं। हमारे जीवन में हमें मानव को मतलब एक दूसरे को महत्व देना चाहिए। लेकिन आज हम मशीनों को बहुत ज्यादा महत्व दे रहे हैं। सभी मानव अपना अस्तित्व खो रहे हैं। इससे पता चलता है कि विनोद रस्तोगी इन्होंने इस एकांकी में मशीनों पर व्यंग्य किया है।
4.)मंगल लोक नाम की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
मंगल मानव और मशीन इस पाठ के लेखक श्री विनोद रस्तोगी इन्होंने मंगल ग्रह के लोग इतर ग्रहों के लोगों के बारे में क्या कहते हैं, वह कैसे सब लोगों का कल्याण करना चाहते हैं यह लिखा है।
मंगल ग्रह के लोग सिर्फ अपना नहीं पूरे विश्व का कल्याण करना चाहते हैं। सभी प्राणियों पर सभी मानव जाति पर अपना लक्ष्य केंद्रित करते हैं । उनका उद्देश्य है कि वह पूरे मानव जाति का सभी ग्रहों का कल्याण करें। पर भगवान से भी यही प्रार्थना करते हैं कि सभी लोगों का कल्याण हो सभी लोगों को सद्बुद्धि प्रदान हो सभी लोगों में भाईचारा बढे। सभी लोगों के हृदय में प्रेम भावनाएं जागृत हो। आज हम सब मशीनों पर निर्भर हो गए हैं। लेकिन वह कहते हैं कि हमें मशीनों पर निर्भर नहीं होना चाहिए। हमें मानव को महत्व देना चाहिए। मंगल ग्रह के लोग अपने ग्रह के नाम की तरह सभी लोगों का मंगल करना चाहते हैं। इसी में उनके ग्रह के नाम की सार्थकता है।
5.) एकांकी की भाषा शैली पर अपने विचार बताइए?
एकांकी में संवादों का महत्व होता है । मंगल मानव और मशीन यह एकांकी विज्ञान इस विषय पर आधारित है। लेकिन इसकी भाषा सरल है। इसमें अंग्रेजी और उर्दू शब्द के भी प्रयोग किए हैं । अंग्रेजी में जैसे रॉकेट, ऑक्सीजन, स्वीच उर्दू में शेरवानी ऐसे शब्द का प्रयोग किया है। यह एकांकी विज्ञान पर आधारित है।़लेकिन इसकी भाषा आम भाषा की तरह है। सभी लोगों को अच्छे से समझ में आती है। इस एकांकी में एक साथ अलग-अलग भाषा उसके शब्दों का प्रयोग किया है। यह एकांकी पढ़कर भी सरलता से समझी जा सकती है।
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